मकर राशि के इष्ट देवता कौन है - makar raashi ke isht devata kaun hai

नई दिल्ली: वैसे तो कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा और श्रद्धा अनुसार किसी भी देवी-देवता की पूजा कर सकता है लेकिन अपने इष्ट देव (Isht Dev) की पूजा करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है. इसका कारण ये है कि इष्ट देव का संबंध हमारे कर्मों और हमारे जीवन से होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इष्ट देव की पूजा करने से व्यक्ति को अच्छे और शुभ फल की प्राप्ति होती है. इष्ट देव का अर्थ है अपनी पसंद के देवता. लेकिन अगर किसी को इस बारे में पता ना हो तो आखिर इष्ट देव की पहचान कैसे की जा सकती है?

कुंडली के पंचम भाव से इष्ट देव की पहचान

ज्योतिष शास्त्र (Jyotish) की मानें तो आपके जन्म की तारीख (Birth date), आपके नाम के पहले अक्षर की राशि या जन्म कुंडली की राशि (Kundli Rashi) के आधार पर इष्टदेव की पहचान की जा सकती है. अरुण संहिता जिसे लाल किताब के नाम से भी जाना जाता है, के अनुसार व्यक्ति के पूर्व जन्म में किए गए कर्म के आधार पर इष्ट देवता का निर्धारण होता है और इसके लिए जन्म कुंडली देखी जाती है. कुंडली का पंचम भाव इष्ट का भाव माना जाता है. इस भाव में जो राशि होती है उसके ग्रह के देवता ही हमारे इष्ट देव कहलाते हैं. इष्ट देव की पूजा करने से ये फायदा होता कि कुंडली में चाहे कितने भी ग्रह दोष क्यों न हों, अगर इष्ट देव प्रसन्न हैं तो यह सभी दोष व्यक्ति को अधिक परेशान नहीं करते.

लम्‍बे और पतले मकर लग्‍न अथवा राशि के जातकों को एक बारगी देखने पर यकीन नहीं होता कि ये लोग बड़े समूह या संगठन का सफल संचालन कर रहे हैं। बचपन में इन्‍हें देखें तो लगता है पता नहीं कब बड़े होंगे और कब अपने पैरों पर खड़े होंगे। पर, किशोरावस्‍था में अचानक तेजी से बढ़ते हैं और इतना विकास करते हैं कि अचानक युवा दिखाई देने लगते हैं। यह अवस्‍था भी इतने अधिक लम्‍बे समय तक रहती है कि साथ के युवक अधेड़ दिखने लगते हैं और इन पर जैसे अवस्‍था का असर ही दिखाई नहीं देता। यह त्‍याग और बलिदान की राशि है। कृष्‍णामूर्ति बताते हैं कि जो व्‍यक्ति पिछले जन्‍म में अपना बलिदान देता है वह इस जन्‍म में मकर राशि में पैदा होता है।मकर राशिके लोग उत्तराषाढ़ नक्षत्र (3 चरण),श्रवण नक्षत्र (4 चरण),धनिष्ठा नक्षत्र (2 चरण) जैसे नक्षत्रसे जुड़े होते है।

ये जातक मितव्‍ययी, नीतिज्ञ, विवेक बुद्धियुक्‍त, विचारशील, व्‍यावहारिक बुद्धि वाले होते हैं। इनमें विशिष्‍ट संगठन क्षमता होती है। असाधारण सहनशीलता, धैर्य और स्थिर प्रवृत्ति इन्‍हें बड़ा संगठन खड़ा करने में मदद करती है। इन लोगों को उपहास से हमेशा भय लगा रहता है। इस कारण समूह में बोल नहीं पाते। ऐसे में लोग समझते हैं कि ये लोग अंतर्मुखी हैं। इस राशि का स्‍वामी शनि है। शनि अच्‍छा होने पर ये लोग ईमानदार, सजग और विश्‍वसनीय होते हैं और शनि खराब होने पर ठीक उल्‍टा होता है। इन्‍हें एक साथी हमेशा साथ में चाहिए। तब इनका कार्य अधिक उत्‍तम होता है। इन जातकों में अहंकार, निराशावाद, अत्‍यधिक परिश्रम की कमियां होती हैं। इन्‍हें चिंतन पक्षाघात (एनालिसिस पैरालिसिस) की समस्‍या होती है। जातकों को सजग रहकर इन समस्‍याओं से बचने की कोशिश करनी चाहिए। ये लोग अपने परिजनों से प्रेम करते हैं लेकिन उसका प्रदर्शन नहीं करते। इसलिए परिवार के लोग, यहां तक कि इनकी संतान भी ही समझती है कि उनके पिता उन पर ध्‍यान नहीं देते। एक बात है जो इनके व्‍यवहार के विपरीत होती है वह यह कि जहां समूह में एक भी बाहर का व्‍यक्ति हो तो ये लोग चुप्‍पी मार जाते हैं, लेकिन यदि परिवार के लोग या सभी निकट के परिचित लोग हो तों परिहास की हल्‍की फुल्‍की ऐसी बातें करते हैं कि सभा में उपस्थित सभी लोगों का हंसते हंसते बुरा हाल हो जाता है। इनके लिए शुभ दिन शुक्रवार, मंगलवार और शनिवार होता है। शुभ रंग लाल, नीला और सफेद है। इस राशि के लोग बुद्धिमान होते है

