क्या अर्थशास्त्र का स्वभाव कला अथवा विज्ञान से संबंधित है? - kya arthashaastr ka svabhaav kala athava vigyaan se sambandhit hai?

उत्तर- अर्थशास्त्र का क्षेत्र :

अर्थशास्त्र के क्षेत्र के अंतर्गत निम्नलिखित तीन बातों का अध्ययन किया जाता है -

1. अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री

2. अर्थशास्त्र की प्रकृति अर्थात् क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है या कला अथवा दोनों हैं।

3. अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान है अथवा आदर्श विज्ञान ।

इनकी विस्तृत व्याख्या निम्नानुसार है

अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री :

अर्थशास्त्र की विषय वस्तु का प्रत्यक्ष संबंध आर्थिक क्रियाओं से है । आर्थिक क्रियाओं को अध्ययन करने के लिए अर्थशास्त्र को अग्रलिखित पांच भागों में बांटा गया है

1: विनिमय- प्रो.जेवन्स के अनुसार, “कम उपयोगी वस्तुओं से अधिक उपयोगी वस्तुओं की अदला-बदली विनिमय कहलाती है। यह आवश्यक है कि यह अदला-बदली स्वतंत्रतापूर्वक एवं स्वेच्छा से होनी चाहिए। विनिमय में मुख्य रूप से वस्तुओं के मूल्य निर्धारण का अध्ययन किया जाता है।

2. वितरण- उत्पत्ति के विभिन्न साधन मिलकर जिस संयुक्त वस्तु का उत्पादन करते हैं, उसको उत्पत्ति के विभिन्न साधनों में बांटने की क्रिया, वितरण कहलाती है। वितरण के अंतर्गत उत्पत्ति के विभिन्न साधनों के पुरस्कार जैसे-लगान, मजदूरी, ब्याज, लाभ इत्यादि के निर्धारण का अध्ययन किया जाता है।

3. उपभोग- मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वस्तु की उपयोगिता को नष्ट करना, उपभोग है। अर्थशास्त्र के विकास के प्रारंभिक चरण में उपभोग को विशेष महत्व नहीं दिया गया था परंतु वर्तमान समय में उपभोग का अर्थशास्त्र में महत्व सबसे अधिक है। इसलिए उपभोग को अर्थशास्त्र का आदि तथा अंत कहा जाता है।

4. उत्पादन- उत्पादन से तात्पर्य मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए, किसी वस्तु की उपयोगिता के सृजन से है। दूसरे शब्दों में, उपयोगिता का सृजन ही उत्पादन है। उत्पादन के अंतर्गत उत्पत्ति के साधनों-भूमि, पूंजी, श्रम, साहस तथा संगठन की विशेषताओं एवं उनकी कार्यक्षमता, उत्पत्ति के नियम व उत्पत्ति की अन्य समस्याओं का अध्ययन किया जाता है ।

5. राजस्व- वर्तमान समय में आर्थिक कार्यों में राज्य का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इसलिए अर्थशास्त्र में पांचवां विभाग राजस्व का बनाया गया है । इसके अंतर्गत सरकार के व्यय, आय, ऋण तथा वित्तीय प्रशासन (बजट) आदि से संबंधित सिद्धांतों एवं समस्याओं का अध्ययन किया जाता है ।

अर्थशास्त्र के इन पांचों विभागों का चाहे पृथक-पृथक अध्ययन किया जाता हो, परंतु वास्तव में ये एक दूसरे पर निर्भर हैं।

अर्थशास्त्र की प्रकृति या स्वभाव

अर्थशास्त्र की प्रकृति के अंतर्गत इस बात का अध्ययन किया जाता है कि अर्थशास्त्र विज्ञान है या कला। इसको जानने से पहले यह जानना जरूरी है विज्ञान व कला से आशय है ।

विज्ञान का अर्थ-

किसी शास्त्र के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कहा जाता है। जैसा कि प्रो.पाइनकेयर ने लिखा है, “विज्ञान तथ्यों से ठीक उसी प्रकार बनता है जिस प्रकार एक मंकान पत्थरों से बनता है। किन्तु तथ्यों को एकत्र करना मात्र ही, उसी प्रकार विज्ञान नहीं है, जिस प्रकार पत्थरों का ढेर मकान नहीं होता।” किसी भी शास्त्र को विज्ञान कहलाने के लिए तीन शर्तों को पूरा करना आवश्यक होता है-

