मेगासिटीज की संख्या क्यों बढ़ी है? - megaasiteej kee sankhya kyon badhee hai?

...भीड़ भरी कॉलोनियां, तंग गलियां, ठसाठस भरे बाजार, ट्रैफिक जाम में रेंगती गाड़ियां, यात्रियों से ठसाठस भरे मेट्रो और बसें, प्रदूषण से बचने के लिए मास्क पहने और ऑड इवन जैसी नियमों से जूझती आबादी, प्रदूषित यमुना जैसी नदियों का पानी और बरसात के मौसम में जलमग्न कॉलोनियां-सड़कें और डूबे हुए घर... कमोबेश ऐसा ही नजारा दिल्ली-मुंबई-बेंगलुरु-चेन्नई-कोलकाता जैसे हमारे बड़े शहरों में रोजाना दिखता है. दशकों से हम इन शहरों को लंदन-पेरिस-न्यूयॉर्क जैसा बनाने की बातें सुनते आ रहे हैं. कई चीजें बदल भी रही हैं लेकिन क्या हमारे शहर दुनिया के सबसे आधुनिक शहरों की तरह बदल रहे हैं? उन शहरों जैसे बनने के लिए हमारे शहरी प्लानर्स को किन चीजों पर काम करना होगा? हमारे शहरों और दुनिया के सबसे आधुनिक शहरों की लाइफस्टाइल में और सुविधाओं में क्या फर्क है?

यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में साल 2050 तक शहरी आबादी 40 करोड़ और बढ़ जाएगी, जबकि चीन में 25 करोड़, वहीं अफ्रीकी देश नाइजीरिया में 19 करोड़ ज्यादा लोग तब तक शहरों में रह रहे होंगे. कमोबेश दुनिया के हर देश में इसी अनुपात में शहरों पर बोझ बढ़ेगा. साल 2030 तक दुनिया भर में 43 ऐसी मेगासिटीज होंगी जहां की आबादी एक करोड़ से अधिक होंगी. इनमें से अधिकांश भारत जैसे विकासशील देशों में होंगी. इस बड़ी आबादी के लिए इतनी ही व्यापक सुविधाओं की भी जरूरत होगी. ऐसे वक्त में जब दुनिया के तमाम बड़े शहर पॉल्यूशन की मार झेल रहे हैं, बढ़ती आबादी के लिए इंफ्रास्क्ट्रचर, पानी, बिजली, खाना, मकान, स्वच्छता आदि सुविधाएं जुटाना शहरी प्लानर्स के लिए बड़ी चुनौती होगी.

इंसान जबसे सभ्यता की ओर बढ़ा है तभी से शहरी प्लानिंग की कई यादगार मिसालें देखने को मिलीं. प्राचीन काल में भारत में मोहनजोदड़ो, चीन की सभ्यता, मिस्र, बेबीलोन के हैंगिंग गार्डेन, मेसोपोटामिया समेत कई शहर प्लानिंग के बेजोड़ उदाहरण माने जाते थे. आज दुनिया तकनीक पर तेजी से निर्भर होती जा रही है तो इसका असर हमारी जीवनशैली पर भी देखने को मिल रहा है. आज टोक्यो, सिंगापुर, सियोल, न्यूयॉर्क, लंदन, पेरिस जैसे शहर पूरी दुनिया के सामने आधुनिक जीवनशैली की मिसाल हैं. इसका कारण है कि इन शहरों ने तेजी से आधुनिक तकनीक को अपने जीवन में अपनाया है और यहां सार्वजनिक सुविधाएं काफी हद तक मॉडर्न होती चली जा रही हैं.

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दोनों दुनिया के शहरों का ट्रेंड भी अलग

भारत जैसे विकासशील देशों के शहरों और मॉडर्न शहरों के ट्रेंड भी काफी अलग देखने को मिलते हैं. अमेरिका में जहां 82 फीसदी आबादी शहरी इलाकों में रह रही है. वहीं यूरोप में 74 फीसदी, ओसिनिया में 68 फीसदी. दूसरी ओर एशिया में सिर्फ 50 फीसदी आबादी शहरी इलाकों में रह रही है. एशिया-अफ्रीका के इन शहरों में जहां तेजी से आबादी बढ़ रही है वहीं इन शहरों में सुविधाओं का हाल बदहाल ही है. दूसरी ओर दुनिया के कई शहर हैं जहां आबादी या तो कंट्रोल में आ रही है या घट रही है. साल 2000 के बाद जापान के टोक्यो शहर में, साउथ कोरिया के सियोल में और पोलैंड, रोमानिया, यूक्रेन समेत यूरोप के कई देशों के शहरों में आबादी घटने का ट्रेंड देखा गया है. इन शहरों में जहां सुविधाएं बेहतरीन हैं वहीं आबादी कंट्रोल में होने से लाइफस्टाइल और बेहतर होती जा रही है.

