झूठी FIR होने पर क्या करे - jhoothee fir hone par kya kare

पुलिस की झूठी शिकायत या FIR को कैसे रुकवाए

आपको इस पोस्ट में बताएंगे कि अगर कोई आपके खिलाफ झूठी FIR लिखवा देता है या आप के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवा देता है तो आप उस झूठी FIR से किस तरह से बच सकते हैं इसके बारे में पूरी और विस्तार से जानकारी देंगे क्योंकि आज के समय में बहुत देखा गया है कि कोई भी अनजान आदमी किसी दूसरे आदमी के खिलाफ है.झूठी FIR लिखवा कर उसे किसी गलत इल्जाम में फंसाना चाहता है. और वह इल्जाम उस पर झूठा लगाया जाता है. बल्कि उसने कभी उस काम को किया भी नहीं होगा.और इस झूठे केस के कारण आपको अपना पैसा ,समय, इज्जत इन सभी का नुकसान उठाना पड़ता है  .

यदि आपके साथ भी कभी ऐसा होता है तो आप किस तरह से बच सकते हैं. उसके बारे में आपको नीचे कुछ बातें बता रहा हूं जिससे कि आप अपनी गिरफ्तारी का वारंट भी रुकवा सकते हैं और आप के खिलाफ पुलिस जो छानबीन कर रही है. उसको भी रुकवा सकते हैं. तो देखिएतो यदि आपके साथ भी कभी ऐसा होता है तो आप किस तरह से बच सकते हैं. उसके बारे में आपको नीचे कुछ बातें बता रहा हूं जिससे कि आप अपनी गिरफ्तारी का वारंट भी रुकवा सकते हैं और आप के खिलाफ पुलिस जो छानबीन कर रही है. उसको भी रुकवा सकते हैं तो देखिए.

पुलिस केस के कारण नुकसान

जैसा की हमने आपको बताया कुछ लोग आपसी मतभेद में आपसी लड़ाई में या आपसी किसी बैर में एक-दूसरे के खिलाफ झूठी FIR लिखवा देते हैं और बहुत बार देखा गया है कि इस तरह की झूठी FIR के कारण बहुत से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है और कई लोग तो इतने ज्यादा डर जाते हैं. कि इससे उनको पुलिस गिरफ्तार भी कर लेती है. और कई बार उन्हें सजा भी  काटनी पड़ती है.

और आपको यह भी पता होगा कि आज के समय में अगर एक बार किसी की जिंदगी में किसी तरह का केस हो जाता है. या उसे कुछ दिनों के लिए ही सजा हो जाती है तो वह अपना सब कुछ खो बैठता है उसे कहीं पर भी किसी भी तरह की सरकारी या प्राइवेट जॉब मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है और कई बार तो बिल्कुल भी उसकी जिंदगी बर्बाद हो जाती है उसे आसमानों से भी गालियां सुनने को मिलती है और उस झूठी पुलिस रिपोर्ट की वजह से उस आदमी का पैसा समय और इज्जत सभी को नुकसान पहुंचता है और उनका तो जीवन खराब होता ही है साथ में उसके परिवार का भी जीवन बर्बादी की ओर चलने लगता है तो इस तरह की झूठी शिकायत के खिलाफ आप सवाल खड़ा कर सकते हैं आप उससे बच सकते हैं.

झूठी शिकायत या पुलिस गिरफ्तारी से कैसे बचें

शायद आपको नहीं पता होगा कि आप इस तरह की झूठी शिकायत किस तरह बच सकते है लेकिन हम आपको बता देते हैं कि अगर आपके खिलाफ कोई झूठी गवाही के कारण या झूठी शिकायत से आप को सजा करवाना चाहता है या आपको परेशान करना चाहता है. उसे बताना आपके लिए बहुत ही आसान है. भारत सरकार द्वारा एक ऐसा नियम लागू किया गया है. जिससे आप इस तरह की शिकायत होने पर बच सकते हैं.

C.R.P.C धारा 482 के अनुसार आप अपने खिलाफ लिखवाई गई झूठी FIR को के सामने सवाल खड़ा करते हुए. आप हाईकोर्ट से निष्पक्ष जांच की मांग कर सकते हैं. इसके लिए आपको अपने वकील के माध्यम से अपने खिलाफ लिखवाई झूठी FIR के खिलाफ एक एप्लीकेशन देनी होगी. जिसे आप अपने खिलाफ लिखवाई गई झूठी कार्रवाई एप्लीकेशन शिकायत के खिलाफ है. पुलिस से सवाल पूछ सकते हैं. और आप पुलिस कार्रवाई रुकवा सकते हैं. या आप अपना गिरफ्तारी वारंट भी रुकवा सकते हैं. लेकिन इसके लिए आपको एक बात ध्यान रखने की जरूरत है. जब आप हाई कोर्ट में निष्पक्ष जांच के लिए एप्लीकेशन लिखते हैं तो उससे पहले आपको यह ध्यान रखना जरूरी है. कि आपके पास उस झूठी शिकायत के खिलाफ किसी भी तरह का कोई सबूत है. जैसे की ऑडियो रिकॉर्डिंग ,वीडियो रिकॉर्डिंग ,कोई कागजात ,फोटोग्राफ्स ,या कोई दूसरा ऐसा सबूत जो आप को बेगुनाह साबित कर सकता है.