(1) उसका क्रमबद्ध अध्ययन हो

(2) वह कारण और परिणाम के बीच संबंध स्थापित करता हो, तथा

(3) उसके नियम सार्वभौमिक हों।

अर्थशास्त्र एक विज्ञान है- अर्थशास्त्रियों का मत है कि अर्थशास्त्र एक विज्ञान है। क्योंकि किसी शास्त्र को विज्ञान कहलाने के लिए जिन शर्तों को पूरा करना आवश्यक है, अर्थशास्त्र उन सभी शर्तों को पूरा करता है।

अर्थशास्त्र विज्ञान नहीं है- कुछ विद्वानों का मत है कि अर्थशास्त्र को विज्ञान कहना उचित नहीं है।

कला का अर्थ

कला का अर्थ करने से है अर्थात् किसी कार्य को उत्तम एवं ठीक ढंग से करना ही कला कहलाता है। प्रोकींस के अनुसार, “कला नियमों की वह प्रणाली है जो किसी दिए हुए उद्देश्य की प्राप्ति में सहायक हो ।”

अर्थशास्त्र कला भी है- अर्थशास्त्री अर्थशास्त्र को विज्ञान के साथ-साथ कला भी मानते हैं। इसका कारण यह है कि यह आर्थिक समस्याओं के अध्ययन एवं समाधान के लिए व्यावहारिक सलाह भी प्रदान करता है। मुद्रा, बैंकिंग, विनिमय दर का निर्धारण, भुगतान संतुलन आदि से संबंधित समस्याओं के समाधान में अर्थशास्त्र की अहम् भूमिका होती है । इसीलिए अर्थशास्त्र को कला कहना उचित ही है। कुला के रूप में अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान तथा आदर्श विज्ञान के बीच पुल का कार्य करता है ।

अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान है या आदर्श विज्ञान

उपरोक्त व्याख्या से यह तो स्पष्ट हो गया है कि अर्थशास्त्र एक विज्ञान है। विज्ञान दो प्रकार के होते हैं-वास्तविक विज्ञान तथा आदर्श विज्ञान। अर्थशास्त्र इन दो में से कौन सा विज्ञान है अथवा दोनों ही विज्ञानं है, इस बात का अध्ययन करना भी आवश्यक है। वास्तविक विज्ञान वह विज्ञान होता है जो अपने को वास्तविकता तक ही सीमित रखता है। वह वस्तु स्थिति का ही अध्ययन करता है। उसकी अच्छाई-बुराई से उसका कोई संबंध नहीं होता है। आदर्श विज्ञान तथ्यों की केवल व्याख्या ही नहीं करता है बल्कि उनकी अच्छाई-बुराई के बारे में सुझाव भी देता है। आदर्श विज्ञान क्या होना चाहिए' का भी अध्ययन करता है।

जो अर्थशास्त्री अर्थशास्त्र को केवल एक वास्तविक विज्ञान मानते हैं, वे इस संबंध में अनेक तर्क देते हैं। इनके अनुसार कारण और परिणाम के बीच संबंध स्थापित करते समय यह बताना संभव है कि किसी कार्य के करने का परिणाम क्या होगा, यह बताना कठिन है कि क्या होना चाहिए। यदि अर्थशास्त्र को आदर्श विज्ञान मान लिया जाता है तो क्या होना चाहिए और क्या नहीं होना चाहिए' के विवाद में फंसकर अर्थशास्त्र का विकास नहीं होने पाएगा। कुछ अर्थशास्त्रियों का मत तो यहां तक है कि सिद्धांत बनाना, उनको लागू करना, उनके अच्छे-बुरे परिणामों की व्याख्या करना आदि सभी काम जब अर्थशास्त्री ही करने लगेंगे तो अन्य शासक क्या करेंगे। अतः अर्थशास्त्र को एक वास्तविक विज्ञान ही बने रहने देना चाहिए।

