वित्त आयोग का कौन सा कार्य है? - vitt aayog ka kaun sa kaary hai?

भारतीय वित्त आयोग
Finance Commission of India
संस्था अवलोकन
स्थापना नवम्बर 22, 1951; 70 वर्ष पहले
अधिकार क्षेत्र
वित्त आयोग का कौन सा कार्य है? - vitt aayog ka kaun sa kaary hai?
भारत सरकार
मुख्यालय New Delhi
संस्था कार्यपालकगण N. K. Singh, IAS, Chairman

  Ajay narayan jha, IAS, Member

  Prof. Anoop Singh, Member

  Ashok Lahiri, Member

वेबसाइट
fincomindia.nic.in

वित्त आयोग का कौन सा कार्य है? - vitt aayog ka kaun sa kaary hai?

भारतीय वित्त आयोग की स्थापना १९५१ में की गयी थी। इसकी स्थापना का उद्देश्य भारत के केन्द्रीय सरकार एवं राज्य सरकारों के बीच वित्तीय सम्बन्धों को पारिभाषित करना था। वित्त आयोग प्रत्येक पाँच वर्ष बाद नियुक्त किया जाता इसे दूसरे शब्दों में भी व्यक्त किया जा सकता है कि संविधान में यह नहीं बताया गया है कि आयोग की सिफारिशों के प्रति भारत सरकार बाध्य होगी और आयोग द्वारा की गई सिफारिश के आधार पर राज्यों द्वारा प्राप्त धन को लाभकारी मामलों में लगाने का उसे विधिक अधिकार होगा इस संबंध में डॉ पीवी राजा मन्ना चौथे वित्त आयोग के अध्यक्ष ने ठीक ही कहा है कि "वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है जो अर्ध न्यायिक कार्य करता है तथा इसकी सलाह को भारत सरकार तब तक मानने के लिए बाध्य नहीं है जब तक कि कोई आधिकारिक कारण ना हो अभी तक १५ वित्त आयोग नियुक्त किए जा चुके हैं। २०१७ में नवीनतम वित्त आयोग एन के सिंह (भारतीय योजना आयोग के भूतपूर्व सदस्य) की अध्यक्षता में स्थापित किया गया था। वित्त आयोग का कार्यकाल 5 वर्ष होता है। वित्त आयोग का गठन एक संवैधानिक निकाय के रूप में अनुच्छेद 280 के अंतर्गत किया जाता है यह एक अर्ध न्यायिक संस्था होती है। इसका गठन भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। भारत में वित्त आयोग का गठन वित्त आयोग अधिनियम 1951 के अंतर्गत किया गया है 1993में भारत के सभी राज्यों में राज्य वित्त आयोग का गठन भी किया जाने लगा वित्त आयोग में एक अध्यक्ष तथा 4 सदस्य होते हैं सदस्यों में 2 सदस्य पूर्ण कालीन सदस्य जबकि 2 सदस्य अंशकालीन सदस्य होते हैं [1][2][3][4]

१५वां वित्त आयोग[संपादित करें]

केन्द्र सरकार ने २०१५ में १४वें वित्त आयोग की सम्स्तुतियों को स्वीकार कर लिया। यह आयोग भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाई.वी. रेड्डी के नेतृत्व में गठित किया गया था। इस आयोग ने केंद्रीय करों में राज्‍यों की हिस्सेदारी के विस्तार व स्थानीय निकायों को ज्यादा संसाधनों के हस्तांतरण सहित सहयोगपूर्ण संघवाद को बढावा देने, वस्तु एवं सेवा कर के क्रियान्वयन, राजकोषीय मजबूती, सार्वजनिक सेवाओं और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की मूल्य नीति आदि के संबंध में सिफारिशें दी हैं।[5] 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन.के. सिंह है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "N.K. Singh heads 15th Finance Commission, Shaktikanta Das a member". Business Standard. New Delhi. November 27, 2017. मूल से 4 मार्च 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि January 15, 2018.
  2. "NK Singh appointed Chairman of 15th Finance Commission". Business Line. New Delhi: The Hindu. November 27, 2017. अभिगमन तिथि January 15, 2018.
  3. "N.K. Singh appointed chairman of 15th Finance Commission". Livemint. New Delhi: HT Media Ltd. November 27, 2017. मूल से 19 फ़रवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि January 15, 2018.
  4. "Former Planning Commission Member NK Singh Appointed 15th Finance Commission Chairman". NDTV. New Delhi. November 28, 2017. मूल से 26 फ़रवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि January 15, 2018.
  5. [ http://indiacurrent290.blogspot.in/2015/02/14.html14वें[मृत कड़ियाँ] वित्त आयोग की रिपोर्टः राज्यों की स्वायत्ता का ]

