भिवानी, मुख्य संवाददाता : कैंसर लाईलाज बीमारी नहीं है। कैंसर का 99 प्रतिशत उपचार संभव है, भले ही मरीज चौथी स्टेज पर भी क्यों न हो। गुड़गांव के आर्टेमिस अस्पताल के रेडियोथैरेपी (कैंसर स्पेशलिस्ट) एमडी डॉ. संदीप गोयल ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत की। डॉ. गोयल ने कैंसर रोग को लेकर जानकारी देते हुए बताया कि इस रोग के सात लक्षण है। हालांकि कैंसर का सही पता जांच के बाद ही चल सकता है। Show प्रत्येक व्यक्ति को 50 साल और महिलाओं को 35 साल की उम्र के बाद रेगुलर जांच करवाते रहना चाहिए। कैंसर की पहचान के लिए क्या लक्षण हैं, क्या उपाय है और क्या उपचार है, इस विषय पर विस्तार पूर्वक जानकारी दी। बॉक्स लक्षण कैंसर के सात लक्षण है। 1. बावल एंड ब्लैडर हैबिट में बदलाव। बार-बार शौच जाने वाले व्यक्ति को अचानक कब्ज होना या सामान्य से अधिक दस्त लगना। 2. स्तन या शरीर में गांठ होना, जिनमें दर्द न हो। 3. घाव या छाला न भरे। 4. कहीं से भी असामान्य रक्त बहना। 5. मशा (तिल) में अचानक बढ़ोतरी होना। 6. लगातार खांसी या गले में खरांस में खून आना। 7. लंबे समय तक बदहजमी या खाना खाने में दिक्कत होना। (बलगम में खून आने के कई अन्य कारण भी है, इनमें क्षय या निमोनिया होने पर भी खून आ सकता है। इसके लिए चिकित्सीय जांच करवानी जरूरी है।) बॉक्स क्या है सामान्य जांच ब्लड की पूरी जांच लीवर फंक्शनल टेस्ट चेस्ट एक्सरे पूरे पेट का अल्ट्रासाउंड इंडोस्कोपी सीटी स्कैन पतली सुई से गांठ के पानी की जांच शरीर का टुकड़ा काटकर जांच (बायोक्सी) बॉक्स उपचार स्टेज 1. सर्जरी अथवा रेडियोथेरैपी स्टेज 2. सर्जरी व रेडियोथेरैपी स्टेज 3. सर्जरी, रेडियोथैरेपी व कीमोथेरैपी। स्टेज 4. सर्जरी, रेडियोथेरैपी व कीमोथेरैपी। बॉक्स कीमोथेरैपी से कैसे होता है इलाज डॉ. संदीप गोयल ने बताया कि इंजेक्शन को ग्लूकोज में मिक्स करके दवा शरीर में पहुंचाई जाती है। यह दवा कैंसर के सैल्स को मारती है। सर्जरी व रेडियोथेरैपी कैंसर प्रभावित स्थान पर ही की जाती है। क्या है रिस्क फेक्टर पान-तंबाकू, शराब, धूम्रपान, मोटापा, वसा युक्त भोजन (जंक फूड), जैनेटिक फेक्टर्स, अल्ट्रा वायलेट रेज रिस्क फेक्टर जोन में शामिल है। बॉक्स ब्लड कैंसर के लक्षण अधिक थकान, भूख नहीं लगना, एनीमिया ब्लड की पूरी जांच करवाने से ब्लड कैंसर का पता चल जाता है। जो कि एक बूंद ब्लड से ही हो जाती है। बॉक्स कैसे होगा उपचार डॉ. गोयल ने बताया कि वर्तमान में नई तकनीक आ गई है। इनमें आईएमआरटी (इंस्टेसीटी मोडूलेटेड रेडियेशन थैरेपी), आईजीआरटी (इमेज गाइडेड रेडियेशन थैरेपी व तीसरी कीमोथेरैपी शामिल है। बॉक्स डॉ. गोयल के अनुसार देश में अब तक 25 लाख कैंसर पीड़ित रोगियों की पहचान हो चुकी है। हर साल 8 से 10 लाख लोग कैंसर की चपेट में आ रहे है, जबकि 5 से साढ़े