अनुशासन का अर्थ (Meaning of Discipline) Show
अनुशासन शब्द की उत्पत्ति 'शासन' शब्द के साथ अनु उपसर्ग लगाकर अनुशासन शब्द की रचना हुई है शासन शब्द संस्कृत की 'शस्' धातु से बना है जिसका अर्थ है नियम अथवा नियंत्रण शाब्दिक दृष्टि के अनुसार इसका अर्थ है "स्वेच्छापूर्ण नियमों अथवा नियंत्रण को स्वीकार करना" अनुशासन का इंग्लिश रूपांतरण 'डिसिप्लिन' है अनुशासन का तात्पर्य बालक को स्थापित शासन व्यवस्था के अनुरूप बनाने से है अनुशासन की परिभाषा (Definition of Discipline)डॉ सुबोध अदावल के अनुसार– विनय को साधन और साध्य दोनों ही रूपों में स्वीकार किया जाता है साधन के रूप में विनय द्वारा शिक्षा प्राप्ति का प्रयत्न किया जाता है साध्य के रूप में शिक्षा द्वारा बालक को विनीत बनाना चाहिए भारतीय विचारधारा के अनुसार– अनुशासन का संबंध अंतर से है अर्थात् वही व्यक्ति अनुशासित माना जाएगा जो जीवन में आत्म नियमन तथा आत्म नियंत्रण का सहारा लेता है माधव सदाशिव गोलवलकर के अनुसार– जब शरीर, मन तथा बुद्धि तीनों का सामंजस्य होता है सबकी शक्तियां एक दूसरे के साथ सुव्यवस्था से काम करने लगती हैं तब उसे अनुशासन कहते हैं टी. पी. नन के अनुसार– अनुशासन का अर्थ है अपने आवेगो और शक्तियों को उस व्यवस्था के अधीन करना जो अराजकता का अंत करती है एवं जो अकुशलता और अपव्यय के स्थान पर कुशल और मितव्ययिता की स्थापना करती है अनुशासन के प्रकार (Types of Discipline)1. दमनात्मक अनुशासन– दमनात्मक अनुशासन से तात्पर्य है कि बालकों को अनुशासित करने के लिए उसे बलपूर्वक नियंत्रण रखना चाहिए और उसे कभी भी स्वतंत्र रूप से अपने विचारों के अनुसार नहीं करने देना चाहिए दमनात्मक विचारधारा के लोगों का मत था कि बालक स्वभाव था उद्दंड और शरारती होते हैं उनकी इस उद्दंडता को दूर करने के लिए और अनुशासन में रखने के लिए कठोर से कठोर दंड दिया जाना चाहिए इस बात में विश्वास करते थे कि 'डंडा हटाया की बालक बिगड़ा' अर्थ बालक को नियंत्रण में रखने के लिए और अनुशासित आचरण करने के लिए कठोर से कठोर दंड दिया जाना चाहिए यदि हम प्राचीन और मध्यकालीन इतिहास पर दृष्टिपात करेंगे तो हमें यह ज्ञात होगा कि प्राचीन शिक्षा प्रणाली का आधार दमनात्मक शासन था विद्यालयों में चाटे लगाना, मुर्गा बनाना और उल्टा करके टांग देना आदि अनुशासन स्थापित करने के साधन थे 2.प्रभावात्मक अनुशासन– प्रभावात्मक अनुशासन वह अनुशासन है जिसमें शारीरिक दंड की अपेक्षा शिक्षा व्यक्तित्व को अधिक महत्व दिया जाता है प्रभाववादी विचारधारा के अनुसार बालक के ऊपर उसके शिक्षक का अधिक प्रभाव पड़ता है अब बालक में अनुशासन की भावना उत्पन्न करने के लिए शिक्षक को चाहिए कि वह अपने उत्तम चरित्र, आचार विचार की विद्वता आदर्श और व्यक्तित्व से उसे प्रभावित करें उसके साथ प्रेम, दया और सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करें तथा सदैव उत्तम आचरण के लिए प्रोत्साहित करें प्रभावात्मक अनुशासन के लिए केवल शिक्षक का अच्छा व्यक्तित्व ही परिवार पर्याप्त नहीं है विद्यालय का संपूर्ण वातावरण भी अनुकरणीय होना चाहिए प्रभावात्मक अनुशासन में बालक दण्ड अथवा भय नहीं बल्कि शिक्षा के प्रति श्रद्धा बस उनके आदेशों का पालन करते हैं 3.मुक्तियात्मक अनुशासन– जब से शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाने लगा है तब से इस क्षेत्र में अनेक क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं मनोविज्ञान ने मुक्तियात्मक सिद्धांत को प्रधानवादी कहा है इस सिद्धांत के अनुसार बालक को स्वतंत्र रूप से विकसित होने का अवसर मिलना चाहिए इसमें बालक अथवा व्यक्ति को आत्मानुभूति एवं आत्म प्रकाशन का अवसर मिलता है जिससे वह बहुत कुछ सीखता है और उसकी इच्छाओं की संतुष्टि होती है इसके परिणाम स्वरूप बालक में आत्म नियंत्रण की शक्ति उत्पन्न होती है जो संतुष्टि होती है जो अंत में चलकर अनुशासन या वैयक्तिक अनुशासन के रूप में परिवर्तित हो जाती है इस प्रकार के अनुशासन को प्रकृतिवादी शिक्षाशास्त्रियों का पूर्ण समर्थन प्राप्त है अनुशासन के सिद्धांत (Principles Of Discipline)1.अच्छे वातावरण का निर्माण– उत्तम अनुशासन के लिए विद्यालय के वातावरण को समुन्नत किया जाए विद्यालय का संचालन निश्चित आदर्शों और उद्देश्यों को लेकर होना चाहिए अच्छे वातावरण में विद्यार्थी अशोभनीय आचरण के प्रदर्शन का साहस कठिनाई से ही कर पाता है 2.अनुशासन ने अभिभावकों का सहयोग हो– अभिभावकों को परिवार के स्वस्थ वातावरण बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए क्योंकि बालक के ऊपर घर का प्रभाव सबसे अधिक होता है जो परिवार संस्कार युक्त और स्वस्थ वातावरण वाले होते
