गलिज ऊर्जा व स्थितिज ऊर्जा से आप क्या समझते है संवेग व गतिज ऊर्जा में संबंध बताइए? - galij oorja va sthitij oorja se aap kya samajhate hai sanveg va gatij oorja mein sambandh bataie?

गलिज ऊर्जा व स्थितिज ऊर्जा से आप क्या समझते है संवेग व गतिज ऊर्जा में संबंध बताइए? - galij oorja va sthitij oorja se aap kya samajhate hai sanveg va gatij oorja mein sambandh bataie?

रोलर कोस्टर में जब गाड़ी सबसे ऊँचाई पर रहती है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा भी सर्वाधिक होती है तथा जब वो

गलिज ऊर्जा व स्थितिज ऊर्जा से आप क्या समझते है संवेग व गतिज ऊर्जा में संबंध बताइए? - galij oorja va sthitij oorja se aap kya samajhate hai sanveg va gatij oorja mein sambandh bataie?

तनी हुई डोरी वाली धनुष में स्थितिज ऊर्जा होती है।

सबसे नीचे आती है तो उसमें गतिज ऊर्जा सर्वाधिक होती है। अर्थात स्थितिज ऊर्जा =mgh

अन्य वस्तुओं के साथ अपने सापेक्ष स्थिति के कारण, या स्वयं के भीतर तनाव के कारण, विद्युत आवेश या अन्य कारकों के कारण किसी वस्तु में जो ऊर्जा होती है उसे स्थितिज ऊर्जा (potential energy) कहते हैं। इसका अंतर्राष्ट्रीय इकाई मात्रक जूल है। स्थितिज का विमीय सूत्र ML2T-2 है।

इस प्रकार, यदि किसी वस्तु को भूमि के सतह से ऊपर उठा दिया जाय तो उसमें स्थितिज ऊर्जा संचित हो गयी है (वस्तु को छोड़ने पर वह धरती की ओर गिरती है और उसकी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदल जाती है। यदि यह वस्तु किसी दूसरी वस्तु के ऊपर गिरे तो उसकी यह गतिज ऊर्जा उष्मीय ऊर्जा एवं ध्वनि ऊर्जा में बदल जाती है।

इसी प्रकार तने हुए या दबाए हुए स्प्रिंग में भी स्थितिज ऊर्जा होती है। ऊँचाई पर भण्डारित जल में स्थितिज ऊर्जा होती है जिसका उपयोग जलविद्युत उत्पन्न करने में किया जाता है। एक-दूसरे के कुछ दूरी पर रखे दो आवेशों के निकाय में भी स्थितिज ऊर्जा छिपी हुई है। धनुष की डोरी जब तनी हुई हो तो उसमें स्थितिज ऊर्जा है।

धरती के सतह के पास किसी वस्तु की स्थितिज ऊर्जा = m g h , जहाँ m वस्तु का द्रव्यमान, g गुरुत्वजनित त्वरण, तथा h भूमि की सतह से ऊँचाई है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

स्थितिज ऊर्जा और संवेग के बीच क्या संबंध है?

इस प्रकार, ऊर्जा के अनुरूप कुल संवेग गतिज और स्थितिज संवेग के बराबर होता है । जहां वी = | वी |।

स्थितिज ऊर्जा और गतिज ऊर्जा से आप क्या समझते हैं?

इस प्रकार, यदि किसी वस्तु को भूमि के सतह से ऊपर उठा दिया जाय तो उसमें स्थितिज ऊर्जा संचित हो गयी है (वस्तु को छोड़ने पर वह धरती की ओर गिरती है और उसकी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदल जाती है। यदि यह वस्तु किसी दूसरी वस्तु के ऊपर गिरे तो उसकी यह गतिज ऊर्जा उष्मीय ऊर्जा एवं ध्वनि ऊर्जा में बदल जाती है।

स्थितिज ऊर्जा और गतिज ऊर्जा और गति के बीच संबंध के बारे में आप क्या दावा कर सकते हैं?

दोनों के बीच प्राथमिक संबंध उनकी एक दूसरे में बदलने की क्षमता है । दूसरे शब्दों में, संभावित ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदल जाती है, और गतिज ऊर्जा संभावित ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है, और फिर वापस आ जाती है। यह कभी न खत्म होने वाला चक्र है।

स्थितिज ऊर्जा से आप क्या समझते है?

साधारणतः किसी वस्तु में उसकी स्थिति के कारण उत्पन्न ऊर्जा को उस वस्तु की स्थितिज ऊर्जा (potential energy in Hindi) कहते हैं। इसे U द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। स्थितिज ऊर्जा एक अदिश राशि है। अर्थात इसमें केवल वस्तु का परिमाण होता है वस्तु की दिशा का कोई संबंध नहीं होता है।