नेपाल की राजधानी का नाम बताओl - nepaal kee raajadhaanee ka naam bataol

नेपाल की राजधानी क्या है इसके बारे में जानने से पहले आपको बता दें कि नेपाल विश्व के सबसे गरीब देशों में से एक है इसकी राजधानी क्या है आज हम इस विषय पर चर्चा करेंगे परंतु इससे पहले हम नेपाल देश के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त कर लेते हैं ।

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नेपाल की राजधानी का नाम बताओl - nepaal kee raajadhaanee ka naam bataol

नेपाल का आधिकारिक नाम “संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य” नेपाल है । यह एशिया महाद्वीप में स्थित एक देश है जिसकी सीमा भारत से लगी हुई है यहां की राजभाषा नेपाली है इसके अलावा नेपाल के लोगों को ‘नेपाली’ नाम से भी संबोधित किया जाता है यहां पर सबसे ज्यादा हिंदूओ की जनसंख्या है जिनका ratio लगभग 81% है इसके बाद यहां पर सबसे ज्यादा Buddhism religion को माना जाता है ।

नेपाल की राजधानी काठमांडू है । काठमांडू एक बहुत ही धार्मिक स्थल है और जब भी आप काठमांडू घूमने जाएंगे तो आपको ऐसा feel होगा कि आप किसी दूसरे देश में ही नहीं बल्कि अपने india में ही है । क्योंकि यहां की संस्कृति और संस्कार Indian culture के similar ही है यहां पर बहुत सारे पर्यटक स्थल है और इन सभी पर्यटक स्थलों में से पशुपतिनाथ पर्यटक स्थल सबसे ज्यादा famous है जहां पर दुनिया भर से लोग घूमने के लिए आते हैं ।

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प्रश्न – नेपाल की राजधानी क्या है?

उत्तर – नेपाल की राजधानी काठमांडू है।

देश राजधानी
नेपाल काठमांडू
Nepal Kathmandu

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संघीय लोकतान्त्रिक गणराज्य नेपाल
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नेपाल की राजधानी का नाम बताओl - nepaal kee raajadhaanee ka naam bataol
ध्वज कुल चिह्न
राष्ट्रवाक्य: जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी  (संस्कृत)
"माँ एवं मातृभूमि स्वर्ग से भी महान होती हैं"
'राष्ट्रगान: 'सयौँ थुङ्गा फूलका हामी
सैकड़ों तरह के फूल हम

नेपाल की राजधानी का नाम बताओl - nepaal kee raajadhaanee ka naam bataol

राजधानी काठमाण्डू
27°42′N 85°19′E / 27.700°N 85.317°E
सबसे बड़ा नगरकाठमाण्डु
राजभाषा(एँ)नेपाली (आधिकारिक) खस कुरा
धर्महिन्दू(81.3%), बौद्ध(9.0%), इस्लाम(4.4%), किरात(3.1%), ईसाई(1.4%), प्रकृति(0.5%), बाकी धर्म(0.3%)
निवासीनेपाली
सरकारलोकतन्त्र
 -  राष्ट्रपति विद्यादेवी भण्डारी
 -  प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउवा
एकीकरण दिसम्बर 21, 1768
 -  गणराज्य दिसम्बर 28, 2007 
क्षेत्रफल
 -  कुल 14,75,16 km2
 -  जल (%) २.८
जनसंख्या
 -  2021 जनगणना 2,91,92,480(सन् 2021)
सकल घरेलू उत्पाद (पीपीपी) 2006 प्राक्कलन
 -  कुल $48.18 बिलियन (87 वाँ)
 -  प्रति व्यक्ति $1,500 (164 वाँ)
गिनी (2010) ३२.८[1]
मध्यम
मानव विकास सूचकांक (2013)
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 0.540[2]
मध्यम · 145वाँ
मुद्रारुपैयाँ (एनपीआर)
समय मण्डलनेपाल मानक समय (यू॰टी॰सी॰+5:45)
 -  ग्रीष्मकालीन (दि॰ब॰स॰) - (यू॰टी॰सी॰+5:45)
दूरभाष कूट977
इंटरनेट टीएलडी.एनपी

नेपाल (आधिकारिक रूप में, संघीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्र नेपाल [3]) एक बहुत खुवसुरत दक्षिण एशियाई स्थलरुद्ध राष्ट्र है। नेपाल के उत्तर मे चीन का स्वायत्तशासी प्रदेश तिब्बत है और दक्षिण, पूर्व व पश्चिम में भारत अवस्थित है। नेपाल के 81.3 प्रतिशत नागरिक हिन्दू धर्मावलम्बी हैं। नेपाल विश्व के प्रतिशत आधार पर सबसे बड़ा हिन्दू धर्मावलम्बी राष्ट्र है। नेपाल की राजभाषा नेपाली है और नेपाल के लोगों को भी नेपाली कहा जाता है।

एक छोटे से क्षेत्र के लिए नेपाल की भौगोलिक विविधता बहुत उल्लेखनीय है। यहाँ तराई के उष्ण फाँट से लेकर ठण्डे हिमालय की शृंखलाएँँ अवस्थित हैं। संसार का सबसे ऊँची 14 हिम शृंखलाओं में से आठ नेपाल में हैं जिसमें संसार का सर्वोच्च शिखर सागरमाथा एवरेस्ट (नेपाल और चीन की सीमा पर) भी एक है। नेपाल की राजधानी और सबसे बड़ा नगर काठमांडू है। काठमांडू उपत्यका के अन्दर ललीतपुर (पाटन), भक्तपुर, मध्यपुर और किर्तीपुर नाम के नगर भी हैं अन्य प्रमुख नगरों में पोखरा, विराटनगर, धरान, भरतपुर, वीरगंज, महेन्द्रनगर, बुटवल, हेटौडा, भैरहवा, जनकपुर, नेपालगंज, वीरेन्द्रनगर, महेन्द्रनगर आदि है।

वर्तमान नेपाली भूभाग अठारहवीं सदी में गोरखा के शाह वंशीय राजा पृथ्वी नारायण शाह द्वारा संगठित नेपाल राज्य का एक अंश है। अंग्रेज़ों के साथ हुई सन्धियों में नेपाल को उस समय (1814 में) एक तिहाई नेपाली क्षेत्र ब्रिटिश इण्डिया को देने पड़े, जो आज भारतीय राज्यपश्चिम बंगाल में विलय हो गये हैं। बींसवीं सदी में प्रारम्भ हुए जनतांत्रिक आन्दोलनों में कई बार विराम आया जब राजशाही ने जनता और उनके प्रतिनिधियों को अधिकाधिक अधिकार दिए। अन्ततः 2008 में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि माओवादी नेता प्रचण्ड के प्रधानमंत्री बनने से यह आन्दोलन समाप्त हुआ। लेकिन सेना अध्यक्ष के निष्कासन को लेकर राष्ट्रपति से हुए मतभेद और टीवी पर सेना में माओवादियों की नियुक्ति को लेकर वीडियो फ़ुटेज के प्रसारण के बाद सरकार से सहयोगी दलों द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद प्रचण्ड को इस्तीफा देना पड़ा। गौरतलब है कि माओवादियों के सत्ता में आने से पहले सन् 2006 में राजा के अधिकारों को अत्यन्त सीमित कर दिया गया था।

नेपाल एशिया का हिस्सा है। दक्षिण एशिया में नेपाल की सेना पाँचवीं सबसे बड़ी सेना है और विशेषकर विश्व युद्धों के दौरान, अपने गोरखा इतिहास के लिए उल्लेखनीय रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र शान्ति अभियानों के लिए महत्वपूर्ण योगदानकर्ता रही है।

'नेपाल' शब्द की व्युत्पत्ति के सम्बन्ध में विद्वानों की विभिन्न धारणाएँ हैं। "नेपाल" शब्द की उत्त्पत्ति के बारे में ठोस प्रमाण कुछ नहीं है, लेकिन एक प्रसिद्ध विश्वास अनुसार यह शब्द 'ने' ऋषि तथा पाल (गुफा) मिलकर बना है। माना जाता है कि एक समय नेपाल की राजधानी काठमांडू 'ने' ऋषि का तपस्या स्थल था। 'ने' मुनि द्वारा पालित होने के कारण इस भूखण्ड का नाम नेपाल पड़ा, ऐसा कहा जाता है। तिब्बती भाषा में 'ने' का अर्थ 'मध्य' और 'पा' का अर्थ 'देश' होता है। तिब्बती लोग 'नेपाल' को 'नेपा' ही कहते हैं। 'नेपाल' और 'नेवार' शब्द की समानता के आधार पर डॉ॰ ग्रियर्सन और यंग ने एक ही मूल शब्द से दोनों की व्युत्पत्ति होने का अनुमान किया है। टर्नर ने नेपाल, नेवार, अथवा नेवार, नेपाल दोनों स्थिति को स्वीकार किया है। 'नेपाल' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम कौटिल्य ने अपने अर्थशास्त्र में किया है। उस काल में बिहार में जो मागधी भाषा प्रचलित थी उसमें 'र' का उच्चारण नहीं होता था। सम्राट् अशोक के शिलालेखों में 'राजा' के स्थान पर 'लाजा' शब्द व्यवहार हुआ है। अत: नेपार, नेबार, नेवार इस प्रकार विकास हुआ होगा।

