You are here: Home / एकेडमिक / ज्वार भाटा क्या है, इसे कौन से कारक प्रभावित करते है Show समुद्री जलधारा में विभिन्न प्रकार की गतियां पायी जाती है| इनमें लम्बवत गति (vertical motion) के रूप में ज्वार भाटा (Tide) सर्वाधिक प्रमुख है| ज्वार भाटा की उत्पत्ति सूर्य पृथ्वी और चन्द्रमा के सापेक्षिक स्थितियों में परिवर्तन के परिणामस्वरूप आकर्षण बल (Attraction force), अपकेन्द्रिय बल (Centrifugal force) और प्रतिक्रिया बल (reaction force) के कारण होती है| हम इस लेख में ज्वार भाटा क्या होता है और इसकी उत्पत्ति कैसे होती है, के बारे में बता रहे है| What is tide in hindi. यह भी पढ़े:- महासागरीय तापमान एवं ऊष्मा बजट ज्वार भाटा क्या होता हैसूर्य चन्द्रमा के आकर्षण एवं पृथ्वी की अपकेन्द्रीय बल के कारण सागरीय जल का उपर उठना ज्वार तथा नीचे गिरना भाटा कहलाता है| ज्वार भाटा की उत्पत्ति के कई सिद्धांत दिए गये| इनमें न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण बल सिद्धांत, लाप्लास का गतिक सिद्धांत, हैव्वेल का प्रगामी तरंग सिद्धांत, एयरी का नहर सिद्धांत और हैरिस का स्थैतिक तरंग सिद्धांत प्रमुख है| इनमें न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण पर आधारित संतुलन सिद्धांत को मान्यता दी गयी| न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण पर आधारित संतुलन सिद्धांत के अनुसार ब्रह्माण्ड के सभी पिंडो का आकर्षण एक दुसरे पर होता है. पृथ्वी पर भी ब्रह्माण्ड के विभिन्न पिंडो का आकर्षण बल लगता है, लेकिन सूर्य एवं चंद्रमा के आकर्षण का प्रभाव सर्वाधिक है. इसी कारण इसकी उत्पत्ति होती है. निरपेक्ष रूप से अधिक द्रव्यमान के कारण सूर्य में आकर्षण शक्ति चंद्रमा की तुलना में अधिक होती है, लेकिन किसी भी दो पिंड के मध्य आकर्षण का प्रभाव दुरी से निर्धारित होती है और बढती हुई दूरी के साथ आकर्षण का प्रभाव कम होता जाता है. चंद्रमा की दूरी पृथ्वी से दुरी 3 लाख 85 हज़ार किलोमीटर, जबकि सूर्य की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है. इसी कारण पृथ्वी पर चंद्रमा के आकर्षण और चंद्रमा के ज्वारीय प्रभाव सूर्य की तुलना में दो गुनी से अधिक है. चंद्रमा और सूर्य के ज्वारीय प्रभाव का अनुपात 11:5 है. सूर्य पृथ्वी एवं चंद्रमा की सापेक्षिक स्थितियों में पृथ्वी की घुर्णन और परिक्रमण गति तथा चंद्रमा की परिक्रमण गति के कारण परिवर्तन होता रहता है. इसी कारण पृथ्वी पर tide की उत्पत्ति और प्रकृति निर्धारित होती है. सूर्य पृथ्वी और चंद्रमा की स्थिति के अनुरूप जिस स्थान पर सूर्य एवं चंद्रमा का आकर्षण बल प्रभावी होता है वहां आकर्षण के कारण टाइड की उत्पत्ति होती है. इस स्थान के विपरीत वाले स्थान पर इसी समय पृथ्वी की अपकेन्द्रिय बल के कारण टाइड की उत्पत्ति होती है. ये प्रत्येक दिन (24 घंटे) में एक बार उत्पन्न होती है. इसे दैनिक ज्वार कहते है. लगभग 12 घंटे में विपरीत वाला स्थान जब चंद्रमा के सामने आता है तब यहाँ आकर्षण के कारण tide की उत्पत्ति होती है. इस समय सामने वाला स्थान चंद्रमा के विपरीत स्थित होता है, जहाँ अपकेन्द्रिय बल के कारण tide की उत्पत्ति होती है. इस तरह किसी एक स्थान पर दिन में दो बार टाइड उत्पन्न होती है. यानी की एक बार आकर्षण के कारण और एक बार अपकेन्द्रिय बल के कारण. इसे अर्द्ध दैनिक ज्वार कहते है. दो अर्द्ध दैनिक ज्वार के मध्य 12 घंटे 26 मिनट का अंतर होता है. क्योंकि जब तक विपरीत वाला स्थान सूर्य एवं चन्द्रमा के सामने आता है तब तक चंद्रमा अपने परिक्रमण पथ पर थोडा आगे बढ़ जाता है और इस दुरी को तय करने में विपरीत वाले स्थान को 26 मिनट का अतिरिक्त समय लग जाता है. यह भी पढ़े:- महासागरीय लवणता क्या है, इसे कौन से कारक प्रभावित करते है ज्वार भाटा कितने प्रकार के होते हैज्वार भाटा मुख्यतः दो प्रकार के होते है:
ज्वार भाटा को प्रभावित करने वाले कारकज्वार भाटा को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित है.
