इस कालखंड के मध्य किस समुदाय का महत्व बढ़ा व क्यों - is kaalakhand ke madhy kis samudaay ka mahatv badha va kyon

स्कूल तथा समुदाय के बीच पहुंच संबंध है। शिक्षा के क्षेत्रा में समुदायों का सहयोग प्राचीन काल से चला आ रहा है। आज भी है और भविष्य के मैें भी बिना इसके सहयोग के शिक्षा की उचित व्यवस्था करना संभव नहीं होगा। आज हमारी शिक्षा का उद्देश्य बच्चों का शारीरिक, मानसिक, चरित्रिक, नैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास करना है और उन्हें किसी उद्योग अथवा उत्पादन कार्य में निपुण कर लोकतंत्रा में सबल, योग्य एवं सुसंस्कृत नागरिक बनाना है। देश का नैतिक पतन रोकने के लिए आज धार्मिक शिक्षा और आध्यात्मिक विकास की भी आवश्यकता अनुभव की जा रही है। समुदाय हमें इन सब उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायता करता है। विद्यालय और समुदाय में सहयोग स्थापित करने के लिये निम्न सिद्धांतों का ध्यान रखना पड़ेगा।

  • समुदाय की सेवा की भावना – विद्यालय के वातावरण में समुदाय की सेवा करने की बात छिपी होनी चाहिये। समुदाय शिक्षा पर अपनी पूंजी व्यय करता है परन्तु इसके बदले में शिक्षा संस्थाओं से भी अपेक्षा करता है कि वह अपना कार्यक्रम समुदाय की सेवा के लिये आयोजित करे।
  • विद्यालय का ज्ञान – विद्यालय को समुदाय को अपने शैक्षिक कार्यक्रम का ज्ञान समय समय पर देते रहना चाहिए क्योंकि समुदाय अपने बच्चों को विद्यालय में भेजता है। समुदाय यह भी जानने की अपेक्षा करता है कि विद्यालय उनके लिये क्या कर रहा है। इसके लिए विद्यालय प्रगति रिपोर्ट, पत्रिका डियाजन आदि के माध्यम से जानकारी दे सकता है।
  • समुदायिक पृष्ठभूमि के अनुसार बच्चों का अनुकूलन- विभिन्न प्रकृति के समुदायों में विद्यालय की भूमिका भिन्न-भिन्न होगी। समुदाय की प्रकृति के अनुसार बालक की आवश्यकतायें भी भिन्न-भिन्न होंगी। इस बात का ध्यान रखा जाये कि सामुदायिक पृष्ठभूमि के अनुसार बच्चें का अनुकूलन किया जाये ताकि बच्चा बडा होकर समुदाय का एक उपयोगी अंग बन सके।
  • समुदाय का ज्ञान- समुदाय और विद्यालय में अच्छे संबंध स्थापित करने के लिये यह आवश्यक है कि विद्यालय समुदाय का ध्यान रखें। विद्यालय को समुदाय की आवश्यकताओं, भौतिक और मानवीय साधनों का ज्ञान रखना चाहिये। यह ज्ञान सर्वेक्षण, साक्षात्कार और संगठनों की सदस्यता ने तथा अनुभवों से प्राप्त किया जा सकता है। इससे विद्यालय समुदाय को समझ सकेगा और संबंध सुदृढ़ होंगे।
  • विद्यालय की सहायता की भावना-समुदाय को विद्यालय की सहायता करने के लिये सैदव तैयार रहना चाहिए क्योंकि विद्यालय तब ही महत्वाकांक्षाओं और आवश्यकताओं के अनुरूप बन सकेगा।

समुदाय और विद्यालय में सहयोग
विद्यालय और समुदाय में सहयोग तभी संभव है जब समुदाय विद्यालयों के प्रति और विद्यालय समुदाय के प्रति अपने अपने कर्तव्यों का निर्वाह करे। विद्यालय को सामुदायिक जीवन का केन्द्र बनाने, शिक्षा सुधार करने, समुदाय के जीवन में सुधार करने तथा शिक्षा कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देने एवं लोकप्रिय बनाने के लिये निम्नलिखित ढंग द्वारा विद्यालय और समुदाय में सहयोग स्थापित किया जा सकता है।