पांच लाख लोगों की कैंसर की बदौलत मौत हो जाती है। महिलाओं व पुरुषों में सर्वाधिक कैंसर गले या मुंह में होता है। इसका प्रमुख कारण पान तंबाकू व गुटका है। पुरुषों में लंग, फेफड़े व गदूद का कैंसर अधिक होता है। महिलाओं में छाती व बच्चादानी में कैंसर ज्यादा होने के चांस होते है। बॉक्स कैंसर की पहचान के लिए कौन से है टेस्ट 35 वर्ष से ज्यादा उम्र की महिलाओं को साल में एकबार मेमोग्रेफी टेस्ट करवाना चाहिए। इसके अलावा पीएपी स्मीयर टेस्ट से बच्चादानी के कैंसर के लक्षण 8-10 साल पहले ही पता लग सकते है। पुरुषों को 50 साल की उम्र के बाद साल में एक बार टेस्ट अवश्य करवाना चाहिए। पुरुषों के लिए पीएसए टेस्ट करवाने से कैंसर का पता लग जाता है। बॉक्स पान-तंबाकू, शराब व धूम्रपान का सेवन न करे और प्रतिदिन व्यायाम करने से कैंसर जैसी बीमारियों से बचाव किया जा सकता है। ब्रेस्ट कैंसर पर मुंबई के टाटा मेमोरियल अस्पताल की एक रिसर्च सफल हो गई है। जिसके मुताबिक अब इसके मरीजों की जान सिर्फ 40 से 60 रुपए के एक इंजेक्शन से बचाई जा सकेगी। इसकी घोषणा 12 सिंतबर को पेरिस में हुए कैंसर सम्मेलन में की गई। यह इंजेक्शन कैसे काम करेगा, कब और कहां मिलेगा, इन सारे सवालों का जवाब दे रहे हैं- टाटा मेमोरियल अस्पताल में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के प्रोफेसर और ब्रेस्ट कैंसर के रिसर्च में सहयोगी डॉ. सुदीप गुप्ता। सवाल- ब्रेस्ट कैंसर क्या है और यह कैसे होता है? सवाल- टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल जिस इंजेक्शन की बात कर रहा है, उसकी कीमत कितनी है? डॉ. सुदीप- इसकी कीमत 40 से 60 रुपए है। ध्यान रखें- कैंसर के इलाज में केवल इस इंजेक्शन का इस्तेमाल नहीं होता। इलाज में जो महंगी दवाइयां या इंजेक्शन यूज होते थे, उसके साथ इसे लगाया जाता है। यह भी जानने वाली बात हैं कि केवल 5-10% ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों को महंगे इंजेक्शन लगते हैं। 90-95% मरीजों को लाखों रुपए के इंजेक्शन या दवाइयों की जरूरत ही नहीं पड़ती है। सवाल- किस तरह की दवाई का इस्तेमाल इसमें किया गया है? आमतौर से एनेस्थीसिया का यूज शरीर के उस हिस्से को शून्य करने के लिए किया जाता है, जहां कुछ भी प्रोसीजर करना होता है यानी ऑपरेशन या सर्जरी। यह आसानी से मिल जाता है। सवाल- इस इंजेक्शन की मदद से क्या मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं? रिसर्च से यह भी पता चला है कि कुछ महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर इस इंजेक्शन की मदद से पूरी तरह से ठीक हो सकता है। सवाल- ब्रेस्ट कैंसर के किस स्टेज में यह इंजेक्शन मरीज के लिए फायदेमंद साबित होगा? सवाल- ब्रेस्ट कैंसर के मरीज में स्टेज-1 और स्टेज-2 की स्थिति को थोड़ा डिटेल में बताएं?