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इतिहास[संपादित करें]

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गोरखाली

हिमालय क्षेत्र में मनुष्यों का आगमन लगभग 9,000 वर्ष पहले होने के तथ्य की पुष्टि काठमांडू उपत्यका में पाये गये नव पाषाण औजारों से होती है। सम्भवतः तिब्बती-बर्माई मूल के लोग नेपाल में 2,500 वर्ष पूर्व आ चुके थे।[4] 5,500 ईसा पूर्व महाभारत काल मेंं जब कुन्ती पुत्र पाँचों पाण्डव स्वर्गलोक की ओर प्रस्थान कर रहे थे तभी पाण्डुपुत्र भीम ने भगवान महादेव को दर्शन देने हेतु विनती की। तभी भगवान शिवजी ने उन्हे दर्शन एक लिंग के रुप मे दिये जो आज "पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग " के नाम से जाना जाता है। 1,500 ईसा पूर्व के आसपास हिन्द-आर्यन जातियों ने काठमांडू उपत्यका में प्रवेश किया।[कृपया उद्धरण जोड़ें] करीब 1,000 ईसा पूर्व में छोटे-छोटे राज्य और राज्य संगठन बनें। नेपाल स्थित जनकपुर में भगवान श्रीरामपत्नी माता सिताजी का जन्म 7,500 ईसा पुर्व हुआ।सिद्धार्थ गौतम (ईसापूर्व 563–483) शाक्य वंश के राजकुमार थे, उनका जन्म नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था, जिन्होंने अपना राज-पाट त्याग कर तपस्वी का जीवन निर्वाह किया और वह बुद्ध बन गए।

गोपाल व‌ंस नेपालमा सबसे पहले राज करने वाला शासक था । यिनके वादमेँ किरात शासकने राज किया। इस क्षेत्र में 5वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में आकर लिच्छवियों के राज्य की स्थापना हुई। 8वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में लिच्छवि वंश का अस्त हो गया और सन् 879 से नेवार (नेपाल की एक जाति) युग का उदय हुआ, फिर भी इन लोगों का नियन्त्रण देशभर में कितना हुआ था, इसका आकलन कर पाना कठिन है। 11वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में दक्षिण भारत से आए चालुक्य साम्राज्य का प्रभाव नेपाल के दक्षिणी भूभाग में दिखा। चालुक्यों के प्रभाव में आकर उस समय राजाओं ने बौद्ध धर्म को छोड़कर हिन्दू धर्म का समर्थन किया और नेपाल में धार्मिक परिवर्तन होने लगा।

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पाटन का हिन्दू मन्दिर, तीन प्राचीन राज्यों में से एक राज्य की राजधानी

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13वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में संस्कृत शब्द मल्ल का थर वाले वंश का उदय होने लगा। 200 वर्ष में इन राजाओं ने शक्ति एकजुट की। 14वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में देश का बहुत ज्यादा भाग एकीकृत राज्य के अधीन में आ गया। लेकिन यह एकीकरण कम समय तक ही टिक सका: 1482 में यह राज्य तीन भाग में विभाजित हो गया - कान्तिपुर, ललितपुर और भक्तपुर – जिसके बीच मे शताव्दियौं तक मेल नही हो सका।

1765 में, गोरखा राजा पृथ्वी नारायण शाह ने नेपाल के छोटे-छोटे बाइसे व चोबिसे राज्य के उपर चढ़ाई करते हुए एकीकृत किया, बहुत ज्यादा रक्तरंजित लड़ाइयों के पश्चात् उन्होंने 3 वर्ष बाद कान्तीपुर, पाटन व भादगाँउ के राजाओं को हराया और अपने राज्य का नाम गोरखा से नेपाल में परिवर्तित किया। तथापि उन्हे कान्तिपुर विजय में कोई युद्ध नही करना पड़ा। वास्तव में, उस समय इन्द्रजात्रा पर्व में कान्तिपुर की सभी जनता फ़सल के देवता भगवान इन्द्र की पूजा और महोत्सव (जात्रा) मना रहे थे, जब पृथ्वी नारायण शाह ने अपनी सेना लेकर धावा बोला और सिंहासन पर कब्जा कर लिया। इस घटना को आधुनिक नेपाल का जन्म भी कहते है।

तिब्बत से हिमाली (हिमालयी) मार्ग के नियन्त्रण के लिए हुआ विवाद और उसके पश्चात युद्ध में तिब्बत की सहायता के लिए चीन के आने के बाद नेपाल पीछे हट गया। नेपाल की सीमा के नज़दीक का छोटे-छोटे राज्यों को हड़पने के कारण से शुरु हुआ विवाद ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के साथ दुश्मनी का कारण बना। इसी वजह से 1814–16 रक्तरंजित एंग्लो-नेपाल युद्ध हो गया, जिसमें नेपाल को अपनी दो तिहाई भूभाग से हाथ धोना पड़ा लेकिन अपनी सार्वभौमसत्ता और स्वतन्त्रता को कायम रखा। दक्षिण एशियाई मुल्कों में" यही एक खण्ड है जो कभी भी किसी बाहरी सामन्त (उपनिवेशों) के अधीन में नही आया'। विलायत से लड़ने में पश्चिम में सतलुज से पुर्व में तीस्ता नदी तक फैला हुआ विशाल नेपाल सुगौली सन्धि के बाद पश्चिम में महाकाली और मेची नदियों के बीच सिमट गया लेकिन अपनी स्वाधीनता को बचाए रखने में नेपाल सफल रहा, बाद मे अंग्रेजो ने 1822 में मेची नदी व राप्ती नदी के बीच की तराई का हिस्सा नेपाल को वापस किया उसी तरह 1860 में राणा प्रधानमन्त्री जंगबहादुर से ख़ुश होकर 'भारतीय सैनिक बिद्रोह को कूचलने मे नेपाली सेना का भरपूर सहयोग के बदले अंग्रेजो ने राप्तीनदी से महाकाली नदी के बीच का तराई का थोड़ा और हिस्सा नेपाल को लौटाया। लेकिन सुगौली सन्धी के बाद नेपाल ने जमीन का बहुत बडा हिस्सा गँवा दिया, यह क्षेत्र अभी उत्तराखण्ड राज्य और हिमाचल प्रदेश और पंजाब पहाड़ी राज्य में सम्मिलित है। पूर्व में दार्जिलिंग और उसके आसपास का नेपाली मूल के लोगों का भूमि (जो अब पश्चिम बंगाल मे है) भी ब्रिटिश इण्डिया के अधीन मे हो गया तथा नेपाल का सिक्किम पर प्रभाव और शक्ति भी नेपाल को त्यागने पड़े।

राज परिवार व भारदारो के बीच गुटबन्दी के कारण युद्ध के बाद स्थायित्व कायम हुआ। सन् 1846 में शासन कर रही रानी का सेनानायक जंगबहादुर राणा को पदच्युत करने के षड्यन्त्र का खुलासा होने से कोतपर्व नाम का नरसंहार हुवा। हथियारधारी सेना व रानी के प्रति वफादार भाइ-भारदारो के बीच मारकाट चलने से देश के सयौं राजखलाक, भारदारलोग व दूसरे रजवाड़ों की हत्या हुई। जंगबहादुर की जीत के बाद राणा ख़ानदान उन्होंने सुरुकिया व राणा शासन लागु किया। राजा को नाममात्र में सीमित किया व प्रधानमन्त्री पद को शक्तिशाली वंशानुगत किया गया। राणाशासक पूर्णनिष्ठा के साथ ब्रिटिश के पक्ष में रहते थे व ब्रिटिश शासक को 1857 की सेपोई रेबेल्योन (प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम), व बाद में दोनो विश्व युद्धसहयोग किया था। सन 1923 में यूनाइटेड किंगडम व नेपाल बीच आधिकारिक रूप में मित्रता के समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें नेपाल की स्वतन्त्रता को यूनाइटेड किंगडम ने स्वीकार किया। दक्षिण एशियाई मुल्कों में पहला, नेपाली राजदूतावास ब्रिटेन की राजधानी लन्दन मे खुल गया।

