माधवदास ने कोठी के सामने क्या लगाया था? - maadhavadaas ne kothee ke saamane kya lagaaya tha?

           एक पक्षी के लिए पिंजरा जेल बराबर है। पक्षी कभी नहीं चाहेगा कि वह पिंजरे में कैद रहे। चिड़िया को अगर पिंजरे में कैद करके रखा जाए तो वह हमेशा दुखी ही रहेगा। उससे एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर थिरकना,  अपना पंख फैलाकर मुक्त आसमान में उड़ना, अपने साथी के साथ किसी पेड़ पर घोंसला बनाना यह सब आजादी उससे छीन ली जाएगी तो वह प्रकृति के विरुद्ध कार्य होगा। अतः किसी को भी चिड़ियों को कैद करना नहीं चाहिए।

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Class 9 Hindi Elective Chapter 5 चिड़िया की बच्ची

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चिड़िया की बच्ची

पाठ – 5

बोध एवं विचार

अभ्यासमाला

1. सही विकल्प का चयन करो : 

(क) सेठ माधवदास ने संगमरमर की क्या बनवाई है ? 

(१) कोठी, 

(२) मूर्ति, 

(३) मंदिर, 

(४) स्मारक

उतर : (१) कोठी ।

(ख) किसकी डाली पर एक चिडिया आके बैठी ?

(१) जुही,   

(२) गुलाब,   

(३) बेला,  

(४) चमेली

उत्तर : (२) गुलाब । 

(ग) चिड़िया के पंख ऊपर से चमकदार और…….थे ।

(१) सफेद,   

(२) स्याह,   

(३) लाल,   

(४) पीला ।

उत्तर : (२) स्याह ।

(घ) चिड़िया से बात करते करते सेठ ने एकाएक दबा दिया ।

(१) हाथ,   

(२) पाँव,   

(३) बटन,    

(४) हुक्का 

उत्तर : (३) बटन ।

2. संक्षिप्त में उत्तर दो : 

(क) सेठ माधवदास की अभिरुचियों के बारे में बताओ ।

उत्तर : कला के प्रति माधवदास के अधिक प्रेम थे। माधवदास सुन्दर अभिरूचि वाले आदमी थे―फूल पौधे, रकावियों से हौजों में लगे फव्वारों उन्हें वहुत अच्छा लगता। गरम के दिनों में घर के चबुतरें में आराम करके आकाश के रंग देखते थे। फर्शी हुक्का पीने का भी शौक थे।

(ख) शाम के समय सेठ माधवदास क्या क्या करते है ?

उत्तर: शाम को जब गरमी ढल जाती है और आसमान कई रंग का होता है, वह कोठी के वाहर चबुतरे पर तख्त डलवाकर मसनद के सहारे गलीचे पर बैठते है। प्रकृति के छटा निहारते हैं। उस समय उसको बहुत खुशी लगते हैं। कभी मित्र होते तो उनसे विनोद चर्चा करते है ।

(ग) चिड़िया के रंग रूप के बारे में क्या जानते हो ? 

उत्तर : चिड़िया बहुत सुन्दर थी। उसकी गरदन लाल थी, और गुलाबी होते होते किनारों पर जरा-जरा नीली पड़ गयी थी। पंख उपर से चमकदार स्याह थे। शरीर पर चित्र विचित्र चित्रकारी थी ।

(घ) चिड़िया किस बात से डर रही थी ?

उत्तर : माधवदास चालाकी से चिड़िया से बाते करते करते देर लगा दिया। मानो धीरे धीरे उसको पकड़ने के चाल लगाया। उधर धीरे धीरे अंधेरा होने लगा। अंधेरा होने में चिड़िया अपने घर जा नहीं पायेगा। इसलिए चिड़िया धीरे धीरे डरने लगी ।

(ङ) ‘तु सोना नहीं जानती, सोना ? उसी की जगत को नृष्पा है ।’ (आशय स्पष्ट करो) 

उत्तर : इसका अर्थ है-‘सोना’, सोना अमुल्य धातु है। अपने पास सोना रहने का मतलब बहुत धनी मानी जाती हैं। धन-सम्पत्ति का अर्थ है सोना। माधवदास ने चिड़िया को ऐसी सोना के बारे में कहकर आकर्षित करने के कौशिश किया है। चिड़िया बेचारी सोना क्या जानती नहीं थी। लेकिन युग युग लोग सोना के आकर्षण से तृष्णातुर रहे है । 

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो :

(क) किन बातों से ज्ञान होता है कि माधवदस का जीवन संपन्नता से भरा था और किन बातों से ज्ञात होता है कि वह सुखी नहीं था ? 

उत्तर : माधवदास के पास बहुत धन थे, धन से अपने खुशियों के लिए वह सब कुछ बनवाया था। अच्छी कोठी, बगीचा पानी के फव्वारों बहुत कुछ। धन की कभी कमी नहीं होती। अपने अभिरुचियों में धन खर्च करके खुशी मानाते थे। मानो ऐसा है वह सम्पन्नता का उदाहरण। इधर वह अकेले इतने बड़ा महल में दुखी महशुश करते थे। घर में शायद नौकर ही है। शाम को अकेले बैठते रहते है। कोई आता है तो बाते करते है। नही तो अकेले बैठते है। इससे मालूम पड़ता है कि वह सुखी नहीं था । 

(ख) सेठ माधवदास चिड़िया को क्या क्या प्रोलुभन दे रहा था ? 

