sachidanand hiranand vatsyayan Agyeya Biography in Hindi: हिंदी के कवि, लेख, निबंधकार एवं पेशे से शिक्षक अज्ञेय का जीवन परिचय आज पढ़ेगे. हिंदी साहित्य में प्रयोगवाद के जनक के रूप में अज्ञेय को याद किया जाता हैं. तारसप्तक नाम से इनका कविता संग्रह प्रकाशित हैं. आज हम अज्ञेय की जीवनी, इतिहास, रचनाएं, लेखन शैली के बारें में इस बायोग्राफी में विस्तार से पढ़ेगे. Show
अज्ञेय का जीवन परिचय | Agyeya Biography in HindiContents show 1 अज्ञेय का जीवन परिचय | Agyeya Biography in Hindi 1.1 अज्ञेय का जीवन परिचय, जीवनी, बायोग्राफी 1.2 अज्ञेय की प्रमुख कृतियाँ 1.3 अज्ञेय की कहानी कला व विशेषताएं 1.4 सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन “अज्ञेय” की मृत्यु | Agyeya Death 1.5 Read More जीवन परिचय बिंदुअज्ञेय जीवन परिचयपूरा नामसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायनजन्म7 मार्च 1911जन्म स्थानकसया, उत्तर प्रदेश, भारतपहचानलेखक, कविअवधि/कालआधुनिक काल में प्रगतिवादयादगार कृतियाँआँगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी बारअज्ञेय का जीवन परिचय, जीवनी, बायोग्राफीमनोवैज्ञानिक कहानी के पुरोधा अज्ञेय जैनेन्द्र की पीढ़ी के रचनाकार हैं. इनका जन्म 1911 में जिला गोरखपुर के गाँव कसिया में हुआ था. इनकी प्रारम्भिक शिक्षा वहीँ हुई. बाद में पिता की सरकारी नौकरी के चलते इन्होने लाहौर विश्वविद्यालय से बीएस सी परीक्षा ऊतीर्ण की. एम ए अंग्रेजी साहित्य में करते हुए ये स्वाधीनता आंदोलन में कूद पड़े और जेल भी गये. इन्होने कुछ समय तक फौज में भी नौकरी की एवं आसाम के जंगलों में घुमते रहे. अज्ञेय घुमक्कड़ी स्वभाव के रहे हैं. सुदूर दक्षिण भारत से लेकर उत्तर पूर्वी भारत के कई स्थानों पर रहे. अज्ञेय ने अपने विश्वविद्यालयों में अपनी सेवाएं दी. जोधपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में कुछ समय तक कार्यरत रहे. ये यहाँ फ्रेंच भाषा पढ़ाते थे. अज्ञेय का रहस्यमय जीवन बड़ा उथल पुथल पूर्ण रहा. एकाधिक विवाह किये, किन्तु दाम्पत्य सुख में विफल ही रहे. अज्ञेय का व्यक्तित्व बहुमुखी था. वे एक सफल वक्ता, कवि, उपन्यासकार, संसमरणकार एवं यात्रा लेखक के रूप में स्मरण किये जाते हैं. ये स्पष्टवादी, गम्भीर चिंतक एवं अन्तर्मुखी व्यक्तित्व के धनी थे. लोगों से कम मेल मुलाक़ात करना एवं अधिक घुल मिल जाना इन्हें प्रिय नहीं था. इनका जीवन सतत रूप से लेखन कार्य में ही व्यतीत हुआ. ये निबंधकार और आलोचक थे. इन्होने विदेश यात्राएं भी की. साहित्यिक क्षेत्र में ये पश्चिम के कवि समीक्षक इलियट से अधिक प्रभावित थे. इनकी कविताओं में वैयक्तिक अहं का चित्रण अधिक हुआ हैं. अज्ञेय की प्रमुख कृतियाँअज्ञेय का रचना संसार विविधतापूर्ण हैं. उन्होंने अनेक मनोवैज्ञानिक कहानियाँ उपन्यास आदि रचे हैं. प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं. Telegram Group Join Now
अज्ञेय जी को कितनी नावों में कितनी बार नामक काव्यकृति पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिल चूका हैं. इसके अतिरिक्त भारतव्यापी अनेक संस्थाओं से भी आप सम्मानित हो चुके हैं. आप प्रयोगवादी काव्य धारा के जनक माने जाते हैं. तार सप्तक नामक काव्य संकलन के चार भागों में लगभग 28 नयें कवियों को हिंदी जगत से अवगत कराने का अनूठा कार्य किया हैं ये सभी प्रयोगवादी, नई धारा के रूप में प्रतिष्ठित हो चुके हैं. इन्होने दिनमान नामक साप्ताहिक पत्र के सम्पादक पद पर कार्य करते हुए उसे पत्रकारिता के क्षेत्र में एक नया मुकाम प्रदान किया. इसके पहले प्रतीक एवं नई कविता नामक पत्रिकाओं का सम्पादन भी कर चुके हैं. अज्ञेय की कहानी कला व विशेषताएंमनोवैज्ञानिक कथाकार अज्ञेय ने अपनी कहानियों में मानव मन की विविध गुत्थियों को सुलझाने की चेष्टा की हैं. इनकी कहानियाँ मानवीय औदात्य को जीवन के यथार्थ धरातल पर उजागर करने में सफल रही हैं. कहानी के कथानक रोचक एवं संगठित होते हैं. रोचकता के साथ उसमें रोमांच की अनुभूति होती हैं. उनकी कहानियों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता हैं. घटना प्रधान, चरित्र प्रधान एवं वातावरण प्रधान. क्रमश सेव और देव, शरणार्थी एवं रोज कहानियों को ले सकते हैं. सेव