नासिक में कौन सी नदी बहती है - naasik mein kaun see nadee bahatee hai

त्रयंबकेश्वर के बाद और नासिक से पहले चक्रतीर्थ नामक एक कुंड है, यहीं से गोदावरी एक नदी के रूप में बहती नजर आती है। इसलिए बहुत से लोग चक्रतीर्थ को ही गोदावरी का प्रत्यक्ष उद्गम मानते हैं। नासिक से 35 किमी दूर त्रयंबक कस्बे में स्थित त्रयंबकेश्वर तीर्थ का महत्व दो कारणों से है, एक तो यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है और दूसरा दक्षिण की गंगा कही जाने वाली पावन नदी गोदावरी का उद्गम स्थल है। त्रयंबक में गोदावरी के तट पर बने विशाल त्रयंबकेश्वर मंदिर में पवित्र ज्योतिर्लिंग विराजमान है। अन्य ज्योतिर्लिंगों से अलग यहाँ गर्भगृह में केवल अर्धा ही नजर आता है। बहुत ध्यान से देखने पर करीब एक इंच आकार के तीन शिवलिंग दिखते हैं, जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु व महेश का प्रतीक माना जाता है। पूजा के उपरांत अर्धा के ऊपर चाँदी का पंचमुख चढ़ा दिया जाता है, श्रद्धालुओं को उसी के दर्शन होते हैं। एक दूसरा पंचमुख सोने का है, जिसे हर सोमवार को पालकी में विराजमान करके कुशावर्ता ले जाया जाता है।

मुख्य मंदिर में पूर्व की ओर सबसे बड़ा चौकोर मंडप है। इसके चारों ओर दरवाजे हैं। पश्चिमी द्वार को छोड़कर बाकी तीनों से इसमें प्रवेश कर सकते हैं। पश्चिमी द्वार अंतराला में खुलता है। सभी द्वारों पर द्वार-मंडप हैं। अंतराला गर्भगृह और मंडप के बीच है। गर्भगृह अंदर से चौकोर और बाहर से बहुकोणीय तारे जैसा है। गर्भगृह के ऊपर शिखर है, जिसके अंत में स्वर्ण कलश लगा है। त्रयंबकेश्वर ब्रह्मगिरी नामक पहाड़ी की तलहटी में स्थित है। ब्रह्मगिरी को शिव का ही रूप माना जाता है। यही गोदावरी का मूल उद्गम स्थल है। ब्रह्मगिरी की बायीं ओर की पहाड़ी नीलगिरी है, इस पर नीलांबिका, नीलकंठेश्वर और भगवान दत्तात्रेय का मंदिर है। त्रयंबकेश्वर को घेरने वाली तीसरी पहाड़ी है गंगा-द्वार। यहाँ ऊपर गंगा गोदावरी मंदिर है। कहते हैं ब्रह्मगिरि में लुप्त होने के बाद गंगा-द्वार में ही गोदावरी ने पुन दर्शन दिये थे। इसी पहाड़ी पर एक स्थान पर 108 शिवलिंग भी खुदे हैं और अनेक गुफाएँ हैं।

त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की प्रतिष्ठापना के बारे में उल्लेख है कि कभी यहाँ तपोवन में गौतम ऋषि निवास करते थे। एक बार उनके आश्रम में ऋषियों के छल से उन पर गो-हत्या का अपराध लग गया, जिसके प्रायश्चित के लिए उन्होंने ब्रह्मगिरी पर्वत पर भगवान शंकर का घोर तप किया। भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिये और वह पाप मुक्त हुए। गौतम मुनि की प्रार्थना पर भगवान शंकर ब्रह्मगिरी की तलहटी में त्रयंबकेश्वर (तीन नेत्र वाले ईश्वर) के रूप में प्रतिष्ठित हो गये। कहते हैं कि गौतम ऋषि ही ब्रह्मगिरी पर गंगा को लेकर आये थे, जो गौतमी या गोदावरी के नाम से जानी जाती है।

