गरीबी रेखा या निर्धनता रेखा (poverty line) आय के उस स्तर को कहते हैं जिससे कम आमदनी होने पे इंसान अपनी आर्थिक ज़रूरतों को पूरा करने में असमर्थ होता है। गरीबी रेखा अलग अलग देशों में अलग अलग होती है। उदहारण के लिये अमरीका में निर्धनता रेखा भारत में मान्य निर्धनता रेखा से काफी ऊपर है। औसत आय का आकलन विभिन्न तरीकों से किया जा सकता हैं Show यूरोपीय तरीके के रूप में परिभाषित वैकल्पिक व्यवस्था का इस्तेमाल किया जा सकता है जिसमें गरीबों का आकलन 'सापेक्षिक' गरीबी के आधार पर किया जाता है। अगर किसी व्यक्ति की आय राष्ट्रीय औसत आय के 60 फीसदी से कम है, तो उस व्यक्ति को गरीबी रेखा के नीचे जीवन बिताने वाला माना जा सकता है। उदाहरण के लिए माध्य निकालने का तरीका। यानी 101 लोगों में 51वां व्यक्ति यानी एक अरब लोगों में 50 करोड़वें क्रम वाले व्यक्ति की आय को औसत आय माना जा सकता है। ये पारिभाषिक बदलाव न केवल गरीबों की अधिक सटीक तरीके से पहचान में मददगार साबित होंगे बल्कि यह भी सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी ऐसा व्यक्ति जो गरीब नहीं है उसे गरीबों के लिए निर्धारित सब्सिडी का लाभ न मिले। परिभाषा के आधार पर देखें तो माध्य के आधार पर तय गरीबी रेखा के आधार पर जो गरीब आबादी निकलेगी वह कुल आबादी के 50 फीसदी से कम रहेगी। योजना आयोग ने 2004-05 में 27.5 प्रतिशत गरीबी मानते हुए योजनाएं बनाई थी। फिर इसी आयोग ने इसी अवधि में गरीबी की तादाद आंकने की विधि की पुनर्समीक्षा के लिए एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया था, जिसने पाया कि गरीबी तो इससे कहीं ज्यादा 37.2 प्रतिशत थी। इसका मतलब यह हुआ कि मात्र आंकड़ों के दायें-बायें करने मात्र से ही 100 मिलियन लोग गरीबी रेखा में शुमार हो गए। अगर हम गरीबी की पैमाइश के अंतरराष्ट्रीय पैमानों की बात करें, जिसके तहत रोजना 1.25 अमेरिकी डॉलर (लगभग 87 रुपये) खर्च कर सकने वाला व्यक्ति गरीब है तो अपने देश में 456 मिलियन (लगभग 45 करोड़ 60 लाख) से ज्यादा लोग गरीब हैं। भारत में योजना आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि खानपान पर शहरों में 965 रुपये और गांवों में 781 रुपये प्रति महीना खर्च करने वाले शख्स को गरीब नहीं माना जा सकता है। गरीबी रेखा की नई परिभाषा तय करते हुए योजना आयोग ने कहा कि इस तरह शहर में 32 रुपये और गांव में हर रोज 26 रुपये खर्च करने वाला शख्स बीपीएल परिवारों को मिलने वाली सुविधा को पाने का हकदार नहीं है। अपनी यह रिपोर्ट योजना आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को हलफनामे के तौर पर दी। इस रिपोर्ट पर खुद प्रधानमंत्री ने हस्ताक्षर किए थे। आयोग ने गरीबी रेखा पर नया क्राइटीरिया सुझाते हुए कहा कि दिल्ली, मुंबई, बंगलोर और चेन्नई में चार सदस्यों वाला परिवार यदि महीने में 3860 रुपये खर्च करता है, तो वह गरीब नहीं कहा जा सकता। बाद में जब इस बयान की आलोचना हुई तो योजना आयोग ने फिर से गरीबी रेखा के लिये सर्वे की बात कही। इन्हें भी देखें[संपादित करें]
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MCQ on Economics: निर्धनता : एक चुनौतीहम यहां अर्थशास्त्र के विषय ” निर्धनता : एक चुनौती ” से संबंधित कुछ प्रश्न देखेंगे। ये सवाल NCERT की किताब से लिए गए हैं। Q&A: निर्धनता : एक चुनौती (Question and Answer on Poverty- A Challenge)प्रश्न-1: भारत में गरीबी रेखा के निर्धारण के लिये स्वीकृत कैलोरी आवश्यकता ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में प्रतिदिन कितनी है?
व्याख्याः (Option: 1) भारत में गरीबी निर्धारण में स्वीकृत कैलोरी आवश्यकता ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन एवं नगरीय क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन है। गरीबी निर्धारण का यह फार्मूला भारत में पहली बार वर्ष 1979 में वाई. के. अलघ की अध्यक्षता में बनी समिति के द्वारा तय किया गया था। प्रश्न-2: भारत में निर्धनता रेखा का आकलन किसके द्वारा किया जाता है?
व्याख्याः (Option: 2) भारत में निर्धनता रेखा का आकलन समय-समय पर (सामान्यतः हर पाँच वर्ष पर) प्रतिदर्श सर्वेक्षण के माध्यम से किया जाता है। यह सर्वेक्षण राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन अर्थात् नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइज़ेशन (एन.एस.एस.ओ.) द्वारा कराए जाते हैं। प्रश्न-3: विश्व बैंक के द्वारा समूचे विश्व की निर्धनता रेखा के निर्धारण के लिये समान मानक तय किये गए हैं। इन मानकों के अनुसार किसे निर्धनता रेखा के नीचे माना जाता है?
