अधोदत्तेषु वाक्येषु विभक्ति-प्रयोगम् अवलोकयत। [नीचे दिए गए वाक्यों में विभक्ति का प्रयोग देखिए। Examine the use of case (faufael) in the sentences given below.] (ख) उपरिलिखित वाक्यों में, रेखांकित शब्दों में लगी विभक्ति का क्या कारण है? आइए समझें। (Let us understand the use of विभक्ति, in the words underlined, in the above sentences.) दोनों खण्डों में वाक्य-संख्या (1) में तृतीया विभक्ति, वाक्य-संख्या (2) में चतुर्थी तथा वाक्य-संख्या (3) में पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग हुआ है, किन्तु प्रयोग का कारण भिन्न है। उपरिलिखित वाक्यों से स्पष्ट है कि विभक्ति का प्रयोग दो बातों पर आधारित है
वाक्य में प्रयुक्त शब्द का, वाक्य में आई क्रिया से जो सम्बन्ध होता है, उसके अनुसार शब्द में जो विभक्ति लगती है, उसे कारक विभक्ति कहते हैं; यथा—क्रिया के कर्ता में प्रथमा, क्रिया के कर्म में द्वितीया इत्यादि। कारक-विभक्तिः 2. कर्म कारक-(AccusativeCase) 3. करण कारक-(Instrumental Case) 5.
अपादान कारक -(Ablative Case) 6. सम्बन्ध कारक -(Genitive Case) । 7. अधिकरण कारक -(Locative Case) उपपद-विभक्तिः ।
तृतीया- अलम्, सह, विना इत्यादि के योग में-
चतुर्थी — अलम्, नमः, स्वाहा, स्वस्ति इत्यादि के योग में
पञ्चमी- पूर्वम्, अनन्तरम्, बहिः, ऋते, विना इत्यादि के योग में-
षष्ठी- उपरि, अधः, पश्चात्, पुरतः, पृष्ठतः इत्यादि के योग में-
सप्तमी – निपुण, कुशल, प्रवीण, विश्वास, स्नेह इत्यादि के योग में-
संस्कृत भाषा में कुछ धातुएँ ऐसी हैं जिनके योग में विशेष विभक्ति के प्रयोग को प्रावधान (नियम) है। निम्नलिखित वाक्यों को देखिए। (In Sanskrit there are a few roots which require the use of a particular विभक्तिः Examine the sentences given below.) (ख) (ग) (घ) अभ्यासः (Exercise) प्रश्न 2. (ख) 1. गुरु: …………………………… अपृच्छत्। (शिष्य) More CBSE Class 8 Study Material
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