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आपने अक्सर ज्योतिषविदों को पूर्वजन्म के रहस्यों के बारे में बताते देखा होगा. ये लोग कुंडली देखकर बता देते हैं कि पूर्वजन्म में हम क्या थे, कहां रहते थे और क्या करते थे. लेकिन क्या कुंडली पढ़कर पूर्वजन्म के बारे में जानना इतना आसान है? इस विषय पर ज्योतिषाचार्य शैलेंद्र पांडेय कहते हैं कि पूर्वजन्म को जानना इतना आसान नहीं है, लेकिन असंभव भी नहीं है. ज्योतिषविद के मुताबिक, पूर्व जन्म का सिद्धांत क्रिया-प्रतिक्रिया के नियम पर कार्य करता है. जीवन में इंसान जब कोई कर्म करता है या उस कर्म के लिए प्रयास करता है तो फल भोग ना होने पर उसे पुनः जन्म लेना पड़ता है. प्रकृति में किए गए या सोचे गए हर कर्म की प्रतिक्रिया होती है. इसीलिए पुनर्जन्म भी होता है. मृत्यु के बाद जब इंसान की कोई इच्छा दबी रह जाती है तो उसे पूरा करने के लिए निश्चित तौर पर उसका पुनर्जन्म होगा. कुंडली में पांचवां और आठवां भाव पूर्वजन्म से संबंध रखता है. राहु और केतु शुद्ध रूप से पूर्व जन्म से संबंध रखते हैं. इनका अध्ययन पूर्वजन्म के रहस्य खोल सकता है. शनि और बृहस्पति पूर्वजन्म के शुभ और अशुभ कर्मों को बताते हैं. आपके जन्म की स्थिति क्या है, इसका निर्धारण चन्द्रमा करता है. आपकी कुंडली का प्रधान तत्त्व यह बताता है कि आप कैसे संस्कारों से नियंत्रित होते हैं. कैसे जानें पूर्व जन्म में हम क्या थे? ज्योतिषाचार्य ने एक रिसर्च पेपर का हवाला देते हुए बताया कि इसे लेकर सेलिब्रिटीज के पूर्वजन्म पर अध्ययन किया गया है. राजनीति और फिल्मी जगत के बड़े सितारों को लेकर यह कहा गया है कि पूर्व जन्म में इनके इस पेशे में आने की संभावना थी. पूर्वजन्म में इनके जो लक्षण थे, वो इस जन्म में भी इनके शरीर, काम और आदतों पर दिखाई देते हैं. आपने कुछ बच्चों को देखा होगा जो 5 साल की छोटी उम्र में ही संगीत में बड़े तेज हो जाते हैं. इसका कारण यही है कि पूर्व जन्म में वे संगीतकार थे या संगीत में दिलचस्पी रखते थे. उनकी इच्छाएं मन में ही दबी रह गई थीं. और अपनी इन्हीं इच्छाओं को पूरा करने के लिए उन्होंने दोबारा जन्म लिया है. पूर्वजन्म के कर्म परेशान
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हिन्दू धर्म के लोग पूर्वजन्म में विश्वास रखते हैं. गीत और वेद-पुराणों में भी इसका जिक्र है. कई लोगों के मन में इस बात को लेकर जिज्ञासा होती है कि वो पूर्वजन्म में क्या थे. पंडित शैलेंद्र पांडेय बता रहे हैं पूर्वजन्म के रहस्य के बारे में.
पंडित शैलेंद्र पांडे के अनुसार, पूर्वजन्म एक अनुमान है जिसे जानने के लिए लगातार लक्षणों पर ध्यान देना होगा. सामान्यत: कोई व्यक्ति घूम-फिरकर अपने परिवार में ही जन्म लेता है और उसकी मुख्य आदतें वैसी की वैसी ही रहती हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसके मन में अपने परिवार का ही विचार होता है.
व्यक्ति के अंत समय में उसे जो याद रह जाता है वैसी ही उसकी आगे कि गति हो जाती है. परिवार की चिंता अंत समय में ज्यादा होती है तो व्यक्ति घूम-फिर कर उसी परिवार में आ जाता है. अगले जन्म में वो किसी का बेटा-बेटी या पोता-पोती बन कर वापस आ जाता है.
