जब चेक जारी किया जाता है तो नकद भुगतान करने वाली पार्टी को the .

31/01/2012 को अद्यतनीकृत

1. क्या होता है यदि चेक समाशोधन में विलंब होता है ?

स्थानीय चेक

स्थानीय चेक, समाशोधन गृह के क्षेत्राधिकार के भीतर ही देय होता है और केंद्र में जारी समाशोधन प्रणाली के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। स्थानीय चेक से उत्पन्न होने वाले क्रेडिट को समाशोधन हेतु प्रस्तुत किए जाने की तिथि के  अगले दिन तक ग्राहक के खाते में डाल दिया जाना चाहिए। आदर्श रूप में, बैंकों में समाशोधन के लिए प्रस्तुत किए जाने के पश्चात, ग्राहक के खाते में दिखाए जाने वाले  आभासी क्रेडिट के उपयोग को अगले कार्यदिवस में संबंधित रिटर्न क्लियरिंग के समाप्त होने के तुरंत बाद ही अथवा ज्यादा से ज्यादा तीसरे कार्यदिवस के आरंभ होने के एक घंटे के भीतर अनुमति दे दी जानी चाहिए बशर्ते, आम सुरक्षा उपायों को पूरा कर लिया गया हो।

बाहरी चेक

राज्यों की राजधानियों/प्रमुख शहरों/ अन्य स्थानों में लिखे गए चेकों के संग्रहण के लिए अधिकतम सीमा है क्रमश: 7/10/14 दिन की। यदि चेक संग्रहण में इस अवधि से ज्यादा विलंब होता है तो आपको बैंक की चेक संग्रहण नीति के अनुसार विनिर्दिष्ट  दर पर ब्याज दिया जाएगा। यदि चेक संग्रहण नीति में दर विहित नहीं की गई है तो आपको संबंधित परिपक्वता अवधि के लिए बैंक की सावधि जमा दर पर ब्याज मिलेगा।  बैंक की चेक संग्रहण नीति बाहरी चेकों के लिए दी जाने वाली तात्कालिक क्रेडिट की सीमा भी निर्धारित करती है।

2. क्या होता है यदि चेक/लिखत, बीच में ही/समाशोधन प्रक्रिया में खो जाते हैं ?

यदि चेक बीच में ही अथवा समाशोधन प्रक्रिया में अथवा अदाकर्ता शाखा में खो जाता है तो बैंक को तुरंत आपको सूचित करना चाहिए ताकि आप आहरणकर्ता को भुगतान रोकने के संबंध में बता सकें और वो इस बात को भी सुनिश्चित कर सके कि आपके द्वारा जारी किए गए अन्य चेकों को खोए हुए चेकों/लिखतों की राशि के जमा न हो पाने के कारण अस्वीकृत न कर दिया जाए।

इस तरह के नुक्सान का दायित्व आपके ऊपर नहीं, बल्कि संग्रहकर्ता बैंक के  ऊपर होता है।

आप लिखत की डुप्लीकेट प्रति प्राप्त करने में होने वाले व्यय की प्रतिपूर्ति और इसे प्राप्त करने में होने वाली देरी के चलते ब्याज के भी पात्र होंगे।

3. मेरा बैंक चेक संग्रहण के लिए मुझसे बहुत बड़ी रकम ले रहा है। क्या इसका कोई निवारण है?

स्थानीय चेक संग्रहण प्रभार, संबन्धित बैंक द्वारा समय –समय पर निर्धारित किए जाते हैं और ग्राहकों के प्रति बैंकों के उत्तरदायित्व के रूप में इसकी सूचना ग्रहकों दी जाती है। बैंक को आपसे बाहरी चेकों के लिए निम्नलिखित प्रभार से अधिक नहीं लेना चाहिए:

5000 रुपये तक – प्रति लिखत 25 रुपये+सेवा कर; 5000 रुपये से अधिक और 10,000 रुपये तक या सहित- प्रति लिखत 50 रुपये से अधिक नहीं+ सेवा कर; 10,000 रुपये से अधिक और 1,00,000 रुपये तक - प्रति लिखत 100  रुपये से अधिक नहीं + सेवा कर; 1,00,001 और इससे अधिक –बैंकों द्वारा स्वयं निर्धारित। कोई अतिरिक्त प्रभार जैसे कि कुरियर प्रभार, कर्मचारी द्वारा किया गया फुटकर खर्च इत्यादि नहीं लिया जाना चाहिए।

4. मेरा बैंक बाहरी चेकों को स्वीकार करने से माना करता है। क्या इसका कोई निवारण है?