उत्तर : सेठ माधव दास ने चिड़िया को बहुत प्रशंसा किया था। साथ ही उसको प्रलोभन इस प्रकार दिया था कि प्यारी चिड़िया तुम्हारी चारों तरफ क्या बाहार है। पानी खेल रहा है, गुलाब हँस रहा है, भीतर महल में सोना-मोती मिलेगा। मोतियों को झालड़ बना दूँगा आदि । 

(ग) माधवदास क्यों बार बार चिड़िया से कहता है कि यह बगीचा तुम्हारा ही है। क्या माधवदास निःस्वार्थ मन से ऐसा कह रहा था ?

उत्तर : माधवदास महल में बिलकुल अकेले रहता है। इसलिए वह चिड़िया उनके पास रहने से अच्छा होता। लेकिन चिड़िया को बिना पकड़े नहीं रखा जा सकता है। इसलिए प्रलोभन देकर वह कहने लगा कि यह बगीचा तुम्हारा है। ताकि उसको पकड़ा जा सके । माधवदास निःस्वार्थ मन से वह बात नहीं बोला था । 

Sl. No.ContentsChapter 1हिम्मत और जिंदगीChapter 2परीक्षाChapter 3आप भोले तो जग भलाChapter 4बिंदु बिंदु विचारChapter 5चिड़िया की बच्चीChapter 6चिकित्सा का चक्करChapter 7अपराजिताChapter 8मणि-कांचन संयोगChapter 9कृष्ण- महिमाChapter 10दोहा दशकChapter 11चरैवेतीChapter 12नर हो, न निराश करो मन कोChapter 13मुरझाया फुलChapter 14गाँँव से शहर की ओरChapter 15साबरमती के संत (सधु)Chapter 16टूटा पहिया

4. सम्यक उत्तर दो : 

(क) सेठ माधव दास और चिड़िया के मनोभावों में क्या अंतर है। कहानी के आधार पर स्पष्ट करो ।

उत्तर : सेठ माधवदास धनी हे लेकिन उनका मन बहुत संकीर्ण है। धन-संपति के अहंकार से माधवदास ने बाते करते है। अहंकार स्पष्ट होते है। बातोबात पर । पर मन में शांति नहीं है। 

और चिड़िया जंगली होते हुए भी सूखी है। मन में कोई अहंकार नहीं है। प्रकृति प्रेमी है। माँ के प्रति प्रेम भाव प्रकट कर नम्रता सहित बातें करते हैं। और माधवदास के बातों में कोई नम्रता नहीं आती है, धन का अहंभाव प्रकट होती हैं ।

(ख) कहानी के अंत में नन्ही चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर तुम्हे कैसा लगा ? अपने विचार लिखो ।

उत्तर : कहानी के अंत में सेठ के नौकर के हाथ से नन्ही चिड़िया निकलना मूझे बहुत अच्छा लगा। नहीं तो सेठ के घर में पिंजरा में दूखी जीवन काटाना पड़ता होता। इधर चिड़िया की माँ बच्ची को राह देखती रहेगी रात तक । बड़ी दुख दायक बात हैं। इसलिए बहुत अच्छा लगा। और एक बात है कि चिड़िया प्रकृति में मुक्त रुप से रहने वाले है। इस प्रकार इसीको प्रकृति में रहने देना हमारा कर्तव्य है ।

(ग) “माँ मेरी बाट देखती होगी नन्ही चिड़िया बार बार इसी बात को कहती है। अपने अनुभव के आधार पर बताओ कि हमारी जिन्दगी में माँ का क्या महत्व है ?

उत्तर : चिड़िया बार बार कहती है माँ मेरी बाट देखती होगी। इसमें माँ बेटी का प्यार होता है। बच्ची जबतक बड़े न होते तबतक माँ का पूर्ण दायित्व होता है। कही जाने के बाद माँ आने तक चिंता करती रहती है। बाट देखती रहती हैं। हमारे जीवन में भी ऐसी होती है। जबतक हम बड़े न हो पाए तबतक लालन पालन माँ ने ही करती है। 

(घ) क्या माधवदास के बनाए सोने के पिंजरे में चिड़िया सुख से रह सकती थी ? – एक पक्षी के लिए पिंजरा का क्या महत्व है ? 

उत्तर : माधवदास द्वारा बनाए गये सोने के पिंजरा में चिड़िया सूख से रह नहीं सकते। क्यों कि चिड़िया प्रकृति में मुक्त मन से रहने वाले जीव है। वे कैसे पिंजरा में बंदी जीवन विता सकती ? चाहे पिंजरा सोने का हो, पिंजरा, पिंजरा ही होती है। एक मुक्त चिड़िया के लिए पिंजरा कयेद जैसा होते हैं ।

5. किसने, किससे, और कब कहा ? 