दो से अधिक बार ज्वार कहां आते है?जिन क्षेत्रों में दो सागर, दो खाड़िया या कोई भी दो जलीय क्षेत्र मिलते हो और द्वीपीय बाधाएं हो, वहां दो से अधिक बार टाइड उत्पन्न होते है. जैसे इंग्लैण्ड के दक्षिण में स्थित साउथैम्पटन में चार बार उत्पन्न होते है. दो बार इंग्लिश चैनल के कारण और दो बार उत्तर सागर के कारण उत्पन्न tide यहां पहुँच जाते है. भारत की कच्छ की खाड़ी में भी दिन में चार बार टाइड आता है. यह भी पढ़े:- मानसून: परिचय, प्रकृति, उत्पत्ति एवं प्रभावित करने वाले कारक विश्व का सबसे ऊँचा ज्वार भाटा कहाँ आता है विश्व में सबसे ऊँचा ज्वार भाटा अटलांटिक महासागर में कनाडा के पास फंडी की खाड़ी में आते है. यहां लगभग 70 फीट तक ऊँचे टाइड आते है. इसकी अधिक ऊंचाई का कारण फंडी की खाड़ी का अधिक गहरा होना और तीव्र ढाल का होना है. स्पष्ट है की tide की उत्पत्ति सूर्य एवं चंद्रमा के आकर्षण और अपकेन्द्रीय बल के कारण होती है लेकिन इसकी प्रवृतियों को सूर्य एवं चंद्रमा की सापेक्षिक स्थितियां तथा अन्य कई कारक प्रभावित करते है. यह भी पढ़े :- सागरीय जल धाराएं क्या होती है, इन्हें कौन से कारक निर्धारित एवं प्रभावित करते है? ज्वार भाटा कितने प्रकार के होते है?ज्वार-भाटा के प्रकार. दीर्घ अथवा उच्च ज्वार (Spring Tide). लघु या निम्न ज्वार (Neap Tide). दैनिक ज्वार (Diurnal Tide). अर्द्ध-दैनिक ज्वार (Semi-Diurnal). मिश्रित ज्वार (Mixed Tide). अयनवृत्तीय और विषुवत रेखीय ज्वार. ज्वार भाटा 24 घंटे में कितनी बार आता है?पृथ्वी पर 24 घंटे में प्रत्येक स्थान पर दो बार ज्वार भाटा आता है जब भी सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं तो उनकी सम्मिलित शक्ति के परिणामस्वरुप दीर्घ ज्वार (Spring tide) का अनुभव किया जाता है!
ज्वार भाटा की उत्पत्ति कैसे होती है?चन्द्रमा पृथ्वी तल पर एक समय में दो विपरीत स्थानों पर ज्वार उत्पन्न करता है। इन ज्वार वाले स्थानों की ओर पृथ्वी के अन्य भागों का जल खिंचकर चला जाता है। अत: इन दोनों स्थानों के मध्य भाग में सागर जल-तल अपने सामान्य जल-तल से भी नीचा हो जाता है। वहॉ नीचा ज्वार या भाटा कहलाता है।
ज्वार भाटा का क्या अर्थ है?ज्वारभाटा संज्ञा पुं॰ [हिं॰ ज्वार + भाँटा] समुद्र के जल का चढा़व उतार । लहर का बढ़ना और घटना । विशेष—समुद्र का जल प्रतिदिन दो बार चढ़ता और दो बार उतरता है । इस चढा़व उतार का कारण चंद्रमा और सूर्य का आकर्षण है ।
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