लेखक के मन में बस को देखकर श्रद्धा भाव क्यों उमड़ आए? - lekhak ke man mein bas ko dekhakar shraddha bhaav kyon umad aae?


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लेखक के मन में बस को देखकर श्रद्धा भाव क्यों उमड़ आए? - lekhak ke man mein bas ko dekhakar shraddha bhaav kyon umad aae?

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बस की यात्रा

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लेखक के मन में बस को देखकर श्रद्धा क्यों उमड़ पड़ी थी?

लिखित उत्तर

Solution : लेखक के मन में बस को देखकर श्रद्धा इसलिए उमड़ पड़ी थी क्योंकि वह जिस बस पर चढ़कर यात्रा करने वाला था, उस बस की अवस्था बहुत जीर्ण-शीर्ण थी। सदियों के अनुभवी निशान लिए हुई थी।

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लेखक के मन में बस को देखकर श्रद्धा भाव क्यों उमड़ आए? - lekhak ke man mein bas ko dekhakar shraddha bhaav kyon umad aae?

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लेखक ने यह कथन व्यंग्य स्वरूप लिखा है। हम भारतीयों को यह संस्कार है कि हम बूढे-बुजुर्ग पुरुष या महिलाओं को अत्यंत सम्मान और श्रद्धा की दृष्टि से देखते हैं। बस भी अत्यंत पुरानी और जर्जर अवस्था में थी। इसलिए लेखक ने बस का मानवीकरण करते हुए लिखा है कि वयोवृद्ध बस को देखकर मन में श्रद्धा को. भाव उमड़ पड़ा।

नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
बस को देखा तो श्रद्धा उमड़ पड़ी। खूब वयोवृद्ध थी। सदियों के अनुभव के निशान लिए हुए थी। लोग इसलिए इससे सफ़र नहीं करना चाहते कि वृद्धावस्था में इसे कष्ट होगा। यह बस पूजा के योग्य थी। उस पर सवार कैसे हुआ जा सकता है!
लेखक के मन में बस को देखकर श्रद्धा क्यों उमड़ पड़ी?

  • बस देवी लग रही थी
  • बस की जीर्ण-शीर्ण अवस्था देखकर
  • बस का सुंदर रूप देखकर
  • बस का सुंदर रूप देखकर


B.

बस की जीर्ण-शीर्ण अवस्था देखकर

177 Views


बस की दशा किसकी भाँति लग रही थी?

  • एक टूटी इमारत की भाँति
  • एक वयोवृद्धा की भाँति
  • एक बूढ़े पेड़ की तरह
  • एक बूढ़े पेड़ की तरह

156 Views


लेखक व उसके मित्र कहां गए थे?

  • सतना
  • पन्ना
  • जबलपुर
  • जबलपुर

169 Views


लेखक के मन में बस के हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा के भाव क्यों आए?

  • क्योकि वह लोगों का हित चाहता था।
  • क्योंकि वह केवल अपने लाभ हेतु बस चला रहा था। लोगों की जान की परवाह उसे नहीं थी।
  • क्योंकि वह जानता नहीं था कि बस खराब है।
  • क्योंकि वह जानता नहीं था कि बस खराब है।


B.

क्योंकि वह केवल अपने लाभ हेतु बस चला रहा था। लोगों की जान की परवाह उसे नहीं थी।

155 Views


‘बस की यात्रा’ कैसा लेख है?

  • विचारात्मक
  • आत्मकथा        
  • व्यंग्यात्मक
  • व्यंग्यात्मक

249 Views


लेखक ने ऐसा क्यों कहा कि गांधी जी के असहयोग व सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय यह जवान रही होगी?

  • बस में लोग विरोध कर रहे थे।
  • बस के पुर्जे धीरे-धीरे एक साथ मिलकर काम करने लगे।
  • बस ड़ाइवर ने बस चलाने से इंकार कर दिया।
  • बस ड़ाइवर ने बस चलाने से इंकार कर दिया।


B.

बस के पुर्जे धीरे-धीरे एक साथ मिलकर काम करने लगे।

680 Views


बस को देखकर लेखक को श्रद्धा क्यों उमड़ पड़ी?

Solution : लेखक के मन में बस को देखकर श्रद्धा इसलिए उमड़ पड़ी थी क्योंकि वह जिस बस पर चढ़कर यात्रा करने वाला था, उस बस की अवस्था बहुत जीर्ण-शीर्ण थी। सदियों के अनुभवी निशान लिए हुई थी।

बस को देखकर लेखक के अंदर कौन सी भावना उतपन्न हुई?

Answer: उत्तर:- बस की जर्जर अवस्था से लेखक को ऐसा महसूस हो रहा था कि बस की स्टीयरिंग कहीं भी टूट सकती है तथा ब्रेक फेल हो सकता है। ऐसे में लेखक को डर लग रहा था कि कहीं उसकी बस किसी पेड़ से टकरा न जाए।

बस को देखकर क्या उमड़ पड़ी?

बस को देखा तो श्रद्धा उमड़ पड़ी। खूब वयोवृद्ध थी। सदियों के अनुभव के निशान लिए हुए थी। लोग इसलिए इससे सफ़र नहीं करना चाहते कि वृद्धावस्था में इसे कष्ट होगा।

लेखक के मन में बस के हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई?

लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई? उत्तर:- लेखक के मन में बस कंपनी के हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा इसलिए जाग गई कि वह टायर की स्थिति से परिचित होने के बावजूद भी बस को चलाने का साहस जुटा रहा था। कंपनी का हिस्सेदार अपनी पुरानी बस की खूब तारीफ़ कर रहा था।