ब्राह्मण समाज की उत्पत्ति कैसे हुई? - braahman samaaj kee utpatti kaise huee?

ब्राह्मण जाति (समाज) की उत्पत्ति एवं इतिहास - Pandit Brahmin History in Hindi

हेलो दोस्तो! आज इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ ब्राह्मण जाति की उत्पत्ति एवं इतिहास (Brahmin History) के बारे में बात करेंगे। ब्राह्मण समाज की अगर बात करें तो ब्राह्मण समाज दुनिया के सबसे पुराने संप्रदाय एवं जाति में से एक है। पुराने वेदो एवं उपनिषदों के अनुसार "ब्राह्मण समाज का इतिहास", सृष्टि के रचयिता "ब्रह्मा" से जुड़ा हुआ है। वेदों के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि "ब्राह्मणों की उत्पत्ति" हिंदू धर्म के देवता "ब्रह्मा" से हुई थी। ऐसा माना जाता है कि वर्तमान समय में जितने भी ब्राह्मण समाज के लोग हैं वे सब भगवान ब्रह्मा के वंशज हैं।

प्राचीन भारत में ब्राह्मणों का इतिहास

ब्राह्मण समाज की उत्पत्ति कैसे हुई? - braahman samaaj kee utpatti kaise huee?


ब्राह्मण जाति का इतिहास प्राचीन भारत से भी पुराना माना जाता है, ब्राह्मण जाति की जड़े वैदिक काल से जुड़ी हुई हैं। प्राचीन काल से ही ब्राह्मण जाति के लोगों को समाज में उच्च स्थान प्राप्त था, उस समय ब्राह्मण जाति के लोग सबसे ज्ञानी माने जाते थे। इस जाति के लोगों को प्राचीन काल से ही उच्च एवं बड़े लोगों की श्रेणी में देखा जाता रहा है।

उस दौर में धार्मिक एवं जाति मतभेद वर्तमान समय के मुकाबले चरम सीमा पर था, हिंदू धर्म के लोगों को "ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र" चार हिस्सों में बांटा गया था। इस जाति के बंटवारे में ब्राह्मण समाज के लोगों को सबसे उच्च स्थान प्राप्त हुआ। उस दौर में ब्राह्मण जाति के लोगों को सबसे ज्ञानी एवं कर्मठ माना जाता था इसलिए इनका मुख्य कार्य ज्ञान धर्म और आध्यात्मिक ज्ञान की शिक्षा देना एवं राजकुमारों एवं राजघराने के लोगों को आचार्य बनकर ज्ञान देना होता था।

ब्राह्मणों को राज परिवारों में सबसे अधिक शोहरत और इज्जत दी जाती थी। इतिहासकारों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि एक हिंदू राजा के राज दरबार में राजगुरू (ब्राह्मण) की आज्ञा के बिना राजा कोई कार्य नहीं करता था। इस बात का सबसे प्रमुख उदाहरण चंद्रगुप्त मौर्य और चाणक्य की जोड़ी थी।

प्राचीनकाल से वर्तमान काल तक ब्राह्मण समाज के लोगों ने कला, साहित्य, विज्ञान, राजनीति, संस्कृति और संगीत जैसी प्रमुख क्षेत्रों में अपना अहम योगदान दिया। प्राचीन भारत से आधुनिक भारत तक ब्राह्मण समाज में अनेकों महान व्यक्तियों एवं महान आत्माओं ने जन्म लिया जिनमें से परशुराम चाणक्य बाल गंगाधर तिलक आदि प्रमुख थे।

ब्राह्मण निर्धारण (ब्राह्मण कौन है?)

प्राचीन समय से ब्राह्मणों का निर्धारण माता पिता की जाति के आधार पर होने लगा है, लेकिन स्कंदपुराण के अनुसार 'ब्राह्मण' जाति नहीं है। स्कंद पुराण में आध्यात्मिक दृष्टि से बताया गया है कि जो व्यक्ति ब्राह्मण कुल में जन्म लेने के पश्चात भी ब्राह्मण वाले कर्मकांड ना करें या फिर मदिरा एवं मांस का सेवन करें तो वह व्यक्ति एक शूद्र के समान है, ऐसे व्यक्ति को ब्राह्मण का दर्जा देने का कोई अधिकार नहीं है।

ब्राह्मण का व्यवहार एवं दिनचर्या

ब्राह्मण समाज के लोगों की जो पारंपरिक दिनचर्या और व्यवहारिक स्थिति थी, वह अपने आप में एक आदर्श दिनचर्या थी। लेकिन वर्तमान समय में पारंपरिक दिनचर्या में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। पारंपरिक दिनचर्या के अनुसार हिंदू ब्राह्मण अपनी धारणा और धर्म आचरण को महत्व देते थे, यह दिनचर्या कुछ इस प्रकार थीं - "सुबह जल्दी उठकर स्नान करना, संध्या वंदना करना, व्रत एवं उपासना करना आदि।