वित्त आयोग एक संवैधानिक और अर्ध-न्यायिक निकाय है. हमारे भारतीय संविधान की अनुच्छेद संख्या 280 में वित्त आयोग से सम्बंधित प्रावधान का वर्णन है. वित्त आयोग की नियुक्ति हर 5 साल पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. यदि राष्ट्रपति चाहें (उन्हें आवश्यक लगे) तो 5 वर्ष के पूर्व भी वित्त आयोग की नियुक्ति की जा सकती है. वित्त आयोग में कुल 5 सदस्य होते हैं जिनमें से एक अध्यक्ष और चार सदस्य होते हैं. वित्त आयोग के अध्यक्ष और चारों सदस्यों की नियुक्ति भी राष्ट्रपति द्वारा हीं की जाती है. और ये सभी राष्ट्रपति द्वारा दिए गए आदेश में उल्लिखित समय तक अपने पद पर बने रहते हैं. वित्त आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की पुनर्नियुक्ति भी की जा सकती है. अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.

वित्त आयोग के अध्यक्ष और सदस्य
वित्त आयोग के सदस्यों की योग्यता क्या होनी चाहिए और उनकी नियुक्ति के लिए कौन सा तरीका अपनाया जाना चाहिए ये निर्धारित करने का अधिकार संविधान द्वारा संसद को दिया गया है.
संसद द्वारा वित्त आयोग के सदस्य बनने के लिए जो योग्यता निर्धारित की गयी है वो निम्नलिखित है –

  • वित्त आयोग के अध्यक्ष के पद पर उनकी नियुक्ति की जा सकती है जिनके पास सार्वजानिक मामलों (पब्लिक अफेयर्स) में अनुभव हो.इसके अलावा चार सदस्यों में से
  • एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश होने चाहिए या फ़िर उनके पास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त होने लायक योग्यता होनी चाहिए. 
  • एक के पास अर्थशास्त्र (इकोनॉमिक्स) का विशेष ज्ञान होना चाहिए.
  • एक के पास सरकार के वित्त और लेखा (फाइनेंस और एकाउंट्स) से सम्बंधित विशेष ज्ञान होना चाहिए.
  • एक के पास वित्तीय मामलों और प्रशासन से सम्बंधित व्यापक अनुभव होना चाहिए.

वित्त आयोग के कार्य
वित्त आयोग का कार्य निम्नलिखित मामलों के सम्बन्ध में राष्ट्रपति को अनुशंसा करना होता है –

  • करों द्वारा प्राप्त आय जो कि केंद्र और राज्य के बीच में साझा की जाती है उसका वितरण कैसे किया जाए.
  • केंद्र और राज्य के बीच वितरण हो जाने के बाद राज्यों को इस आय की कितनी राशि का आवंटन किया जाए.
  • केंद्र द्वारा राज्यों को दिए जाने वाले सहायता अनुदान (भारत की संचित निधि से) जिन सिद्धांतों को ध्यान में रख दिए जाते हैं उनसे सम्बंधित अनुशंसा करना.
  • राज्य की पंचायत और नगर पालिका को जो संसाधन उपलब्ध कराये जाते हैं उसका खर्च राज्य की संचित निधि द्वारा वहन किया जाता है.

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    अगर राज्य का वित्त आयोग इस बात की अनुशंसा करे कि इस उद्देश्य के लिए राज्य की संचित निधि में वृद्धि की जाए तो यह वित्त आयोग का काम है कि वह राज्य की संचित निधि में कैसे वृद्धि की जाए इससे सम्बंधित उपाय बताये.    
  • इसके अलावा वित्त से सम्बंधित किसी भी अन्य मामले को अगर राष्ट्रपति द्वारा उद्घृत किया जाता है तो वित्त आयोग उससे सम्बंधित अनुशंसा भी करता है.

वित्त आयोग अपनी अनुशंसा से सम्बंधित रिपोर्ट राष्ट्रपति के सामने प्रस्तुत करता है. इसके बाद राष्ट्रपति इस रिपोर्ट को उन अनुशंसा के बाद लिए गए निर्णय के एक व्याख्यात्मक ज्ञापन के साथ संसद के दोनों सदनों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं.

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वित्त आयोग की सलाहकार भूमिका
वित्त आयोग राष्ट्रपति के समक्ष जो भी अनुशंसा करता है वो सभी सिर्फ सलाह होती है. यानि की वित्त आयोग की सलाह किसी भी रूप में सरकार के ऊपर बाध्यकारी नहीं हो सकती.

वित्त आयोग का कौन सा कार्य है? - vitt aayog ka kaun sa kaary hai?