1940 दशक के उत्तरार्ध में लोकतन्त्र-समर्थित आन्दोलनों का उदय होने लगा व राजनैतिक पार्टियां राणा शासन के विरुद्ध हो गईं। उसी समय चीन ने 1950 में तिब्बत पर कब्ज़ा कर लिया जिसकी वजह से बढ़ती हुई सैनिक गतिविधियों को टालने के लिए भारत नेपाल की स्थायित्व पर चाख बनाने लगा। फलस्वरुप राजा त्रिभुवन को भारत ने समर्थन किया 1951 में सत्ता लेने में सहयोग किया, नई सरकार का निर्माण हो गया, जिसमें ज्यादा आन्दोलनकारी नेपाली कांग्रेस पार्टी के लोगों की सहभागिता थी। राजा व सरकार के बीच वर्षों की शक्ति खींचातानी के पश्चात्, 1959 में राजा महेन्द्र ने लोकतान्त्रिक अभ्यास अन्त किया व "निर्दलीय" पंचायत व्यवस्था लागू करके राज किया। सन् 1989 के "जन आन्दोलन" ने राजतन्त्र को संवैधानिक सुधार करने व बहुदलीय संसद बनाने का वातावरण बन गया सन 1990 में कृष्णप्रसाद भट्टराई अन्तरिम सरकार के प्रधानमन्त्री बन गए, नये संविधान का निर्माण हुआ राजा बीरेन्द्र ने 1990 में नेपाल के इतिहास में दूसरा प्रजातन्त्रिक बहुदलीय संविधान जारी किया[5] व अन्तरिम सरकार ने संसद के लिए प्रजातान्त्रिक चुनाव करवाए। नेपाली कांग्रेस ने राष्ट्र के दूसरे प्रजातन्त्रिक चुनाव में बहुमत प्राप्त किया व गिरिजा प्रसाद कोइराला प्रधानमन्त्री बने।

इक्कीसवीं सदी के आरम्भ से नेपाल में माओवादियों का आन्दोलन तेज होता गया। अन्त में सन् 2008 में राजा ज्ञानेन्द्र ने प्रजातान्त्रिक निर्वाचन करवाए जिसमें माओवादियों को बहुमत मिला और प्रचण्ड नेपाल के प्रधानमन्त्री बने और नेपाली कांग्रेस नेता रामबरन यादव ने राष्ट्रपति का कार्यभार संभाला।


मिथक

जाने नेपाल से राजा विक्रमादित्य का घर नाता था।

नेपाल में वो कढ़ाही आज भी रखी है, जिसमें उबलता तेल था और रोज अग्नि स्नान करते थे..

रोचक रहस्मयी खोज…! अमृतम यात्रा डायरी से साभार- कभी नेपाल बाबा पशुपतिनाथ के दर्शन को जाएं, तो नेपाल में नीलकंठ, मुक्तिनाथ, गुप्टेशर आदि अनेकों प्राचीन तीर्थ के दर्शन अवश्य करें…जाने नेपाल की 38 बातें… दुनिया के महान शासक राजा विक्रमादित्य को नवीन सम्वत्सर का श्रीगणेश करने के लिए याद किया जाता है। यह नवीन सम्वत्सर हिन्दू धर्मियों के लिए नववर्ष और नवरात्र से आरम्भ होता है। राजा विक्रमादित्य ने ही लाखों साल पहले आकाशीय गणना अनुसार ज्योतिष पञ्चाङ्ग का शोधन किया था। उसके बाद सम्वत २०७९ यानी आज तक पञ्चाङ्ग शोधन न होने से तिथि-नक्षत्र, त्यौहार में अंतर देखने को मिलता है। अधिकांश तीज-त्योहार, उत्सव क्षय तिथियों में मनाए जा रहे हैं, इससे शुभ फल की जगह अशुभ परिणाम मिल रहे हैं। राजा विक्रमादित्य को 32 सिंहासन की 32 योगनियाँ नामक सिद्धियां प्राप्त थीं। कभही नेपाल काठमांडू जाएं, तो इन स्थानों के दर्शन अवश्य करें! राजा विक्रमादित्य का बतीसी सिंहासन विश्व में आज भी प्रसिद्ध है। यह सर्वविदित ही है कि उसके सिंहासन के नीचे बत्तीस योगनियां पुतली के रूप में रहा करती थीं। जिनमें से एक थी बज्रयोगिनी, जिसे विक्रमादित्य ने सिद्ध कर रखा था। राजा विक्रमादित्य रोज तेल के उबलते कड़ाहे में कूद जाते और वज्रयोगिनी उसे निकालकर पुनर्जीवित कर देती तथा उसे चालीस किलो सोना देती थी। यह राजा विक्रमादित्य का रोज का नियम था। नेपाल से नाता…यह घटना नेपाल की राजधानी में स्थित 'बत्तीस पुतली' महल्ला से लगभग दस कि.मी. की दूरी पर स्थित है, जिसे आज भी 'बज्रयोगिनी' के नाम से ही जाना जाता है । कालांतर में यहां मंदिर बन गया । जिसे बज्रयोगिनी मंदिर के नाम से जना जाता है। वहीं विक्रमादित्य की बहुत बड़ी कड़ाही एखी है, जिसमें कोई जोड़ नहीं है! दशानन के 10 सिर… सर्वविदित है कि रावण ने अपने 10 सीस काटकर महादेव को अर्पित किए थे और जिस कढ़ाही में ये डाले गए थे, वो वही कढ़ाही है। इसी स्थान पर रावण ने अपने दस सिर काटकर हवन किया था। मान्यता है कि यह अदभुत धातु की कढ़ाही भगवान शिव द्वारा प्रदत्त है। विक्रमादित्य का सोना…. कहा जाता है कि विक्रमादित्य का वह सोना आज भी काठमांडू में ही है । नेपाल जितना विशुद्ध सोना किसी भी देश में नहीं है । २४ कैरट का खरा सोना, जिसकी धुलाई की भी आवश्यकता नहीं। इसलिए वहां सोने की स्मगलिंग बहुत होती थी। एक समय था जब वहां एक गरीब से गरीब के घर में भी लोटा थाली सोने के ही मिलते थे। लकड़ी काटनेवाली स्त्री के शरीर में भी न जाने कितने ही आभूषण शुद्ध सोने के होते थे, जो नदी के उस पार से भी चमकता रहेगा। भोटियों की स्त्रियों के कानों में ही न जाने छोटे-बड़े कितने सोने के गहने देखने को मिलते थे। रावन ने अपने पिता का किया श्राध्द….वहीं संगम है दो नदियों का जिसे, गोकर्ण के नाम से जाना जाता है। जहां रावण ने अपने पिताश्री का श्राद्धकर्म किया। जहां आज भी खुदाई करने पर जों, तिल, राख निकलती है। वहां का सारा पर्वत काला है। अर्जुन ने वहीं शिवजी का घनघोर तप किया था, जिसका नाम किरातेश्वर महादेव पड़ा। गोरखनाथ और उनके गुरु मत्स्येन्द्रनाथ ने भी इसी स्थान पर घनघोर तप किया था। यहीं मैंने अपनी जिंदगी में पहली बार पांच मुखवाले शेषनाग के दर्शन किये। यहीं पर दूध कोसी नदी है, जो लगभग २० कि.मी. चौड़ी है तथा आगे चलकर नारायणी नदी में मिल जाती है। दूध कोसी नदी का पानी दूध जैसा सोटा व एकदम सफेद है। इस नदी के बारे -है में भी एक कहानी प्रचलित है, जो शेरपाओं ने हमें इस प्रकार सुनायी। कोसी नदी का दूध….एक बार एक लकड़हारा के लड़के ने अपनी मां से दूध मांगा। घर में दूध था नहीं था। मां ने कहा, “जाओ, कैलाश में जाकर महादेव से मांगो। परिणामस्वरूप वह बालक कैलाश जाकर पुकारने लगा, “महादेव ! महादेव !" मगर महादेव प्रकट नहीं हुए । तीसरे दिन महादेव बच्चे के सामने आकर बोले, “क्या बात है बच्चा ? क्या चाहते हो ?" "अरे! तुम ही महादेव हो ? "बच्चे ने उत्सुकता से पूछा। भोलेनाथ बोले…"हां।" “तो लाओ दूध लाओ और इस दूध को मेरी अम्मा तक भी पहचाओ । मैं उन्हें भी दिखाऊँगा….! भोलेबाबा, उस लकड़हारा के बच्चे के भोलेपन पर बहुत खुश हुए। और वहां त्रिशूल फेंककर दुग्ध कुंड बना दिया। उसी दूध कुंड से बच्चा, अपनी माँ के लिए दूध लेकर चल पड़ा। बाद में वही दूध की धारा कोसी नदी बन गई, जी आज भी 2 किलोमीटर चौड़ी है। पूर्णिमा का मेला…कुड में गुरु पूर्णिमा को मेला और इस दिन रात के ठीक बारह बजे दूध कोसी का पानी पात्र 2 मिनट के लिए दूध बन जाता है। आज भी ये चमत्कार है कि गुरु पूर्णिमा को उस दो मिनट की अवधि जो भी लोग दूध कोसी का पानी भर-भरकर लाएंगे और दूध में परिवर्तित हो जाएगा। मेरा नेपाल बहुत आना-जाना रहा क्योंकि नेपाल गुरु गोरखनाथ की नगरी के साथ-साथ सिद्ध तांत्रिक क्षेत्र भी है। दुनिया में नेपाल के हठयोगी, अघोरी, अवधूत सर्वाधिक नेपाल के ही प्रसिद्ध है। यहाँ गजब की दिखाने वाले साधु हुआ करते थे। किंतु अब पिछले 325/30 वर्षों में सब बदल गया। नेपाल के जादुई चमत्कार, तांत्रिकों, अघोरियों से मुलाकात, उनके साथ महा बर्फीले स्थान पर स्थापित मुक्तिनाथ के दर्शन आदि की जानकारी कभही अन्य लेख में देंगे। मैंने कुछ तांत्रिकों द्वारा तंत्र की भयानक प्रक्रिया को करते देखा और इनके साथ शराब पीने की लत लग गई। मैं बिना कर्म के कोई चमत्कार के बलबूते सब कुछ जल्दी पाना चाहता था, पर अंजाम बुरा रहा। एक-दो बार अग्निस्नान, अग्निसिद्धि के लिए मैं अग्नि कार का धेश लगाकर बैठा। गुप्तेश्वर महादेव के दर्शन…नेपाल में यह स्थान सागरमाथा अंचल में सोलुखम्भू क्षेत्र में पड़ता है। हवाई जहाज से उतरकर तीन दिन पैदल चलकर यहां पहुंचना पड़ता है। यहीं से पर्वतारोही माऊंट एवरेस्ट जाते हैं। यह उत्तर का अंतिम जिला है। यहां जंगल में चौड़ी गाय बहुत मिलती है। हम लोग उनके आगे नमक डाल देते और जब वह नमक खाने लगती थी तो हम उनका दूध निकाल लेते थे। उन जंगली गायका दूध निकालने का यही एकमात्र तरीका है, अन्यथा वे दूध नहीं दुहने देती। चौड़ी गाय का दूध गाढ़ा भी बहुत होता है और पुष्ट भी। भोट लोग भी इधर ही रहते हैं, जो साधुओं का बड़ा सम्मान करते हैं। साधु को देखकर वे लोग दस-दस कि.मी. दूर देकर आते हैं। कुछ भोट बुद्ध के अनुयायी है, तो कुछ हिंदू धर्म को मानते हैं। ये सब मांसाहारी ही होते हैं। कुछ साधु अपने तंत्र-मंत्र के कारनामों के कारण भी काफी चर्चित थे, सब मुझसे स्नेह करते थे।