दुनिया के सबसे मॉडर्न शहर की कहानी

जापान के शहर टोक्यो को आज की दुनिया का सबसे सिस्टमेटिक और आधुनिक शहर माना जाता है. वहां दिल्ली-मुंबई-मैक्सिको जैसे भीड़-भाड़ वाले शहरों की तरह ही एक करोड़ 30 लाख की आबादी रहती है लेकिन आधुनिक तकनीक के बल पर सुविधाएं बेहतरीन हैं. टोक्यो शहर में तकनीक का हर जगह इस्तेमाल आम लोगों की जिंदगी की अलग तस्वीर बनाती है. आप यहां के बार और रेस्टोरेंट में कॉफी या ड्रिंक एक रोबोट से ऑर्डर कर सकते हैं. रोबोट ही आपको खाना भी परोसेंगे और रोबोट ही आपके बिल भी तैयार करेंगे.

टोक्यो में सड़कों को साफ करते पिंक कलर के Soft Kuriinu रोबोट डॉग्स मैस्कट हों या कोरोना से बचाव के लिए फ्री मास्क बांटते Koronon रोबो कैट्स सब यहां की जिंदगी की अलग तस्वीर पेश करते हैं. तकनीक के साथ-साथ लोगों की आदतें भी इस शहर को अद्भुत बनाती हैं. लोग कहीं भी कूड़ा नहीं डालते, कोई भी चीज खाएं उसका रैपर लोग या तो सार्वजनिक जगहों पर लगे डस्टबिन में डालते हैं या घर लेकर जाते हैं. सड़कों पर इधर-उधर कुछ भी बिखरा नहीं मिलेगा यहां आपको.

मेगासिटीज की संख्या क्यों बढ़ी है? - megaasiteej kee sankhya kyon badhee hai?

टोक्यो शहर में फ्यूचरिस्टिक आर्किटेक्चर, सड़कों पर हर तरफ नई तकनीक का इस्तेमाल, न्योन लाइट्स का हर तरफ इस्तेमाल, 200 किलोमीटर की स्पीड से चल रहीं लोकल ट्रेनों का शहरों के बीच फैला नेटवर्क, या 400 किलोमीटर की सुपरस्पीड वाली बुलेट ट्रेनों या बसों के समय में एक मिनट की भी देरी न होने देने का तकनीकी सिस्टम वहां पर जिंदगी को आम शहरों से अलग बनाता है. होंडा, सोनी, मित्सुबिशी जैसी जापानी कंपनियां अपने फंड का एक बड़ा हिस्सा नई तकनीक के रिसर्च पर खर्च करती हैं. टोक्यो एक ऐसा मेट्रोपोलिस है जो 26 शहरों को मिलाकर एक बनता है लेकिन सिस्टम इस तरह से शहर को जोड़े हुए है कि कहीं भी आपको इतनी विविधता का एहसास नहीं होगा.

मेगासिटीज की संख्या क्यों बढ़ी है? - megaasiteej kee sankhya kyon badhee hai?

भीड़-भाड़ के बावजूद सड़कों पर रोड रेज जैसी घटनाएं टोक्यो में कहीं देखने को नहीं मिलती. लोग विनम्रता के साथ घर से निकलते हैं और उनकी जुबान पर 'प्लीज' और 'थैंक्यू' शब्द हर जगह माहौल को कूल बनाता है. लोग उन कामों से बचते हैं जिससे किसी भी दूसरे इंसान को दिक्कत होती हो. आप यहां तेज संगीत, तेज बहसें, ट्रेनों-कैफे-बार में या किसी अन्य सार्वजनिक जगहों पर तेज रिंगटोन नहीं सुनेंगे. खासतौर पर जापान के लोगों के रवैये के बारे में कहा जाता है कि वहां के लोगों ने Manner Mode ऑन कर लिया है. सिंगल या इंट्रोवर्ट नेचर के लोगों के लिए भी यहां के कैफे या रेस्टोरेंट में खास सिंगल डिनर मेन्यू होता है, जो शांति पसंद लोगों को पूरा पर्सनल स्पेस मुहैया कराता है.

