धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: विनोद शुक्ला Updated Mon, 10 Oct 2022 12:34 PM IST Show Karwa Chauth 2022: सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अपने परिवार की सुख-समृद्धि और सुखद जीवन के लिए सालभर कई व्रत रखती हैं। इन्हीं में से करवा चौथ व्रत का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म में करवा चौथ व्रत विशेष माना गया है। इस दिन सुहागिन महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। फिर रात के समय में चंद्रमा के निकलने पर दर्शन करते हुए उनकी पूजा और अर्घ्य देकर पति के हाथों ले जल ग्रहण कर व्रत पूरा करती हैं। इस वर्ष करवा चौथ का त्योहार 13 अक्तूबर, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। करवा चौथ पर महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं और करवा माता का कथा,पूजा और आरती करती हैं। करवा चौथ पर पूजा में इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्रियों का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं करवा चौथ में सींक, करवा, छलनी, दीपक,जल और चंद्रमा के दर्शन करने का क्या महत्व होता है। Diwali 2022: दिवाली के दिन किए गए झाड़ू के ये उपाय आपको बना सकते हैं मालामाल, मां लक्ष्मी की भी मिलेगी कृपा करवा और करवा माता की फोटो का महत्व दीपक और छलनी का महत्व सींक शक्ति का प्रतीक कलश
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मिट्टी का ही क्यों बनायो जाता है करवा, इसके पीछे है वैज्ञानिक कारण
रिलिजन डेस्क. इस बार करवा चौथ 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। करवा शब्द का अर्थ मिट्टी का बर्तन होता है। चौथ का शाब्दिक अर्थ चतुर्थी है। इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र और सफलता की मनोकामना पूरी होने के लिए व्रत रखती हैं। वहीं, अविवाहित युवतियां सुयोग्य वर की कामना के लिए इस व्रत को धारण करती हैं। इस दिन शाम को चंद्रमा के दर्शन करने के बाद पति, पत्नी को मिट्टी के बर्तन (करवा) से पानी पिलाकर व्रत खुलवाता है। आज हम आपको बताते हैं कि इसमें करवा क्यों महत्वपूर्ण है। पंच तत्वों का प्रतीक है करवा
करवा चौथ की असली कहानी क्या है?करवा चौथ की कहानी है कि, देवी करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास रहती थीं। एक दिन करवा के पति नदी में स्नान करने गए तो एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया और नदी में खिंचने लगा। मृत्यु करीब देखकर करवा के पति करवा को पुकारने लगे। करवा दौड़कर नदी के पास पहुंचीं और पति को मृत्यु के मुंह में ले जाते मगर को देखा।
करवा चौथ व्रत का अर्थ क्या है?करवा शब्द का अर्थ मिट्टी का बर्तन होता है। चौथ का शाब्दिक अर्थ चतुर्थी है। इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र और सफलता की मनोकामना पूरी होने के लिए व्रत रखती हैं। वहीं, अविवाहित युवतियां सुयोग्य वर की कामना के लिए इस व्रत को धारण करती हैं।
करवा चौथ का व्रत करने से क्या फायदा होता है?करवाचौथ व्रत का फायदा
निर्जला उपवास करने से शरीर में नई ऊर्जा का प्रसार होता हैं तथा मनुष्य अपने शरीर पर नियंत्रण बना पाने में सक्षम होता हैं. ठंड की शुरुअता में अगर शरीर में जल का संतुलन सही रहे तो कई तरह की बीमारियों से मुक्ति मिलती है. एक तरह से निर्जला व्रत शरीर की शुद्धि होती है.
करवा चौथ की रात को पति पत्नी क्या करते हैं?करवा चौथ पति-पत्नी के रिश्ते से जुड़ा सबसे बड़ा पर्व माना जाता है, जिसमें महिलाएं पति के लिए निर्जला उपवास करती हैं। शाम को पूजा करती हैं और चांद देखकर अपना उपवास खोलती हैं। हर साल बड़ी संख्या में देशभर से अधिकतर सुहागिन महिलाएं यह व्रत रखती हैं। इस बार करवा चौथ 13 अक्टूबर 2022 को मनाया जा रहा है।
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