धर्मदास के पदों पर कबीर वाणी का प्रभाव है इस कथन की सोदाहरण समीक्षा कीजिए? - dharmadaas ke padon par kabeer vaanee ka prabhaav hai is kathan kee sodaaharan sameeksha keejie?

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धर्मदास के पदों पर कबीर वाणी का प्रभाव है?

धर्मदास के पदों में कबीर की अपेक्षा तीखापन कम रहा है। उनके पद सरलता लिये रहे हैं, उन्होंने अपने पदों की भाषा कबीर की अपेक्षा कम कठोर रखी है। उनके पद भी कबीर की ही भांति निर्गुण भक्ति की भावना से ओतप्रोत रहे हैं। उन्होंने अपने पदों में पूरबी भाषा का अधिक प्रयोग किया है।

धर्मदास के पैरों पर कबीर वाणी का गहरा प्रभाव है इस कथा की समीक्षा कीजिए?

संवत् 1520 वि. में बांधोगढ़ में विशाल जनसमूह के समक्ष धर्मदास जी ने अपनी पत्नी के साथ सद्गुरू कबीर से दीक्षा प्राप्त की थी। इनकी अनन्य और अडिग भक्ति से प्रसन्न होकर संत कबीर ने उन्हंे अपना प्रधान उत्तराधिकारी शिष्य बनाया और अटल बयालीस वंश तक कबीरपंथ की गुरूवाई का आशीर्वाद प्रदान किया था।

कबीर के शिष्य धर्मदास ने उनका जन्म स्थान किसे माना है?

उपर्युक्त के अनुसार कबीर का जन्म संवत् 1455 के ज्येष्ठ सुदी पूर्णिमा सोमवार को हुआ था। विद्वानों ने संवत् 1575 में कबीर साहब का देहावसान माना है। मत-मतान्तर होने पर भी प्रायः सभी विद्वान् कबीर का जन्म काशी में मानते है। अपने जन्म स्थल बनारस के साथ कबीर साहब वैसा ही घनिष्ठ सम्बन्ध बताते हैं जैसा जल और मछली का होता है ।

संत धर्मदास जी के गुरु का क्या नाम है?

धर्मदास वंशावली परंपरा के पहले गुरु सुदर्शन नाम थे। उनके बाद उनके वंश ने गुरु गद्दी संभाली। यह प्रक्रिया निरंतर जारी है। फिलहाल प्रकाश मुनि नाम साहेब वंशावली परंपरा के गुरु हैं।