निरालाजी की कविताओं में प्रगतिवादी विचारधारा की सफल अभिव्यक्ति हुई है इस कथन की समीक्षा कीजिए - niraalaajee kee kavitaon mein pragativaadee vichaaradhaara kee saphal abhivyakti huee hai is kathan kee sameeksha keejie

निरालाजी की कविताओं में प्रगतिवादी विचारधारा की सफल अभिव्यक्ति हुई है इस कथन की समीक्षा कीजिए - niraalaajee kee kavitaon mein pragativaadee vichaaradhaara kee saphal abhivyakti huee hai is kathan kee sameeksha keejie

  • Home
    • Welcome to IMJ
    • Policy
    About Us
    • For Conference and Seminars Organizers
    • For Universities and Societies
    • Post Your Journal with Us
    • Plagiarism Check Services
    • DOI
    Services
  • Journals List
  • Indexing/Impact Factor
    • Author Guidelines
    • Review Process
    • Reviewer Guidelines
    • Service Charges
    Guidelines
    • Register as Editor
    • Register as Author
    • Register as Reviewer
    Register With Us
  • Contact Us

Published in Journal

Year: Feb, 2019
Volume: 16 / Issue: 2
Pages: 927 - 931 (5)
Publisher: Ignited Minds Journals
Source:
E-ISSN: 2230-7540
DOI:
Published URL: http://ignited.in/I/a/120243
Published On: Feb, 2019

Article Details

निराला के काव्यों में प्रगतिशील चेतना | Original Article


निराला की कविताओं में व्यक्त विचारों पर किसका प्रभाव दिखाई पड़ता है?

निराला वेदांत से बड़े प्रभावित थे. उनके विचारों पर रवींद्रनाथ टैगोर के साथ साथ स्वामी विवेकानंद के विचारों का गहरा प्रभाव रहा था. उनकी रचनाओं का एक का बड़ा हिस्सा प्रपत्ति-भावना लिए उन गीतों और कविताओं के रूप में था, जिनमें 'दुरित दूर करो नाथ, अशरण हूं गहो हाथ' जैसा प्रार्थना-काव्य मिल जाता है.

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला को प्रगतिवाद का अग्रदूत क्यों कहा जाता है?

निराला में प्रगतिवादी प्रवृत्तियां निराला के काव्य में प्रगतिवादी प्रवृत्तियां उनके परवर्ती काव्य में अधिक साफ दिखाई देतीं हैं। उनकी इस प्रकार की प्रवृत्तियां निम्नप्रकार से वर्णित है । खून चूसा खाद का तूने अशिष्ट डालपर इतराता है कैपीटलिस्ट | कितनों को तूने बनाया है गुलाम, माली कर रखा, सहारा जडाधाम ।

कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला हिंदी साहित्य की कौन सी काव्य धारा के कवि हैं?

सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (२१ फरवरी, १८९९ - १५ अक्टूबर, १९६१) हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं। वे जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा के साथ हिन्दी साहित्य में छायावाद के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं

निराला जी के बारे में आप क्या जानते हैं अपने शब्दों में लिखिए?

सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का जन्म बंगाल की महिषादल रियासत (जिला मेदिनीपुर) में माघ शुक्ल ११, संवत् १९५५, तदनुसार २१ फ़रवरी, सन् १८९९ में हुआ था। वसंत पंचमी पर उनका जन्मदिन मनाने की परंपरा १९३० में प्रारंभ हुई। उनका जन्म मंगलवार को हुआ था। जन्म-कुण्डली बनाने वाले पंडित के कहने से उनका नाम सुर्जकुमार रखा गया।