नेपाल की वनेपा नगरी में माँ पलान्योके की मूर्ति।

भूगोल[संपादित करें]

मानचित्र पर नेपाल का आकार एक तिरछे सामानान्तर चतुर्भुज का है। नेपाल की कुल लम्बाई करीब 800 किलोमीटर और चौड़ाई 200 किलोमीटर है। नेपाल का कुल क्षेत्रफल 1,47,516 वर्ग किलोमीटर है। नेपाल भौगोलिक रूप से तीन भागों में विभाजित है– पर्वतीय क्षेत्र, शिवालिक क्षेत्र और तराई क्षेत्र। साथ में 'भित्री मधेस' कहलाने वाले उपत्यकाओं का एक समूह पहाड़ी क्षेत्र के महाभारत पर्वत शृंखला व चुरिया शृंखला के बीच स्थित है। यह क्षेत्र पहाड़ व तराई के बीच में स्थित है। हिमाली पहाड़ी व तराई क्षेत्र पूर्व-पश्चिम दिशा मे देशभर में फैले हुए है और यिनी क्षेत्र को नेपाल की प्रमुख नदियों ने जगह-जगह पर विभाजन किया है।

नेपाल की राजधानी का नाम बताओl - nepaal kee raajadhaanee ka naam bataol

नेपाल का उच्चावच दिखाता नक्शा

नेपाल की राजधानी का नाम बताओl - nepaal kee raajadhaanee ka naam bataol

भारत के साथ जुड़ा हुआ तराई फांट भारतीय-गंगा के मैदान का उत्तरी भाग है। इस भाग की सिंचाई तथा भरण-पोषण मे तीन नदियों का मुख्य योगदान है: कोशी, गण्डकी (भारत मे गण्डक नदी) और कर्णाली नदी। इस भूभाग की जलवायु उष्ण और संतृप्त (आर्द्र) है।

पहाड़ी भूभाग मे 1,000 लेकर 4,000 मीटर तक की ऊँचाई के पर्वत पड़ते हैं। इस क्षेत्र में महाभारत लेख व शिवालिक (चुरिया) नाम की दो मुख्य पर्वत शृंखलाएँ हैं। पहाड़ी क्षेत्र मे ही काठमाणृडू उपत्यका, पोखरा उपत्यका, सुर्खेत उपत्यका के साथ टार, बेसी, पाटन माडी कहे जाने वाले बहुत से उपत्यका पड़ते है। यह उपत्यका नेपाल की सबसे उर्वर भूमि है तथा काठमांडू उपत्यका नेपाल का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। पहाड़ी क्षेत्र की उपत्यका को छोड़ कर 2,500 मीटर (8,200 फुट) की ऊँचाई पर जनघनत्व बहुत कम है।

हिमाली क्षेत्र में संसार की सबसे ऊँची हिम शृंखलाएँ पड़ती हैं। इस क्षेत्र की उत्तर में चीन की सीमा के पास में संसार का सर्वोच्च शिखर, ऐवरेस्ट (सगरमाथा) 8,848 मीटर (29,035 फुट) अवस्थित है। संसार की 8,000 मीटर से ऊँची 14 चोटियों में से 8 नेपाल की हिमालयी क्षेत्र में पड़ती हैं। संसार का तीसरा सर्वोच्च शिखर कंचनजंघा, भी इसी हिमालयी क्षेत्र मे पड़ता है।

जलवायु[संपादित करें]

नेपाल मे पाँच मौसमी क्षेत्र है जो ऊंचाई के साथ कुछ मात्रा में मेल खाते हैं। उष्णकटिबन्धीय तथा उपोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र 1,200 मीटर (३,९४० फ़ी) से नीचे, शीतोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र 1,200 लेकर 2,400 मीटर (३,९००–७,८७५ फ़ी), ठण्डा क्षेत्र 2,400 से लेकर 3,600 मीटर (७,८७५–११,८०० फ़ी), उप-आर्कटिक क्षेत्र ३,६०० से लेकर ४,४०० मीटर (११,८००–१४,४०० फ़ी), व आर्कटिक क्षेत्र ४,४०० मीटर (१४,४०० फ़ीट) से ऊपर। नेपाल मे पाँच ऋतुएँ होती हैं: उष्म, मनसून, अटम, शिषिर व बसन्त। हिमालय मध्य एशिया से बहने वाली ठण्डी हवा को नेपाल के अन्दर जाने से रोकता है तथा मानसून की वायु का उत्तरी परिधि के रूप में पानी काम करताहै। नेपाल व बांग्लादेश की सीमा नहीं जुड़ती है फिर भी ये दोनों राष्ट्र 21 किलोमीटर (13 मील) की एक सँकरी चिकेन्स् नेक (मुर्गे की गर्दन) कहे जाने वाले क्षेत्र से अलग है। इस क्षेत्र को स्वतन्त्र-व्यापार क्षेत्र बनाने का प्रयास हो रहा है।

