क्षेत्रीय तावाद से आप क्या समझते हैं? - kshetreey taavaad se aap kya samajhate hain?

विषयसूची

  • 1 क्षेत्रीयतावाद से आप क्या समझते हैं?
  • 2 क्षेत्रवाद से आप क्या समझते हैं संक्षेप में लिखिए?
  • 3 क्या आप इस बात से सहमत हैं कि भारत में क्षेत्रवाद बढ़ती सांस्कृतिक मुखरता का परिणाम प्रतीत होता है?
  • 4 क्षेत्रवाद से क्या आशय है यह राष्ट्रीय एकीकरण में किस प्रकार बाधक है?
  • 5 भारत में क्षेत्रवाद के विभिन्न कारण क्या है?
  • 6 भारत में क्षेत्रवाद के उदय के क्या कारण है?

क्षेत्रीयतावाद से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकें(1) क्षेत्रीयतावाद एक भावना है। (2) इसमें क्षेत्र विशेष के लोग अपने क्षेत्र व संस्कृति से अनुराग रखने के साथ अन्य क्षेत्र व संस्कृति से घृणा करते हैं। (3) क्षेत्रीयतावाद से समाज तथा राष्ट्र के प्रगति व विकास में बांधा पहुँचती है।

क्षेत्रवाद से आप क्या समझते हैं संक्षेप में लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंक्षेत्रवाद से अभिप्राय किसी देश के उस छोटे से क्षेत्र से है जो आर्थिक ,सामाजिक आदि कारणों से अपने पृथक् अस्तित्व के लिए जागृत है। अपने क्षेत्र या भूगोल के प्रति अधिक प्रयत्न आर्थिक, सामाजिक व राजनितिक अधिकारों के चाह की भावना को क्षेत्रवाद के नाम से जाना जाता हैं.

क्षेत्रवाद क्या है pdf?

इसे सुनेंरोकेंक्षेत्रवाद एक विचारधारा है जिसका संबंध ऐसे क्षेत्र से होता है जो धार्मिक, आर्थिक, सामाजिक या सांस्कृतिक कारणों से अपने पृथक अस्तित्व के लिये जाग्रत होती है या ऐसे क्षेत्र की पृथकता को बनाए रखने के लिये प्रयासरत रहती है।

क्षेत्रवाद क्या है क्षेत्रवाद के कारण बताइए?

इसे सुनेंरोकेंक्षेत्रवाद के लिए सबसे प्रमुख कारण भौगोलिक दशाएं है। जब किसी भी देश के व्यक्ति अलग-अलग क्षेत्रों मे निवास करते है, तो उनके आवास, भोजन, पहनावा, संस्कार, आचार-विचार आदि मे भिन्नताएं आ जाती है। ये भौतिक भिन्नताएं व्यक्तियों मे मानसिक भिन्नताओं को विकसित करती है।

क्या आप इस बात से सहमत हैं कि भारत में क्षेत्रवाद बढ़ती सांस्कृतिक मुखरता का परिणाम प्रतीत होता है?

इसे सुनेंरोकेंभारत में क्षेत्रवाद बढ़ती सांस्कृतिक मुखरता का परिणाम कैसे प्रतीत होता है? स्पष्ट कीजिए। समझाइए कि क्षेत्रवाद एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र के लोगों द्वारा अपनी विशिष्ट भाषा, संस्कृति, बोली आदि से एकजुट होकर पहचान और उद्देश्य की सामान्य भावना की अभिव्यक्ति है।

क्षेत्रवाद से क्या आशय है यह राष्ट्रीय एकीकरण में किस प्रकार बाधक है?

इसे सुनेंरोकेंक्षेत्रवाद एक अमुक भू-भाग है, जहाँ के निवासियों में भाषा, संस्कृति और आर्थिक हितों की एकता की भावना होती है। क्षेत्रवाद वस्तुतः स्थानीय वफादारी होती है। इस भाँति क्षेत्रवाद दूसरे क्षेत्र के लोगों के प्रति नकारात्मक भावना होती है। यह नकारात्मक भावना अपने क्षेत्र की स्वायत्ता के लिए होती है।

क्षेत्रवाद की समस्या क्या है?

