रेलगाड़ी कौन से ईंधन से चलती है? - relagaadee kaun se eendhan se chalatee hai?

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डीजल इंजन को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठते हैं. इन सवालों में डीजल इंजन का माइलेज बहुत कॉमन है. ज्यादातर लोग इस सवाल का जवाब पाने के लिए इच्छुक होते हैं कि आखिर भारतीय रेल में शामिल डीजल इंजन कितना माइलेज देती है?

रेलगाड़ी कौन से ईंधन से चलती है? - relagaadee kaun se eendhan se chalatee hai?

डीजल इंजन के बारे में ये सच्चाई नहीं जानते लोग

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि भारतीय रेल (Indian Railways) देश की लाइफलाइन है. भारतीय रेल में रोजाना करोड़ों लोग यात्रा करते हैं. हालांकि, कोरोनावायरस (Coronavirus) के इस दौर में ये संख्या काफी कम हुई है. भारतीय रेल में शामिल मौजूदा ट्रेनें बिजली, डीजल और भाप के इंजन से चलती हैं. हालांकि, भाप से चलने वाली ट्रेनें किसी विशेष मौकों पर ही चलाई जाती है. डीजल इंजन को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठते हैं. इन सवालों में डीजल इंजन का माइलेज बहुत कॉमन है. ज्यादातर लोग इस सवाल का जवाब पाने के लिए इच्छुक होते हैं कि आखिर भारतीय रेल में शामिल डीजल इंजन कितना माइलेज देती है?

एक्सप्रेस ट्रेन के साथ ज्यादा माइलेज देते हैं डीजल इंजन डीजल इंजन का माइलेज कई चीजों पर निर्भर करता है. यदि हम डीजल इंजन से चलने वाली 12 कोच वाली पैसेंजर ट्रेन की बात करें तो ये 6 लीटर में एक किलोमीटर का माइलेज देती है. वहीं दूसरी ओर, यदि एक डीजल इंजन 24 कोच की एक्सप्रेस ट्रेन के साथ सफर कर रही है तब भी वह 6 लीटर प्रति किलोमीटर का माइलेज देती है. इसके अलावा, यदि कोई एक्सप्रेस ट्रेन 12 डिब्बों के साथ यात्रा करे तो उसकी माइलेज 4.50 लीटर प्रतिकिलोमीटर हो जाती है. पैसेंजर ट्रेन और एक्सप्रेस ट्रेन में माइलेज का अंतर इसलिए आता है क्योंकि पैसेंजर ट्रेन सभी स्टेशनों पर रुकते हुए चलती है. ऐसे में एक्सप्रेस ट्रेन के मुकाबले पैसेंजर ट्रेन को ब्रेक और एक्सिलेटर का ज्यादा इस्तेमाल करना पड़ता है. ब्रेक और एक्सिलेटर के ज्यादा इस्तेमाल की वजह से ही इसका माइलेज कम हो जाता है जबकि एक्सप्रेस ट्रेन के स्टॉप काफी कम होते हैं और उन्हें ब्रेक और एक्सिलेटर का भी इस्तेमाल कम करना पड़ता है.

मालगाड़ी के साथ और कम हो जाता है माइलेज यात्री गाड़ियों की तुलना में मालगाड़ी का माइलेज और भी ज्यादा कम हो जाता है. इसकी सबसे बड़ी वजह मालगाड़ी का लोड होता है. यात्री गाड़ियों की अपेक्षा मालगाड़ियों में कई गुना ज्यादा वजन होता है, जिससे इंजन पर काफी दबाव पड़ता है और वह ज्यादा डीजल की खपत करती है. देश के पहाड़ी इलाकों में एक मालगाड़ी को खींचने के लिए दो और उससे भी ज्यादा इंजन की मदद ली जाती है.

क्यों बंद नहीं किए जाते डीजल इंजन आमतौर पर देखा जाता है कि डीजल इंजन घंटों-घंटों एक ही जगह पर खड़े रहना पड़ता, इसके बावजूद लोको पायलट इंजन का पावर ऑफ नहीं करते हैं. ज्यादातर लोगों को ऐसा लगता है कि डीजल इंजन को स्टार्ट करने में काफी ज्यादा डीजल खर्च होता है इसलिए इसे बंद करने के बजाए चालू ही रखा जाता है. लेकिन ऐसा नहीं है. डीजल इंजन को चालू रखने के पीछे दो सबसे बड़ी वजह हैं. पहली वजह ये है कि डीजल इंजन का पावर ऑफ करने के बाद ब्रेक पाइप का प्रेशर काफी कम हो जाता है जिसे वापस उसी क्षमता में आने में काफी लंबा समय लग जाता है. इसके अलावा दूसरा कारण ये है कि डीजल इंजन स्टार्ट करने में भी अमूमन 20-25 मिनट का समय लगता है. इसलिए डीजल इंजन को बंद करने के बजाए चालू रखना ही सही माना जाता है.

ट्रेन कौन से ईंधन से चलती है?

भारतीय रेल में शामिल मौजूदा ट्रेनें बिजली, डीजल और भाप के इंजन से चलती हैं.

ट्रेन का इंजन 1 घंटे में कितना डीजल खाता है?

एक अनुमान के तहत एक बार इंजन को स्टार्ट करने में 25 लीटर तेल की खपत होती हैं। जबकि ट्रेन यदि एक किलोमीटर चले तो उसमे करीबन 15 लीटर तेल लगता हैं। ऐसे में इंजन को बंद करना बेहतर विकल्प नहीं हैं। ऐसी ही कई वाकयो से पता लगा की ट्रेन का इंजन एक किलोमीटर चलने में 15 से 20 लीटर डीजल खा जाता हैं।

ट्रेन कैसे चलती है पेट्रोल या डीजल?

पहले ट्रेन भाप से चलती थी तो इसके लिए कोयले का इस्तेमाल होता था. इसके बाद डीजल से चलने वाली ट्रेन का ईजाद हुआ. अब ट्रेन बिजली से चलती है. आज हम आपको बताएंगे कि डीजल (Diesel) से चलने वाली ट्रेन का माइलेज कितना होता है.

रेल का इंजन कितने का एवरेज देता है?

यदि हम डीजल इंजन से चलने वाली 12 कोच वाली पैसेंजर ट्रेन की बात करें, तो ये 6 लीटर में एक किलोमीटर का माइलेज देती है. वहीं दूसरी ओर अगर एक डीजल इंजन 24 कोच की एक्सप्रेस ट्रेन के साथ सफर कर रही है, तब भी वो 6 लीटर प्रति किलोमीटर का माइलेज देती है.