रसखान श्री कृष्ण की लकुटी और कमरिया पर क्या न्योछावर करने को तैयार है? - rasakhaan shree krshn kee lakutee aur kamariya par kya nyochhaavar karane ko taiyaar hai?

ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम किन-किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है? 


ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम अनेक रूपों में अभिव्यक्त हुआ है- 
कवि को ब्रजभूमि से गहरा प्रेम है। एक ओर जहाँ कवि को ब्रजभूमि से गहरा लगाव होने के कारण वे अगले जन्म में ग्वाले के रूप में वहाँ की गायों को चराते हुए अपना जीवन बिताना चाहते हैं। तो दूसरी ओर ब्रजभूमि में रहने के लिए उन्हें पशु, पक्षी और पत्थर बनना भी स्वीकार्य है। पशु का जन्म मिले तो वे वासुदेव की गायों के बीच घूमकर ब्रज का आनंद प्राप्त करना चाहते हैं, पक्षी बने तो कदम्ब के पेड़ पर बैठकर कृष्ण की बाल लीलाओं का आनंद उठाना चाहते हैं, और यदि पत्थर भी बने तो गोवर्धन पर्वत का क्योंकि उसे कृष्ण ने अपनी उँगली पर उठाया था। इस प्रकार हर एक रूप में वे ब्रजभूमि में ही रहना चाहते हैं।

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आपके विचार से कवि पशु, पक्षी, पहाड़ के रूप में भी कृष्ण का सान्निध्य क्यों प्राप्त करना चाहता है?


इसमें कोई संदेह नही की श्री कृष्ण कवि के आराध्य देव है। मेरे विचार से कृष्ण का सान्निध्य प्राप्त करने के लिए कवि को पशु, पक्षी तथा पहाड़ बनने में भी कोई संकोच नहीं है। क्योंकि यदि इनमें से वे कुछ भी बनते हैं तो उन्हें हर एक रूप में कृष्ण का सानिध्य ही प्राप्त होगा। क्योंकि पहाड़ को अपनी ऊँगली पर उठाकर श्री कृष्ण ने उससे समीप रखा था। पशु-पक्षी सदैव श्री कृष्ण के प्रिय रहे है। रूप चाहे कोई भी धारण करें पर कृष्ण के समीप रहने का उनका प्रयोजन अवश्य सिद्ध हो जाएगा।

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एक लकुटी और कामरिया पर कवि सब कुछ न्योछावर करने को क्यों तैयार है?


कवि के लिए सबसे महत्वपूर्ण है - कृष्ण। वह उनके लिए आराध्य देव हैं। इसलिए कृष्ण की एक-एक चीज़ उसके लिए महत्वपूर्ण और प्यारी है। कृष्ण गायों को चराते समय लकुटी और कामरिया अपने साथ रखते थे। यह कोई साधारण वस्तुएँ न होकर कृष्ण से सम्बंधित वस्तुएँ है। यही कारण है कि कृष्ण की लाठी और कंबल के लिए कवि अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार है। भगवान के द्वारा धारण की गई वस्तुओं का मूल्य भक्त के लिए परम सुखकारी होता है क्योंकि वह समस्त सुखों को मात देने वाला होता है।

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सखी ने गोपी से कृष्ण का कैसा रूप धारण करने का आग्रह किया था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिये।


सखी गोपी से वही सब कुछ धारण करने के लिए कहती है जो कृष्ण धारण करते हैं, सखी ने गोपी से आग्रह किया था कि वह कृष्ण के समान सर पर मोरपंखों का मुकुट धारण करें। गले में गुंजों की माला पहने। तन पर पीले वस्त्र पहने। हाथों में लाठी थामे और पशुओं के संग विचरण करें।

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कवि का ब्रज के वन, बाग और तालाब को निहारने के पीछे क्या कारण हैं?


कवि कृष्ण से जुडी हर वस्तु से अपार प्रेम करता है। जिस वन बाग, और तालाब में कृष्ण ने अपनी नाना प्रकार की क्रीड़ाएँ की है उन्हें कवि निरंतर निहारना चाहते हैं क्योंकि इससे उन्हें सुख की दिव्य अनुभूति होती है। यह सुख ऐसा है की जिस पर संसार के समस्त सुखों को न्योछावर किया जा सकता है। उनके दर्शन मात्र से ही उनका ह्रदय प्रेम से भर जाता है।

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रसखान श्री कृष्ण की लंगोटी और कमरिया पर क्या न्योछावर करने को तैयार है?

कवि श्रीकृष्ण का अनन्य भक्त है। वह कृष्ण की हर वस्तु से प्रेम करता है। श्रीकृष्ण गायों को चराते समय यह लकुटी और कामरिया (छोटा कंबल) अपने साथ रखते थे। यह लकुटी और कामरिया कोई साधारण वस्तु न होकर कृष्ण से संबंधित वस्तुएँ थीं, इसलिए कवि उन पर सब कुछ न्योछावर करने को तैयार है।

कवि रसखान लकुटी और कमरिया पर क्या न्योछावर करना चाहते है?

कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारों ।। उत्तर : उपर्युक्त पंक्ति में अनुप्रास एवं सभंग यमक अलंकार है । (क) रसखान लकुटी और कंबल पर क्या न्योछावर कर देने को तैयार हैं? उत्तर : रसखान लकुटी और कंबल पर तीनों लोकों का राज्य न्योछावर करने को तैयार हैं ।