व्यवहारिक दृष्टि से ब्राह्मण काफी सरल होते हैं, वे मांस शराब आदि का सेवन एवं धर्म के विरुद्ध हो वह काम नहीं करते हैं। ब्राह्मण स्वाभाविक रूप से सकारात्मक होते हैं और वे दूसरों के सुखी और संपन्न होने की कामना करते हैं। सामान्यतः ब्राह्मण केवल शाकाहारी होते हैं लेकिन वर्तमान समय में ब्राह्मण जाति के लोगों में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है जो समय के साथ जारी हैं।

ब्राह्मणों की वर्तमान स्थिति

ब्राह्मण जाति के लोग मुख्यत उत्तर और मध्य भारत के ज्यादातर पठार इलाकों में पाए जाते हैं, इसके अलावा ब्राह्मणों की कुछ संख्या पूरे भारत में पाई जाती है। ब्राह्मणों की वर्तमान स्थिति बेहतर है, इस जाति के लोग अपनी जीविका चलाने के लिए व्यवसाय, नौकरी, खेती, ज्योतिष शास्त्र आदि पर निर्भर होते हैं। इसके अलावा ब्राह्मण जाति से कई बड़ी हस्तियां हैं जो बॉलीवुड, क्रिकेट अन्य क्रिएटिव फील्ड एवं खेल जगत आदि में आसीन है।

ब्राह्मणों की उपजातियाँ

ब्राह्मणों को सम्पूर्ण भारतवर्ष में विभिन्न उपनामों से जाना जाता है, जैसे पूर्वी उत्तर प्रदेश में शुक्ल,त्रिवेदी, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान के कुछ भागों में खाण्डल विप्र, ऋषीश्वर (GOUR),वशिष्ठ, कौशिक, भारद्वाज ,सनाढ्य ब्राह्मण, राय ब्राह्मण त्यागी अवध (मध्य उत्तर प्रदेश) तथा मध्यप्रदेश के बुन्देलखंड से निकले जिझौतिया ब्राह्मण,रम पाल मध्य प्रदेश में कहीं कहीं वैष्णव (बैरागी)(, बाजपेयी, बिहार व बंगाल में भूमिहार, जम्मू कश्मीर, पंजाब व हरियाणा के कुछ भागों में महियाल, मध्य प्रदेश व राजस्थान में गालव, गुजरात में श्रीखण्ड,भातखण्डे अनाविल, महाराष्ट्र के महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण, मुख्य रूप से देशस्थ, कोंकणस्थ , दैवदन्या, देवरुखे और करहाड़े है. ब्राह्मणमें चितपावन एवं कार्वे, कर्नाटक में अयंगर एवं हेगडे, केरल में नम्बूदरीपाद, तमिलनाडु में अयंगर एवं अय्यर, आंध्र प्रदेश में नियोगी एवं राव, उड़ीसा में दास एवं मिश्र आदि, बिहार में मैथिल ब्राह्मण आदि तथा राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, बिहार में शाकद्वीपीय (मग)कहीं उत्तर प्रदेश में जोशी जाति भी पायी जाती है।

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ब्राह्मण कहाँ से आये थे?

इतिहास ब्राह्मण समाज का इतिहास भारत के वैदिक धर्म से आरम्भ होता है। वास्तव में ब्राह्मण कोई जाति विशेष ना होकर एक वर्ण है, दक्षिण भारत में द्रविड़ ब्राह्मण को ही कहा जाता है| भारत का मुख्य आधार ही ब्राह्मणों से शुरू होता है। ब्राह्मण नरम व्यवहार के होते हैं| ब्राह्मण व्यवहार का मुख्य स्रोत वेद हैं।

ब्राह्मण का असली नाम क्या है?

ब्राह्मण : ईश्वरवादी, वेदपाठी, ब्रह्मगामी, सरल, एकांतप्रिय, सत्यवादी और बुद्धि से जो दृढ़ हैं, वे ब्राह्मण कहे गए हैं। तरह-तरह की पूजा-पाठ आदि पुराणिकों के कर्म को छोड़कर जो वेदसम्मत आचरण करता है वह ब्राह्मण कहा गया है। 3.

ब्राह्मण का जन्म कब हुआ?

ब्राह्मण के विदेशी होने का DNA सबूत हालांकि आर्य सिद्धांत के मानने वाले लोग यह तर्क देते हैं कि तब आर्यों का आगमन हुआ ही नहीं था, उनका आगमन तो 1500 से 2000 ईसा पूर्व हुआ था।

ब्राह्मण भारत में कब आए थे?

यह 7,000 से 3,000 ईसा पूर्व के बीच हुआ होगा.