हनुमान जयंती का अर्थ क्या है - hanumaan jayantee ka arth kya hai

Updated: | Fri, 30 Mar 2018 03:39 PM (IST)

मल्टीमीडिया। 31 मार्च को रामभक्त भगवान हनुमान का जन्मोत्सव है और पूरे देश में इस दिन धूम रहती है। लोग तरह-तरह से भगवान हनुमान को खुश करने की कोशिश करते हैं ताकि उनकी कृपा बनी रहे। जहां एक तरफ देश में इस दिन के लिए तैयारियां जारी हैं वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया में एक अलग बहस जारी है।

दरअसल, इन दिनों सोशल मीडिया में हनुमान जन्मोत्सव को लेकर एक संदेश तेजी से वायरल हो रहा है। इस मैसेज में कहा जा रहा है कि हनुमान जयंती नहीं बल्कि जन्मोत्सव मनाया जाना चाहिए। इस मैसेज में दावा किया गया है कि हनुमान जयंती उन लोगों की मनाई जाती है जो इस दुनिया में नहीं हैं, जबकि भगवान हनुमान को चिरंजीव होने का वरदान है और वो आज भी धरती पर विद्यमान हैं।

वैसे हिंदू इतिहास और पुराण अनुसार ऐसे सात व्यक्ति हैं, जो चिरंजीवी हैं। यह सब किसी न किसी वचन, नियम या शाप से बंधे हुए हैं और यह सभी दिव्य शक्तियों से संपन्न है।

मतलब, इन सात व्यक्तियों में परशुराम, राजा बलि, हनुमान, विभिषण, ऋषि व्यास, अश्वत्थामा और कृपाचार्य। हिंदू पुराणों के अनुसार इस धर्म के सभी भगवानों में से एकमात्र हमेशा धरती पर रहने वाला भगवान माना गया है।

इसे लेकर शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि-

अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषण:।

कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥

सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।

जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।

अर्थात इन आठ लोगों (अश्वथामा, दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि) का स्मरण सुबह-सुबह करने से सारी बीमारियां समाप्त होती हैं और मनुष्य 100 वर्ष की आयु को प्राप्त करता है।

पुराणों में उल्लेख मिलता है कि भगवान हनुमान को चिरंजीव होने का वरदान भगवान श्री राम और माता सीता से मिला था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, जब हनुमानजी माता सीता की खोज करते हुए लंका में पहुंचे और उन्होंने भगवान श्रीराम का संदेश सुनाया तो वे बहुत प्रसन्न हुईं। इसके बाद माता सीता ने हनुमानजी को अपनी अंगूठी दी और अमर होने के वरदान दिया।

उनके धरती पर होने को लेकर समय-समय पर कई तरह के दावे किए गए लेकिन कभी उनकी सत्यता साबित नहीं हो पाई। इसके बावजूद हिंदू धर्म में हनुमान जी को चिंरजीव माना जाता है जो धरती पर विचरण करते रहते हैं।

हनुमान गंधमार्दन पर्वत पर करते हैं निवास

पुराणों में उल्लेख है कि कलयुग में हनुमान गंधमार्दन पर्वत पर निवास करते हैं। एक कथा के अनुसार जब अपने अज्ञातवास के दौरान पांडव हिमवंत पार कर गंधमार्दन के पास पहुंचे थे। उस समय भीम सहस्त्रदल कमल लेने गंधमार्दन पर्वत के जंगलों में गए थे, यहां पर उन्होंने भगवान हनुमान को लेटे हुए देखा। इसी समय हनुमान ने भीम का घमंड भी चूर किया था।

यह कहना है पंडितों का

इस विषय पर जब ज्योतिष और धर्म के जानकार से बात हुई तो उनका कहना भी कुछ ऐसा ही था। ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जयंती उन लोगों की होती है जो अब इस संसार में नहीं हैं वहीं जो उस धरती पर मौजूद हैं उनका जन्मदिन या जन्मोत्सव मनाया जाता है। भगवान हनुमान का भी जन्मोत्सव ही मनाया जाना चाहिए जयंती नहीं। यह शास्त्र सम्मत भी है।

वहीं उज्जैन में स्थित सिद्धवट के पुजारी पं. उपेंद्र के अनुसार आज पाश्चात्य युग है और लोगों ने जन्मोत्सव को छोटा कर जयंती बना दिया है वैसे दोनों का शाब्दिक अर्थ एक ही है। भगवान चाहे राम हो, कृष्ण हो या हनुमान हो उनके जन्म दिवस को जन्मोत्सव के रूप में ही मनाया जाता है। जैसे कृष्ण जन्माष्टमी होती है और राम नवमी मनाई जाती है। इन सभी दिनों को देवताओं के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। हनुमान जयंती को भी जन्मोत्सव के रूप में ही मनाया और पुकारा जाना चाहिए।

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हिंदी न्यूज़ धर्मHanuman Janmotsav 2022: हनुमान जी के जन्मोत्सव को जयंती कहना सही या गलत, आप भी जानें ज्योतिषाचार्य का मत