कोई भी बैंक आपके द्वारा जमा किए गए बाहरी चेक को लेने से माना नहीं कर सकता है और न ही उपलब्ध उत्पादों को आपको देने से माना कर सकता है।

5. क्या मैं किसी बैंक की चेक संग्रहण नीति के बारे में जान सकता हूँ?

ज़्यादातर देशों की तरह भारत में भी बैंकों से यह अपेक्षित है कि वे चेक संग्रहण से संबन्धित स्वयं की नीति/प्रक्रिया विकसित करें। आप बैंक से उसके कर्तव्यों और ग्राहक के अधिकारों के बारे में जानकारी पाने के पात्र हैं।

व्यापक रूप से बैंक द्वारा बनाई गई नीतियों में निम्नलिखित क्षेत्र शामिल होने  चाहिए:

स्थानीय/बाहरी चेकों को तुरंत क्रेडिट करना, स्थानीय/बाहरी लिखतों के संग्रहण के लिए समय सीमा और देर से किए गए संग्रहण के लिए ब्याज भुगतान।

विभिन्न बैंकों की चेक संग्रहण नीति भारतीय रिज़र्व बैंक वेबसाइट पर निम्नलिखित लिंक पर उपलब्ध है:
http://www.rbi.org.in/commonman/English/Scripts/ChequeCollectionPolicy.aspx

बैंकों को स्वयं के द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुपालन न कर पाने की स्थिति में विलंब होने पर ब्याज भुगतान के रूप में आपके प्रति अपना उत्तरदायित्व निभाना चाहिए। आप ब्याज भुगतान के माध्यम से प्रतिपूर्ति किए जाने के पात्र हैं चाहे आपने इसके लिए कोई औपचारिक दावा न किया हो।

6. बैंकों को अपनी नीतियाँ कैसे घोषित करनी चाहिए?

ग्राहक के रूप में आपका यह अधिकार है कि आप लेनदेन करने से पहले बैंक की चेक संग्रहण नीति के बारे में जानें।

बैंक द्वारा अपने नोटिस बोर्ड में यह खुलासा करना ज़रूरी है कि वह कितनी राशि तक के बाहरी चेकों का तुरंत भुगतान करेंगे, और इस बात को बैंक की प्रत्येक शाखा में प्रदर्शित किया जाना चाहिए। बैंकों से यह अपेक्षित है कि वे स्थानीय/ बाहरी चेकों के त्वरित क्रेडिट, स्थानीय/बाहरी लिखतों के संग्रहण के लिए निर्धारित समय सीमा और देर से किए गए संग्रहण के लिए ब्याज भुगतान की नीति को बताएं। यह जानकारी सूचना पुस्तिका में दी जानी चाहिए और यह पुस्तिका बैंक की सभी शाखाओं में उपलब्ध होनी चाहिए। यदि आप चाहें तो आप बैंक के शाखा प्रबंधक से बैंक की चेक संग्रहण नीति की एक प्रति भी मांग सकते हैं। बैंकों से यह भी अपेक्षित है कि वे अपनी चेक संग्रहण नीति को वेबसाइट पर भी डालें। विभिन्न बैंकों की चेक संग्रहण नीतियां उपर्युक्त प्रश्न 5 में उल्लिखित आरबीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई गई हैं।

7. निधियों के अंतरण के अन्य कौन-कौन से तरीके हैं ?

आरटीजीएस (तत्काल सकल निपटान) और एनईएफ़टी (राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक निधि अंतरण) दो तरीके हैं। और अधिक जानकारी के लिए http://rbi.org.in/scripts/FAQView.aspx?Id=65 लिंक के अंतर्गत आरटीजीएस और http://rbi.org.in/scripts/FAQView.aspx?Id=60. लिंक के अंतर्गत एनईएफ़टी संबंधी अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न देखें।

8. क्या मैं किसी बैंक में संग्रहण हेतु जमा किए गए चेक के संबंध में प्राप्ति की सूचना पाने का हकदार हूँ?

बैंकों से यह अपेक्षित है कि वे चेक संग्रहण काउंटरों पर चेक ड्रॉप बॉक्स सुविधा और प्राप्ति की सूचना संबंधी सुविधा उपलब्ध कराएं। किसी भी बैंक की शाखा पर ग्राहक द्वारा बैंक शाखा के काउंटर पर चेक जमा करते समय प्राप्ति की सूचना मागने पर बैंक शाखा में इसे देने से मना नहीं किया जा सकता है।

9. मुझे क्या करना चाहिए यदि अभी भी मेरी शिकायत का निवारण नहीं हुआ है?