टोक्यो शहर ने तकनीक के साथ-साथ ग्रीन एनर्जी तकनीक को भी तेजी से अपनाया है. ग्रीन एनर्जी लाइन, शॉपिंग मॉल्स के ऊपर रूफटॉप पार्क बनाकर तकनीक और पर्यावरण का संतुलन बनाने की कोशिश की है. इतना ही नहीं जापान 5000 लोगों के रहने लायक अंडरवॉटर सिटी बनाने के प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहा है.

सियोल में एक खास कैंपेन ने आम लोगों की जिंदगी बदल दी

स्टार्टअप्स का हब कहा जाने वाला साउथ कोरिया का सियोल शहर भी आधुनिकता में टोक्यो-न्यूयॉर्क-लंदन से कम नहीं है. ये शहर न केवल आधुनिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम विकसित कर चुका है बल्कि हर नागरिक की स्मार्ट डिवाइसेज तक पहुंच सुनिश्चित करके लाइफस्टाइल को स्पीड में ला चुका है. यहां हर काम तकनीक पर निर्भर है. आज साउथ कोरिया तकनीकी उपकरण और आधुनिक तकनीक का निर्यात करने वाले दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल है. इंफ्रास्ट्रक्चर पर भारी निवेश के कारण लोगों की प्रोडक्टिविटी बढ़ी. ट्रांसपोर्ट सुविधाओं में तकनीक को शामिल किया गया. ऐसी सड़कें बनाई गईं जो चलती इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को चार्ज करने में सक्षम हों. पॉड टैक्सीज, इलेक्ट्रिक बसें, मेट्रो सारी सुविधाओं को बिजली पर चलने लायक सेवा में बदला गया. इससे जहां सुविधाएं आधुनिक हुईं वहीं प्रदूषण नियंत्रण का रास्ता भी बना.

2012 में इस शहर ने एक कैंपेन शुरू किया था कि लोग अपने इस्तेमाल कर चुके या पुराने हो रहे डिवाइसेज कम आय वाले परिवारों को डोनेट करें. ताकि सरकार सभी तकनीकी सुविधाओं तक हर किसी की पहुंच सुनिश्चित कर सके. अपना डिवाइस डोनेट करने वाले हर इंसान को सरकार ने नई डिवाइस खरीदने पर 50 से 100 डॉलर तक के डिस्काउंट की भी व्यवस्था की. इस अभियान का असर सबसे ज्यादा एजुकेशन और नौकरियों पर दिखा. अधिक से अधिक लोगों के हाथ में डिवाइस आते ही इंटरनेट और ऑनलाइन सुविधाओं तक लोगों की पहुंच बढ़ी और स्टार्टअप से लेकर तमाम क्षेत्रों में आने वाले युवाओं की संख्या भी तेजी से बढ़ी.

दुबई का चमत्कार लोगों के लिए रहस्य

18वीं शताब्दी में एक छोटे से फिशिंग विलेज के रूप में जाना जाने वाला दुबई आज मॉडर्न लाइफस्टाइल, टूरिज्म और लग्जरी लाइफ का दूसरा नाम है. सऊदी अरब के परंपरागत सामाजिक बंधनों के बीच अचानक उभरा मॉडर्न दुबई शहर दुनिया भर के लोगों को आज आकर्षित करता है. बुर्ज खलीफा जैसी गगनचुंबी इमारतें, डेजर्स रिजॉर्ट्स, गोल्ड शॉपिंग, ग्लोबल लेवल के शॉपिंग मॉल्स, क्रिकेट समेत तमाम खेलों के ग्लोबल इवेंट्स का आयोजन और बिजनेस में दुनिया का नया हब बन रहा दुबई दुनिया को अपनी मॉडर्निटी से हैरान कर रहा है. आज दुनिया में सबसे ज्यादा फाइव-स्टार होटलों के मामले में दुबई का स्थान दुनिया में दूसरे नंबर पर है.

दुनिया की स्टार्टअप कैपिटल

स्वीडेन की राजधानी स्टॉकहोम दुनिया के सबसे मॉडर्न शहरों की लिस्ट में है. आधुनिक सुविधाओं के कारण इसे दुनिया में स्टार्टअप्स के लिए सबसे फेवरेट शहर के रूप में जाना जाता है. 14 आईलैंड को मिलाकर ये शहर बनता है लेकिन आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल और बेहतर ट्रांसपोर्ट सिस्टम से सब जुड़े हुए हैं. इसके अलावा टेक्नीक का इस्तेमाल और टेक कंपनियों की बड़ी उपस्थिति स्टार्टअप्स के लिए काफी मददगार साबित होती हैं.

शंघाई भी कैसे दुनिया को दे रहा टक्कर?