इसे सुनेंरोकेंव्यक्ति जहाँ जन्म लेता है, जहाँ अपना जीवन व्यतीत करता है, उस स्थान के प्रति उसका लगाव होना स्वाभाविक होता है वह अपने क्षेत्र-विशेष को आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक दृष्टिकोण से सशक्त एवं उन्नत बनाने के लिए प्रयासरत रहता है, लेकिन जब यह भावना और लगाव अपने ही क्षेत्र-विशेष तक सिमटकर अत्यन्त संकीर्ण रूप धारण कर लेती है, तब …

समाजशास्त्र में क्षेत्रवाद क्या है?

इसे सुनेंरोकेंक्षेत्रवाद एक विचारधारा है जो किसी ऐसे क्षेत्र से सबंधित होती है जो धार्मिक, आर्थिक, सामाजिक या सांस्कृतिक कारणों से अपने पृथक अस्तित्व के लिये जाग्रत है और अपनी पृथकता को बनाए रखने का प्रयास करता रहता है। किसी क्षेत्र द्वारा भारतीय संघ से संबंध विच्छेद करने की मांग द्वारा ।

भारत में क्षेत्रवाद के विभिन्न कारण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंभारत में क्षेत्रवाद के लिये कई कारक उत्तरदायी हैं। उदाहरण के लिये पृथक् भाषा, अलग भौगोलिक पहचान, नृजातीय पहचान, असमान विकास, धार्मिक पहचान आदि। भारत में क्षेत्रवाद की अभिव्यक्ति पृथक् राज्य की मांग, विशेष राज्य या पूर्ण राज्य की मांग के साथ-साथ भारत संघ से अलग होने के रूप में भी होती है।

भारत में क्षेत्रवाद के उदय के क्या कारण है?

इसे सुनेंरोकें(1) भौगोलिक कारण -देश की विशालता, भौगोलिक तथा सांस्कृतिक भिन्नता ने क्षेत्रवाद के विकास में विशेष योगदान दिया है। (2) ऐतिहासिक कारण- प्राचीनकाल से ही भारत में अनेक छोटे-छोटे राज्य रहे तथा आपस में वैमनस्य भी रखते हैं। (3) भाषा की भिन्नता–भारत में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं तथा अपनी भाषा के प्रति अपनत्व रखते हैं।

क्षेत्रीयतावाद से आप क्या समझते है?

इसे सुनेंरोकें(1) क्षेत्रीयतावाद एक भावना है। (2) इसमें क्षेत्र विशेष के लोग अपने क्षेत्र व संस्कृति से अनुराग रखने के साथ अन्य क्षेत्र व संस्कृति से घृणा करते हैं। (3) क्षेत्रीयतावाद से समाज तथा राष्ट्र के प्रगति व विकास में बांधा पहुँचती है।

क्षेत्रवाद से आप क्या समझते हैं क्षेत्रवाद के प्रमुख प्रकार बताइए?

क्षेत्रवाद एक ऐसी प्रवृत्ति है जिसमें लोग क्षेत्र विशेष, आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक शक्तियों की अन्य से अधिक मांग करते है. सरल भाषा में कहें तो अपने क्षेत्र या भूगोलिक के प्रति अधिक प्रयत्न और आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक अधिकारों की चाह ही क्षेत्रवाद कहलाता है.

क्षेत्रवाद से आप क्या समझते हैं क्षेत्रवाद के कारणों का वर्णन करें?

क्षेत्रवाद के लिए सबसे प्रमुख कारण भौगोलिक दशाएं है। जब किसी भी देश के व्यक्ति अलग-अलग क्षेत्रों मे निवास करते है, तो उनके आवास, भोजन, पहनावा, संस्कार, आचार-विचार आदि मे भिन्नताएं आ जाती है। ये भौतिक भिन्नताएं व्यक्तियों मे मानसिक भिन्नताओं को विकसित करती है।

क्षेत्रवाद क्या है Drishti IAS?

क्षेत्रवाद: क्षेत्रवाद एक ऐसी अवधारणा है जो राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और वैचारिक रूप से क्षेत्र विशेष के हितों को सर्वोपरि मानता है। भारत में क्षेत्रवाद के लिये कई कारक उत्तरदायी हैं। उदाहरण के लिये पृथक् भाषा, अलग भौगोलिक पहचान, नृजातीय पहचान, असमान विकास, धार्मिक पहचान आदि।