विद्यालय एवं समाज के संबंधों को विकसित करने के उपाय
1. विद्यालय पाठ्यक्रम समाज की आवश्यकताओं के अनुकूल हो अतः वह केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित न हो बल्कि उसके समाज की आकांक्षाओं एंव उपयोगिता का ध्यान रखा गया हो।
2. विद्यालय को प्रोढ शिक्षा, मनोरंजन, खेलकूद आदि प्रवृतियों का केन्द्र बनाया जाना चाहिये। विद्यालय भवन खेल के मैदान, पुस्तकालय, वाचनालय तथा अन्य साधन सुविधाओं का विद्यालय व समुदाय की सम्मिलित प्रवृतियों तथा प्रोढ शिक्षा के कार्य हेतु उपयोग किया जाना चाहिये।
3. विद्यालय को समाज के निकट जाने का प्रयास किया जाना चाहिये। विद्यालय के छात्रा एवं अध्यापक स्थानीय समुदाय के विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेकर विद्यालय समुदाय में सहयोग स्थापित करने में सहायता कर सकते हैं।
4. विद्यालय में अध्यापक अभिभावक संघ की स्थापना की जानी चाहिए इनकी बैठक भी समय समय पर बुलाई जानी चाहिये। इससे विद्यालय को संघ के माध्यम से बच्चों की प्रगति के विषय में बताना चाहिये। इससे शिक्षक और अभिभावक छात्रों की प्रगति एवं समस्याओं के समाधान को खोज सकते है तथा आपस में विचार विमर्श कर सकते है।
5. समुदाय को विद्यालय के निकट ले जाने का प्रयास भी किया जाना चाहिये। विद्यालय अपनी प्रबंधक कमेटियों में समुदाय के सदस्यों को उचित स्थान प्रदान करे। इससे समुदाय के सदस्यों का विद्यालय के प्रति उत्तरदायित्व बढेगा और सहयोग विकसित होगा।
6. विद्यालय समुदाय के ऐतिहासिक धार्मिक, वैज्ञानिक तथा शैक्षिक स्थलों पर विद्यार्थियों का शैक्षिक भ्रमण ले जाने का प्रबंध करें। इससे बच्चों को समुदाय के विषय में ज्ञान प्राप्त होगा कि समाज हमारे लिए क्या सुविधायें प्रदान कर रहा है।
7. सामुदायिक सेवा कार्यो द्वारा भी विद्यालय समुदाय बढ़ाने चाहिये। सामुदायिक विकास या सेवा कार्यो की विभिन्न प्रयोजनाओं के रूप् में प्रभावशाली बनाने का प्रयास किया जाना चाहिये। विद्यालय सामुदायिक हित के लिए सार्वजनिक सफाई, वृक्षारोपण पेयजल की व्यवस्था, प्रौढशिक्षा इत्यादि प्रायोजनाओं को बढ़ावा दे सकता है।
8. सामुदायिक सर्वेक्षण द्वारा समुदाय की विभिन्न समस्याओं का अध्ययन कर उनके निराकरण के उपाय सुझाये जा सकते हैं। सर्वेक्षणों द्वारा विद्यालय समुदाय के संबंध सुदृढ़ होते हैं तथा एक दूसरे को समझने का मौका मिलता है।
9. विद्यालय, राष्ट्रीय सेवा योजना (एन.एस.एस) (एन.सी.सी) (स्काऊटिंग) इत्यादि कैंप लगाकर भी समुदाय में व्याप्त असंगितों को दूर कर सके उसे सहयोग प्रदान कर सकता है।
10. विद्यालय समुदाय के पिछडे वर्ग के बच्चों को बुक बैंक के माध्यम से मुफत पुस्तकें उपलब्ध करा सकता है। उन्हें छात्रावृत्तियाॅ शुल्क छूट देकर शिक्षा के अवसर प्रदान कर सकता है।
11. विद्यालय रक्त् कोष के लिए छात्रों के माध्यम से रक्तदान का अभियान चलाकर समाज की सेवा करने का प्रयास कर सकता है।
