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जल संकट आने वाले समय में दुनिया के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन सकती है. वर्ल्ड वाइड फंड की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 100 अति महत्वपूर्ण शहर में रहने वाले करीब 35 करोड़ों लोगों को पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है.
रिसर्च के मुताबिक अगर जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक स्तर पर ध्यान नहीं दिया गया और उसे अनुकूल बनाने की तत्काल कोशिश नहीं की गई तो भारत के ही 30 से ज्यादा शहर भारी जल संकट का सामना करने को मजबूर होंगे.
भारत के जिन शहरों पर जल संकट का सबसे पहले प्रभाव पड़ेगा उसमें मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, जयपुर, इंदौर, अमृतसर, पुणे, श्रीनगर समेत करीब 30 शहर शामिल हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 2050 तक जल संकट चरम पर पहुंच सकता है और इससे करोड़ों लोग बुरी तरह प्रभावित होंगे.
जिन शहरों में पानी की भारी कमी हो सकती है उसकी सूची में जयपुर 30 लाख आबादी के साथ 45वें नंबर पर है जबकि 20 लाख की जनसंख्या के साथ इंदौर 75वें स्थान पर है. जिन क्षेत्रों में अभी जल संकट 17 फीसदी तक है वहां साल 2050 तक यह बढ़कर 51 फीसदी तक हो सकता है.
इस रिसर्च रिपोर्ट में भारत के जिन शहरों को जल संकट की वजह से अतिसंवेदनशील बताया गया है उसमें अमृतसर, पुणे, श्रीनगर, कोलकाता, बेंगलुरु, मुंबई कोझीकोड, वडोदरा, राजकोट, कोटा, अहमदाबाद, कोलाकता, मुंबई, भोपाल, ग्वालियर, दिल्ली, लखनऊ जैसे शहर शामिल हैं.
इस अध्ययन में साल 2030 से 2050 तक के बीच जिन शहरों को जल संकट को लेकर सबसे जोखिम वाले हिस्से में रखा गया है उसमें अहमदाबाद, अमृतसर, चंडीगढ़ जैसे शहर प्रमुख हैं.
बता दें कि रिसर्च करने वाली संस्था वर्ल्ड वाइड फंड (WWF) कंपनियों और निवेशकों को दुनिया भर में पानी की कमी, संकट, मूल्याांकन, और मूल्य निर्धारण में मदद देती है. WWF के इंडिया प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ सेजल वोरा ने कहा कि भारत किस तरह से स्थायी जलसंकट का सामना कर रहा है और इन शहरों का भविष्य क्या हो सकता है इस पर अब गहन मंथन करने की जरूरत है.
वैसे मीठे जल के संरक्षण की योजना को लेकर स्मार्ट शहर बनाने की योजना की तारीफ भी की गई है. विश्लेषण में कहा गया है कि जल का प्रबंधन और समग्र ढांचे का विकास इसमें शामिल है जिससे जल संतुलन को बनाए रखने में मदद मिल सकती है. देश में गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं 60 करोड़ लोग: रिपोर्टअगले 20 साल में भारत के 140 करोड़ लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ सकता है On: Thursday 10 September 2020हाल ही में जारी इकोलॉजिकल थ्रेट रजिस्टर 2020 के अनुसार भारत में करीब 60 करोड़ लोग आज पानी की जबरदस्त किल्लत का सामना कर रहे हैं। भविष्य में यह आंकड़ा बढ़कर 140 करोड़ पर पहुंच जाएगी, जोकि आबादी के लिहाज से दुनिया में सबसे ज्यादा है। वहीं यदि वैश्विक स्तर पर देखें तो दुनिया के करीब 260 करोड़ लोग गंभीर जल संकट का सामना करने को मजबूर हैं। जबकि अगले 20 वर्षों में यह आंकड़ा बढ़कर 540 करोड़ पर पहुंच जाएगा। जिसका सबसे ज्यादा असर एशिया-पैसिफिक क्षेत्र पर पड़ेगा। इस रिपोर्ट ने उन 19 देशों की पहचान की है जो सबसे ज्यादा पर्यावरण से जुड़े संकटों का सामना कर रहे हैं। जिसमें भारत भी शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार 135 करोड़ की आबादी वाला भारत, पर्यावरण से जुड़े चार अलग-अलग तरह के संकटों का सामना कर रहा है। जिसमें सूखा, चक्रवात और जल संकट शामिल हैं। यदि आंकड़ों को देखें तो आज भी देश की करीब 40 फीसदी आबादी उन क्षेत्रों में रहती है जो बारिश की कमी और सूखे की समस्या से त्रस्त हैं। 