संसार का सर्वोच्च शिखर सगरमाथा (एवरेस्ट) नेपाल व तिब्बती सीमा पर अवस्थित है। इस हिमालकी नेपाल में पडने वाले दक्षिण-पूर्वी रिज (ridge) प्राविधिक रूपमे चढना सहज माना जाता है। जिसकी वजहसे प्रत्येक वर्ष इस स्थान मे बहुत पर्यटक जाते है। अन्य चढ़े जाने वाले हिमशिखर मे अन्नपूर्णा (१,२,३,४) अन्नपूर्णा श्रखला मे पड़ता है।

अर्थव्यवस्था[संपादित करें]

नेपाल की राजधानी का नाम बताओl - nepaal kee raajadhaanee ka naam bataol

कृषि जनसंख्या के ७६% रोज़गार का स्रोत है और कुल ग्राह्यस्थ उत्पादन का ३९% योगदान करता है और सेवा क्षेत्र ३९% साथ में उद्योग २१% आय का स्रोत है। देश की उत्तरी दो-तिहाई भाग में पहाडी और हिमालयी भूभाग सडकें, पुल तथा अन्य संरचना निर्माण करने में कठिन और महंगा बनाता है। सन् २००३ तक पिच -सडकों की कुल लम्बाई ८,५०० किमी से कुछ ज़्यादा और दक्षिण में रेल्वे-लाइन की कुल लम्बाई ५९ किमी मात्र है। ४८ धावनमार्ग और उनमे से १७ पिचहोनेसे हवाईमार्गकी स्थिति बहुत अच्छी है। यहाँ ज़्यादा में प्रति १२ व्यक्तिके लिए १ टेलिफ़ोन सुविधा उपल्ब्ध है; तारजडित सेवा देशभर में है लेकिन शहरों और जिला मुख्यालयों में ज़्यादा केन्द्रित है; सेवामें जनताकी पहुँच बढने और सस्ता होते जानेसे मोबाइल (या तार-रहित) सेवाकी स्थिति देशभर बहुत अच्छा है। सन् २००५ मे १,७५,००० इन्टरनेट जडाने (connections) थे, लेकिन "संकटकाल" लागू होनेकेपश्चात् कुछ समय सेवा अवरूद्ध होगयी था। कुछ अन्योल बाद नेपालकी दुसरी बृहत जनआन्दोलनने राजाकी निरंकुश अधिकार समाप्त करनेके पश्चात सभी इन्टरनेट सेवाए बिना रोकटोक सुचारू होगएहैं।[6]

नेपालकी भूपरिवेष्ठित स्थिति[7], प्राविधिक कमज़ोरी और लम्बे द्वन्द ने अर्थतन्त्र को पूर्ण रूपमे विकासशील होने नहीं दिया है। नेपाल भारत, जापान, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, यूरोपीय संघ, चीन, स्विट्ज़रलैंड और स्कैंडिनेवियन राष्ट्रों से वैदेशिक सहयोग पाता है। वित्तीय वर्ष २००५/०६में सरकार का बजट क़रीब १.१५३ अरब अमेरिकी डालर था, लेकिन कुल खर्च १.७८९ अरब हुआ था। १९९० दशक की बढती मुद्रा स्फीति दर घटकर २.९% पहुंची है। कुछ वर्षों से नेपाली मुद्रा रूपैयाँ को भारतीय रूपैया के साथ का सटहीदर १.६ मा स्थिर रखा गया है। १९९० दशकमे खुली बनायीगयी मुद्रा बिनिमय दर निर्धारण नीतिके कारण विदेशी मुद्रा की कालाबाजारी लगभग समाप्त हो चुकी है। एक दीर्घकालीन आर्थिक समझौते ने भारत के साथ अच्छे संबन्ध में मदद दी है। जनता बीच का सम्पत्ति वितरण अन्य विकसित और विकासोन्मुख देशों के तुलना में ही है: ऊपरवाले १०% गृहस्थी के साथ कुल राष्ट्रिय सम्पत्ति का ३९.१% पर नियन्त्रण है और निम्नतम १०% के साथ केवल २.६%।

नेपाल की १ करोड़ जितने का कार्यबलमे दक्ष कामदारका कमी है। ८१% कार्यबलको कृषि, १६% सेवा और ३% उत्पादन/कला-आधारित उद्योग रोज़गार प्रदान करता है।

प्रशासनिक विभाजन[संपादित करें]

20 सितम्बर 2015 के अनुसार नेपाल को भारतीय राज्य प्रणाली की तरह ही सात राज्यों (प्रदेशों) में विभाजित किया गया है। नये संविधान के अनुसूची 4 के अनुसार मौजूदा जनपदों को एक साथ समूहों में गठित कर इन्हें परिभाषित किया गया है और दो ऐसे भी जनपद थे जिन्हें तोड़कर दो अलग-अलग राज्यों में गठित किया गया।

नेपालके संविधान, २०७२ की धारा 295 (ख) के अनुसार प्रदेशों का नामाकरण सम्वन्धित प्रदेश के संसद (विधान सभा) में दो तिहाई बहुमत से होने का प्रावधान है।

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नेपाल के प्रदेश
सं प्रदेश का नाम राजधानी मुख्यमन्त्री जिला क्षेत्रफल (किमी2) जनसंख्या (सन् २०११)
1 प्रदेश संख्या १ धनकुटा शेरधन राई 14 25,905 4,534,943
2 मधेश प्रदेश जनकपुर मोहम्मद लालबाबु पण्डित 8 9,661 5,404,145
3 बागमती प्रदेश हेटौडा डोरमणी पौडेल 13 20,300 5,529,452
4 गण्डकी प्रदेश पोखरा पृथ्वीसुब्बा गुरुङ 11 21,504 2,413,907
5 लुम्बिनी प्रदेश बुटवल शंकर पोखरेल 12 22,288 4,891,025
6 कर्णाली प्रदेश वीरेन्द्रनगर महेन्द्रबहादुर शाही 10 27,984 1,168,515
7 सुदूरपश्चिम प्रदेश गोदावरी, कैलाली त्रीलोचन भट्ट 19,874 2,552,517
नेपालकाठमांडूशेर बहादुर देउबा७७147,51626,494,504

समाज तथा संस्कृति[संपादित करें]

नेपाल की एक लोकनृत्य मंडली

नेपाल की संस्कृति तिब्बत एवं भारत से मिलती-जुलती है। यहाँ की भेषभूषा, भाषा तथा पकवान इत्यादि एक जैसे ही हैं। नेपाल का सामान्य खाना चने की दाल, भात, तरकारी, अचार है। इस प्रकार का खाना सुबह एवं रात में दिन में दोनो जून खाया जाता है। खाने में चिवड़ा और चाय का भी चलन है। मांस-मछली तथा अण्डा भी खाया जाता है। हिमालयी भाग में गेहूँ, मकई, कोदो, आलू आदि का खाना और तराई में गेहूँ की रोटी का प्रचलन है। कोदो के मादक पदार्थ तोङबा, छ्याङ, रक्सी आदि का सेवन हिमालयी भाग में बहुत होता है। नेवार समुदाय अपने विशेष क़िस्म के नेवारी परिकारों का सेवन करते हैं।

नेपाली सामाजिक जीवन की मान्यता, विश्वास और संस्कृति हिन्दू भावना में आधारित है। धार्मिक सहिष्णुता और जातिगत सहिष्णुता का आपस का अन्योन्याश्रित सम्बन्ध नेपाल की अपनी मौलिक संस्कृति है। यहाँ के पर्वों में वैष्णव, शैव, बौद्ध, शाक्त सब धर्मों का प्रभाव एक-दूसरे पर समान रूप से पड़ा है। किसी भी एक धार्मिक पर्व को धर्मावलम्बी विशेष का कह सकना और अलग कर पाना बहुत कठिन है। सभी धर्मावलम्बी आपस में मिलकर उल्लासमय वातावरण में सभी पर्वों में भाग लेते हैं। नेपाल में छुआछूत का भेद न कट्टर रूप में है और न जन्मसंस्कार के आधार पर ही है। शक्तिपीठों में चाण्डाल और भंगी, चमार, देवपाल और पुजारी के रूप में प्रसिद्ध शक्ति पीठ गुह्येश्वरी देवी, शोभा भागवती के चाण्डाल तथा भंगी, चमार पुजारियों को प्रस्तुत किया जा सकता है।

उपासना की पद्धति और उपासना के प्रतीकों में भी समन्वय स्थापित किया गया है। नेपाल में बौद्ध पन्थ ने भी मूर्तिपूजा और कर्मकांड अपनाया है। बौद्ध पशुपतिनाथ की पूजा आर्यावलोकितेश्वर के रूप में करते हैं और हिंदू मंजुश्री की पूजा सरस्वती के रूप में करते हैं। नेपाल की यह समन्वयात्मक संस्कृति लिच्छवि काल से अद्यावधि चली आ रही है।