सवाल- ब्रेस्ट कैंसर वाले मरीजों के लिए ये इंजेक्शन कैसे काम करेगा? चलते-चलते हर साल एक लाख मरीजों की जान बचाई जा सकती है Lidocaine इंजेक्शन की मदद से हर साल दुनियाभर में कम-से-कम एक लाख मरीजों की जान बचाई जा सकती है। अक्सर सर्जरी के बाद 81% ब्रेस्ट कैंसर ठीक होते थे, लेकिन इस इंजेक्शन का इस्तेमाल करने के बाद संख्या बढ़कर 86% हो गई है। 11 साल तक टाटा मेमोरियल अस्पताल ने ब्रेस्ट कैंसर पर स्टडी की, कुछ और जरूरी बात...
खबर से जुड़ा GK ब्रेस्ट कैंसर पर टाटा मेमोरियल अस्पताल की रिसर्च सफल हुई है। इससे मरीज की जान सिर्फ 40 से 60 रुपए के इंजेक्शन से बचाई जा सकेगी। हम कैंसर से जुड़े फैक्ट्स बता रहे हैं। जरूरत की खबर के कुछ और ऐसे ही आर्टिकल भी पढ़ेंः 1.मां, मौसी, बुआ को है ब्रेस्ट कैंसर तो आपको भी हो सकता है; जानें घर बैठे इसे पता करने का तरीका बॉलीवुड एक्टर महिमा चौधरी ब्रेस्ट कैंसर से रिकवर हो चुकी हैं। इन दिनों वे लखनऊ में अनुपम खेर के साथ 'द सिग्नेचर' की शूटिंग कर रही हैं। अनुपम खेर के साथ उनका वीडियो वायरल हो रहा है, जहां वे अपनी कैंसर की जर्नी शेयर कर रही हैं। (पढ़ें पूरी खबर) 2. फिजिकल रिलेशन है सर्वाइकल कैंसर की बड़ी वजह:देश में हर साल 67 हजार महिलाएं तोड़ती हैं दम, समझिए इससे कैसे बचें भारतीय महिलाओं को होने वाला दूसरा सबसे कॉमन कैंसर सर्वाइकल कैंसर है। देश को इसकी पहली स्वदेशी वैक्सीन मिल गई है। नाम है- क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमा वायरस वैक्सीन (qHPV), जिसे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) और केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (DBT) ने मिलकर बनाया है। ये जल्द ही मार्केट में बिकना शुरू हो जाएगी। (पढ़ें पूरी खबर) 2nd स्टेज कैंसर क्या है?Cancer Stage 2: स्टेज 2
कैंसर की स्टेज 2 से कैंसर वाली कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं, जिसके कारण ट्यूमर बड़ा होने लगता है. लेकिन अभी भी यह कहीं फैला नहीं होता है. इस स्टेज से कैंसर गंभीर होने लगता है.
युवराज सिंह को कौन सा कैंसर हुआ था?इसी वर्ल्ड कप के बाद युवराज को कैंसर के बारे में पता चला। उन्हें \'मीडियास्टिनल सेमिनोमा\' नाम का दुर्लभ कैंसर हुआ था। दिल्ली के मैक्स केयर सेंटर के डॉक्टर नितेश रोहतगी ने युवराज को कैंसर से लड़ने में मदद की।
कौन सा कैंसर खतरनाक होता है?लंग कैंसर यानी फेफड़ों का कैंसर सबसे खतरनाक है। ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर से ज्यादा लोगों की मृत्यु होती है। फेफड़ों के कैंसर के लिए न तो कोई राष्ट्रीय तौर पर स्क्रीनिग है और न ही पड़ताल का प्रोग्राम है। जिसकी वजह से बहुत से मरीजों को बीमारी का पता जब चलता है, तब तक देर हो चुकी होती है।
कैंसर के अंतिम दिनों में क्या होता है?कैंसर के अंतिम चरण के आठ लक्षण :
मौखिक संवेदनाओं के लिए प्रतिक्रिया की कमी दृश्य संवेदनाओं के लिए प्रतिक्रिया में कमी पलकें बंद करने में असमर्थता चेहरे के आकार में बदलाव गर्दन के आकार में बदलाव गले से हल्की गुर्राहट जैसी ध्वनि और ऊपरी जठरांत्र से रक्तस्राव।
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