Solution : लड़कों को आक्रामक, मर्दाना और शेर दिल बनने की शिक्षा दी जाती थी। लड़कियों को बताया जाता था कि उन्हें अच्छी माता बनना है और शुद्ध खून वाले आर्य बच्चे पैदा करने हैं। अपनी नस्ल की शुद्धता बरकरार रखने के उद्देश्य से लड़कियों को अवांछित लोगों से दूर रहने को कहा जाता था। यदि कोई औरत किसी अवांछित बच्चे को जन्म देती थी तो उसे इसकी सजा मिलती थी। जो औरत नस्ली तौर पर वांछित बच्चे को जन्म देती थी उसे पुरस्कृत किया जाता था। उन्हें अस्पताल में विशेष सुविधा मिलती थी। उन्हें दुकानों, सिनेमाघरों और रेलवे में छूट भी दी जाती थी। ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से तमगे भी दिये जाते थे। चार बच्चे पैदा होने पर कांसे का तमगा, छ: बच्चे पर चाँदी का और आठ या अधिक बच्चे पैदा करने पर सोने का तमगा मिलता था। जब कोई आर्य महिला बताए हुए रास्ते से भटक जाती थी तो उसका सार्वजनिक तिरस्कार होता था और कड़ी सजा मिलती थी। नात्सी सोच के खास पहलू कौन-से थे? (i) हिटलर के अनुसार प्रत्येक जीवित वस्तु को फलने फूलने के लिए अधिक क्षेत्र की आवश्यकता होती है। इसलिए एक राज्य को भी आगे बढ़ने के लिए अधिक क्षेत्रफल और नई सीमाओं की आवश्यकता होती है।(ii) इससे मातृ देश का क्षेत्रफल भी बढ़ेगा। क्षेत्र के आकार में वृद्धि होने से शक्ति एवं सम्मान में भी बढ़ोतरी होगी। (iii) नए इलाकों में जाकर बसने वाले जर्मन लोगों को अपने जन्मस्थान के साथ गहरे संबंध बनाए रखने में मुश्किल भी नहीं आएगी। (iv) इस तरीके से जर्मन राष्ट्र के लिए संसाधन और बेहिसाब शक्ति इकट्ठा किए जा सकते हैं तथा मातृदेश के लिए अतिरिक्त संसाधनों को एक जगह इकट्ठा किया जा सकता है। (v) हिटलर जर्मन सीमाओं को पूरब की ओर फैलाना चाहता था ताकि सारे जर्मनों को भौगोलिक दृष्टि से एक ही जगह पर इकट्ठा किया जा सके। 1829 Views नात्सियों का प्रोपेगैंडा यहूदियों के खिलाफ नफ़रत पैदा करने में इतना असरदार क्यों रहा? नात्सियों का प्रोपेगैंडा यहूदियों के खिलाफ नफरत पैदा करने में इतना असरदार निम्नलिखित कारणों से रहा- 895 Views वाइमर गणराज्य के सामने क्या समस्याएँ थी ? राजनीति स्तर पर जर्मनी का वाइमर गणराज्य कमज़ोर और अस्थिर था। वाइमर गणराज्य में कुछ ऐसी कमियाँ थी जिनके कारण गणराज्य कभी भी अस्थिर और तानाशाही का शिकार बन सकता था,
जो इस प्रकार है- 5211 Views नात्सियों ने जनता पर पूरा नियंत्रण हासिल करने के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाए? (i) हिटलर ने लोकतांत्रिक शासन की संरचना एवं संस्थानों को समाप्त करना शुरू कर दिया। (iii) कम्युनिस्ट हिटलर का कट्टर शत्रु था। 3 मार्च 1933 को जर्मनी में प्रसिद्ध विशेषाधिकार अधिनियम के माधयम से तानाशाही स्थापित कर दी गई। (iv) ट्रेड यूनियन पर पाबंदी लगा दी गई। (v) अर्थव्यवस्था, मीडिया, न्यायपालिका और सेना पर राज्य ने पूरी तरह से नियंत्रण स्थापित कर लिया। (vi) पूरे समाज को नात्सियों के हिसाब से नियंत्रित व्यवस्थित करने के लिए सुरक्षा दस्ते गठित किए गए। इसमें गेस्तापो, एस.एस. और सुरक्षा सेवा शामिल थे। 1185 Views इस बारे में चर्चा कीजिए कि 1930 तक आते-आते जर्मनी में नात्सीवाद को लोकप्रियता क्यों मिलने लगी? 1930 तक आते-आते जर्मनी में नात्सीवाद को लोकप्रियता निम्नलिखित कारणों से मिलने लगी- (i) 1929 के बाद बैंक दिवालिया हो चुके थे। काम धंधे बंद होते जा रहे थे। मजदूर बेरोजगार हो रहे थे और मध्यवर्ग को लाचारी और भूखमरी का डर सता रहा था। नात्सी प्रोपोगैंडा ने लोगों को एक बेहतर भविष्य की उम्मीद दिखाई देती थी। 1929 में नात्सी पार्टी को जर्मन संसद-राइटख़स्टाग-के लिए हुए चुनावो में महज़ 2.6 फीसदी वोट मिले 1932 तक आते-आते यह देश की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी थी और उसे 37 फ़ीसदी वोट मिले। (ii) हिटलर जबरदस्त वक्ता था। उसका जोश और उसके शब्द लोगों को हिलाकर रख देते थे। वह अपने भाषाणों में एक शक्तिशाली राष्ट्र की स्थापना वर्साय संधि में हुई नाइंसाफ़ी के प्रतिरोध और जर्मन समाज को खोई हुई प्रतिष्ठा वापस दिलाने का आश्वासन देता था। उसका वादा था कि वह बेरोजगारों को रोजगार और नौजवानों को एक सुरक्षित भविष्य देगा। उसने आश्वासन दिया कि वह देश की विदेशी प्रभाव से मुक्त कराएगा तमाम विदेशी 'साज़िशों' का मुंहतोड़ जवाब देगा। (iii) हिटलर ने राजनीति की एक नई शैली रची थी। वह लोगों को गोलबंद करने के लिए आडंबर और प्रदर्शन की अहमियत समझता था। हिटलर के प्रति भारी समर्थन दर्शाने और लोगों में परस्पर एकता का भाव पैदा करने के लिए नात्सियों में बड़ी-बड़ी रैलियों और जनसभाएँ आयोजित की। स्वास्तिक छपे लाल झंडे, नात्सी सैल्युट और भाषणों के बाद खास अंदाज में तालियों की गड़गड़ाहट की सारी चीजें शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा थी। (iv) नात्सियों ने अपने धुआंधार प्रचार केसरी हिटलर को एक मसीहा, एक रक्षक ,एक ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश किया। जिसने मानो जनता को तबाही से उभारने के लिए ही अवतार लिया था। एक ऐसी समाज को यह छवि बेहद आकर्षक दिखाई देती थी जिसकी प्रतिष्ठा और गर्व का अहसास चकनाचूर हो चुका था और जो एक भीषण आर्थिक और राजनीतिक संकट से गुज़र रहा था। 1095 Views |