नेपाल अनुग्रहपरायण देश है। वह किसी के मैत्रीपूर्ण अनुग्रह को कभी भूल नहीं सकता। नेपाल का पराक्रम विश्वविख्यात है। नेपाल की सांस्कृतिक परम्परा को कायम रखने के लिए वि॰सं॰ 2017 साल में संयुक्त राज्य अमरीका के कांग्रेस के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को सम्बोधन करते हुए श्री 5 महेन्द्र ने स्पष्टरूप में कहा था कि 'सैनिक कार्यों में लगने वाले खर्च संसार की गरीबी हटाने में व्यय हों'।

नेपाल एक छोटा स्वतन्त्र राष्ट्र है, किन्तु जाति के आधार पर नेपाल राज्य की मित्र राष्ट्र भारत के समान विभिन्न जातियों के रहने का एक अजायबघर जैसा है। उत्तरी भाग की ओर भोटिया, तामां‌, लिम्बू, शेरपा, महाभारत शृंखला में मगर, किरात, नेवार, गुरुं‌, सुनुवार और भीतरी तराई क्षेत्र में घिमाल, थारू, मेचै, दनवार आदि जातियों की बहुलता विशेष रूप से उल्लेखनीय है। ठाकुर, खस, जैसी, क्षत्री जातियों तथा ब्राह्मणों की संख्या नेपाल में यत्र-तत्र काफी है। यहाँ पर प्रवासी भारतीयों की संख्या भी पर्याप्त है।

शिक्षा[संपादित करें]

नेपाल मे आधुनिक शिक्षा की शुरूवात राणा प्रधानमन्त्री जंगबहादुर राणा की विदेश यात्रा के बाद सन् 1854 में स्थापित दरबार हाईस्कूल (हाल रानीपोखरी किनारे अवस्थित भानु मा.बि.) से हुई थी, इससे पहले नेपाल मे कुछ धर्मशास्त्रीय दर्शन पर आधारित शिक्षा मात्र दी जाती थी। आधुनिक शिक्षा की शुरूवात 1854 में होते हुए भी यह आम नेपाली जनता के लिए सर्वसुलभ नहीं था। लेकिन देशके विभिन्न भागों में कुछ विद्यालय दरबार हाईस्कूलकी शुरूवात के बाद खुलना शुरू हुए। लेकिन नेपाल में पहला उच्च शिक्षा केन्द्र काठमान्डू में राहहुवा त्रिचन्द्र कैम्पस है। राणा प्रधानमन्त्री चन्द्र सम्सेर ने अपने साथ राजा त्रिभुवन का नाम जोडके इस कैंपसका नाम रखाथा। इस कैंपसकी स्थापना बाद नेपालमे उच्च शिक्षा अर्जन बहुत सहज होनगया लेकिन सन 1959 तक भी देश मे एकभी विश्वविद्यालय स्थापित नहीं हो सकाथा राजनितिक परिवर्तन के पश्चात् राणा शासन मुक्त देशने अन्ततः 1959 मे त्रिभुवन विश्वविद्यालयकी स्थापना की। उसके बाद महेन्द्र संस्कृत के साथ अन्य विश्वविद्यालय खुलते गए। हाल ही में मात्र सरकार ने 4 थप विश्वविद्यालय भी स्थापित करने की घोषणा की है। नेपाल की शिक्षा का सबसे मुख्य योजनाकार शिक्षामन्त्रालय है उसके अलावा शिक्षा विभाग, पाँच क्षेत्रीय शिक्षा निदेशालय, पचहतर जिल्ला शिक्षा कार्यालय, परीक्षा नियन्त्रण कार्यालय सानोठिमी, उच्चमाध्यामिक शिक्षा परिषद्, पाठ्यक्रम विकास केन्द्र, विभिन्न विश्वविद्यालयों के परीक्षा नियन्त्रण कार्यालय नेपालकी शिक्षाका विकास विस्तार तथा नियन्त्रण के क्षेत्र में कार्यरत हैं।

नेपाल के विश्वविद्यालय[संपादित करें]

  1. त्रिभुवन विश्वविद्यालय
  2. नेपाल संस्कृत विश्वविद्यालय ( पूर्व नाम महेन्द्र संस्कृत विश्वविद्यालय )
  3. काठमाडौं विश्वविद्यालय
  4. पुर्वान्चल विश्वविद्यालय
  5. पोखरा विश्वविद्यालय
  6. लुम्विनी विश्वविद्यालय
  7. नेपाल कृषि तथा वन विश्वविद्यालय
  8. मध्यपश्चिमांचल विश्वविद्यालय
  9. सुदुरपश्चिमांचल विश्वविद्यालय
  10. खुल्ला विश्वविद्यालय

स्वास्थ्य[संपादित करें]

नेपाली शल्यचिकित्सकों की एक टोली

नेपाल मे बहुत पहिले से आयुर्वेद (प्राकृतिक चिकित्सा) पद्धति उपयोग मे था। वैद्य और परंपरागत चिकित्सक गाँवघर और शहरो मे स्वास्थ्य सेवा पहुचाते थे। उनलोगो की औषधि के श्रोत नेपाल के हिमाल से तराइ तक मिलनेवाले जडीबुटी ही होते थे। आधुनिक चिकित्सा पद्धती की शुरूवात राणा प्रधानमन्त्री जंगवाहादुर राणा की बेलायत यात्रा के बाद दरवार के अन्दर शुरू हुवा लेकिन नेपाल में आधुनिक चिकित्सा संस्था के रूप में राणा प्रधानमन्त्री वीर सम्सेर के काल मे काठामाण्डौ में सन 1889 मे स्थापित वीर अस्पताल ही है। तत्पश्चात चन्द्र समसेर के काल मे स्थापित त्रिचन्द्र सैनिक अस्पताल है। हाल में नेपाल के हस्पताल सामन्यतया आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा तथा आधुनिक चिकीत्सा करके सरकारी सेवा विद्यमान हे।

सेना तथा सुरक्षा अंग[संपादित करें]

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नेपाली वायुसेना का एक विमान

नेपाल मे नेपाली सेना, नेपाली सैनिक विमान सेवा, नेपाल ससस्त्र प्रहरी बल, नेपाल प्रहरी, नेपाल ससस्त्र वनरक्षक तथा राष्ट्रीय अनुसन्धान विभाग नेपाल लगायत सस्सत्र, तथा गुप्तचर सुरक्षा निकाय रहेहै। दक्षिण एशिया में नेपाल की सेना पांचवीं सबसे बड़ी है और विशेषकर विश्व युद्धों के दौरान, अपने गोरखा इतिहास के लिए उल्लेखनीय रही है। गोरखा सेना को सबसे अधिक बार विक्टोरिया क्रॉस दिया गया है।[कृपया उद्धरण जोड़ें]

पर्यटन[संपादित करें]

भारत के उत्तर में बसा नेपाल रंगों से भरपूर एक सुन्दर देश है। यहाँ वह सब कुछ है जिसकी तमन्ना एक आम सैलानी को होती है। देवताओं का घर कहे जाने वाले नेपाल विविधाताओं से पूर्ण है। इसका अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहाँ एक ओर यहाँ बर्फ से ढकीं पहाड़ियाँ हैं, वहीं दूसरी ओर तीर्थस्थान है। रोमांचक खेलों के शौकीन यहाँ रिवर राफ्टिंग, रॉक क्लाइमिंग, जंगल सफ़ारी और स्कीइंग का भी मजा ले सकते हैं।

लुम्बिनी[संपादित करें]

लुम्बिनी महात्मा बुद्ध की जन्म स्थली है। यह उत्तर प्रदेश की उत्तरी सीमा के निकट वर्तमान नेपाल में स्थित है। यूनेस्को तथा विश्व के सभी बौद्ध सम्प्रदाय (महायान, बज्रयान, थेरवाद आदि) के अनुसार यह स्थान नेपाल के कपिलवस्तु में है जहाँ पर युनेस्को का आधिकारिक स्मारक लगायत सभी बुद्ध धर्म के सम्प्रयायौं ने अपने संस्कृति अनुसार के मन्दिर, गुम्बा, बिहार आदि निर्माण किया है। इस स्थान पर सम्राट अशोक द्वारा स्थापित अशोक स्तम्भ पर ब्राह्मी लिपि में प्राकृत भाषा में बुद्ध का जन्म स्थान होने का वर्णन किया हुआ शिलापत्र अवस्थित है।