अगर आपके पास इस तरह का कोई सबूत है. तो आप बिना किसी  दिक्कत  के हाईकोर्ट से अपनी निष्पक्ष जांच की मांग कर सकते हैं. के बाद आप हाई कोर्ट को अपनी जात के लिए एप्लीकेशन लिखेंगे और उस एप्लीकेशन के साथ आपको इनमें से किसी भी तरह का सबूत लगाना जरूरी है और अगर आप इस में से किसी भी सुबूत को एप्लीकेशन के साथ लगाते हैं तो उसके बाद आपकी तुरंत निष्पक्ष जांच की कार्यवाही शुरु हो जाएगी.यदि आप के खिलाफ किसी भी तरह की जैसे मारपीट. बलात्कार .चोरी. छेड़छाड़. जान से मारने की धमकी या किसी भी चीज के बारे में झूठी शिकायत दर्ज करवाई गई है. तो आपसे हाई कोर्ट में धारा 482 के अनुसार एक एप्लीकेशन देंगे और अपने खिलाफ हो रही पुलिस कार्यवाही या गिरफ्तारी के बारे में बताएंगे और इसके बाद हाईकोर्ट आपकी गिरफ्तारी और आप के खिलाफ पुलिस कार्रवाई दोनों को तुरंत रुकवा देगा.

इतना ही नहीं हाई कोर्ट आपकी एप्लीकेशन देखकर जो आपके जांच अधिकारी को कुछ आवश्यक निर्देश भी दे सकता है. इस तरह के मामलों में जब तक हाई कोर्ट में धारा 482 के अनुसार मामला चलता रहता है. तो पुलिस आपके खिलाफ कोई भी कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकती है. और आपको गिरफ्तार भी नहीं कर सकती है. इतना ही नहीं यदि आप के खिलाफ है गिरफ्तारी का वारंट जारी हो चुका है. तो भी वह वारंट तुरंत रोक दिया जाएगा.और जब तक हाईकोर्ट का अंतिम फैसला नहीं आता है. तब तक आप के ऊपर कोई भी पुलिस कार्रवाई या कोई भी गिरफ्तारी नहीं होगी.

तो यदि आपके खिलाफ भी कोई झूठी FIR या शिकायत कर देता है तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है ना ही आपको परेशान होने की जरूरत है इसके लिए आप बस अपने वकील से धारा 482 के अनुसार अपनी निष्पक्ष जांच के लिए हाईकोर्ट को एक एप्लीकेशन लिखे उस एप्लीकेशन में आपको लिखना होगा कि मुझे मेरी निष्पक्ष जांच चाहिए और यह FIR बिल्कुल झूठी है. और इसके साथ आपको अपना कोई सबूत भी लगाना होगा.

तो अब आपको पता चल गया होगा कि किस तरह से आप अपने खिलाफ हो रही झूठी कार्रवाई या गिरफ्तारी के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं. और इस को रुकवा सकते हैं. तो आज हमने आपको इस पोस्ट में एक बहुत ही बढ़िया और महत्वपूर्ण जानकारी बताई शायद इस तरह की घटना आपके आसपास हर रोज होती होगी तो आप उन लोगों को भी इस जानकारी के जरूर बताएं.  तो यदि आपको हमारे द्वारा बताई गई यह जानकारी पसंद आए तो शेयर करना ना भूलें और यदि आपका इसके बारे में कोई सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमसे पूछ सकते हैं.

You may also like

झूठा आरोप लगाने पर क्या करें?

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 211 में दण्ड का प्रावधान:-.
क्षति(नुकसान) करने के आशय से झूठा आरोप लगाने पर- दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।.
आरोप सात वर्ष या उससे अधिक अवधि के कारावास से दण्डनीय है तब- सात वर्ष की कारावास और जुर्माना से दण्डनीय होगा।.

एफ आई आर दर्ज होने के बाद क्या होता है?

एक बार एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस मामले की जांच शुरू करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होती है। जांच में साक्ष्य एकत्र करना, गवाहों से पूछताछ करना, अपराध स्थल का निरीक्षण करना, फोरेंसिक परीक्षण, बयान दर्ज करना आदि शामिल हैं। अगर पुलिस अपराधियों की पहचान करने और उन्हें खोजने में सफल होती है तो गिरफ्तारी की जा सकती है।

क्रॉस रिपोर्ट कैसे करे?

थानाध्यक्षों से कहा गया है कि पुरानी रंजिश, आपसी विवाद के चलते दर्ज हुए क्रॉस केसों की सूची बनाकर उनकी गहनता से पड़ताल करें।