ढोल, गंवार, शुद्र, पशु , नारी । सकल ताड़ना के अधिकारी।। Show पिछले दिनों कई बार सोशल मीडिया पर ये शलोक/ चौपाई देखी। ढोल, गंवार, शुद्र, पशु , नारी । सकल ताड़ना के अधिकारी।। साथ में लिखा होता कि जिस नारी के बारे मे ऐसा कहा जाता है, वो आज बुलंदियों के शिखर को छू रही हैं अपने परिवार और देश का नाम रोशन कर रही हैं। जाहिर है ये पढ़ मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा था कि क्यों नारी को ऐसा कहा जाता है। क्या नारी और पशु एक समान हैं..?? और ये कहा भी स्वंय तुलसीदास जी ने जो खुद महान बने अपनी पत्नी से प्रेरणा पाकर। क्या महान बन ने के बाद पुरूष को नारी तुच्छ लगती है..???? ताड़ना की अधिकारी लगती है...??? तुलसीदास जी के बारे में मेरी मम्मी ने कथा सुनाई थी। उन्हें ऐसी पुरातन कथायों के बारे में अच्छा ज्ञान है। जितनी मुझे याद है यहाँ बता रही हूँ। तुलसीदास अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करते थे। एक बार उनकी पत्नी मायके चली गयी। उनसे रहा नहीं गया तो वो भी चल पड़े, पीछे पत्नी से मिलने। वहां पत्नी के मायके पहुंच कर एक लटकती रस्सी देख कर उसका सहारा लेकर उपर पहुंच गए। जब पत्नी ने देखा तो दंग रह गयी क्योंकि वो रस्सी नही साँप था। तब उनकी पत्नी ने कहा जीतना प्रेम मुझसे करते हो यदि भगवान से करते तो पार हो जाते। उसके बाद उनका हृदय परिवर्तन हो गया और वो प्रभु भक्ति में रम गए। तो तुलसीदास जी ने ऐसा क्यों कहा या लिखा। मैंने इस चौपाई का अर्थ जानने की कोशिश की। जितना मैं जान सकी यहाँ बताने का प्रयास कर रही हूँ। सबसे पहले तो ध्यान देने की बात है कि इस चौपाई में "ताड़ना" शब्द का प्रयोग हुआ है ना कि "प्रताड़ना"। दोनों ही शब्दों के भिन्न भाव हैं। तुलसी दास जी ने मानस की रचना अवधी में की है और प्रचलित शब्द ज़्यादा आए हैं, इसलिए “ताड़न” शब्द को संस्कृत से ही जोड़कर नहीं देखा जा सकता । दरअसल….. ताड़ना एक अवधी शब्द है……. जिसका अर्थ …. पहचानना .. परखना या रेकी करना होता है। फिर, यह प्रश्न बहुत स्वाभिविक सा है कि आखिर इसका भावार्थ है क्या….????? असल में ये चौपाइयां उस समय कही गई है जब … समुन्द्र द्वारा श्री राम की विनय स्वीकार न करने पर जब श्री राम क्रोधित हो गए और अपने तरकश से बाण निकाला …! तब समुद्र देव …. श्री राम के चरणों में आए…. और, श्री राम से क्षमा मांगते हुये अनुनय करते हुए कहने लगे– हे प्रभु – आपने अच्छा किया जो मुझे शिक्षा दी….. और ये लोग विशेष ध्यान रखने यानि …..शिक्षा देने के योग्य होते है …. ! तुलसीदास जी… के कहने का मंतव्य यह है कि….. अगर हम ढोल के व्यवहार (सुर) को नहीं पहचानते ….तो, उसे बजाते समय उसकी आवाज कर्कश होगी …..अतः उससे स्वभाव को जानना आवश्यक है । इसी तरह गंवार का अर्थ किसी का मजाक उड़ाना नहीं …..बल्कि, उनसे है जो अज्ञानी हैं… और प्रकृति या व्यवहार को जाने बिना उसके साथ जीवन सही से नहीं बिताया जा सकता …..। इसी तरह पशु और नारी के परिप्रेक्ष में भी वही अर्थ है कि जब तक हम नारी के स्वभाव को नहीं पहचानते उसके साथ जीवन का निर्वाह अच्छी तरह और सुखपूर्वक नहीं हो सकता…। क्योंकि…. ढोल, गँवार, शूद्र, पशु और स्त्री…….. ये सब शिक्षा तथा सही ज्ञान के अधिकारी हैं। नारी: जहाँ भी नारी शब्द आता है वह पत्नी के अर्थ में होता है. स्त्री स्वभाव से ही त्याग व समर्पण के भाव से युक्त होती है. जब बात विवाह की आती है स्त्री चाहती है अपना शरीर मन आत्मा किसी ऐसे व्यक्ति को समर्पित करे जो अधिकारी हो जो इसे संभाल सके . तो यहाँ ताड़ना का अर्थ अपनी पत्नी की इच्छाओं को समझकर उसकी पूर्ति करने का है. क्या कोई भी स्त्री ऐसे पति के साथ रहना चाहेगी जो उसके मनोभाव न समझ सके. इसमे अत्याचार की बात नहीं अपितु आदर्श व सुखपूर्ण रिश्ते की बात है। अगर आप इस विषय मे अधिक जानकारी रखते हैं या आपको इस चौपाई का सही अर्थ पता हो तो अवश्य सांझा करें। धन्यवाद और हाँ मेरा किसी की भी धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने का उद्देश्य नही है। Ashu Garg डिस्क्लेमर: इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय Momspresso.com के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों .कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और मॉम्सप्रेस्सो की उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं है । Published:Oct 30, 2017
ढोल गंवार शूद्र पशु नारी सकल ताड़ना के अधिकारी का सही अर्थ क्या है?मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं॥ ढोल गंवार सूद्र पसु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी॥ अर्थात प्रभु ने अच्छा किया जो मुझे शिक्षा दी (दंड दिया), किंतु मर्यादा (जीवों का स्वभाव) भी आपकी ही बनाई हुई है।
ढोल गवाँर सूद्र पसु नारी सकल ताड़ना के अधिकारी चौपाई निम्न में से कौन से प्रसंग से सम्बंधित है?रामचरितमानस में ढोल गवाँर शूद्र पशु नारी वाली चौपाई का सही अर्थ क्या है_Naarad TV Dharm Ki Baat #Ep5 - YouTube.
|