जनकपुर[संपादित करें]

जनकपुर नेपाल का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जहाँ सीता माँ माता का जन्म हुवा था। ये नगर प्राचीन काल में मिथिला की राजधानी माना जाता है। यहाँ पर प्रसिद्ध राजा जनक थे जो सीता माता जी के पिता थे। सीता माता का जन्म मिट्टी के घड़े से हुआ था। यह शहर भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की ससुराल के रूप में विख्यात है।

मुक्तिनाथ[संपादित करें]

मुक्तिनाथ वैष्‍णव सम्प्रदाय के प्रमुख मन्दिरों में से एक है। यह तीर्थस्‍थान शालिग्राम भगवान के लिए प्रसिद्ध है। भारत में बिहार के वाल्मीकि नगर शहर से कुछ दूरी पर जाने पर गण्डक नदी से होते हुए जाने का मार्ग है। दरअसल एक पवित्र पत्‍थर होता है जिसको हिन्दू धर्म में पूजनीय माना जाता है। यह मुख्‍य रूप से नेपाल की ओर प्रवाहित होने वाली काली गण्‍डकी नदी में पाया जाता है। जिस क्षेत्र में मुक्तिनाथ स्थित हैं उसको मुक्तिक्षेत्र' के नाम से जाना जाता हैं। हिन्दू धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार यह वह क्षेत्र है, जहाँ लोगों को मुक्ति या मोक्ष प्राप्‍त होता है। मुक्तिनाथ की यात्रा काफ़ी मुश्किल है। फिर भी हिन्दू धर्मावलम्बी बड़ी संख्‍या में यहाँ तीर्थाटन के लिए आते हैं। यात्रा के दौरान हिमालय पर्वत के एक बड़े हिस्‍से को लाँघना होता है। यह हिन्दू धर्म के दूरस्‍थ तीर्थस्‍थानों में से एक है।

ककनी[संपादित करें]

काठमाण्डु नगर से 29 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में छुट्टियाँ बिताने की खूबसूरत जगह ककनी स्थित है। यहाँ से हिमालय का ख़ूबसूरत नजारा देखते ही बनता है। ककनी से गणोश हिमल, गौरीशंकर 7134 मी॰, चौबा भामर 6109 मी॰, मनस्लु 8163 मी॰, हिमालचुली 7893 मी॰, अन्नपूर्णा 8091 मी॰ समेत अनेक पर्वत चोटियों को करीब से देखा जा सकता है।

गोसाईं कुण्ड[संपादित करें]

समुद्र तल से 4360 मी॰ की ऊँचाई पर स्थित गोसाई कुण्ड झील नेपाल के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। काठमांडु से 132 किलोमीटर दूर धुंचे से गोसाई कुण्ड पहुँचना सबसे सही विकल्प है। उत्तर में पहाड़ और दक्षिण में विशाल झील इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगाते हैं। यहाँ और भी नौ प्रसिद्ध झीलें हैं। जैसे सरस्वती भरव, सौर्य और गणोश कुण्ड आदि।

धुलीखेल[संपादित करें]

यह प्राचीन नगर काठमाण्डु से 30 किलोमीटर पूर्व अर्निको राजमार्ग काठमाण्डु-कोदारी राजमार्ग के एक ओर बसा है। यहाँ से पूर्व में कयरेलुंग और पश्चिम में हिमालचुली शृंखलाओं के खूबसूरत दृश्यों का आनन्द उठाया जा सकता है।

पशुपतिनाथ मन्दिर[संपादित करें]

भगवान पशुपतिनाथ का यह खूबसूरत मंदिर काठमाण्डु से करीब 5 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है। बागमती नदी के किनारे इस मन्दिर के साथ और भी मन्दिर बने हुए हैं। विश्मवप्रसिद्ध महाकाव्य "महाभारत " जो महर्षि वेदव्यासद्वारा 5,500 ईसा पुर्व भारतवर्ष मे हुआ। उसीमे कुन्तीपुत्र धर्मराज युधिष्टीर, अर्जुन, भिम, नकुल, सहदेव तथा द्रोपदी जब स्वर्गारोहण कर रहे थे तब वे जिस विशाल पर्वत शृंखला से गये उसे " महाभारत पर्वत शृंखला " तथा जहा पर कैलासनाथ आदियोगी महादेव जी ने ज्योतिर्लिंग के रुप मे प्रकट हुये वो स्थान " श्री पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग मन्दिर " के नाम से जाना जाता है। "पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग देवस्थान" के बारे में माना जाता है कि यह नेपाल में हिन्दुओं का सबसे प्रमुख और पवित्र तीर्थस्थल है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर प्रतिवर्ष हजारों देशी-विदेशी श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचता है। गोल्फ़ कोर्स और हवाई अड्डे के पास बने इस मन्दिर को भगवान का निवास स्थान माना जाता है।

जनश्रुतिका अनुसार शिवका तीन अंग[संपादित करें]

पशुपति शिव (केदार )के शिर , उत्तराखण्डका केदारनाथ शिव (केदार)का शरीर ,डोटी बोगटानका बड्डीकेदार, शिव (केदार )का पाउ (खुट्टा)के रुपमे शिवका तीन अंग प्रसिद्द ज्योतिर्लिंग धार्मिक तीर्थ है । डोटीके केदार व कार्तिकेय (मोहन्याल)का इतिहास अयोध्याका राजवंश से जुड़ा है । उत्तराखण्ड के सनातनी देवता डोटी ,सुर्खेत ,काठमाडौं के देबिदेवाताका धार्मिक तीर्थ के लिए प्राचीन कालमे महाभारत पर्वत,चुरे पर्वत क्षेत्र से आवत जावत होता था । यिसी लिए यह क्षेत्र पवित्र धार्मिक इतिहास से सम्बन्धित है ।

रॉयल चितवन राष्ट्रीय उद्यान[संपादित करें]

रॉयल चितवन राष्ट्रीय उद्यान देश की प्राकृतिक संपदा का खजाना है। 932 वर्ग किलोमीटर में फैला यह उद्यान दक्षिण- मध्य नेपाल में स्थित है। 1973 में इसे नेपाल के प्रथम राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा हासिल हुआ। इसकी अद्भुत पारिस्थितिकी को देखते हुए यूनेस्को ने 1984 में इसे विश्‍व धरोहर का दर्जा दिया।

चाँगुनारायण मन्दिर[संपादित करें]

इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि यह काठमाण्डु घाटी का सबसे पुराना विष्णु मन्दिर है। मूल रूप से इस मन्दिर का निर्माण चौथी शताब्दी के आस-पास हुआ था। वर्तमान पैगोडा शैली में बना यह मन्दिर 1702 में पुन: बनाया गया जब आग के कारण यह नष्ट हो गया था। यह मंदिर घाटी के पूर्वी ओर पहाड़ की चोटी पर भक्तपुर से चार किलोमीटर उत्तर में खूबसूरत और शान्तिपूर्ण स्थान पर स्थित है। यह मन्दिर यूनेस्को विश्‍व धरोहर सूची का हिस्सा है। 2072 वैशाख 12 का भूकम्प से इस मन्दिर की कुछ संरचना बिगड़ गयी है।

भक्तपुर दरबार स्क्वैयर[संपादित करें]

भक्तपुर के दरबार स्क्वैयर का निर्माण 16वीं और 17वीं शताब्दी में हुआ था। इसके अन्दर एक शाही महल दरबार और पारम्परिक नेवाड़, पैगोडा शैली में बने बहुत सारे मन्दिर हैं। स्वर्ण द्वार, जो दरबार स्क्वैयर का प्रवेश द्वार है, काफी आकर्षक है। इसे देखकर अन्दर की खूबसूरती का सहज ही अन्दाजा लगाया जा सकता है। यह जगह भी युनेस्को की विश्‍व धरोहर का हिस्सा है।

यूनेस्को की आठ सांस्कृतिक विश्‍व धरोहरों में से एक काठमाण्डु दरबार प्राचीन मन्दिरों, महलों और गलियों का समूह है। यह राजधानी की सामाजिक, धार्मिक और शहरी जिन्दगी का मुख्य केन्द्र है।

स्वर्ण द्वार[संपादित करें]

खूबसूरती की मिसाल स्वर्ण द्वार नेपाल की शान है। बेशक़ीमती पत्थरों से सजे इस दरवाज़े का धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व है। शाही अन्दाज में बने इस द्वार के ऊपर देवी काली और गरुड़ की प्रतिमाएँ लगी हैं। यह माना जाता है कि स्वर्ण द्वार स्वर्ग की दो अप्सराएँ हैं। इसका वास्तुशिल्प और सुन्दरता पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। तथा मनमोहक सुन्दर दृश्य पर्यटकों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण जगह है।

