ललद्यद ने नाव और माँझी के रूपक द्वारा क्या बतलाने की कोशिश की है? - laladyad ne naav aur maanjhee ke roopak dvaara kya batalaane kee koshish kee hai?

विषयसूची

  • 1 क्या डराने धमकाने से किसी को सही राह पर लाया जा सकता है अपने विचारों के आधार पर लिखें?
  • 2 लेखिका की परदादी ने ऐसी कौन सी बात कह दी जिसे सुन सभी हैरान रह गए?
  • 3 ललद्यद ने नाव और माँझी के रूपक द्वारा क्या बतलाने की कोशिश की है?
  • 4 लेखिका की परदादी के गाँव का क्या नाम था और वे कौन से धर्म को मानती थी?

क्या डराने धमकाने से किसी को सही राह पर लाया जा सकता है अपने विचारों के आधार पर लिखें?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर:- डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है। यह बात हमें लेखिका की माता द्वारा चोर के पकड़े जाने पर उसके साथ किए गए व्यवहार से पता चलता है। चोर के पकड़े जाने पर लेखिका की माँ ने न तो चोर को पकड़ा, न पिटवाया, बल्कि उससे सेवा ली और अपना पुत्र बना लिया।

कवतयत्री के मन में बार बार हू क क्यों उठती है वाख कववता के आधार पर बताइए?

इसे सुनेंरोकेंवाख में ‘रस्सी’ शब्द मनुष्य की साँसों के लिए प्रयुक्त हुआ है। इसके सहारे वह शरीर-रूपी नाव को इस संसार रुपी सागर में खींच रहा है। अर्थात् मनुष्य की साँसे कब रुक जाए , इसका कुछ पता नहीं है। भाव – कवयित्री ने अपना सारा जीवन सांसारिक वासनाओं में फंसकर व्यर्थ गँवा दिया।

लेखिका की नानी ने अपनी पुत्री के लिए वर खोजने का दायित्व किसे सौंपा और क्यों?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: लेखिका की नानी ने अपनी बेटी के लिए स्वतंत्रता सेनानी वर खोजने का दायित्व अपने पति के मित्र स्वतंत्रता-सेनानी प्यारे लाल शर्मा को सौंपा क्योंकि उन्हें भरोसा था कि प्यारे लाल जी उनकी इच्छा अवश्य पूरी कर पायेंगे।

लेखिका की परदादी ने ऐसी कौन सी बात कह दी जिसे सुन सभी हैरान रह गए?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: उन्होंने भगवान से यह दुआ माँगी कि उनकी पतोह की पहली संतान लड़की पैदा हो न कि लड़का। समाज सदा से ही लड़कों की कामना करता रहा है, पर लेखिका की परदादी ने वह दुआ माँगी जिसे समाज बोझ समझता था। उनकी मन्नत के बारे में जानकर सभी हैरान रह गए क्योंकि उन्होंने यह बात सभी को बात दी थी।

लेखिका को आजादी के जश्न में जाने की इजाजत क्यों नहीं मिली?

इसे सुनेंरोकेंलेखिका की नानी की मृत्यु उनकी माँ की शादी से पहले हो गई थी परन्तु उनकी माँ के द्वारा उन्होंने नानी के विषय में बहुत कुछ सुन रखा था। बेशक उनकी नानी शिक्षित स्त्री नहीं थीं, न ही कभी पर्दा व घर से बाहर ही गई थीं। परन्तु वे एक स्वतंत्र व्यक्तित्व की स्वामिनी थीं। उनके मन में आज़ादी की लड़ाई करने वालों के लिए विशेष आदर था।

वाख कविता में मांझी कौन है?

इसे सुनेंरोकें(d) ईश्वर को। ​

ललद्यद ने नाव और माँझी के रूपक द्वारा क्या बतलाने की कोशिश की है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: कवयित्री के प्रयास ऐसे ही हैं जैसे कोई मिट्टी के कच्चे सकोरे में पानी भरने की कोशिश कर रहा हो। ऐसे में पानी जगह से जगह से रिसने लगता है और कसोरा भर नहीं पाता है। कवयित्री को लगता है कि भक्त के प्रयास निरर्थक साबित हो रहे हैं।

पाठ 8 क्या निराश हुआ जाए?

इसे सुनेंरोकेंक्या निराश हुआ जाए पाठ प्रवेश इस पाठ के द्वारा लेखक देश में उपजी सामाजिक बुराइयों के साथ-साथ अच्छाइयों को भी उजागर करने के लिए कहते है। वे कहते है समाचार पत्रों को पढ़कर लगता है सच्चाई और ईमानदारी ख़त्म हो गई है। आज आदमी गुणी कम और दोषी अधिक दिख रहा है। आज लोगो की सच्चाई से आस्था डिगने लगी है।

लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा नहीं फिर भी उनके व्यजक्तत्व से वे क्यों प्रभाजवत थी?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर : लेखिका ने अपनी नानी को कभी नहीं देखा था परंतु अपनी नानी के बारे में उसने जो कुछ भी सुना था उसके कारण वह उनके व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित हुई थी। उसकी नानी ने पारंपरिक, अनपढ़, और पर्दे में रहने वाली महिला होते हुए भी विलायती ढंग से जीवन जीने वाले बैरिस्टर पति के साथ बिना किसी शिकायत के जीवन बिताया था।

लेखिका की परदादी के गाँव का क्या नाम था और वे कौन से धर्म को मानती थी?

इसे सुनेंरोकेंउन्होंने भगवान से यह दुआ माँगी कि उनकी पतोह की पहली संतान लड़की पैदा हो न कि लड़का। समाज सदा से ही लड़कों की कामना करता रहा है, पर लेखिका की परदादी ने वह दुआ माँगी जिसे समाज बोझ समझता था। उनकी मन्नत के बारे में जानकर सभी हैरान रह गए क्योंकि उन्होंने यह बात सभी को बात दी थी।