दूसरी ओर अनेक अर्थशास्त्री अर्थशास्त्र को एक आदर्श विज्ञान मानते हैं। इनका मत है कि यदि अर्थशास्त्रं में से इसके आदर्श पहलू को निकाल दिया जाए तो यह बेजान हो जाएगी।

वास्तव में जो भी आर्थिक सिद्धांत प्रतिपादित किए जाते हैं इनका उद्देश्य मानव कल्याण में वृद्धि करना ही होता है । इन अर्थशास्त्रियों के अनुसार अर्थशास्त्र उद्देश्यों के प्रति तटस्थ नहीं रह सकता है। अर्थशास्त्र में मानव की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। अन्य विज्ञानों की विषय वस्तु बेजान होती है परंतु अर्थशास्त्र जीवित एवं विवेकशील मनुष्य की क्रियाओं का अध्ययन करता है। उस पर केवल आर्थिक घटनाओं का ही नहीं वरन् दया, प्रेम, भावुकता आदि का प्रभाव भी पड़ता है।

उपर्युक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि अर्थशास्त्र केवल वास्तविक विज्ञान ही नहीं है, वरनु एक आदर्श विज्ञान भी है । अर्थशास्त्री का कार्य केवल व्याख्या और खोज करना ही नहीं है, वरन् अच्छाई और बुराई को बताना भी है।

निष्कर्ष के रूप में यह कहा जा सकता है कि अर्थशास्त्र एक वास्तविक विज्ञान तथा आदर्श विज्ञान होने के साथ-साथ कला भी है। जैसा कि प्रो.चैपमेन ने लिखा है, “अर्थशास्त्र एक वास्तविक विज्ञान के रूप में आर्थिक तथ्यों का अध्ययन करता है, नीति प्रधान विज्ञान के रूप में तथ्य किस प्रकार के होने चाहिए का अध्ययन करता है तथा कला के रूप में इच्छित उद्देश्यों की पूर्ति के साधन का भी अध्ययन करता है।”

क्या अर्थशास्त्र का स्वभाव कला अथवा विज्ञान से सम्बन्धित है?

पॉल सैमुल्सन के अनुसार, “अर्थशास्त्र न तो कला है और न ही विज्ञान है बल्कि यह विषय मानक शास्त्र एवं विज्ञान दोनों ही मुख्य विशेषताओं का संयोजन है।" हम जानते हैं कि अर्थशास्त्र के अंतर्गत हम एक व्यक्ति, एक फर्म, एक समाज या एक अर्थव्यवस्था का अध्ययन करते हैं, इसलिए इसको एक सामाजिक विज्ञान भी कहते हैं।

क्या अर्थशास्त्र का स्वभाव?

अर्थशास्त्र का स्वभाव – विज्ञान या कला उद्देश्य, पर्यवेक्षण, प्रयोग तथा विश्लेषण के द्वारा सत्य की खोज करना विज्ञान है।” अर्थशास्त्र विज्ञान है क्योंकि इसके अध्ययन में वैज्ञानिक विधियों का पालन किया जाता है।

अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान व कला दोनों है या कथन किसका है?

मार्शल के अनुसार अर्थशास्त्र विज्ञान तथा कला दोनों हैं जबकि रॉबिन्स के अनुसार अर्थशास्त्र एक वास्तविक विज्ञान है। आदर्श विज्ञान नहीं और इसका एक निश्चित स्वरूप है। 4. रॉबिन्स की परिभाषा सैद्धान्तिक है जबकि मार्शल की अधिक व्यावहारिक क्योंकि इसका उद्देश्य ज्ञान का प्रयोग करना भी है।

कला या विज्ञान से संबंधित अर्थशास्त्र की प्रकृति क्या आर्थिक को विज्ञान के रूप में माना जा सकता है?

अर्थशास्त्र एक यथार्थवादी विज्ञान होने के साथ-साथ एक आदर्शवादी विज्ञान भी है, क्योंकि यह आर्थिक सिद्धान्तों के आधार पर आर्थिक घटनाओं को कारण एवं परिणामों का क्रमबद्ध अध्ययन करके मानव कल्याण में वृद्धि करने के विभिन्न उपायों का प्रस्तुतीकरण करता है।