बोधनाथ स्तूप[संपादित करें]

काठमाण्डु घाटी के मध्य में स्थित बोधनाथ स्तूप तिब्बती संस्कृति का केन्द्र है। 1959 में चीन के हमले के बाद यहाँ बड़ी संख्या में तिब्बतियों ने शरण ली और यह स्थान तिब्बती बौद्धधर्म का प्रमुख केन्द्र बन गया। बोधनाथ नेपाल का सबसे बड़ा स्तूप है। इसका निर्माण 14वीं शताब्दी के आस-पास हुआ था, जब मुग़लों ने आक्रमण किया।

सन्दर्भ - इस स्तूप को नेपाली में बौद्ध नाम से पुकारा जाता है। इसकी प्रारम्भिक ऐतिहासिक सामग्री इसकी ही नीचे दबा हुवा अनुमानित है। लिच्छवि राजाओं मानदेव द्वारा निर्मित और शिवदेव द्वारा विस्तारित माना जाता है। हालाँकि इसकी वर्तमान स्वरूप की निर्माण की तिथि भी अज्ञात ही है। इसकी गर्भ-बेदी की दीवार पर स्थापित छोटे-छोटे प्रस्तर मूर्तियाँ और ऊपर की छत्रावली संस्कृत बौद्ध-धर्म का प्रतीक माना जाता है। संस्कृत बौद्ध वाङ्मय का तिब्बती भा

राष्ट्रीय चिन्ह[संपादित करें]

नेपाल की राजधानी का नाम बताओl - nepaal kee raajadhaanee ka naam bataol

नेपाल का राष्ट्रीय पुष्प : लाली गुराँस

  • ध्वज : नेपाल का ध्वज
  • चिन्ह : नेपाल को निशान छाप
  • राष्ट्रीय पक्षी : डाँफे
  • राष्ट्रीय पशु : गाय
  • राष्ट्रिय गान : "सयौं थुँगा फूलका हामी..."
  • वाक्य : "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी "
  • पुष्प : लाली गुराँस
  • खेल : वलिबल
  • भाषा : नेपाली
  • पोशाक : दौरा सुरूवाल
  • रंग : सिम्रिक

छविदीर्घा[संपादित करें]

  • नेपाल की राजधानी का नाम बताओl - nepaal kee raajadhaanee ka naam bataol

    मुक्तिनाथ और धौलागिरी हिमाल (8,167 मीटर)

  • नेपाल की राजधानी का नाम बताओl - nepaal kee raajadhaanee ka naam bataol

    नेपाल में होली का उत्सव

  • नेपाल की राजधानी का नाम बताओl - nepaal kee raajadhaanee ka naam bataol

  • परम्परागत पहाड़ी पोशाक

  • भक्ति गीत गाते हुए नेपाली संगीतकार

  • नेपाल की राजधानी का नाम बताओl - nepaal kee raajadhaanee ka naam bataol

    नेपाल का एक रानी महल

  • नेपाल की राजधानी का नाम बताओl - nepaal kee raajadhaanee ka naam bataol

    नेवार का नगरीय भोजन

  • नेपाल की राजधानी का नाम बताओl - nepaal kee raajadhaanee ka naam bataol

    नेपाली मो: मो:

  • नेपाल की राजधानी का नाम बताओl - nepaal kee raajadhaanee ka naam bataol

    सगरमाथा का विहंगम दृश्य

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

नेपाल की राजधानी का नाम बताओl - nepaal kee raajadhaanee ka naam bataol

  • नेपाल का इतिहास
  • नेपाल की भाषाएँ
  • नेपाल का संविधान
  • नेपाल का भूगोल
  • नेपाल की अर्थव्यवस्था
  • नेपाल की संस्कृति
  • सिंह दरबार

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Gini Index" [गिनी सूचकांक]. वर्ल्ड बैंक. अभिगमन तिथि मार्च 2, 2011.
  2. "2014 Human Development Report Summary" (PDF). संयुक्त राष्ट्र Development Programme. २०१४. पपृ॰ २१-२५. अभिगमन तिथि २७ जुलाई २०१४.
  3. "नेपाल का अन्तरिम संविधान २०६३" (PDF). मूल (PDF) से 27 जनवरी 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 मार्च 2007.
  4. "A Country Study: Nepal". Federal Research Division, Library of Congress. अभिगमन तिथि सितम्बर 23 2005.
  5. "Timeline: Nepal". बीबीसी न्यूज़. अभिगमन तिथि सितम्बर 29 2005.
  6. "Nepal". CIA World Factbook. मूल से 29 दिसंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि सेप्टेम्बर २३ २००५.
  7. "Nepal: Economy". MSN Encarta. पृ॰ 3. मूल से 1 नवंबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि सितम्बर 23 2005.
  8. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; 2011census नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • नेपाल- एक परिचय Archived 2005-01-22 at the Wayback Machine (बीबीसी)
  • आवरण कथा - धर्म, खेल, रोमांच सब कुछ[मृत कड़ियाँ] (पाञ्चजन्य)
  • नेपाल का इतिहास (गूगल पुस्तक; लेखक- काशीप्रसाद श्रीवास्तव)
  • नेपाली विदेश मन्त्रालय
  • नेपाल पर्यटन Archived 2019-09-10 at the Wayback Machine
  • वातावरण नेपाल Archived 2006-07-19 at the Wayback Machine
  • http://www.nepalnews.com
  • मोडल और इन्टरटेन्मेन्ट वेब साइट Archived 2017-05-27 at the Wayback Machine
  • ब्यापारिक वेब साइट Archived 2012-07-07 at the Wayback Machine
  • CIA World Factbook [1] Archived 2007-03-13 at the Wayback Machine 2000
  • Nepal Population Report 2002 Archived 2006-07-12 at the Wayback Machine
  • Images and Photos from different parts of Nepal
  • नेपाल सरकार
  • राजसंस्था Archived 2007-08-23 at the Wayback Machine
  • परराष्ट्र मन्त्रालय
  • प्रधानमन्त्रीको कार्यालय Archived 2008-08-31 at the Wayback Machine

समाचार[संपादित करें]

  • कान्तिपुर अन्लाईन
  • अन्लाईन खबर
  • हिमाल खवर पत्रिका
  • नेपालन्युज् डट् कम्
  • मेरो संसार
  • बी.बी.सी. नेपाली सेवा
  • फ्रान्स नेपाल इन्फो
  • अन्नपूर्ण पोष्ट
  • वातावरण समाचार Archived 2007-02-05 at the Wayback Machine
  • कृषण सेन अन्लाईन Archived 2007-06-21 at the Wayback Machine
  • नेपाल (विक्षनरी)
  • News 24 Nepal

नेपाल में कितने राजधानी है?

नेपाल के प्रदेश
श्रेणी
प्रदेश
स्थान
संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य नेपाल
निर्मित
२० सितम्बर २०१५
संख्या
नेपाल के प्रदेश - विकिपीडियाhi.wikipedia.org › wiki › नेपाल_के_प्रदेशnull

नेपाल में कितने देश है?

विदेश में रह रहे नेपाली और क्या कर सकते हैं कहा जाता है कि लंबे समय से विदेश में रह रहे नेपालियों को भी देश की यात्रा से लाभ होगा.

नेपाल का पूरा नाम क्या है?

एक संसदीय समिति ने सरकार से कहा है कि देश का आधिकारिक नाम 'फेडरल डेमोक्रेटिक रिपब्लिक नेपाल' है और इसे बदलकर सिर्फ नेपाल करने के फैसले को लागू ना किया जाए। गौरतलब है कि केपी शर्मी ओली की कैबिनेट ने 27 सितंबर को देश का नाम N-E-P-A-L लिखने का फैसला किया था और कहा था कि अलग-अलग देश अपना नाम अलग तरीके से लिखते हैं।

नेपाल में कितने राज्य है उनके नाम?

२० सितम्बर २०१५ को जारी हुए नए संविधान के अनुसार नेपाल को ७ प्रदेशों (प्रान्तों) में बांटा गया है। सभी प्रदेशों के जिलों को मिलाकर फिलहाल ७७ जिले हैं। नेपाल में जिले (नेपाली:जिल्ला) द्वितीय स्तर के प्रशासनिक विभाग हैं, जो प्रदेशों में विभाजित हैं। नेपाल में अब ७७ जिले हैं जो ७ प्रदेशों में व्यवस्थित हैं।