स्ट्रेचिंग को हिंदी में क्या कहते हैं? - streching ko hindee mein kya kahate hain?

वर्कआउट करने से पहले स्ट्रेचिंग करना अच्छा होता है। इससे आपके मसल्स हैवी वेट उठाने के लिए तैयार हो जाते हैं। इससे चोट लगने की संभावना भी कम हो जाती है।

ये हुई जिम जाने वालों की बात। लेकिन जो जिम नहीं जाते उनके लिए भी स्ट्रेचिंग करना जरूरी होता है। इससे मसल्स लूज होते हैं और आप अधिक एक्टिव रह सकते हैं।

ऑफिस में सिटिंग जॉब करने वाले हर व्यक्ति को कुछ एक्सरसाइज करनी चाहिए। जिनके बारे में आप इस लिंक पर क्लिक करके जान सकते हैं।

लॉकडाउन में अधिकतर लोग घरों में कैद हैं और घर से ही ऑफिस का काम कर रहे हैं। ऐसे में एक ही जगह बैठे-बैठे काम करने से मसल्स टाइट हो जाते हैं। इसका असर यह होता है कि आपकी बैक या गर्दन में दर्द शुरू हो जाता है।

इससे राहत पाने के लिए जरूरी है कि आप स्ट्रेचिंग करें, ताकि मसल्स पर टेंशन क्रिएट होने से वे एक्टिव रहें। इसलिए आज मैं आपको कुछ ऐसी स्ट्रेच एक्सरसाइज के बारे में बता रहा हूं, जिन्हें आप उठने के बाद बिस्तर / बेड पर ही कर सकते हैं। 10-15 मिनट का ये सेशन आपके लिए काफी फायदेमंद रहेगा।

1. नी टू चेस्ट स्ट्रेच (Knee to Chest Stretch)

यह स्ट्रेच एक्सरसाइज करने से हिप्स, लोअर बैक, हैम्स्टिंग, क्वार्ड्स और एब्डोमिनल मसल्स पर स्ट्रेच आता है। इसे करने के लिए पीठ के बल लेटें। अब एक पैर को सीधा रखते हुए दूसरे पैर के घुटने को छाती के पास इस तरह लाएं कि यह लोअर बैक को सपोर्ट दे।

20 सेकेंड के लिए होल्ड करने के बाद धीरे-धीरे अपने पैरों को प्रारंभिक स्थिति में लाएं। अब यही क्रम दूसरे पैर से भी करें। शुरुआत में 5 सेट करें, उसके बाद प्रैक्टिस होने पर बढ़ाते जाएं। इस स्ट्रेच को आप दोनों पैर से भी कर सकते हैं।

2. प्रेस अप स्ट्रेच (Press Up Stretch)

यह स्थिति सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में से 8वीं है। इसे सर्पासन, कोबरा आसन, सर्प मुद्रा, स्नेक पोज (Snake Pose) भी कहा जाता है। इसे करने से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और लचीलापन बढ़ता है। साथ ही मेटाबॉलिज्म फास्ट होता है।

इसे करने के लिए पेट के बल लेटकर अपर बॉडी को हाथों के सहारे ऊपर की ओर उठाएं। ऐसे में पूरा वजन आपके हाथों पर आ जाएगा। एक बार कंफर्टेबल स्थिति में पहुंचने पर 5 सेकेंड के लिए होल्ड करें और फिर वापस अपनी प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं।

इसे आप 10-15 बार दोहरा सकते हैं। इसे योग की भाषा में भुजंगासन कहते हैं। भुजंगासन क्या है, कैसे करते हैं, विधि, लाभ और सावधानियां जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।

3. नी टू अपोजिट शोल्डर स्ट्रेच (Knee to Opposite Shoulder Stretch)

यह लगभग नी टू चेस्ट स्ट्रेच जैसा ही है। बस इसमें आप जो पैर ऊपर लाते हैं उसे विपरीत कंधे की ओर लेकर जाना है। इसे करने से पहले ऊपर दिया वीडियो जरूर देख लें।

याद रखें इसमें आपको घुटने को कंधे की ओर लेकर जाना है, न कि पंजे को। विपरीत कंधे की ओर स्ट्रेच करने के बाद 20 सेकेंड तक होल्ड करें और फिर नॉर्मल पोजिशन में आ जाएं।

एक पैर से करने के बाद इसे दूसरे पैर से दोहराएं। इसी तरह दोनों ओर से 10-10 सेट करें।

4. साइड स्ट्रेच (Side Stretch)

इसे करने के लिए आपको पैरों को क्रास करके बैठना होगा। हाथों को ऊपर करते हुए अंगुलियां क्रास करते हुए दोनों पंजों को मिलाएं और हथेलियों को ऊपर की ओर खीचें।

अब अपर बॉडी को धीरे-धीरे पहले दाएं तरफ स्ट्रेच करें और 5 सेकेंड होल्ड करने के बाद नॉर्मल स्थिति में आएं। अब ऐसा ही बाएं ओर से दोहराएं।