यह सिर्फ और सिर्फ केंद्र सरकार पर निर्भर करता है कि वह वित्त आयोग द्वारा की गयी अनुशंसा को कार्यान्वयन में लाना चाहते हैं या नहीं.
दूसरे शब्दों में कहें तो हमारे संविधान के अनुच्छेद 281 में वित्त आयोग की अनुशंसा से सम्बंधित प्रावधान तो हैं लेकिन कहीं भी यह वर्णित नहीं है कि वित्त आयोग द्वारा की गयी अनुशंसा सरकार पर किसी भी प्रकार से बाध्यकारी होगी.
इसके सम्बन्ध में चौथे वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. पी. वी. राजमन्नार ने यह कहा था कि क्यूंकि वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है और इससे अपेक्षा की जाती है कि वह अर्ध-न्यायिक हो तो वित्त आयोग द्वारा राष्ट्रपति को जो भी अनुशंसा की जाती है भारत की सरकार को उसे गंभीरता से लेना चाहिए और बिना किसी दमदार वजह के उसकी अनुशंसा को पूर्णतः अस्वीकार नहीं करना चाहिए.      
नोट – अभी केंद्र में 15वां वित्त आयोग कार्य कर रहा है. इसका गठन 27 नवम्बर 2017 को किया गया था. 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री नन्द किशोर सिंह हैं.    
 

FAQ
अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न
1) प्रश्न – वित्त आयोग किस प्रकार का निकाय है ?
उत्तर – वित्त आयोह एक संवैधानिक और अर्ध-न्यायिक निकाय है.
2) प्रश्न – वित्त आयोग की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है और इसमें कितने सदस्य होते हैं ?
उत्तर – वित्त आयोग की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और इसमें एक अध्यक्ष और 4 सदस्य होते हैं.
3) प्रश्न – वित्त आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की योग्यता और चयन प्रक्रिया किसके द्वारा निर्धारित की जाती है ?
उत्तर – वित्त आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की योग्यता और चयन प्रक्रिया का निर्धारण संसद द्वारा किया जाता है,
4) प्रश्न – वित्त आयोग से सम्बंधित प्रावधान संविधान के किस अनुच्छेद में वर्णित हैं ?
उत्तर – वित्त आयोग से सम्बंधित प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 280 में वर्णित हैं.
5) प्रश्न – क्या वित्त आयोग द्वारा की गयी अनुशंसा केंद्र सरकार के लिए बाध्यकारी होती है ? क्या संविधान में इससे सम्बंधित कोई प्रावधान है ?
उत्तर – नहीं, वित्त आयोग द्वारा की गयी अनुशंसा केंद्र सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं है. संविधान में इससे सम्बंधित कोई भी प्रावधान नहीं है.

वित्त आयोह एक संवैधानिक और अर्ध-न्यायिक निकाय है.

वित्त आयोग की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और इसमें एक अध्यक्ष और 4 सदस्य होते हैं.

वित्त आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की योग्यता और चयन प्रक्रिया का निर्धारण संसद द्वारा किया जाता है,

वित्त आयोग से सम्बंधित प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 280 में वर्णित हैं.

नहीं, वित्त आयोग द्वारा की गयी अनुशंसा केंद्र सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं है. संविधान में इससे सम्बंधित कोई भी प्रावधान नहीं है.

वित्त आयोग कौन गठित करता है?

भारत के राष्ट्रपति हर पांच वर्ष में वित्त आयोग का गठन करते हैं जिसमें एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्य होते हैं। भारत के संविधान का अनुच्छेद 280 वित्त आयोग से संबंधित है और अनुच्छेद 243I राज्य वित्त आयोग से संबंधित है।

वर्तमान में भारत के वित्त आयोग कौन है?

15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन. के. सिंह है।

वित्त क्या है समझाइए?

वित्त एक ऐसा शब्द है जो निवेश के प्रबंधन, निर्माण और अध्ययन से संबंधित मामलों से संबंधित है। इसे सार्वजनिक वित्त, कॉर्पोरेट वित्त और जैसे तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता हैव्यक्तिगत वित्त. हालाँकि, इन श्रेणियों के तहत वित्तीय निर्णयों के पीछे सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारणों से संबंधित अन्य उप-श्रेणियाँ हैं।

भारत में वित्त आयोग के मुख्य कार्य क्या है?

वित्त आयोग के कार्य दायित्व भारत के राष्ट्रपति को यह सिफारिश करना कि संघ एवं राज्यों के बीच करों की शुद्ध प्राप्तियों को कैसे वितरित किया जाए एवं राज्यों के बीच ऐसे आगमों का आवंटन। अनुच्छेद 275 के तहत संचित निधि में से राज्यों को अनुदान/सहायता दी जानी चाहिये।