यदि आपको बैंक के विरुद्ध उपर्युक्त किसी भी मुद्दे पर शिकायत है अथवा आपको भुगतान प्राप्त न हो पाने के संबंध में शिकायत है अथवा चेक के भुगतान अथवा संग्रहण के संबंध में हुई देरी के बारे में शिकायत है तो आप संबन्धित बैंक में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यदि बैंक 30 दिनों के भीतर जवाब नहीं देता है तो आप बैंकिंग लोकपाल में शिकायत कर सकते हैं। (कृपया इस बात का ध्यान रखें कि किसी अन्य न्यायिक फोरम में लंबित शिकायतों को बैंकिंग लोकपाल द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा)। बैंकिंग लोकपाल के कार्यालय द्वारा ग्राहक की शिकायत के निवारण के लिए कोई भी शुल्क नहीं लिया जाता है। आपको अपनी शिकायत की स्थिति का पता लगाने के लिए एक यूनीक शिकायत पहचान संख्या दी जाएगी। (अनुबंध में बैंकिंग लोकपाल की सूची पते सहित दी जा रही है)।

शिकायतों को उस बैंकिंग लोकपाल को संबोधित करना चाहिए जिसके अधिकार क्षेत्र में वह बैंक अथवा शाखा आती है। शिकायतों को सीधेतौर पर सादे कागज पर लिखकर अथवा www.bankingombudsman.rbi.org.in पर ऑनलाइन अथवा बैंकिंग लोकपाल को ई-मेल भेजकर दर्ज कराया जा सकता है। शिकायत फॉर्म सभी बैंक शाखाओं पर भी उपलब्ध हैं।

शिकायतों को आपके द्वारा प्राधिकृत प्रतिनिधि (अधिवक्ता से भिन्न) द्वारा अथवा आपकी ओर से कार्य कर रहे उपभोक्ता संगठन/फोरम के माध्यम से भी दर्ज कराया जा सकता है। यदि आप बैंकिंग लोकपाल के निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं तो आप भारतीय रिज़र्व बैंक के अपीलीय प्राधिकारी (रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर) के समक्ष भी अपील कर सकते हैं।

यदि आप बैंकिंग लोकपाल के कार्यालय की ग्राहक सेवा से संतुष्ट नहीं हैं तो आप मुख्य महाप्रबंधक, ग्राहक सेवा विभाग, अमर भवन, प्रथम तल, सर पी एम रोड, फोर्ट, मुंबई 400001 को लिख सकते हैं अथवा ई-मेल भेज सकते हैं।

जब भुगतान नकद के बजाय चेक द्वारा किया जाता है तो इसे क्या कहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंएक टेली-चॅक (अमेरिकी बैंकिंग प्रणाली में उसका एक दूसरा नाम है) काग़ज़ी भुगतान मद है जो चॅक जैसा लगता है सिवाय इसके कि उसे भुगतानकर्ता न तो तैयार करता है और ना ही हस्ताक्षर – इसके बजाय उसे भुगतानकर्ता की ओर से तृतीय पक्ष द्वारा तैयार (संभवतः हस्ताक्षर) किया जाता है।

चेक द्वारा भुगतान करने को क्या कहते हैं?

चेक क्या है (What is cheque)– चेक बैंक द्वारा अकाउंट होल्डर को दिया जाने वाला वह भुगतान का साधन (Payment instrument) है जिससे ग्राहक किसी अगले व्यक्ति को अपने अकाउंट से डायरेक्ट कैश न देकर भुगतान कर सकता है। चेक में आप किसे पैसे दे रहे हैं, उनका नाम लिखना होता है, वह किसी व्यक्ति का नाम भी हो सकता है या किसी फर्म का।

चेक के नए नियम क्या है?

बता दें कि RBI ने 1 जनवरी को 'पॉजिटिव पे सिस्टम' के नाम से चेक पेमेंट को लेकर ये गाइडलाइन जारी की थी. ये नियम 50,000 रुपए या उस से ऊपर की रकम के चेक पर लागू किए गए थे, अब इनका अमाउंट बढ़ाकर 5 लाख या उससे ज्यादा किया जा चुका है.

चेक की वैधता कितने दिन की होती है?

बैंक चेक उस पर डाली गई डेट यानी तारीख के बाद 3 महीने तक ही वैलिड रहता है। यानी इसे इसी अवधि में डिपॉजिट या विदड्रॉ करना होता है। इस अवधि के बाद चेक का इस्तेमाल करने पर चेक आपके काम नहीं आएगा और आपको नुकसान झेलना पड़ेगा।