शंघाई जहां एक ओर चीन का सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर है वहीं वह बिजनेस और टेक का हब भी है. घनी आबादी के बावजूद यहां हर तरफ शीशे की चमकती दीवारों वाली गगनचुंबी इमारतें, चमचमाते दफ्तर, मॉडर्न आर्किटेक्ट, स्पीडी ट्रेन सेवाएं, सिस्टमेटिक बस सर्विस, सुंदर और मॉडर्न सड़कें, सड़कों को रोशन करतीं चमचमाती लाइटें शहर की नाइट लाइफ को बढ़ाती हैं.

सिंगापुर ने कितना खुद को बदल लिया?

सिंगापुर आज दुनिया के सबसे आधुनिक शहरों में गिना जाता है. सिंगापुर शहर में पिछले पांच साल में स्मार्ट सिटी टेक्नोलॉजी पर 158 बिलियन डॉलर की बड़ी राशि का निवेश हुआ है. यहां आधुनिक सुविधाओं और तकनीक पर सबकुछ विकसित करने के लिए सुपर-फास्ट ब्रॉडबैंड नेटवर्क और सभी के लिए फ्री वाई-फाई की सुविधा वहां की सरकार देती है ताकि लोग ट्रांसपोर्ट से लेकर एजुकेशन तक की सारी स्मार्ट सुविधाओं का लाभ उठा सकें. इस सुविधा के कारण लोगों के लिए ऑनलाइन शिक्षा, मेडिकल सुविधा, नौकरियां, स्टार्टअप, ऑनलाइन कारोबार समेत तमाम तकनीकी काम करना आसान हो गया है.

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इंफ्रास्ट्रक्चर पर भारी निवेश करते हुए सिंगापुर शहर के प्रशासन ने लोगों के लिए शहरों में न केवल फ्री वाई-फाई बल्कि एडवांस सर्विलांच सिस्टम, हर जगह सीसीटीवी, स्मार्ट पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम और स्मार्ट लाइटिंग सिस्टम विकसित की है. इन सब सुविधाओं के कारण न केवल सुरक्षा बल्कि लोगों के लिए आसानी से कई ऑनलाइन सुविधाएं मुहैया है.

जेनरेशन Y का फेवरेट शहर क्यों है बर्लिन?

बर्लिन शहर को millennials यानी जेनरेशन Y के लिए दुनिया में बेस्ट माना जाता है. इसका कारण है नई पीढ़ी के लिए यह शहर सुविधाओं के लिए लिहाज से बेहतरीन होता जा रहा है. बिजनेस के नियम आसान हैं, स्टार्टअप में निवेश करने वालों की बड़ी संख्या है, नई पीढ़ी के मुताबिक यहां की हाउसिंग, फूड, ट्रांसपोर्ट, कम रेंट में फ्लैट आदि सुविधाएं युवा पीढ़ी के लिए यहां की जिंदगी को बेहतर बनाती हैं. इसके अलावा दुनिया के बड़े-बड़े कार ब्रांड रोजगार के साधन भी मुहैया कराते हैं.

लंदन और पेरिस की चमचमाती लाइफ

यूरोप की शान कहे जाने ये दोनों शहर अपनी चमचमाती और ओपन लाइफस्टाइल के कारण दुनियाभर के प्रोग्रेसिव लोगों को आकर्षित करते हैं. लंदन शहर जो कि एक जमाने में भीड़ भरी सड़कों के लिए जाना जाता था आज सिस्टमेटिक रोड, इलेक्ट्रिक बसों, इलेक्ट्रिक कारों और पूरे शहर भर में फैले ट्यूब ट्रेन नेटवर्क के कारण आधुनिक ट्रांसपोर्ट के लिए जाना जाता है. दुनिया के इंफ्रास्क्चर रैंकिंग में लंदन को छठे स्थान पर आंका गया है. वहीं पेरिस आधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ दुनिया का कलचरल कैपिटल भी कहा जाता है. इस कारण दुनियाभर के बड़े फैशन और कल्चरल इवेंट्स का यहां आयोजन होता है और दुनियाभर के आर्ट लवर्स को लुभाता है.

