निर्जला एकादशी का व्रत कैसे रखे? - nirjala ekaadashee ka vrat kaise rakhe?

निर्जला एकादशी का व्रत विधान करके कैसे आप अपनी समस्याओं से मुक्त हो सकते हैं और भगवान विष्णु की कृपा का पा सकते है. ज्येष्ठ मास में शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी और भीमसेनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है. इस एकादशी व्रत में पानी पीना वर्जित माना जाता है इसलिए इस एकादशी को निर्जला कहते है. निर्जला एकादशी पर निर्जल रहकर भगवान विष्णु की आराधना की जाती है और दीर्घायु और मोक्ष का वरदान प्राप्त किया जा सकता है. निर्जला एकादशी का व्रत रखने से साल की सभी एकादशी का व्रत फल मिलता है और भगवान विष्णु की कृपा होती है.

निर्जला एकादशी पर कैसे करें पूजा अर्चना

निर्जला एकादशी का व्रत एक दिन पहले अर्थात दशमी तिथि की रात्रि से ही आरम्भ हो जाता है और रात्रि में अन्न का सेवन नहीं किया जाता है. निर्जला एकादशी के व्रत में सूर्योदय से लेकर अगले दिन द्वादशी तिथि के सूर्य उदय तक जल और भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है.

निर्जला एकादशी के दिन प्रात काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की पीले चंदन पीले फल फूल से पूजा करें और पीली मिठाई भगवान विष्णु को अर्पण करें. एक आसन पर बैठकर ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करें. जाप के बाद गुलाब या आम के शरबत का भोग भगवान विष्णु को लगाएं और जरूरतमंद लोगों में बांटे. ऐसा करने से मन की इच्छा पूरी होगी और पारिवारिक कलह क्लेश खत्म होंगे.

निर्जला एकादशी पर ये सावधानियां बरतें

-निर्जला एकादशी पर सूर्य उदय से पहले उठे

-घर में लहसुन प्याज और तामसिक भोजन बिल्कुल भी ना बनाएं

-एकादशी की पूजा पाठ में साफ-सुथरे  कपड़ों का ही प्रयोग करें

-निर्जला एकादशी के व्रत विधान में परिवार में शांतिपूर्वक माहौल बनाए रखें

-तथा सभी प्रकार की पूजा पाठ की सामग्री शुद्ध और साफ ही प्रयोग में लाएं

निर्जला एकादशी पर करें महाउपाय

- निर्जला एकादशी का व्रत विधान करने और जरूरतमंद लोगों को फल अन्न आसन जूते छतरी और शरबत आदि का दान करने से मन की इच्छा पूरी होने के साथ साथ सभी पापों का नाश भी होता है

- एक चकोर भोजपत्र पर केसर में गुलाबजल मिलाकर ओम नमो नारायणाय मन्त्र तीन बार लिखें

-  अब एक आसन पर बैठकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें पाठ के बाद यह भोजपत्र अपने पर्स या पॉकेट में रखे

- धनधान्य की वृद्धि के साथ साथ रुका हुआ धन भी मिलेगा

निर्जला एकादशी का व्रत कैसे किया जा सकता है?

निर्जला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर घर मन्दिर आदि की सफाई करें. उसके बाद स्नान करके साफ पीला वस्त्र पहनें और मंदिर या पूजा स्थल पर जाकर व्रत और पूजन का संकल्प लें. अब व्रत रखते हुए भगवान विष्णु को पीले चंदन पीले फल फूल से अर्पित करते हुए पूजा करें. भोग में पीली मिठाई भगवान विष्णु को चढ़ाएं.

निर्जला एकादशी के व्रत में क्या खाना चाहिए?

एकादशी के दिन घर में चावल नहीं बनाना चाहिए और ना ही इस दिन चावल खाने चाहिए। नमक ना खाएं : निर्जला एकादशी के व्रत में भूलकर भी नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। नमक का सेवन अगर बहुत ज्यादा जरूरी है तो दिन में एक बार सेंधा नमक खा सकते है। यदि आप व्रत नहीं रख रहे हैं तब भी सात्विक भोजन का ही सेवन करें।

निर्जला एकादशी के व्रत में क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए?

निर्जला एकादशी के दिन कोशिश करें कि आपका भोजन पूरी तरह से सात्विक हो और उसमें प्याज लहसुन का प्रयोग न किया जाए. अगर आपके घर में किसी ने एकादशी का व्रत रखा है तो खासतौर पर इस नियम का पालन करें. इसके अलावा मसूर की दाल, मूली, बैंगन और सेम नहीं खानी चाहिए. निर्जला एकादशी का दिन काफी पवित्र माना गया है.

निर्जला एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

-अगर निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) का व्रत न भी करें तो इस दिन चावल खाने से परहेज करना चाहिए. साथ ही इस दिन बैंगन, शलजम, साग इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए. ऐसा कहा जाता है. -निर्जला एकादशी व्रत के दिन दान कर्म के बेहद खास महत्व है.