2010 से 2018 के बीच पानी को लेकर 270 फीसदी झड़पें बढ़ीपानी की यह समस्या न केवल आपसी विवादों को जन्म दे रहे हैं साथ ही इनके चलते कृषि उत्पादन और खाद्य सुरक्षा पर भी असर पड़ रहा है। जिसके परिणामस्वरूप कुपोषण की समस्या भी बढ़ती जा रही है। रिपोर्ट ने इस समस्या के लिए देश की बढ़ती आबादी को भी जिम्मेवार माना है। रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक भारत और चीन दुनिया की सबसे आबादी वाले देश होंगे। जहां चीन के बारे में अनुमान है कि उसकी जनसंख्या वृद्धि की दर में कमी आ जाएगी, इसमें हर साल 0.07 की दर से कमी आ रही है। वहीं दूसरी ओर भारत में यह हर साल 0.6 फीसदी की दर से बढ़ रही है जिसका परिणामस्वरूप अनुमान है कि 2026 तक भारत की आबादी चीन से ज्यादा हो जाएगी। बढ़ती आबादी का असर संसाधनों पर भी पड़ेगा जिससे पानी जैसे अमूल्य संसाधन की भारी किल्लत पैदा हो जाएगी। भारत को ग्लोबल पीस इंडेक्स में 139 वां स्थान दिया गया है जो दर्शाता है कि देश पहले ही तनाव की स्थिति है। जैसे-जैसे इस क्षेत्र में मौजूद पानी की उपलब्धता घट रही है उससे तनाव की स्थिति और बढ़ रही है। यही वजह है कि आने वाले वक्त में इस क्षेत्र में स्थिति बद से बदतर हो सकती है। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 2010 से 2018 के बीच पानी को लेकर हुए टकरावों में करीब 270 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसमें भी सबसे ज्यादा मामले यमन, इराक और भारत में सामने आए हैं। जहां यमन में 134 और इराक में 64 मामले सामने आए हैं वहीं भारत में भी 40 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। यदि पानी का सबसे ज्यादा उपभोग करने वाले देशों की बात करें तो उसमें भी भारत शामिल है। जोकि हर साल 40,000 करोड़ क्यूबिक मीटर से भी ज्यादा पानी का उपभोग कर रहा है। जबकि हाल ही में एक्वाडक्ट वाटर रिस्क एटलस में भी जल संकट का सबसे ज्यादा सामना कर रहे 17 देशों की लिस्ट में भारत को 13वां स्थान दिया है। जो देश में बढ़ते जल संकट को दर्शाता है। कुछ समय पहले जिस तरह चेन्नई में डे जीरो की स्थिति बनी थी, वो देश में इस समस्या को उजागर करती है। केवल चेन्नई ही नहीं दिल्ली सहित देश के कई अन्य शहरों में भी पानी की समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है। इससे निपटने के लिए देश में न केवल नवीन तकनीकी ज्ञान की जरुरत पड़ेगी बल्कि साथ ही जल समस्या से निपटने के लिए अपनी पारम्परिक विरासत और पुरखों के ज्ञान की भी मदद लेनी होगी। देश में जितना जल बरसता है वो ऐसे ही बर्बाद चला जाता है अब समय आ गया है कि जिस तरह हमारे पुरखों ने इस जल को संजोया था हम भी उसी तरह इसको संरक्षित करें। पानी की जो बर्बादी हो रही है उसे कम किया जाए । साथ ही उसके प्रबंधन से जुड़ी नीतियों में भी सुधार करने की जरुरत है। यह न केवल सरकार की जिम्मेदारी है इसमें हर किसी को अपनी भूमिका समझनी होगी। जिससे भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए भी इसे बचाया जा सके। जल की कमी वाला प्रदेश कौन सा है?इस सूची में पंजाब 97.6% घरों तक पीने योग्य जल की उपलब्धता के साथ सबसे ऊपर है जबकि बिहार 33.5% के साथ सबसे नीचे।
भारत के कौन से राज्य में पानी की कमी है?वर्ष 2021 में आई कैग की रिपोर्ट के अनुसार पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान में 100 फीसद भूमिगत जल का दोहन हो रहा है। इसलिए इन राज्यों में भूमिगत पूरी तरह खत्म हो जाने का खतरा है। इससे पहले चेन्नई में भूमिगत जल पूरी तरह खत्म हो चुका है।
ऐसा कौन सा देश है जहां पानी की कमी है?दक्षिण अफ़्रीका का केपटाउन शहर जल्द ही आधुनिक दुनिया का पहला ऐसा बड़ा शहर बनने जा रहा है जहां पीने के पानी की भारी कमी होने वाली है. आने वाले कुछ सप्ताहों में यहां रहने वाले लोगों को पीने का पानी नहीं मिलेगा. लेकिन दक्षिण अफ़्रीका का ये सूखाग्रस्त शहर इस तरह की समस्या का सामना करने वाला पहला शहर नहीं है.
पानी की कमी के मुख्य कारण क्या हैं?डिहाइड्रेशन आमतौर पर पर्याप्त तरल पदार्थ या पानी न पीने या शरीर से द्रव बाहर निकलने के कारण होता है। जलवायु, अधिक शारीरिक व्यायाम और आपका आहार के कारण भी डिहाइड्रेशन हो सकता है। इसके अलावा बीमारी जैसे लगातार उल्टी और दस्त, बुखार से पसीना आना या गर्म जगह पर एक्सरसाइज करने के कारण भी डिहाइड्रेशन हो सकता है।
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