माता निकल जाए तो क्या करना चाहिए? - maata nikal jae to kya karana chaahie?

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। चिकनपॉक्स जिससे लोग पुराने समय में और आज के इस दौर में छोटी माता भी कहते हैं। यह वेरिसेला जोस्टर वायरस के संपर्क में आने की वजह से होता है। ये एक ऐसी बीमारी है जिसमें इंसान के शरीर पर कई लाल चक्ते के निशान बन जाते हैं। इस बीमारी में इंसान के शरीर पर पानी से भरे फफोलें निकलने लगते हैं और ये बेहद खुजलीदार होते हैं जिससे इंसान के शरीर पर लाल दानें या चक्ते बन जाते हैं।

यह बीमारी उन लोगों को ज्यादा होती हैं जिन्हें बचपन में टीका नहीं लगा होता है, साथ ही जिनका इम्युन सिस्टम कमजोर होता है ये बीमारी उन लोगों को भी अपने चपेट में ले लेती हैं। सावधानी न बरतने पर ये बीमारी एक घातक रूप भी ले सकती हैं। बता दें कि, चिकनपॉक्स की ये बीमारी इतनी संक्रामक हैं जिसकी वजह से ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को भी ये आसानी से हो सकता है। वैसे तो चिकनपॉक्स लोगों को दो बार से ज्यादा नहीं होता है।

वेरिसेला जोस्टर वायरस उन लोगों के लिए अत्यधिक संक्रामक है, जिन्हें कभी चिकन पॉक्स नहीं हुआ है या जिन्होंने इससे बचने का टीका न लगवाया हो। लेकिन कई बार लोग इसके इलाज के लिए ज्यादा से ज्यादा पैसे दवाईयों में खर्च कर देते हैं जो आपके फायदा तो देता है लेकिन उतना नहीं जितना आपको मिलना चाहिए। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे घरेलू नुस्खों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनसे आप अपनी चिकनपॉक्स या छोटी माता कि बीमारी को आसानी से ठीक कर सकते हैं। आइए जानते हैं, कौन - से हैं वो घरेलू नुस्खें...

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नीम

नीम में मिलने वाले एंटीवायरल और एंटी बैक्टीरियल गुणों से चिकनपॉक्स की समस्या दूर हो जाती है। साथ ही ये चिकनपॉक्स से होने वाली खुजली और रैश में बहुत आरामदायक हैं। इसका इस्तेमाल करने के लिए नीम की पत्तियों का पेस्ट बनाकर फफोलों पर लगाएं ये फफोलों को जल्द सुखाने में मदद करता है। चिकन पॉक्स में आप नीम की पत्तियों को अपने बिस्‍तर पर भी डाल सकते हैं। इसके अलावा नीम की पत्तियों को पीसकर पेस्ट बनाएं और इस पेस्ट को चकत्ते वाली त्वचा पर लगाएं। आप नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर नहा भी सकते हैं। ऐसा करने पर आपको राहत का अनुभव महसूस होगा।

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एलोवेरा

एलोवेरा एक प्राकृतिक इलाज है। ऐलोवेरा जेल में पाएं जाने वाले गुण चिकन पॉक्स से संक्रमित हुई त्वचा को ठंडक और आराम देने में मदद करता है। इसमें मौजूद एंटीइंफ्लेमेट्री गुण त्वचा को मॉइश्चराइज कर, होने वाली खुजली को कम करता है। एलोवेरा पत्‍ती से जेल को निकालकर, इस ताजा जेल को चकत्तों वाली जगह पर लगाएं। ऐसा करने से आपको चिकन पॉक्स में होने वाली खुजली से आराम मिलेगा।

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शहद 

शहद एक रामबाण घरेलू इलाज हैं क्योंकि इसमें पाए जानें वाले एंटी बैक्टीरियल गुण चिकनपॉक्स से उत्पन्न होने वाली खुजली व चकत्तों को आराम पहुंचाता है। शहद को चक्तों वाली जगह पर लगाएं इसके बाद कुछ देर के लिए छोड़ दें। 20 मिनट बाद साफ पानी से त्वचा पर लगा शहद धीरे से साफ कर लें। ऐसा करने से त्वचा को आराम मिलेगा। शहद न सिर्फ चकत्तों को कम करेगा, बल्कि निशान मिटाने में मदद करेगा।

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गेंदे का फूल

गेंदे का फूल एक बहुत अच्छा उपाये हैं क्योंकि इसमें पाए जानें वाले एंटीसेप्टिक गुण आपकी चक्तों को आराम देता है। गेंदे के फूल और विच हेजल की पत्तियां को रातभर पानी में भिगोएं और फिर उसका पेस्‍ट बना लें और चकत्‍तों पर लगाएं। ऐसा करने से आपको चिकन पॉक्स में फायदा मिलेगा क्‍योंकि गेंदे के फूल में मॉइश्चराइजिंग और विच हेजल में एंटीसेप्टिक गुण होता है।