साइड स्ट्रेच अलग-अलग तरह से भी कर सकते हैं, इसके लिए ऊपर दिया हुआ वीडियो देख सकते हैं।

5. हिप लिफ्ट (Hip Lift)

इसे करने के लिए आपको वीडियो में दिखाई गई पोजिशन में आना है और घुटनों के बल बैठना है। इसके बाद हाथों को पीछे बिस्तर पर रखकर हाथों पर दबाव डालते हुए अपनी छाती और हिप्स को छत की ओर उठाएं।

10 सेकेंड के लिए रुकें और धीरे-धीरे अपनी प्रारंभिक स्थिति में आएं। यह एक रेप्स कहलाएगा। इसे 10-15 बार दोहराएं और धीरे-धीरे सेट बढ़ाते जाएं।

स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज हमारे लिए बहुत फ़ायदेमंद होते हैं। हमें अपने एक्सरसाइज़ रूटीन में स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ को हमेशा शामिल करना चाहिए। स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ से हमारे शरीर में लचीलापन बना रहता है और शरीर के जोड़ो में गति भी बराबर बनी रहती है। अगर हमारे शरीर के दोंनो तरफ लचीलापन बराबर होता है तो चोट लगने की संभावनाएं बहुत कम हो जाती है। स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ करने से पहले हमेशा 5 से 10 मिनट तक वॉर्मअप करना चाहिए और इसे हमेशा वर्कआउट के बाद करना चाहिए।

इस एक्सरसाइज़ हफ्ते में 2 या तीन दिन करें। इस व्यायाम को ध्यानपूर्वक और बहुत धीरे-धीरे करें। अगर आपको स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है या कोई चोंट लगी है, तो डॉक्टर से सलाह लें कि कौन सा स्ट्रेच आपके लिए अच्छा होगा।

स्ट्रेचिंग को हिंदी में क्या कहते हैं? - streching ko hindee mein kya kahate hain?

हेल्थ डेस्क. बिजी लाइफ और गड़बड़ लाइफस्टाइल के कारण मांसपेशियां कठोर होती जा रही हैं, जिनमें चोट लगने का खतरा काफी ज्यादा होता है। ऐसी स्थिति में सबसे साधारण एक्सरसाइज स्ट्रेचिंग की भूमिका बेहद अहम हो जाती है। साथ ही यह फिटनेस का महत्वपूर्ण हिस्सा है। डॉ. चित्रा कटारिया, फिजियोथैरेपी एक्सपर्ट, इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर, नई दिल्ली से जानते हैं स्ट्रेचिंग का सही तरीका और इससे फायदे क्या हैं?

सवाल: स्ट्रेचिंग क्यों जरूरी है और कैसे फायदा पहुंचाती है?
जवाब: स्ट्रेचिंग से लचीलापन बढ़ता है और जोड़ों को पूरा घूमने के काबिल बनता है। शरीर का लचीलापन और गति बढ़ाने व चोट से बचाने के लिए स्ट्रेचिंग बहुत जरूरी है। स्ट्रेचिंग को दिनचर्या में शामिल करना रेग्युलर वर्कआउट करने जितना ही महत्वपूर्ण है। यदि नियमित रूप से जिम जाते हैं तब भी स्ट्रेचिंग करें, इससे मांसपेशियों को आराम मिलेगा। अन्य एक्सरसाइज की ही तरह स्ट्रेचिंग के भी कुछ नियम होते हैं। 

सवाल: स्ट्रेचिंग कब और कैसे करनी चाहिए?
जवाब: दिन-भर में कभी भी अपनी मांसपेशियों को स्ट्रेच कर सकते हैं। बस यह देख लें कि आपको अपने हाथ-पैर पूरी तरह से फैलाने के लिए थोड़ी जगह मिलनी चाहिए। जब आप सोकर उठते हैं अथवा सोने जाने से पहले या फिर काम के दौरान मिलने वाले ब्रेक में भी स्ट्रेचिंग कर सकते हैं। योगासन या सूर्य नमस्कार भी बेहतर स्ट्रेचिंग है, जिसमें बेहद साधारण लेकिन समकालिक मूवमेंट की पूरी सीरीज शामिल होती है। इसके जरिए बेहद संतुलित ढंग से स्ट्रेच होता है और वर्कआउट को अच्छी शुरुआत दे सकता है। वर्कआउट से पहले स्ट्रेचिंग के साथ कुछ वॉर्म मूवमेंट भी शामिल कर सकते हैं। भारी व्यायाम जैसे की वेट ट्रेनिंग अथवा रनिंग के बाद स्ट्रेचिंग से मांसपेशियों को आराम मिलता है। 

