इंसान को दफनाया क्यों जाता है? - insaan ko daphanaaya kyon jaata hai?

हिन्दू धर्म में शव को जलाया क्यों जाता है? GK In Hindi General Knowledge : आज हम आपको एक ऐसी जानकारी के बारे में बताने जा रहे है ! जो शायद ही आपको पता है हिंदू धर्म के अंदर लाश को अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता है ! क्या आप इसके बारे में जानते हो अगर आप नहीं जानते हो ! तो आज मैं आपको बताने वाला हूं लाश को क्यों अकेला नहीं छोड़ा जाता है !

हिन्दू धर्म में शव को जलाया क्यों जाता है | जानें GK In Hindi General Knowledge

इंसान को दफनाया क्यों जाता है? - insaan ko daphanaaya kyon jaata hai?

हिन्दू धर्म में शव को जलाया क्यों जाता है | जानें

मृत्यु हर किसी के जीवन का अटल सत्य है चाहे वह इंसान हो जानवर या पशु पंखी हो उसकी मृत्यु निश्चित है ! मृत्यु को ना कोई रोक सकता है ना कोई बदल सकता है ! जिसने भी इस धरती पर जन्म लिया उसकी मृत्यु एक न एक दिन निश्चित है ! हिंदू धर्म में जब किसी इंसान की मृत्यु हो जाती है तो उसकी की शव यात्रा निकालते है !

हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार मानव शरीर अग्नि, जल, वायु, भूमि व आकाश पांच तत्वों से बना है और इसे इन्ही तत्वों में विलीन हो जाना है ! मानव शरीर को अग्नि के हवाले करने से पवित्र अग्नि उसे उसे उसी रुप में वापस भेज देती है !

इसलिए मानव शरीर को जला दिया जाता है ! आज जगह कि कमी के कारण क्रबिस्तानों के लिए जगह कम होती जा रही है !पश्चिम के लोग भी शवों को जलाने लगे हैं ! आज पुराने क्रबिस्तानों पर कब्जे के बाद वहां पर इमारते व घर बन रहे है क्योंकि जिन्दा लोगों को रहने के लिए जगह की सामने आ रही है !

Advertising

Advertising

दक्षिण के ईसाई चर्चों ने भी शवों का दह संस्कार करने की आज्ञा प्रदान कर दी है ! बिजली से शवों का दाह करने से प्रदूषण भी नामात्र ही होता है और समय, धन की भी बचत होती है !कहने का मतलब है कि शवों का दाह करना वैज्ञानिक भी है और अनुकूल भी ! वैदिक शास्त्रों के अनुसार शरीर में काम , क्रोध,मोह,लोभ,अहंकार,इर्ष्यादि विकारों से युक्त होता है ! अतः उसको अंत मे जलाया जाता है, जबकि जो बच्चे 5 वर्ष पूर्व ही प्राण त्याग देते हैं उनका शरीर निर्विकार होता है उनको गाड़ देते हैं और जो सन्यासी यति आदि होते है इनका शरीर भी विकारों से मुक्त होता है !

हिन्दू धर्म में शव को जलाया क्यों जाता है General Knowledge

यह तो सब जानते हैं कि एक ना एक दिन उन्हें मरना ही है ! यदि वे इस ज़िंदगी में आए हैं तो निश्चित ही एक समय ऐसा आएगा जो उनकी मृत्यु का पैगाम लेकर आएगा लेकिन फिर भी लोग अपनी लंबी उम्र की कामना करते हैं ! कुछ लोग तो भगवान से अमर हो जाने की भी मन्नत मांगते हैं ! लेकिन यदि अमर नहीं तो मरने से पहले वे सभी कार्य तथा इच्छाओं को पूर्ण करना चाहते हैं !

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार यह संस्कार उस आत्मा की शांति के लिए किए जाते हैं ! ताकि उसे एक मार्ग मिल सके और वह अपने अगले जन्म या फिर मुक्ति के लिए रास्ता खोज सके वैसे तो सभी धर्मों में मृत्यु के बाद पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई देने का रिवाज़ बनाया गया है !

GK In Hindi General Knowledge

जब कोई व्यक्ति के मृत शरीर को जलाता है तो कोई ज़मीन में दफना देता है ! कुछ लोग तो उस शरीर को प्राकृतिक जीवों द्वारा खाए जाने के लिए भी छोड़ देते हैं ! परन्तु शव को जलाने या फिर दफना देने के पीछे क्या कारण है ! वर्षों से मृत शरीर को किस प्रकार से विदाई दी जाए इस पर विभिन्न संस्कार लागू किए जाते रहे हैं !

