कान्हा जी को कौन सा रंग पसंद है? - kaanha jee ko kaun sa rang pasand hai?

Janmashtami 2021 : आज जन्माष्टमी (Janmashtami) का त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, कृष्ण जनमोत्सव को गोकुल अष्टमी के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन का अपना अलग ही महत्व है। इस दिन कृष्ण भक्त अपने भगवान को खुश करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। वो कृष्ण के जन्मदिन पर नाचते हैं, गाते हैं और 56 भोग तैयार करते हैं। कान्हा के जन्मदिन पर भक्त व्रत रखते हैं और अच्छे-अच्छे कपड़े पहनते हैं। क्या आप जानते हैं कि भगवान कृष्ण (Krishna) को सबसे ज्यादा कौन से रंग पसंद थे, चलिए अप अब हम आपको बता ही देते हैं। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण को नारंगी और पीला रंग बेहद प्रिय था और अगर भगवान के पसंदीदा रंगों के कपड़े पहनकर उनकी पूजा की जाएं तो यह बेहद शुभ माना जाता है।

1- पीले या नारंगी रंग का लहंगा

जन्माष्टमी के दिन जन्मदिन पर सभी नए कपड़े पहनते हैं, आप चाहे तो पीले या नारंगी लहंगा कैरी कर सकती हैं। आप लंहगे के साथ लाइट मेकअप करने के बाद काफी खूबसूरत लगेंगी।

2- पीले रंग की साड़ी

आप चाहे तो जन्माष्टमी पर पीले रंग की साड़ी पहन सकते हैं, इन दिनों सिल्क की साड़ी का काफी चलन है क्योंकि ये लाइट वेट तो होती ही है, साथ ही बेहद खूबसूरत लग सकती हैं।

3- पीला दुपट्टा

अगर आपके पास पीले रंग की साड़ी या लहंगा नहीं है तो आप पूजा के दौरान पीले रंग का दुपट्टा कैरी कर सकती है और सिंपल सूट पहन सकती हैं।

4- नारंगी रंग का सूट

अगर आपके पास कोई नारंगी रंग का सूट है तो आप उसे पहनकर पूजा कर सकती हैं।

कान्हा जी को कौन सा रंग पसंद है? - kaanha jee ko kaun sa rang pasand hai?

भगवान श्री कृष्ण के शरीर का रंग जो है, वही श्री राम और श्री विष्णु का भी हैं। ग्रंथों में भगवान के तीनों रूपों के रंग अलग-अलग है, ऐसा नहीं कहा गया। अतः विश्व में कई मंदिर हैं जहां श्री कृष्ण, श्री राम और श्री विष्णु की मूर्ति या तो काले या नीले रंग की है। और नीले और काले रंग में भी बहुत अंतर है। कुछ स्थानों पर हल्के नीले-काले रंग की प्रतिमा है, तो कुछ स्थानों पर गहरे नीले-काले रंग की प्रतिमा है। चित्रकारों ने भी कुछ इसी प्रकार के चित्र बनाये है। तो प्रश्न यह है कि भगवान का रंग वास्तव में कैसा है? कौन सा रंग सही है?

भगवान के रंग के बारे में, कही तो यह कहा गया कि वो श्याम रंग के है, कही बरसते हुए बादल के रंग के, कही गहरे काले, तो कही गहरे नीले। जैसे भागवत पुराण ६.४.३७ ‘पीतवासा घनश्यामः प्रसन्नवदनेक्षणः’ अर्थात् “वर्षाकालीन मेघ के समान श्यामल शरीर पर पीताम्बर फहर रहा था।” यानी वर्षा के समय जो बादल होते है वैसे ही भागवान के शरीर का रंग है। किन्तु, वर्षा के समय कभी बादल गहरे काले होते है, तो कभी-कभी गहरे नीले। जैसे -

कान्हा जी को कौन सा रंग पसंद है? - kaanha jee ko kaun sa rang pasand hai?

इसलिए यह कहना कठिन है कि भगवान कृष्ण के शरीर का रंग कौन सा है। लेकिन, श्री कृष्ण का एक और नाम “श्यामसुन्दर” है जिसका अर्थ है श्याम (काला) रंग जो सुंदर है। अब काले रंग के कई प्रकार हैं। यदि आप कहते हैं कि भागवत पुराण वर्णित वर्षाकालीन बादल के जैसा, तो बादल का कालापन भी भिन्न होता है। और फिर “श्यामसुन्दर” यानी ऐसा वर्षाकालीन काला बादल का रंग जो सुन्दर हो। और फिर रंग की सुन्दरता भी, हर व्यक्ति की अलग-अलग होती है। तो फिर कौन सा “श्यामसुन्दर” रंग (वर्षाकालीन काला बादल का रंग जो सुन्दर हो)

अगर, श्याम और वर्षाकालीन मेघ के रंगों की उपेक्षा करे। तो पुराणों ने कहा मत्स्यपुराण अध्याय २६०.५७ ‘अतसीपुष्पवर्णाभां’ अर्थात् “अलसी पुष्प के समान नीलवर्ण” नारदपुराण अध्याय ३८.४० में कहा गया ‘अतसीपुष्पसंकाशं फुल्लपङ्कजलोचनम्’ अर्थात् “भगवान के श्री अङ्गों की कान्ति अलसी के फूल की भाँति है।” यानी भगवान के शरीर का रंग अलसी पुष्प के समान नीला है। अलसी पुष्प कुछ ऐसा दीखता है-

कान्हा जी को कौन सा रंग पसंद है? - kaanha jee ko kaun sa rang pasand hai?