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मकर राशि इसके जो राशि स्वामी हैं वह स्थानीय सनी स्वयं एक देव हैं संभवत सनी के भी इष्ट देव हनुमानजी हैं और हनुमान जी शंकर जी के ग्रह विरुद्ध हैं तो आप एक सुन सकते हैं कि आप मुख्य देवता तो आप सभी के आप सभी को ही माने और उनकी ही आराधना कर सकते हैं या आप मेष राशि के हैं तो आप हनुमान जी की आराधना कर सकते हैं यदि आप करके राष्ट्रीय के हैं तो आप सनी के साथ-साथ आप शंकर जी की आराधना कर सकते हैं धनु राशि मीन राशि कर्क राशि यह शंकर जी की आराधना करें बाकी मेष राशि के व्यक्ति या वृश्चिक राशि के व्यक्ति हनुमान जी की आराधना कर सकते हैं उसके अतिरिक्त सभी लोगों को सनी देव की कथा शनिदेव की आराधना करनी चाहिए क्योंकि किसी अन्य व्यक्ति से कहने से अच्छा है कि आप उनको मना ले उसी वक्त से आपसे हम कह सकते हैं कि आप मान जाइए

makar rashi iske jo rashi swami hain vaah sthaniye sunny swayam ek dev hain sambhavat sunny ke bhi isht dev hanumanji hain aur hanuman ji shankar ji ke grah viruddh hain toh aap ek sun sakte hain ki aap mukhya devta toh aap sabhi ke aap sabhi ko hi maane aur unki hi aradhana kar sakte hain ya aap mesh rashi ke hain toh aap hanuman ji ki aradhana kar sakte hain yadi aap karke rashtriya ke hain toh aap sunny ke saath saath aap shankar ji ki aradhana kar sakte hain dhanu rashi meen rashi kark rashi yah shankar ji ki aradhana kare baki mesh rashi ke vyakti ya vrishchik rashi ke vyakti hanuman ji ki aradhana kar sakte hain uske atirikt sabhi logo ko sunny dev ki katha shanidev ki aradhana karni chahiye kyonki kisi anya vyakti se kehne se accha hai ki aap unko mana le usi waqt se aapse hum keh sakte hain ki aap maan jaiye

मकर राशि वाले कौन से भगवान की पूजा करें?

मकर राशि- ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, मकर राशि पर भी भगवान शंकर की कृपा बनी रहती है। इस राशि पर भगवान शंकर के अलावा शनिदेव की भी कृपादृष्टि बनी रहती है। मान्यता है कि मकर राशि वालों के लिए भगवान शंकर की उपासना करना लाभकारी रहता है। इन्हें हर सोमवार को जलाभिषेक करना चाहिए।

मकर राशि के कुल देवता कौन है?

मकर राशि के जातक दुर्गाजी को अपना इष्टदेव मान सकते हैं। दुर्गाजी की पूजा करना इस राशि के लिए विशेष लाभकारी रहेगा। मकर राशि के स्‍वामी शनि हैं।

मकर राशि वालों का गुरु कौन है?

मकर
राशि चिह्न
मगरमच्छ
स्वामी
शनि
डेट्रिमेण्ट
चंद्र देव
एग्ज़ाल्टेशन
मंगल
फ़ॉल
बृहस्पति
मकर राशि - विकिपीडियाhi.wikipedia.org › wiki › मकर_राशिnull

मकर राशि का दुश्मन कौन होता है?

मकर राशि जिन राशियों को आमतौर पर मकर राशि का शत्रु माना जाता है, वे कुंभ, सिंह और मिथुन हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि तीन राशियां एक्‍शन करने या आंख बंद करके कार्य करने की प्रवृत्ति रखती हैं जो मकर राशि को दुखी करता है।