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विटामिन-ई कैप्सूल 

विटामिन ई के कैप्सूल एक रामबाण उपाये हैं चिकनपॉक्स को ठीक करने का। इसके अंदर मौजूद तेल को चिकन पॉक्स के निशान पर लगाएं। विटामिन-ई तेल त्वचा को हाइड्रेट करता है। यह त्‍वचा से रैशेज को ठीक करने का काम करता है। चिकन पॉक्स का इलाज करने के लिए आप विटामिन-ई कैप्सूल का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

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चिकन पॉक्स को क्यों कहते हैं माता, धार्मिक के साथ जानें वैज्ञानिक पहलू भी

चिकन पॉक्स को खासकर शीतला माता से जोड़ा जाता है. शीतला माता को मां दुर्गा का रूप माना जाता है.

बचपन में पहली बार सुना था कि स्कूल में कुछ बच्चे नहीं आ रहे, क्योंकि उन्हें माता निकली है. माता निकला यानी चेहरे पर फुंसियां और दाग-धब्बे हो जाना. इसके अलावा माता आने पर बुखार भी आ जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस बीमारी को माता क्यों कहा जाता है, जबकि इसका नाम ‘चिकन पॉक्स’ है. असल में इससे एक पौराणिक मान्यता जुड़ी हुई है. विज्ञान के लिहाज से ये एक नॉर्मल बीमारी है, जिसमें कुछ दवाईयां लेकर इंसान ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ लोग घरेलू इलाज करके बीमारी को ठीक करते हैं. 

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शीतला माता से जोड़कर देखा जाता है

चिकन पॉक्स को खासकर शीतला माता से जोड़ा जाता है. शीतला माता को मां दुर्गा का रूप माना जाता है. ऐसा कहते हैं कि उनकी पूजा करने से चेचक, फोड़े-फूंसी और घाव ठीक हो जाते हैं. दरअसल, शीतला का अर्थ होता है ठंडक. चिकन पॉक्स होने पर बॉडी में काफी जलन होती है और उस वक्त सिर्फ बॉडी को ठंडक चाहिए होती है, इसलिए कहा जाता है कि शीतला माता की पूजा करने से वो खुश हो जाती हैं, जिससे मरीज की बॉडी को ठंडक पहुंचती है.

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दरअसल, 90 के दशक तक चिकन पॉक्स के इंजेक्शन नहीं मौजूद थे. इस कारण विद्वानों ने इस बीमारी के कुछ घरेलू उपाय बताए थे, जिसे भगवान से जोड़ दिया जाता है. दरअसल, इस बीमारी के इलाज एक लिए किसी तरह की दवाई नहीं है, इसलिए इसमें सिर्फ आराम के लिए कुछ एंटी वायरल दवाइयां ही दी जाती हैं. इसके अलावा नीम की पत्तियों को घर के बाहर रखा जाता है, जिससे कीड़े-मकौड़े घर में नहीं आएं. 

Edited By: Pratima Jaiswal

जब माता निकली है तो क्या करना चाहिए?

चेचक की बीमारी में कई घरेलू उपचार करके आराम पाया जा सकता है। इसमें नीम को बड़ा असरदार माना गया है। नीम के पत्तों को पहले पीस लें और फिर शरीर में हुए दानों पर इसके लेप को लगाएं, जिससे दर्द में आराम मिलता है। इसके अलाव नीम को नहाने वाले पानी में डालकर उबाल लें, और फिर इस पानी से रोगी को नहालाएं।

माता निकलने पर क्या खाना चाहिए?

चिकन पॉ़क्स के मरीजों को खाने में पानी से भरपूर खाने को शामिल करना चाहिए जैस गाजर का ताजा जूस, तरबूज, किवी, नाशपती आदि फल। योगर्ट या दही, आइसटी और ठंडा पानी जैसी चीजें लेने से आराम मिलेगा। चिकनपॉक्स के शुरू के तीन दिन दही और चावल ही खिलाना चाहिए।

शरीर पर माता क्यों निकलती है?

यह बहुत ही संक्रामक होती है और संक्रमित निसृत पदार्थों को सांस के साथ अंदर ले जाने से फैलती है। छोटी माता (चिकन पॉक्स) के संक्रमण से पूरे शरीर में फुंसियों जैसी चक्तियाँ विकसित हो जाती हैं जो दिखने में खसरे की बीमारी की तरह भी लगती है। इस बीमारी में पूरे शरीर में खुजली करने का बहुत मन करता है।

माता कितने दिन रहती है?

सोसायटी में छोटी माता के नाम से प्रचलित चिकन पॉक्स का डॉक्टरी इलाज कराने से लोग बचते हैं। इसके पीछे माता का डर छिपा रहता है। लोग झाड़-फूक, और पुरानी मान्यताओं का सहारा लेते हैं। इस दौरान संक्रमण फैलने के चांसेज बढ़ जाते हैं और मरीज के शरीर से वायरस का असर खत्म होने में सात से दस दिन का समय लगता है।