12. राष्ट्रीय संकट के समय विद्यालय विभिन्न कार्यक्रमों को आयोजित कर समुदाय में देश की भावना पैदा कर सकता है।
13. समुदाय के ऊपर आई दैवी विपत्तियाॅ का सामना करने के लिये विद्यालय आर्थिक सहायता की व्यवस्था कर सकता है। विद्यालय के बच्चें चनदा इकट्ठा करने में सहायता कर सकते हैं।
14. समुदाय विद्यालय को अच्छा वातावरण प्रदान करके बच्चों के विकास में सहायता कर सकता है। अभिभावकों का यह कर्तव्य है कि वे समय समय पर बच्चों को विद्यालय के सभी कार्यो में भाग लेने की प्रेरणा दें, उनका सहयोग करें उनके लिये आवश्यक साधन एवं उपसाधन जुटायें।
15. विद्यालयों को विभिन्न व्यवस्थाओं एवं उद्योगों की शिक्षा देनी चाहिये जिसे पाकर समाज के सदस्य आर्थिक क्षेत्रा में सफलता प्राप्त कर सके। समुदाय को विभिन्न व्यवसायों की शिक्षा देने के लिये विद्यालय को आर्थिक रूप् से सहायता देनी चाहिये।
16. विद्यालय को समय समय पर खेलकूद एवं विभिन्न साहित्यक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिये और इन अवसरों पर समुदाय के सदस्यों को आमंत्रित करना चाहिये।
अन्त में हम कह सकते है कि विद्यालय एवं समुदाय के आपसी सहयोग पर ही समुदाय और विद्यालय का अस्तित्व सुरक्षित है। इसके लिये अध्यापक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। यदि अध्यापक चरित्रावान होंगे, अपने विषय के विशेषज्ञ होंगे, बच्चों के प्रति उनका व्यवहार सहानुभूतिपूर्ण होगा और वे समुदाय के हित को भी ध्यान में रखेंगे तो समुदाय के सदस्य स्वयं ही उनकी आकर्षित होंगे और उनका सहयोग करेंगे। इसके साथ ही अध्यापक को समुदाय की कठिनाईयों को समझकर उन्हें दूर करने के लिये विद्यालयों की सहयोग प्रदान करना चाहिये।
जाॅन डीबी के शब्दों में उत्तम और सबसे बुद्धिमान माता-पिता जो कुछ बच्चें के लिये चाहते हैं वही समुदाय अपने सभी बच्चों के लिये चाहेगा।
स्कूल और समुदाय में उद्देश्य समान है।
दोनों का मुख्य उद्देश्य बच्चे के व्यक्तित्व के सभी पहलुओं को विकसित करता है। बच्चों का विकास ही समुदाय का विकास है। यह बहुत आवश्यक है कि स्कूल अच्छी प्रकार से कार्य करें और ऐसा करते हुए समुदाय की आवश्यकताओं को ध्यान में रखें।
समुदाय का महत्व
समुदाय का महत्व इस तथ्य से समझा जा सकता है कि स्कूल विद्यार्थियों के जीवन और जिस समुदाय से वे संबंध रखते है, उनसे घनिष्ट संबंध रखता है। नहीं तो स्कूल कभी भी अपने विद्यार्थियों को बाहर भेजने, समाज का सामना करने और उनमें आवश्यक समायोजन करने में सफल नहीं होगा और न ही एक सामाजिक समुदाय होने के नाते इसका समाज पर इतना महत्वपूर्ण प्रभाव पडेगा जितना कि पडना चाहिये। वास्तव में स्कूल और समुदाय शिक्षा के दो साधन है। दोनों का बच्चे के उभरते हुए व्यक्तित्व के विकास के प्रभाव होता है। समुदाय सेवाओें का उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना बढ़ाता है। यह हमें सहयोग में काम करने का प्रशिक्षण देती है। ये सेवायें एक दूसरे में एकता और एकीकरण की भावना विकसित करती है। ये सेवायें अच्छे नागरिक तैयार करती है और अच्छे नागरिक ही एक सुदढ संगठित राष्ट्र का निर्माण करते है।