हैं उन परिवारों के बच्चे सदैव अनुशासन प्रिय होते हैं 4.अध्यापक स्वयं अनुशासित हो– अनुशासन के संबंध में यह ध्यान रखना चाहिए कि अध्यापक स्वयं अनुशासित रहते हुए इसे प्राप्त करने के लिए
छात्रों की सहायता करता है इसमें नियंत्रण न्यूनतम रूप में होता है 6.अनुशासन साधन स्वरूप हो– विद्यालय क्रियाओं के लिए सफलतापूर्वक संचालन के हेतु अनुशासन साध्य न होकर साधन स्वरूप है माध्यमिक शिक्षा आयोग के अनुसार– अनुशासन का विकास शून्य में नहीं हो सकता यह सामूहिक ढंग से किया जाने वाला कार्य का परिणाम है जिसे इच्छापूर्वक ग्रहण किया गया है और पूर्ण क्षमता के साथ पूरा किया गया है विद्यालय का उद्देश्य सहयोग के लिए इच्छा को दृढ़ करना होना चाहिए और छात्रों को इसे व्यवहार में लाने के लिए अवसर प्रदान करना चाहिए 7.न्याय की निश्चितता– अनुशासन में सभी के प्रति न्याय की निश्चितता होनी चाहिए वह अनुशासन अधिक श्रेष्ठ है जिसमें व्यक्तिगत सत्ता और अधिकारों के प्रति सम्मान का भाव है तथा सभी के लिए विचार का आधार मानवीय धरातल है 8.अनुशासन सकारात्मक हो– अनुशासन मुख्यतः सकारात्मक और रचनात्मक होना चाहिए अपने स्वस्थ दृष्टिकोण के द्वारा अध्यापक छात्रों में सबसे अनुशासन के प्रति निष्ठा का भाव जागृत कर सकता है छात्रों को इसका विश्वास होना चाहिए कि जिस अनुशासन के अंतर्गत वे आचरण कर रहे हैं वह उनकी क्षमताओं को विकसित करने में सहायक है 9.अनुशासन प्रेम पर आधारित हो– अनुशासन भय के स्थान पर सदैव प्रेम के ऊपर आधारित हो और इसी के द्वारा नियंत्रित हो। किसी प्रकार दबाव छात्रों को अनुशासन से दूर कर सकता है प्रेम के द्वारा ही छात्रों के हृदय पर शासन किया जा सकता है अनुशासन स्थापना के लिए दंड का यथासंभव प्रयोग न किया जाए 10.शैक्षिक उद्देश्यों का ध्यान– अनुशासनात्मक विचारों एवं क्रियाओं को लागू करते समय शिक्षा के संपूर्ण उद्देश्यों का ध्यान रखना चाहिए ये विचार और क्रियाएं शैक्षिक उद्देश्यों के अनुरूप होनी चाहिए। यदि आपको इससे या किसी और टॉपिक से जुड़ी हुई कोई और जानकारी चाहिए तो आप नीचे कमेंट कर सकते हैं Number system || Free pdf Number system Questions HCF and LCM HCF and LCM Questions Average Definition and formulas Average Questions with solution Inverse Trigonometric function formulas pdf All formulas of differentiation pdf Trigonometry all formula and function list pdf विद्यालय में अनुशासन से क्या तात्पर्य है?छात्रों द्वारा विद्यालय में होने वाली शैक्षिक गतिविधि में रूकावट करने या पूर्व निर्धारित नियमों के तोड़ने पर शिक्षकों द्वारा जो कार्यवाही की जाती है उसे अनुशासन (discipline) कहते हैं।
अनुशासन से आप क्या समझते हैं?अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है- अनु और शासन। अनु उपसर्ग है जो शासन से जुड़ा है और जिससे अनुशासन शब्द निर्मित हुआ है। जिसका अर्थ है- किसी नियम के अधीन रहना या नियमों के शासन में रहना। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन आवश्यक है।
विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का महत्व क्या है?एक विद्यार्थी के लिए अनुशासन अत्यंत महत्वपूर्ण है। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के बिना अच्छी शिक्षा ग्रहण कर पाना और एक अच्छा व्यक्ति बनना मुश्किल है। हमें इसके महत्व को समझना चाहिए और हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए।
अनुशासन का महत्व क्या है?अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है - 'अनु' और 'शासन'। अनु का अर्थ है 'पालन' और शासन का अर्थ है 'नियम'। अनुशासन का अर्थ है 'नियमों का पालन करना'। हमारे जीवन में अनुशासन का अधिक महत्व है यह हमें नियमों का पालन करना सिखाता है।
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