(क) यह वगीचा मैंने तुम्हारे लिए बनवाया है ।

उत्तर : सेठ माधवदास ने चिड़िया को कहा। जब चिड़िया कहीं से आकर सेठ के वाग में पड़ी थी । 

(ख) अभी चली जाऊँगी । वगीचा आपका है । मुझे माफ करें ।

उत्तर : चिड़िया ने माधवदास को कहा। जब माधवदास ने चिड़िया को कहा कि बगीच मेरा है, यह संगमरमर कोठी भी मेरा है ।

(ग) सोने का एक बहुत सुन्दर घर तुम्हे बना दूंगा । 

उत्तर : माधवदास ने चिड़िया को कहा। जब चिड़िया बार बार कहती रहती थी कि चली जाऊँगी, माँ मेरी बाट देखती रहती है । 

(घ) क्या है मेरी बच्ची, क्या है ?

उत्तर : चिड़िया की माँ ने बच्ची चिड़िया को कही थी। जब नौकर के पंजो से निकलकर वह नन्ही चिड़िया एक साँस में ही माँ के गोद में पड़कर सबुकती रही थी।

भाषा एवं व्याकरण ज्ञान

1. पाठ में ‘पर’ शब्द के तीन प्रकार के प्रयोग हुए हैं–

(क) गुलाब की डाली पर एक चिड़िया आके बैठी ।

(ख) कभी पर हिलाती थी ।

(ग) पर बच्ची काँप-काँपकर माँ की छाती से और चिपक गई। 

तीनों ‘पर’ के प्रयोग तीन उद्देश्यों से हुए हैं। इन वाक्यों का आधार लेकर तुम भी ‘पर’ का प्रयोग करके ऐसे तीन वाक्य बनाओ, जिनमें अलग-अलग उद्देश्यों के लिए ‘पर’ के प्रयोग हुए हों। 

उत्तर : (क) मेज पर घड़ी है । 

(ख) मोर का पर रंग-विरंगी होता है ।

(ग) पर तुझसे मेरा चित्त प्रसन्न हुआ है ।

2. पाठ में तैंने, छनभर, खुशकरियो- तीन वाक्यांश ऐसे हैं, जो खड़ीबोली हिंदी के वर्तमान रुप में तूने, क्षणभर, खुश करना लिखे-बोले जाते हैं। इस तरह के कुछ अन्य शब्दों की खोज करो ।

उत्तर : खोद करो ।

3. मैं माँ के पास जा रही हूँ, सूरज की धूप खाने और हवा से खेलने और फूलों से बात करने। मैं जरा घर से उड़ आयी थी। इस वाक्य में रेखांकित शब्द कारक के विभक्ति चिह्न (परसर्ग) हैं। ये विभक्ति चिह्न संज्ञा और सर्वनाम का संबंध वाक्य के अन्य शब्दों के साथ जोड़ते हैं। पाठ से कुछ अन्य विभक्ति चिह्नों को चुनो और उसके भेद भी बताओ ।

उत्तर : (क) मैं तुझे सोने से मढ़कर तेरे मूल्य को चमका दूँगा ।

(ख) मैं यहाँ से उड़ी जा रही हूँ ।

(ग) यह बगीचा तुमलोगों के बिना सूना लगता हैं । 

(घ) माधवदास ने अपनी संगमरमर की नई कोठी बनवाई हैं ।

(ङ) सोनें का एक बहुत सुन्दर घर मैं तुम्हें बना दूँगा । 

(च) तुम यहाँ सुख से रहो । 

(छ) चिड़िया प्रेम की भूखी हैं ।

माधवदास ने कोठी के सामने क्या लगाया था? - maadhavadaas ne kothee ke saamane kya lagaaya tha?
माधवदास ने कोठी के सामने क्या लगाया था? - maadhavadaas ne kothee ke saamane kya lagaaya tha?

Dev Kirtonia

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माधवदास की कोठी के सामने क्या था *?

Answer: माधवदास ने कोठी बनवायी थी, जो संगमरमर से बनी थी। उसके सामने सुहावने सुंदर बगीचे का निर्माण करवाया था

माधवदास ने अपनी कोठी कैसे बनवाई?

'चिड़िया की बच्ची' पाठ में माधवदास ने अपनी कोठी संगमरमर के पत्थर से बनवाई थी। माधवदास की कोठी के सामने एक सुंदर सा बगीचा भी था। माधवदास कला प्रेमी आदमी थे। उनके पास धन की कमी नहीं थी और उन्हें कोई व्यसन भी नहीं था।

माधवदास कोठी के बाहर कहाँ पर बैठे थे?

शाम को जब दिन की गरमी ढल जाती है, और आसमान कई रंग का होता जाता हैं। तब माधवदास कोठी के बाहर चबूतरे पर तख्त डलवाकर मसनद के सहारे गलीचे पर बैठते थे। और प्रकृति की छटा निहारते थे

माधवदास की कोठी किसकी बनी हुई थी?

(क) माधवदास ने किसका निर्माण करवाया था? माधवदास ने एक संगमरमर की कोठी और उसके सुहावने बगीचे का निर्माण करवाया