हालांकि दोबारा जन्म के बाद भी जो उसकी मुख्य आदतें हैं वो वैसी की वैसी ही रहती हैं. जब किसी भावना या इच्छा को लेकर व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उस व्यक्ति का जन्म उस इच्छा को पूरा करने के लिए होता है.
कोई विशेष तरह का गुण, अवगुण, बीमारी या चिन्ह जो बिना किसी प्रयास के आपके अंदर आ जाते हैं वो पूर्वजन्म से ही संबंध रखते हैं. उदाहरण के तौर पर कुछ बच्चे बचपन से ही बहुत अच्छा गाना गाते हैं. क्योंकि पूर्वजन्म में वो अच्छा गाते थे और वो गुण इस जन्म में उनके अंदर आ गया.
कुछ बच्चे बचपन से ही गीता के श्लोक पढ़ने लगते हैं क्योंकि वो पूर्वजन्म में इसे पढ़ते थे और वो आदत इस जन्म में आ गई. गुण ही नहीं अवगुण भी पिछले जन्म से इस जन्म में आ जाते हैं. आप ईश्वर के किसी विशेष रूप के प्रति आकर्षण रखते हैं ये बात भी पूर्वजन्म से संबंध रखती है.
अगर आपको जन्म से ही शिव के प्रति प्रेम है, आपको शिव के अलावा कोई और दिखता नहीं है तो इसका मतलब ये है कि पूर्वजन्म में आप शिव के भक्त थे. इस जन्म में आपके पिछले जन्म के संस्कार आ गए.
पूर्व जन्म के कर्म अगर आपको लगातार बाधा दे रहे हैं तो आपको इसके लिए कुछ उपाय करना चाहिए. जो व्यक्ति सृष्टि का पहला गुरु है वो हैं शिव. कर्म बंधन यानी पूर्व जन्म के संस्कारों से मुक्ति चाहते हैं तो भगवान शिव की पूजा करें. शिव मंत्र का जप करें और एकादशी और पूर्णिमा का उपवास रखें.
इसके लिए आप श्रीमदभागवत का अर्थपूर्ण पाठ भी कर सकते हैं. शनिवार को भूखे व्यक्ति को अन्न का दान करें और लोगों की सहायता करें. अपने कर्मों और विचारों को ईश्वर को समर्पित करें. इस विधि से आप अपने कर्म बंधन से मुक्ति पा सकते हैं. कैसे पता करें कि हम पिछले जन्म में क्या थे?ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पूर्व जन्म जाननें के लिए आपको लग्न और लग्नेश की स्थिति को देखना चाहिए। यदि आपकी कुण्डली में गुरु लग्न यानी पहले घर में बैठा है तो यह समझना चाहिए कि पूर्वजन्म में आप किसी विद्वान परिवार में जन्मे थे। ... . वैसे ज्योतिषों के मुताबिक आप चाहे तो खुद भी पता लगा सकते हैं कि आप पिछले जन्म में क्या थे।. पुनर्जन्म कितने दिन में होता है?पुराणों के अनुसार मरने के 3 दिन में व्यक्ति दूसरा शरीर धारण कर लेता है इसीलिए तीजा मनाते हैं। कुछ आत्माएं 10 और कुछ 13 दिन में दूसरा शरीर धारण कर लेती हैं इसीलिए 10वां और 13वां मनाते हैं। कुछ सवा माह में अर्थात लगभग 37 से 40 दिनों में।
क्या विज्ञान पुनर्जन्म को मानता है?पुनर्जन्म के बारे में क्या कहता है विज्ञान
पुनर्जन्म को लेकर कई शोध हुए हैं लेकिन पुनर्जन्म को वैज्ञानिक तौर पर अभी मान्यता नहीं मिल पाई है। लेकिन समय-समय पर ऐसे शोध आते रहें हैं जो बताते हैं कि इस जन्म की कई चीज पूर्व जन्म से प्रभावित होती है।
मरने के बाद कितने दिन बाद जन्म मिलता है?इस बारे में वैज्ञानिकों ने एक शोध किया है। वैज्ञानिकों के शोध के मुताबिक अगर 100 लोगों की मृत्यु होती है तो उनमें से 85 लोगों का पुर्नजन्म 35 से 40 दिनों के भीतर हो जाता है। वहीं बाकी के बचें पंद्रह लोगों में से 11 प्रतिशत लोगों का पुर्नजन्म होने में 1 से 3 साल तक का वक्त लगता है।
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