GK in Hindi General Knowledge यदि हम मिस्र सभ्यता की बात करें ! तो उनके मुताबिक एक शरीर के भीतर रहने वाली आत्मा उसे छोड़ने के बाद कहीं भटकती ना रहे इसलिए वे उसके लिए एक स्थान का बंदोबस्त करते हैं ! हैरानी तो तब होती है जब वर्षों पहले आत्मा के सुख के लिए जिन चीज़ों की आवश्यकता होती है ! उन्हें भी शव के साथ ही दफन कर दिया जाता था !

अगर हम प्राचीन मिस्त्र की सभ्यता की बात करें तो वे शव की ‘ममी’ बनाकर उसे एक संदूक में बंद कर दफना देते थे। ऐसा वे इसलिए करते थे क्योंकि उनका ऐसा मानना था कि शरीर त्यागने के बाद आत्मा इधर-उधर भटकती रहती है। ऐसे में वे उसके रहने के लिए एक निश्चित स्थान का बंदोबस्त करते थे। प्राचीन मिस्त्र में शव के साथ-साथ कुछ जरुरत की चीजों को भी उसके साथ दफना देने की प्रथा का चलन था। इनमें उनकी मनपसंद चीजें, जरूरी वस्तुएं और तो और उनके नौकरों को भी दफना दिया जाता था क्योंकि ऐसी मान्यता थी कि जब आत्मा किसी दूसरे शरीर में पुनर्जन्म लेगी तब वह इन सारी वस्तुओं का इस्तेमाल कर सकेगी।

 

इंसान को दफनाया क्यों जाता है? - insaan ko daphanaaya kyon jaata hai?

मिस्त्र के बाद यूनानी एवं रोमन सभ्यताओं का दौर आया। वे शरीर को दफनाने की जगह उसे जलाने की प्रथा का पालन करने लगे। हालांकि बाद में इस्लाम ने शव को जलाने की प्रथा का बहिष्कार किया।

शरीर को दफन करने के पीछे कई कारण बताए गए हैं। सबसे पहले इसे विदाई देने का सबसे साफ एवं सुरक्षित तरीका बताया गया है क्योंकि मरने के बाद बॉडी को दफनाने से वह धीरे-धीरे मिट्टी में मिलकर प्राकृतिक रूप से खत्म हो जाता है। इससे वातावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। किसी प्रकार का कोई प्रदूषण भी नहीं फैलता है।

 

इंसान को दफनाया क्यों जाता है? - insaan ko daphanaaya kyon jaata hai?

हिंदुओं में शव को जलाने की प्रथा है क्योंकि हिंदुओं में अग्नि को देवता माना जाता है। इसीलिए पूजा,यज्ञ, हवन, शादी इत्यादि सभी पवित्र कार्यों में अग्नि को बेहद महत्व दिया जाता है।

हिन्दू धर्म में शव को जलाते समय अग्नि देव से इस बात की प्रार्थना की जाती है कि, अग्नि देव शरीर के पांच अहम तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश को अपने में ग्रहण कर लें और उन्हें एक नया जीवन प्रदान करें।

शव दफनाने के बाद क्या होता है?

जैसे हिन्दू धर्म में अंत्येष्टि की प्रक्रिया होती है. इस विधी में मृत व्यक्ति को जमीन में रखा जाता है। यह आमतौर पर एक गड्ढे या खाई को खोदकर, उसमें मृतक रखकर, और इसे ढंक कर पूरा किया जाता है। यह एक अंतिम संस्कार है।

मरने के बाद आदमी को क्यों जलाया जाता है?

हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार मानव शरीर अग्नि, जल, वायु, भूमि व आकाश पांच तत्वों से बना है और इसे इन्ही तत्वों में विलीन हो जाना है ! मानव शरीर को अग्नि के हवाले करने से पवित्र अग्नि उसे उसे उसी रुप में वापस भेज देती है ! इसलिए मानव शरीर को जला दिया जाता है !

मरने के बाद अंतिम संस्कार कैसे होता है?

अंतिम संस्कार के दौरान जब शरीर को अग्नि के हवाले कर दिया जाता है तो शवदाह के मध्य में जिस शैय्या पर लिटाकर जव को श्मशान तक ले जाया गया होता है उसी शैय्या का एक बांस निकालकर उससे शव के सिर पर चोट किया जाता है जिसे कपाल क्रिया कहा जाता है। कहते हैं इससे सांसारिक मोह में फंसा जीव शरीर के बंधन से मुक्त हो जाता है।

क्या हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद क्या होता है?

पितृमेध या अन्त्यकर्म या अंत्येष्टि या दाह संस्कार 16 हिन्दू धर्म संस्कारों में षोडश आर्थात् अंतिम संस्कार है। मृत्यु के पश्चात वेदमंत्रों के उच्चारण द्वारा किए जाने वाले इस संस्कार को दाह-संस्कार, श्मशानकर्म तथा अन्त्येष्टि-क्रिया आदि भी कहते हैं। इसमें मृत्यु के बाद शव को विधी पूर्वक अग्नि को समर्पित किया जाता है।