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दुनिया के टेक कैपिटल की रॉयल जिंदगी

अमेरिका का सैन फ्रांसिस्को और यहां की सिलिकॉन वैली ऐसे ही दुनिया का टेक और बिजनेस कैपिटल नहीं है. यहां दुनिया की सारी बड़ी कंपनियों के दफ्तर हैं. यहां के दफ्तर पहुंचने वाले लोगों में बड़ी तादाद ऐसे लोगों की है जो लग्जरी बंगलों में रहते हैं और रोज दफ्तर या बिजनेस मीटिंग में जाने-आने के लिए प्राइवेट प्लेन्स का इस्तेमाल करते हैं. उस लिहाज से यहां की सुविधाएं भी हैं. दफ्तरों में हेलिकॉप्टर लैंडिंग की सुविधा, ऑटोमेटिक क्लीनिंग, पार्किंग से लेकर फूड, मॉल्स सब आधुनिकतम मिल जाएंगे यहां. ये जगह ऐसी जगह हैं जहां दुनिया के सबसे शार्प माइंड के लोग, दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियां और सबसे बड़े निवेशक या आविष्कारक आपको यहां मिल जाएंगे तो यहां की लाइफ भी उसी लेवल की है. तभी ये जगह दुनिया भर के युवाओं के लिए एक ड्रीम लैंड जैसा है.

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न्यूयॉर्क क्यों है दुनिया का सबसे महंगा शहर?

अमेरिका का ही एक और शहर न्यूयॉर्क दुनिया का सबसे महंगा शहर है. न्यूयॉर्क शहर दुनियाभर की इकोनॉमीज के लिए सपना है वहीं शहरों में स्मार्ट सुविधाएं भी लोगों का जीवन बाकी शहरों से काफी अलग बनाती है. एयर क्वालिटी मैनेजमेंट पर भी इस शहर के प्लानर्स ने काफी खर्च किया है. न्यूयॉर्क शहर अपनी बेहतर सिटी प्लानिंग के कारण दुनिया के टेक्नोलॉजी हब सिलीकॉन वैली की टक्कर में आ चुका है.

हॉन्गकॉन्ग शहर ने एक आदत बदलकर सबकुछ बदल लिया

हॉन्गकॉन्ग शहर जहां भीड़ भरी आबादी के लिए जाना जाता है वहीं आधुनिक सुविधाओं के विकास के कारण लोगों की जिंदगी काफी हद आसान करने में भी शहरी प्लानर्स को मदद मिली है. ट्रेन, बस, ट्राम, फेरी आदि यहां की ट्रांसपोर्ट सुविधाओं को आधुनिक बनाती हैं. बेहतर सुविधाओं के कारण यहां के लोगों की लाइफ एक्सपेटेंसी काफी ज्यादा है. हॉन्गकॉन्ग शहर में पुरूषों की लाइफ एक्सपेटेंसी 81.3 साल, जबकि महिलाओं की 87.3 साल है.

एक जमाने में महामारी से जूझ रहे हॉन्गकॉन्ग शहर ने हाइजीन को लोगों की आदत में शामिल कराया और आज हालात एकदम अलग हैं. आज यह दुनिया के सबसे स्वच्छ शहरों में गिना जाता है. शहर भर में हजारों ऑटोमेटेड सैनिटाइजेशन मशीने लगी हुई हैं जो गुजरने वाले लोगों को सैनिटाइज करती रहती हैं. इसका असर न केवल स्वच्छता बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी व्यापक तौर पर हुआ है. फ्यूचर टेक्नोलॉजी को अपनाते हुए हॉन्गकॉन्ग ने खुद को एक कैश-फ्री सोसाइटी के रूप में विकसित किया है. यहां ऑक्टोपस कार्ड नागरिकों के लिए शुरू किया गया है जिसका इस्तेमाल लोग खाने-पीने का सामान खरीदने, ट्रांसपोर्ट में पेमेंट करने और बाकी कामों को करने के लिए करते हैं. इससे लोगों को एक ही जगह या एक ही पेमेंट सिस्टम से सारी सुविधाएं मिल जाती हैं.

दुनिया का कोई भी हिस्सा हो आज हर देश अपने शहरों में आधुनिक सुविधाएं ले जा रहा है. भारत में भी दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों के बाद आज तमाम राज्यों की राजधानियों और टू-टियर शहरों में मेट्रो जैसी आधुनिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था पहुंचने लगी है लेकिन भीड़-भाड़ को नियंत्रित करने और ट्रैफिक को सिस्टमेटिक करने के लिए अर्बन प्लानिंग और शहरों की रिडिजाइनिंग पर बहुत काम करना होगा. शहरीकरण बढ़ रहा है तो इससे जुड़ी चुनौतियां भी बढ़ रही हैं. यूएन की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2050 तक दुनिया की 68 फीसदी आबादी शहरी इलाकों में रह रही होगी. एशिया और अफ्रीका के शहरों में तेजी से आबादी पलायन करके बसेगी आने वाले सालों में. उसी के मुताबिक हमारे तमाम शहरों को खुद को बदलना होगा.