सवाल: इसके फायदे क्या हैं?
जवाब: स्ट्रेचिंग ज्यादा मेहनत के बिना ही शरीर के अंगों की गति को बनाकर रखती और इसे बढ़ा भी सकती है। अमेरिकन कॉलेज ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन के अनुसार कम से कम सभी बड़ी मसल्स को स्ट्रेच करना ही चाहिए। हफ्ते में दो बार और हर एक्सरसाइज के लिए 60 सेकंड का समय दें। स्ट्रेचिंग से कूल्हे और घुटने के नीचे की मसल्स बुढ़ापे में भी लचीली बनी रहेंगी। खराब पॉश्चर की समस्याओं से भी निजात मिलती है। पीठ के निचले हिस्से की मसल्स, छाती और कंधे को स्ट्रेच करके अपनी रीढ़ को सीधा रख सकते हैं और दर्द से निजात पाकर अपने पॉश्चर को भी सुधार सकते हैं। स्ट्रेचिंग, खासतौर से एक्सटेंडेड सेशन को धीमे और फोकस्ड तरीके से करके जैसा कि योग अथवा ताई ची में किया जाता है आराम मिलता है और तनाव भी कम होता है। स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज में तनाव दूर करने की बेहतर शक्ति होती है। टहलने के बाद स्ट्रेचिंग करने से दिमाग और शरीर को एक जम्प स्टार्ट मिल सकता है। स्ट्रेचिंग से टाइट हो चुकी मांसपेशियां ढीली होती हैं और इनमें रक्तसंचार बढ़ता है। इससे एंडॉर्फिन हार्मोन का स्राव भी बढ़ता है जिससे शांति मिलती है और प्रसन्नता होती है। अगर सोने से पहले स्ट्रेचिंग करते हैं तो अच्छी नींद आएगी।

सवाल: किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है?
जवाब: एक गलत मूव अथवा जरूरत से ज्यादा स्ट्रेच तकलीफ पहुंचा सकता है। अधिक ताकत से स्ट्रेच करने अथवा किसी स्ट्रेच को दर्द होने तक करने से बचें। स्टेटिक स्ट्रेचिंग स्ट्रेचिंग का सबसे सुरक्षित तरीका है जिसमें मसल्स को उस सीमा तक स्ट्रेच करते हैं जब तक असहज न महसूस होने लगे लेकिन इसमें दर्द शुरू नहीं होना चाहिए। अपने शरीर को वॉर्म अप करने के लिए स्ट्रेचिंग से पहले तेज कदमों से टहलना, अपनी जगह पर जॉगिंग करना, 5 से 10 मिनट की साइक्लिंग बेहतर है। इससे हार्ट रेट और ब्लडप्रेशर बढ़ेगा साथ ही इससे मांसपेशियों, लिगामेंट और नसों का तापमान बढ़ेगा। स्ट्रेचिंग के दौरान धक्का लगने से बचें और विपरीत मसल्स की स्ट्रेचिंग भी कीजिए। 

सवाल: स्ट्रेचिंग के आसान तरीके कौन से हैं?
कुछ आसान तरीके...

  • पैरों को कंधों के बराबर चौड़ाई में फैलाकर खड़े हों और फिर घुटनों को हल्का सा मोड़ें। आगे की ओर झुकें और हाथों को घुटनों के ऊपर रखें।
  • उंगलियों को आपस में बांधें और हथेली को बाहर की ओर फैलाएं। हाथों को जितना हो सके पुश करें। पीठ और कंधों को आगे की ओर झुकाएं। 10 सेकंड के लिए ऐसे ही रुकें। उंगलियों को खोल लें और कलाई को पीठ की ओर ले जाकर आपस में जोड़ें। भुजाओं को पीठ के पीछे हाथ को छोड़ें बिना जितना ऊंचा हो सके उठाएं ताकि चेस्ट खुल जाए और कंधे पीछे की ओर रोल हो जाएं।

स्ट्रेचिंग का मतलब क्या होता है?

स्ट्रेचिंग, खासतौर से एक्सटेंडेड सेशन को धीमे और फोकस्ड तरीके से करके जैसा कि योग अथवा ताई ची में किया जाता है आराम मिलता है और तनाव भी कम होता है। स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज में तनाव दूर करने की बेहतर शक्ति होती है। टहलने के बाद स्ट्रेचिंग करने से दिमाग और शरीर को एक जम्प स्टार्ट मिल सकता है।

स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज कौन कौन सी है?

अपनी पीठ को स्ट्रेच करने के लिए, खड़े रहकर हल्का सा पीछे की तरफ झुकें: अपने हाथों को अपनी लोअर बैक पर रखें। अपनी मसल्स को लंबा करते हुए, खुद को कमर से थोड़ा सा पीछे झुकाएँ। इस स्ट्रेच को करते समय सुनिश्चित करें कि आपके घुटने स्ट्रेट हैं। कुछ सेकंड के बाद, वापस अपनी शुरुआती पोजीशन पर पहुँच जाएँ।

स्ट्रक्चर का मतलब क्या होता है?

संज्ञा : noun संरचनात्मक सामग्री संरचित एक।