Hanuman Janmotsav in Hindi: हनुमान जी भक्तों के कष्ट हरने वाले हैं। मान्यता है कि हनुमान जी की पूजा करने से भक्तों के संकट दूर होते हैं। जानिए हनुमान जन्मोत्सव का महत्व-

हनुमान जयंती का अर्थ क्या है - hanumaan jayantee ka arth kya hai

Saumya Tiwariलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSat, 16 Apr 2022 08:17 AM

Hanuman Janmotsav 2022 Date in India: बजरंगबली के भक्तों के लिए हनुमान जन्मोत्सव का दिन खास होता है। इस साल हनुमान जन्मोत्सव 16 अप्रैल 2022, शनिवार को है। पौराणिक मान्यताओं व शास्त्रों के अनुसार,  चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। प्रभु राम भक्त हनुमान जी का जन्मोत्सव देशभर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

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हनुमान जयंती या जन्मोत्सव-

हनुमान जी के जन्मदिन को जन्मोत्सव कहा जाए या फिर जयंती, इस पर चर्चा हो रही है। जानकारों का कहना है कि इस दिन को जयंती नहीं बल्कि जन्मोत्सव कहना उचित है। ज्योतिषाचार्यों का मत है कि जयंती और जन्मोत्सव में अंतर होता है। जयंती का शब्द का इस्तेमाल उस व्यक्ति के लिए किया जाता है, जो संसार में नहीं है। लेकिन ये बात पवनपुत्र हनुमान जी पर लागू नहीं होती है। हनुमान जी को कलियुग के जीवित व जागृत देवता माने गए हैं। तुलसीदास जी ने भी कलियुग में हनुमान जी की मौजूदगी का उल्लेख किया है। मान्यता है कि भगवान राम से अमरता का वरदान पाने के बाद हनुमान जी ने गंधमादन पर्वत पर निवास बनाया है। कहा जाता है कि इसी स्थान से कलियुग में धर्म के रक्षक बजरंगबली जी निवास करते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दिन जो जयंती नहीं बल्कि जन्मोत्सव कहना उचित होगा।

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गंधमादन पर्वत कहां है?

शास्त्रों के अनुसार, गंधमादन पर्वत कैलास पर्वत के उत्तम में मौजूद है। इस पर्वत पर ही महर्षि कश्यप ने तपस्या की थी।

पवन पुत्र हनुमान के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा-

पौरा​णिक कथा के अनुसार, केसरी राज के साथ विवाह करने के बाद कई वर्षों तक माता अंजना को पुत्र सुख की प्राप्ति नहीं हुई। वह मंतग मुनि के पास जाकर पुत्र प्राप्ति का मार्ग पूछने लगीं। ऋषि ने बताया की वृषभाचल पर्वत पर भगवान वेंकटेश्वर की पूजा-अर्चना करो। फिर गंगा तट पर स्नान करके वायु देव को प्रसन्न करो। तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी। माता अंजना वायु देव को प्रसन्न करने में सफल रहीं। वायु देव ने उन्हें दर्शन देकर आशीष दिया कि उनका ही रूप उनके पुत्र के रूप में अवतरित होगा। इस तरह मां अंजना ने हनुमान जी के रूप में पुत्र को जन्म दिया। इसी कारण हनुमान को पवनपुत्र, केसरीनंदन आदि नामों से जाना जाता है।

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हनुमान जयंती का अर्थ क्या है - hanumaan jayantee ka arth kya hai

हनुमान जयंती क्यों कहा जाता है?

इस दिन हनुमान जयंती मनाये जाने के पीछे यह मान्यता है कि माता सीता ने हनुमान जी के समर्पण और भक्ति को देखकर उन्हें अमरता का वरदान दिया था. जिस दिन माता सीता ने वरदान दिया था उस दिन दीपावली थी. इसीलिए दीपावली के दिन भी हनुमान जयंती मनाई जाती है.

हनुमान जयंती का क्या मतलब?

हनुमान जयन्ती एक हिन्दू पर्व है। यह चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन हनुमानजी का जन्म हुआ था यह माना जाता है। हनुमान जी को कलयुग में सबसे प्रभावशाली देवताओं में से एक माना जाता है।

जन्मोत्सव और जयंती में क्या अंतर होता है?

क्या आप जानते है जयंतीजन्मोत्सव में क्या अंतर है? जयंती उन लोगों की मनाई जाती है जिनका कभी जन्म हुआ किंतु अब वे परमधाम में वास करते हैं । इसके उलट जन्मोत्सव या जन्मदिवस उन लोगो का मनाया जाता है जो जन्म से अब तक हमारे बिच जीवित हैं एवं पृथ्वीलोक पर ही निवास करते हैं ।

हनुमान जयंती साल में दो बार क्यों मनाई जाती है?

लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जयंती साल में एक बार नहीं दो बार मनाई जाती है। यह सही बात है। रामायण के अनुसार हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हुआ था। तो दूसरा जन्मदिन चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है।