कस्बा, नगर एवं नगरीकरण तीन परस्पर संबंधित अवधारणाएँ हैं। कस्बा गाँव एवं नगर के बीच की श्रेणी है। कई बार कस्बे को ‘उप-नगर’ भी कहा जाता है। नगरीकरण किसी भी देश की कुल जनसंख्या में नगरीय जनसंख्या की वृद्धि से संबंधित प्रकिया है। इन तीनों अवधारणाओं में नगरीकरण का अर्थ तो स्पष्ट है परंतु ‘कस्बा’ एवं ‘नगर’ शब्द का प्रयोग भिन्न-भिन्न रूपों में किया जाता है। Show नगर की अवधारणा किंग्स्ले डेविस (Kingsley Davis) इससे बिलकुल सहमत नहीं है। उनका कहना है कि सामाजिक दृष्टि से नगर परिस्थितियों की उपज होती है। उनके अनुसार नगर ऐसा समुदाय है जिसमें सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक विषमता पायी जाती है। यह कृत्रिमता, व्यक्तिवादिता, प्रतियोगिता एवं घनी जनसंख्या के कारण नियंत्रण के औपचारिक साधनों द्वारा संगठित होता है। सोमबंर्ट (Sombart) ने घनी जनसंख्या पर बल देते हुए इस संदर्भ में कहा है-“नगर एक वह स्थान है जो इतना बड़ा है कि उसके निवासी परस्पर एक-दूसरे को नहीं पहचानते हैं।’ लुईस विर्थ (Louis Wirth) ने द्वितीयक संबंधों, भूमिकाओं के खंडीकरण तथा लोगों में गतिशीलता की तेजी इत्यादि विशेषताओं के आधार पर नगर को परिभाषित करने पर बले दिया है। भारत में 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों को महानगर कहा जाता है, जबकि 50 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों को ‘विराट नगर’ कहा जाता है। 1991 ई० की जनगणना के अनुसार केवल 4 विराट नगर थे—मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली और चेन्नई। ‘विश्व-नगर’ हेतु जनसंख्या के आकार को कोई विशेष महत्त्व नहीं दिया जाता है। विश्व-नगर उसे कहा जाता है जहाँ विश्व के अधिकांश भागों के लोग रहते हों। भारत में पांडिचेरी को विश्व-नगर माना जाता है। वैसे चारों विराट नगर भी एक प्रकार से विश्व-नगर ही हैं। ‘नगर-समूह’ अथवा ‘कोनबेशन’ शब्द से अभिप्राय निरंतर विस्तारित होते हुए ऐसे नगरीय क्षेत्र से है जिसका रचना कई पूर्व पृथक् नगरों द्वारा हुई होती है। दिल्ली कोनर्देशन तथा कोलकाता कोनर्देशन ‘नगर-समूह’ के उदाहरण हैं। कस्बे की अवधारणा किसी पिछड़े या ग्रामीण क्षेत्र पर जब मानवीय जनसंख्या स्थायी रूप से निवास करने लगती है और उस जनसंख्या का उद्देश्य धर्म, कला, साहित्य, व्यापार, संस्कृति, शिक्षा आदि का प्रसार होता है तो उसे हम ‘कस्बा’ कहते हैं। मेयर एवं कोहन (Mayer and Kohn) ने कस्बे को मानवीय प्रक्रिया का परिणाम माना है क्योंकि इसका विकास गाँव की संपन्नता एवं उसमें नगरीय लक्षणों के आ जाने से होता है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि कस्बा बड़ा गाँव नहीं है। कस्बा अपनी संपूर्ण जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम होता है, जबकि गाँव के लोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु बाहरी जगत पर ही आश्रित होते हैं। कस्बे पर अनेक पड़ोसी गाँव अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु आश्रित होते हैं। यह इन गाँववासियों के लिए एक प्रकार से नगर का कार्य करता है। भारत में कस्बे की परिभाषा विभिन्न जनगणना वर्षों में बदलती रही है। उदाहरणार्थ-1901 ई० की जनगणना में कस्बा उस निवास क्षेत्र को कहा गया जिसमें निम्नलिखित चार विशेषताएँ थीं– (अ) वे सभी स्थान जहाँ नगर महापालिका, कैंट बोर्ड अथवा अधिसूचित नगर क्षेत्र समिति इत्यादि हैं; तथा (ब) वे सभी स्थान, जहाँ नगर और महानगर में अंतर क्या है?नगर से आशय एक बड़े और स्थायी व्यवस्थापन से हैं जो कि किसी विशिष्ट क्षेत्र को कवर करता है। वहीं महानगर एक ऐसा व्यवस्थापन है जो कि पूरे शहर के साथ साथ आसपास के उपनगरों को भी समा लेता है। नगरों की तुलना में महानगरों का आकार काफी विशाल होता हैं।
विराट नगर का क्या अर्थ है?इसका पुराना नाम बैराठ है। विराट नगर राजस्थान में उत्तर में स्थित है। यह नगरी प्राचीन मत्स्य राज की राजधानी रही है। चारो और सुरम्य पर्वतों से घिरे प्राचीन मत्स्य देश की राजधानी रहे विराटनगर में पुरातात्विक अवशेषों की सम्पदा बिखरी पड़ी है या भूगर्भ में समायी हुई है।
महानगर से क्या समझते हैं?महानगर ( Metropolitn ) जो नाम से ही पता चल जाता है. एक ऐसा क्षेत्र जो जनसंख्बया के आधार पर बहुत बड़ा हो और एक से अधिक शाहरो या एक से अधिक जिलो को मिलाकर बनाया गया हो.
विराट नगर का राजा कौन था?विराटनगर जयपुर से मात्र 90 किलोमीटर दूर ख़ूबसूरत अरावली की पहाड़ियों के मध्य स्थित है। विराटनगर की स्थापना राजा विराट ने की थी और ये प्राचीन राज्य मत्स्य की राजधानी थी।
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