व्याख्याः (Option: 3) विश्व बैंक के द्वारा समूचे विश्व की निर्धनता रेखा के निर्धारण के लिये समान मानक तय किये गए हैं। इन मानकों के अनुसार जिन व्यक्तियों की आय 1 डॉलर प्रतिदिन से कम है उन्हें निर्धनता रेखा के नीचे (Below the poverty line) माना जाता है। प्रश्न-4: नीचे दिये गए भारत के विभिन्न सामाजिक समूहों एवं आर्थिक समूहों में सबसे अधिक निर्धनता अनुपात किसमें पाया जाता है?
व्याख्याः (Option: 1) निर्धनता रेखा से नीचे के लोगों का अनुपात भी भारत में सभी सामाजिक समूहों और आर्थिक वर्गों में भी एक-समान नहीं है। अनुसूचित जनजातियों के 100 में से 51 लोग अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ हैं। इसी तरह नगरीय क्षेत्रों में 50 प्रतिशत अनियमित मज़दूर निर्धनता रेखा के नीचे हैं। प्रश्न-5: राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम 2005 के संदर्भ में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
व्याख्याः (Option: 3) राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम सितंबर 2005 को पारित किया गया। यह विधेयक देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिनों के सुनिश्चित रोज़गार का प्रावधान करता है। प्रस्तावित रोज़गारों का एक-तिहाई रोज़गार महिलाओं के लिये आरक्षित है। (National Rural Employment Guarantee Act) इस कार्यक्रम के अंतर्गत अगर आवेदक को 15 दिन के अंदर रोज़गार उपलब्ध नहीं कराया गया तो वह दैनिक रोज़गार भत्ते का हकदार होगा। प्रश्न-6: प्रधानमंत्री रोज़गार योजना से संबंधित नीचे दिये गए कथनों में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
व्याख्याः (Option: 3) प्रधानमंत्री रोज़गार योजना को 1993 में प्रारंभ किया गया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण और छोटे शहरों में शिक्षित बेरोज़गार युवाओं के लिये स्वरोज़गार के अवसर सृजित करना है। (Prime Minister’s Employment Scheme) इसके अंतर्गत युवाओं को लघु व्यवसाय और उद्योग स्थापित करने में सहायता दी जाती है। प्रश्न-7: प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना (Pradhan Mantri Gramodaya Yojana) के अंतर्गत कौन-कौन से क्षेत्र शामिल हैं?
कूट :
व्याख्याः (Option: D) प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना (2000 से प्रारंभ) के अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा, ग्रामीण आवास, ग्रामीण पेयजल और ग्रामीण विद्युतीकरण जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिये राज्यों को अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता प्रदान की जाती है। प्रश्न-8: राष्ट्रीय कार्यक्रम ‘काम के बदले अनाज’ को किस वर्ष शुरू किया गया?
व्याख्याः (Option: 3) राष्ट्रीय कार्यक्रम ‘काम के बदले अनाज’ (Grain for work) को 2004 में देश के सबसे पिछड़े 150 जिलों में लागू किया गया था। यह कार्यक्रम उन सभी ग्रामीण निर्धनों के लिये है, जिन्हें मज़दूरी पर रोज़गार की आवश्यकता है और जो अकुशल शारीरिक काम करने के इच्छुक हैं। यह पूर्णतः केन्द्र द्वारा पोषित कार्यक्रम है। विश्वसनीयता (Trustworthy)“MCQ केटेगरी” में शामिल प्रत्येक प्रश्न को आधिकारिक स्त्रोतों द्वारा जांचा-परखा गया है, फिर भी इसमें सुधार की गुंजाइश से इंकार नहीं किया जा सकता है। यदि आपको किसी भी प्रश्न में कोई संदेह है, तो आप नीचे टिप्पणी में पूछ सकते हैं। हमारी टीम इसे 48 घंटे में हल करने की भरोसेमंद-कोशिश करेगी। निर्धनता रेखा का आकलन कौन करता है?योजना आयोग ने 2004-05 में 27.5 प्रतिशत गरीबी मानते हुए योजनाएं बनाई थी। फिर इसी आयोग ने इसी अवधि में गरीबी की तादाद आंकने की विधि की पुनर्समीक्षा के लिए एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया था, जिसने पाया कि गरीबी तो इससे कहीं ज्यादा 37.2 प्रतिशत थी।
भारत में निर्धनता का आकलन कौन करता है?केंद्र सरकार द्वारा रंगराजन समिति की रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई जिसके कारण देश में गरीबी में रह रहे लोगों की गणना तेंदुलकर समिति द्वारा निर्धारित गरीबी रेखा के आधार पर की जाती है। तेंदुलकर समिति के अनुसार, भारत की कुल आबादी के 21.9 % लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करते हैं।
भारत में निर्धनता से संबंधित तथ्य data कौन सी संस्था एकत्रित करती है *?योजना आयोग ने गरीबी मापने की विधि की समीक्षा करने के लिए जून 2012 में सी. रंगराजन की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया जिसने अपनी रिपोर्ट जून 2014 में प्रस्तुत की।
भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कैसे किया जाता है?(i) भारत में निर्धनता रेखा का निर्धारण करते समय जीवन निर्वाह के लिए खाद्य आवश्यकता, कपड़ों, जूतों, ईंधन और प्रकाश, शैक्षिक एवं चिकित्सा संबंधी आवश्यकताओं आदि पर विचार किया जाता है। (ii) इन भौतिक मात्राओं को रुपयों में उनकी कीमतों से गुणा कर दिया जाता है।
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