और देव का प्रोफेसर गजानन वर्मा पुरातत्ववेत्ता एवं इतिहासकार होते हैं. वे कुमाऊ घाटी में आये थे. प्राचीन मन्दिरों की मूर्तियों का अवलोकन करने किन्तु एक बालक द्वारा सेव चुराने की घटना और उसे थप्पड़ मारने की घटना को स्मरण कर उनका ह्रदय परिवर्तन हो जाता हैं. क्योंकि वे स्वयं देवी मंदिर से काली की प्रतिमा चुरा लाए थे जिसे बाद में उलटे पाँव लौटाकर यथास्थान रख आते हैं. उनका चरित्र एक स्वार्थी एवं लोभी व्यक्ति का हैं. सेव चुराने की एक घटना उन्हें इंसानियत एवं सचचाई की दहलीज पर ला खड़ा करती हैं. कहानी के अंत में वे सोचते है कि यह लड़का को सेव चुराकर भाग रहा था किन्तु मैं तो देव ही चुरा लाया. अज्ञेय की शरणार्थी कहानी हिन्दू मुस्लिम दंगों एवं विभाजन की पीड़ा को व्यंजित करती हैं. जिसमें हिन्दू परिवार का मुखिया दंगों का शिकार होता है और अपने मुस्लिम दोस्त के यहाँ छिपकर चरण लेता हैं, परन्तु उसके मुस्लिम मित्रों को पता चलता है कि एक काफिर को शरण दी गई है तो वह मुस्लिम दोस्त धार्मिक कट्टरता की आड़ में अपने हिन्दू मित्र को मारने हेतु भोजन में जहर देता है, जिसे उसकी घर की बेटी खा लेती है और भोजन के साथ एक पर्ची लिखकर सचचाई बता देती है, जिससे वह हिन्दू मुखिया खिड़की से भाग निकलता है और अपने प्राण बचा लेता हैं. अज्ञेय की कहानियाँ उद्देश्यपूर्ण हैं. उन्होंने ग्रामीण और शहरी जीवन दोनों प्रकार की कहानियाँ लिखी हैं. आज के दौर में आर्थिक सम्पन्नता पाने के लिए रिश्ते को भुला देते है और सब कुछ होते हुए भी व्यक्ति का मन विपन्नता का अनुभव करता हैं. इसे व्यक्त करने में लेखक को सफलता मिली हैं. अस्तु, अज्ञेय के पात्र संवेदनशील, भावुक, यथार्थवादी एवं मानवीय दुर्बलताओं से युक्त होते हैं. मन कब खिन्न हो उठता है इसका मनोवैज्ञानिक कारण लेखक ने प्रस्तुत किया हैं. सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन “अज्ञेय” की मृत्यु | Agyeya Death1964 में साहित्य अकादमी अवार्ड, 1978 में ज्ञानपीठ अवार्ड, 1983 में गोल्डन माला पुरस्कार जैसे बड़े सम्मानों से नवाजे गये अज्ञेय जी का देहावसान 4 अप्रैल 1987 को हो गया था. हिंदी साहित्य की इस महान विभूति को यथार्थ दर्शन को मुखर रूप से कलमबद्ध करने वाले साहित्यकार थे. देश और समाज उन्हें सदियों तक याद रखेगा. यह भी पढ़े
उम्मीद करता हूँ दोस्तों आपकों Agyeya Biography in Hindi का यह लेख पसंद आया होगा. अज्ञेय का जीवन परिचय में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें. अज्ञेय की काव्यगत विशेषताएं क्या है?(4) प्रकृति-चित्रण- अज्ञेयजी के काव्य में प्रकृति की अनेक मनोरम झाँकियाँ प्रदर्शित हुई हैं। उनके काव्य में प्रकृति विविध रूपों में चित्रित हुई है। यहाँ प्रकृति का आलम्बन रूप भी है तो उद्दौपन रूप भी। प्रकृति का मानवीकरण हुआ है तो प्रकृति रहस्यात्मक अनुभूतियों को प्रस्तुत करने का साधन भी बनी है।
अज्ञेय की कृति कौन सी है?कविता संग्रह:- भग्नदूत 1933 चिन्ता 1942 इत्यलम्1946 हरी घास पर क्षण भर 1949 बावरा अहेरी 1954 इन्द्रधनुष रौंदे हुये ये 1957 अरी ओ करुणा प्रभामय 1959 आँगन के पार द्वार 1961 कितनी नावों में कितनी बार (1967) क्योंकि मैं उसे जानता हूँ (1970) सागर मुद्रा (1970) पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ (1974) महावृक्ष के नीचे (1977) नदी की ...
अज्ञेय को किसका प्रवर्तक माना गया है?सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय" (7 मार्च 1911 – 4 अप्रैल 1987) हिंदी भाषा के कवि, लेखक, पत्रकार आ संपादक रहलें। रचनात्मक काम के अलावा अज्ञेय क्रांतिकारी आंदोलन के हिस्सा भी रहलें। हिंदी साहित्य में इनका के नई कबिता आंदोलन आ प्रयोगवाद के अस्थापना आ परतिष्ठा करे वाला रचनाकार लोग में जानल जाला।
अज्ञेय जी की प्रतीक योजना क्या है?प्रतीक योजना - अज्ञेय के काव्य की प्रतीक-योजना उनके नवीन दृष्टिकोण की परिचायक है। उनके प्रतीकों का स्वरूप उनकी काव्य-वस्तु के अनुरूप ही वैयक्तिक और बौद्धिक हैं। जीवन की जटिलता को व्यक्त करने के लिए उन्होंने बौद्धिक प्रतीक अपनाये है तो काम-भावना तथा मनोविश्लेषण से प्रेरित होकर मौन-प्रतीकों का प्रश्रय लिया है।
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