त्रयंबकेश्वर मंदिर के पास ही पवित्र कुशावर्त सरोवर है। जब ब्रह्मगिरि पर्वत पर गोदावरी बार-बार लुप्त हो रही थी, तो गौतम त्र+षि ने एक कुशा से उसे घेर दिया, वही स्थान कुशावर्त कहलाता है। 18वीं सदी में श्रीमंत राव साहिब पार्णेकर ने उसके चारों ओर पक्के घाट और बरामदे बनवाए थे। कुशावर्त के चारों कोनों में मंदिर हैं। दक्षिण-पूर्व में केघरेश्वर महादेव, दक्षिण-पश्चिम में साक्षी विनायक, उत्तर पश्चिम में कुशेश्वर महादेव और उत्तर-पूर्व में गोदावरी का मंदिर है। कहा जाता है कि इसी स्थान पर गौतम त्र+षि को गोदावरी ने देवी के रूप में साक्षात दर्शन दिये थे। इसके अलावा भी त्रयंबक में अनेक छोटे-बड़े मंदिर हैं। ऐसी मान्यता है कि कुशावर्त में एक डुबकी लगाने से अनेक जन्मों के पापों का क्षय हो जाता है। त्रयंबकेश्वर महादेव मंदिर के सामने गोदावरी में अहिल्या नदी का संगम होता है। ऐसी मान्यता है कि इस संगम पर स्नान करने से निसंतान दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति होती है। त्रयंबकेश्वर के बाद और नासिक से पहले चक्रतीर्थ नामक एक कुंड है, यहीं से गोदावरी एक नदी के रूप में बहती नजर आती है। इसलिए बहुत से लोग चक्रतीर्थ को ही गोदावरी का प्रत्यक्ष उद्गम मानते हैं।

  1. कृष्णा
  2. वैगई
  3. मुला,मुथा
  4. गोदावरी

Answer (Detailed Solution Below)

नासिक में कौन सी नदी बहती है - naasik mein kaun see nadee bahatee hai

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नासिक में कौन सी नदी बहती है - naasik mein kaun see nadee bahatee hai

सही उत्तर है गोदावरी।

  • नासिक एक प्राचीन शहर है जो भारत के महाराष्ट्र राज्य में गोदावरी नदी के तट पर स्थित है।
  • नासिक को "भारत की वाइन राजधानी" के रूप में भी जाना जाता है। यह हर 12 साल में होने वाले कुंभ मेले की मेजबानी के लिए भी जाना जाता है।
  • गंगा के बाद गोदावरी भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है। इसे 'दक्षिण गंगा' के नाम से भी जाना जाता है।
  • गोदावरी महाराष्ट्र के त्रयंबकेश्वर से शुरू होती है और बंगाल की खाड़ी में मिलती है।
नदीशहरराज्यकृष्णाविजयवाड़ाआंध्र प्रदेशवैगईमुदुरईतमिलनाडुमुला,मुथापुणेमहाराष्ट्र

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नमस्कार गुड मॉर्निंग आपने एक प्रश्न क्या है अपने पूछा है महाराष्ट्र में नासिक नदी में कौन सी नदी बहती है नासिक जिले में कौन सी नदी बहती है गुप्त गोदावरी नदी के तट पर स्थित है अभी तक गोदावरी नदी के तट पर स्थित है थैंक यू सो मच

namaskar good morning aapne ek prashna kya hai apne poocha hai maharashtra mein nashik nadi mein kaun si nadi behti hai nashik jile mein kaun si nadi behti hai gupt godavari nadi ke tat par sthit hai abhi tak godavari nadi ke tat par sthit hai thank you so match

नमस्कार गुड मॉर्निंग आपने एक प्रश्न क्या है अपने पूछा है महाराष्ट्र में नासिक नदी में कौन

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नासिक की मुख्य नदी कौन सी है?

नाशिक गोदावरी नदी के किनारे बसा हुआ है। यह महाराष्ट्र के उत्तर पश्चिम में, मुम्बई से १५० किमी और पुणे से २०५ किमी की दुरी में स्थित है।

नासिक पंचवटी में कौन सी नदी बहती है?

नासिक और पंचवटी वस्तुत: एक ही नगर हैं। इस नगर के बीच से गोदावरी बहती है। गोदावरी के दक्षिणी तट पर स्थित नगर के मुख्य भाग को नासिक कहा जाता है और गोदावरी के उत्तरी तट पर जो भाग है वह पंचवटी कहलाता है।

नासिक का पुराना नाम क्या है?

नाशिक शहर का इतिहास मुग़ल काल में नासिक शहर को गुलशनबाद के रूप में जाना जाता था।

नासिक में क्या मशहूर है?

नासिक विभिन्न शासकों के शासनकाल के दौरान अपने कई मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। इनमें सिन्नर, अंजनेरी, त्रंबकेश्वर और इस शहर के लोग भी बहुत मिलनसार लोग हैं। इसके अलावा पंचवटी, सोमेश्वर, राम कुंड, मुक्तिधाम मंदिर, सिक्का संग्रहालय, पांडवलेनी गुफाएं नासिक के कुछ महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल हैं।