तो जैसा कि आप चित्र में देख रहे हैं। समय के अनुसार अलसी फूल का रंग भी अलग होता है। सूर्य उदय, अस्त और दोपहर के समय वातावरण का रंग अलग-अलग दिखाई देता है। इसलिए फूलों के रंग में हल्का सा बदलाव दिखता है। तो फिर प्रश्न उठा कि किस समय का रंग सही है?

वास्तव में भगवान के शरीर का रंग क्या है, यह कोई नहीं जनता और जो जानता है वो आपको बता नहीं सकता। कहने का तातपर्य यह है कि माया के आधीन जीव नहीं जानते है और जो माया से परे हो गए (संत) वो जानते है, किन्तु बता नहीं सकते। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान का शरीर दिव्य है, दिव्य स्वरूप को देखने के लिए दिव्य दृष्टि चाहिए। जैसे कान कभी देख नहीं सकते और आँख कभी नहीं सुन सकती, क्योंकि दोनों का विषय अलग-अलग है। इसी प्रकार माया के शरीर में होते हुए दिव्य भगवान के रूप को देखा नहीं जा सकता, क्योंकि दोनों का विषय अलग-अलग है। इसीलिए, गीता में श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा-

न तु मां शक्यसे द्रष्टुमनेनैव स्वचक्षुषा।
दिव्यं ददामि ते चक्षुः पश्य मे योगमैश्वरम्।।
- गीता ११.८

अर्थात् :- (हे अर्जुन) तू अपने इन प्राकृत नेत्रों द्वारा मुझे देखने में समर्थ नहीं है, इसलिए मैं तुम्हें दिव्यचक्षु देता हूँ, इससे तू मेरी ईश्वरीय योग को देख।

यानी, जब तक दिव्य दृष्टि नहीं मिल जाती। तब तक लोग दिव्य भगवान को सामान्य माया मनुष्यों की तरह देखेंगे। इसीलिए दिव्य रूप होने पर भी श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड ‘जिन्ह कें रही भावना जैसी। प्रभु मूरति तिन्ह देखी तैसी॥’ अर्थात् “जिनकी जैसी भावना होती है, प्रभु की मूर्ति उन्होंने वैसी ही दिखती है।” जब श्री कृष्ण मथुरा पहुंचे, तब कुछ लोगों को वीर लगे, कुछ को मोहक पुरुष, कुछ को दुलारा पुत्र। अतः जब भक्तों के पास दिव्य दृष्टि आ जाती है या जिन्होंने भगवान की प्राप्ति कर ली है, वो भगवान के वास्तविक रूप-रंग को देखने में समर्थ हो जाते है।

अस्तु, दिव्य रंगों की तुलना दिव्य रंगों से ही हो सकती है और माया के रंगों की तुलना माया के रंगों से ही हो सकती है। इसलिए वातविक रंग बताना संभव नहीं है। अतः संत-भक्त भगवान के उस दिव्य रंग को बताने में असमर्थ है, इसलिए उन्हें जो रंग उचित लगा, वो रंग कह दिया। फिर भी अधिकांश संतों ने यही कहा है कि अलसी फूल का रंग ही भगवान कृष्ण के शरीर का रंग है। अलसी के फूल का वो रंग, जो आपको सुन्दर लगे है। आप उस रंग को ही श्यामसुन्दर के शरीर का रंग माने।

अवश्य पढ़े - क्या श्री राम का शरीर प्रकृति मनुष्य का शरीर था या दिव्य था? और श्री कृष्ण का शरीर दिव्य था या माया के आधीन था? - भागवत अनुसार

कृष्ण भगवान का फेवरेट कलर क्या है?

कहा जाता है कि श्री कृष्ण को नारंगी और पीला रंग सबसे ज्यादा पसंद था और इसलिए इन रंगों के कपड़े पहनकर पूजा करना शुभ माना जाता है।

कृष्ण जी कौन से कलर के थे?

एक अन्य पौराणिक कथा में इस बात का जिक्र किया गया है कि भगवान विष्णु ने देवकी के गर्भ में दो बाल रोपे थे, इनमें से एक का रंग काला और दूसरे का रंग सफेद था। चमत्कारिक तरीके से दोनों ही बाल रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित हो गए और काले रंग के बाल से श्याम वर्ण के कृष्ण का जन्म हुआ और सफेद बाल से बलराम पैदा हुए।

श्री कृष्ण को कौन से रंग के वस्त्र पहनना पसंद है?

4. पीतांबर वस्त्र : भगवान श्रीकृष्ण को पीतांबरधारी भी कहा जाता है क्योंकि वह पीतांबर वस्त्र पहनते हैं। पीतांबर अर्थात पीले रंग का वस्त्र। उन्हें यह वस्त्र पसंद थे इसीलिए वे यह वस्त्र पहनते थे।

कान्हा जी का दिन कौन सा होता है?

जन्माष्टमी पर्व (shri krishna janmashtamishri) यानी कान्हा का जन्म उत्सव पूरी दुनिया में परंपरागत रूप से मनाया जाता है। इस वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ पर्व 19 अगस्त 2022, दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा।