महानगर और विराट नगर में अंतर - mahaanagar aur viraat nagar mein antar

कस्बा, नगर एवं नगरीकरण तीन परस्पर संबंधित अवधारणाएँ हैं। कस्बा गाँव एवं नगर के बीच की श्रेणी है। कई बार कस्बे को ‘उप-नगर’ भी कहा जाता है। नगरीकरण किसी भी देश की कुल जनसंख्या में नगरीय जनसंख्या की वृद्धि से संबंधित प्रकिया है। इन तीनों अवधारणाओं में नगरीकरण का अर्थ तो स्पष्ट है परंतु ‘कस्बा’ एवं ‘नगर’ शब्द का प्रयोग भिन्न-भिन्न रूपों में किया जाता है।

नगर की अवधारणा
‘नगरीय समुदाय’, ‘नगरीय क्षेत्र तथा ‘नगर’ (शहर) पर्यायवाची शब्द है जिनकी कोई सर्वमान्य परिभाषा देना कठिन है। विभिन्न देशों में नगरीय शब्द का अर्थ एक जैसा नहीं है। भारत में नगरीय क्षेत्र का संबंध कस्बों तथा नगरों दोनों से है। इसीलिए भारत में नगर को कस्बे से भिन्न बताने के लिए कोई सुनिश्चित परिभाषा नहीं है। नगरीय क्षेत्रों में मुख्य रूप से बस्तियों के उस समूह को सम्मिलित किया जाता है जिसके निवासी मुख्यत: गैर-कृषि व्यवसायों में संलग्न होते हैं। अत: ‘नगरीय’ शब्द का प्रयोग कस्बे, नगर, उप-नगर, महानगर, विश्व-नगर इत्यादि शब्दों के स्थान पर किया जाता है। नगर से अभिप्राय एक ऐसे केंद्रीयकृत बस्तियों के समूह से है जिसमें सुव्यवस्थित केंद्रीय व्यापार क्षेत्र, प्रशासनिक इकाई, आवागमन के विकसित साधन तथा अन्य नगरीय सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं। 1991 ई० की जनगणना के अनुसार भारत में कुल 4,689 नगर थे जिनमें महानगर एवं विराट नगर भी सम्मिलित थे।नगर की परिभाषा देना भी एक कठिन कार्य है। अनेक विद्वानों ने नगर की परिभाषा जनसंख्या के आकार तथा घनत्व को सामने रखकर देने का प्रयास किया है। 

किंग्स्ले डेविस (Kingsley Davis) इससे बिलकुल सहमत नहीं है। उनका कहना है कि सामाजिक दृष्टि से नगर परिस्थितियों की उपज होती है। उनके अनुसार नगर ऐसा समुदाय है जिसमें सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक विषमता पायी जाती है। यह कृत्रिमता, व्यक्तिवादिता, प्रतियोगिता एवं घनी जनसंख्या के कारण नियंत्रण के औपचारिक साधनों द्वारा संगठित होता है।

सोमबंर्ट (Sombart) ने घनी जनसंख्या पर बल देते हुए इस संदर्भ में कहा है-“नगर एक वह स्थान है जो इतना बड़ा है कि उसके निवासी परस्पर एक-दूसरे को नहीं पहचानते हैं।’ 

लुईस विर्थ (Louis Wirth) ने द्वितीयक संबंधों, भूमिकाओं के खंडीकरण तथा लोगों में गतिशीलता की तेजी इत्यादि विशेषताओं के आधार पर नगर को परिभाषित करने पर बले दिया है।
विर्थ के अनुसार अपेक्षाकृत एक व्यापक, घना तथा सामाजिक दृष्टि से विजातीय व्यक्तियों का स्थायी निवास क्षेत्र है। इन्हीं के आधार पर नगरीय समुदाय के लक्षण निश्चित किए जाने चाहिए। ‘नगर’ के साथ-साथ ‘महानगर’ (Metropolis), ‘विराट नगर’ (Mega City or Megalopolis), ‘विश्व-नगर’ (Cosmopolis or Cosmopolitan City or Ecumenopolis) तथा नगर-समूह (Conurbation) इत्यादि शब्दों का भी प्रयोग किया जाता है। इन सब शब्दों में जनंसख्या के आकार, जनसंख्या के घनत्वं, आवागमन एवं संचार साधनों की सुविधाओं इत्यादि के आधार पर अंतर किया जाता है।

भारत में 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों को महानगर कहा जाता है, जबकि 50 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों को ‘विराट नगर’ कहा जाता है। 1991 ई० की जनगणना के अनुसार केवल 4 विराट नगर थे—मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली और चेन्नई। ‘विश्व-नगर’ हेतु जनसंख्या के आकार को कोई विशेष महत्त्व नहीं दिया जाता है। विश्व-नगर उसे कहा जाता है जहाँ विश्व के अधिकांश भागों के लोग रहते हों। भारत में पांडिचेरी को विश्व-नगर माना जाता है। वैसे चारों विराट नगर भी एक प्रकार से विश्व-नगर ही हैं। ‘नगर-समूह’ अथवा ‘कोनबेशन’ शब्द से अभिप्राय निरंतर विस्तारित होते हुए ऐसे नगरीय क्षेत्र से है जिसका रचना कई पूर्व पृथक् नगरों द्वारा हुई होती है। दिल्ली कोनर्देशन तथा कोलकाता कोनर्देशन ‘नगर-समूह’ के उदाहरण हैं।

कस्बे की अवधारणा
जनसंख्या के आकार की दृष्टि से जब बड़े गाँवों के लोगों की प्रवृत्तियाँ नगरीकृत हो जाती है तो उन्हें गाँव न कहकर ‘कस्बा’ कहा जाता है। इस प्रकार, कस्बा मानवीय स्थापना का वह स्वरूप है जो अपने जीवनक्रम एवं क्रियाओं में ग्रामीणता और नगरीयता दोनों प्रकार के तत्वों को अंतर्निहित करता है। बर्गल (Bergal) के शब्दों में, “कस्बा एक ऐसी नगरीय बस्ती के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो पर्याप्त आयामों के ग्रामीण क्षेत्र पर आधिपत्य रखता है। किसी पिछड़े हुए अथवा ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों का जब किसी नगर के साथ संपर्क स्थापित होता है तो उनमें धीरे-धीरे नगरीय लक्षण आने प्रारंभ हो जाते हैं। इसी से गाँव का रूप एक कस्बे के रूप में बदल जाता है परंतु ध्यान देने योग्य है कि क़स्बे को केवल बड़े गाँव के रूप में ही परिभाषित नहीं किया जा सकता है। क्योंकि गाँव और कस्बे में काफी अंतर होता है। गाँव की तुलना में कस्बा बहुउद्देश्यीय होता है। कस्बों में बैंक, बीमा कंपनियों के दफ्तर, आवागमन के साधन और स्वास्थ्य सुविधाएँ गाँव की तुलना में अधिक होती है। कस्बा प्रशासनिक और राजनीतिक कार्यों को भी संपादित करता है।

किसी पिछड़े या ग्रामीण क्षेत्र पर जब मानवीय जनसंख्या स्थायी रूप से निवास करने लगती है और उस जनसंख्या का उद्देश्य धर्म, कला, साहित्य, व्यापार, संस्कृति, शिक्षा आदि का प्रसार होता है तो उसे हम ‘कस्बा’ कहते हैं। मेयर एवं कोहन (Mayer and Kohn) ने कस्बे को मानवीय प्रक्रिया का परिणाम माना है क्योंकि इसका विकास गाँव की संपन्नता एवं उसमें नगरीय लक्षणों के आ जाने से होता है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि कस्बा बड़ा गाँव नहीं है। कस्बा अपनी संपूर्ण जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम होता है, जबकि गाँव के लोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु बाहरी जगत पर ही आश्रित होते हैं। कस्बे पर अनेक पड़ोसी गाँव अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु आश्रित होते हैं। यह इन गाँववासियों के लिए एक प्रकार से नगर का कार्य करता है।

भारत में कस्बे की परिभाषा विभिन्न जनगणना वर्षों में बदलती रही है। उदाहरणार्थ-1901 ई० की जनगणना में कस्बा उस निवास क्षेत्र को कहा गया जिसमें निम्नलिखित चार विशेषताएँ थीं–
⦁    किसी भी आकार की नगरपालिका,
⦁    सिविल लाइन का क्षेत्र जो नगरपालिका के अंतर्गत न हो.
⦁    प्रत्येक प्रकार का छावनी क्षेत्र तथा
⦁    वह स्थायी निवास स्थान जहाँ कम-से-कम 5,000 की जनसंख्या हो।
1921 ई० की जनगणना में कस्बा उस नगरीय लक्षणों वाली बस्ती को कहा गया है जहाँ 5,000 से अधिक लोग स्थायी रूप से निवास करते हों। तत्पश्चात् 1961 ई० एवं उसके पश्चात् होने वाली जनगणनाओं में कस्बे की अधिक विस्तृत परिभाषा दी गई। अब कस्बे के निर्धारण में निम्नलिखित कसौटियों को अपनाया जाता है।

(अ) वे सभी स्थान जहाँ नगर महापालिका, कैंट बोर्ड अथवा अधिसूचित नगर क्षेत्र समिति इत्यादि हैं; तथा

(ब) वे सभी स्थान, जहाँ
⦁    कम-से-कम 5,000 की आबादी है,
⦁    कार्यरत पुरुष जनसंख्या का तीन-चौथाई भाग गैर-कृषि व्यवसाय में लगे हुआ है तथा
⦁    प्रति वर्गमील 400 व्यक्तियों का घनत्व है।

नगर और महानगर में अंतर क्या है?

नगर से आशय एक बड़े और स्थायी व्यवस्थापन से हैं जो कि किसी विशिष्ट क्षेत्र को कवर करता है। वहीं महानगर एक ऐसा व्यवस्थापन है जो कि पूरे शहर के साथ साथ आसपास के उपनगरों को भी समा लेता है। नगरों की तुलना में महानगरों का आकार काफी विशाल होता हैं।

विराट नगर का क्या अर्थ है?

इसका पुराना नाम बैराठ है। विराट नगर राजस्थान में उत्तर में स्थित है। यह नगरी प्राचीन मत्स्य राज की राजधानी रही है। चारो और सुरम्य पर्वतों से घिरे प्राचीन मत्स्य देश की राजधानी रहे विराटनगर में पुरातात्विक अवशेषों की सम्पदा बिखरी पड़ी है या भूगर्भ में समायी हुई है।

महानगर से क्या समझते हैं?

महानगर ( Metropolitn ) जो नाम से ही पता चल जाता है. एक ऐसा क्षेत्र जो जनसंख्बया के आधार पर बहुत बड़ा हो और एक से अधिक शाहरो या एक से अधिक जिलो को मिलाकर बनाया गया हो.

विराट नगर का राजा कौन था?

विराटनगर जयपुर से मात्र 90 किलोमीटर दूर ख़ूबसूरत अरावली की पहाड़ियों के मध्य स्थित है। विराटनगर की स्थापना राजा विराट ने की थी और ये प्राचीन राज्य मत्स्य की राजधानी थी।