इसे सुनेंरोकेंजो मनुष्य जिस देश में जन्म लेता है उस पर उस देश की मिट्टी का ऋण होता है। उसका शरीर उस देश का अन्न खा कर, उस देश की वायु में श्वास लेकर तथा उस देश का जल पीकर वृद्धि को प्राप्त होता है। मातृभूमि से हमें क्या मिलता है प्रश्न संख्या 12 के आधार पर बताइए? इसे सुनेंरोकेंभारत हमारी मातृभूमि है। यह हमारी मां के समान है और हमें
प्राण से भी प्रिय है। हमें अपने भारत पर गर्व है। साथ ही ऐसे देश का नागरिक होना अपने आप में गौरवान्वित करता है। हम अपनी मातृभूमि को खुशहाल कैसे रख सकते है? इसे सुनेंरोकेंमातृभूमि हमारी माँ के सामान जिसकी रक्षा करना हमारा परम् कर्त्तव्य है। हम माँ सामान मातृभूमि के आँचल में पले बड़े है उसके सम्मान में हम भारतवासी जितना अधिक करे उतना कम है। क्यों की माँ का कर्ज़ा हम कभी नहीं चूका सकते। अपनी मिटटी की सौंधी खुशबु किस को नहीं पसंद। इसे सुनेंरोकेंजिससे हमारा जीवन बनता है। अपनी के कर्ज को चुकाना हमारा फर्ज है। गोमाता हमें जीवन भर दूध पिलाती है उसकी सेवा करना हमारा धर्म है। हमारी मातृभूमि की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। मातृभूमि से हमें क्या मिलता है? इसे सुनेंरोकेंमातृभूमि हमें अपने मातृत्व की छाया में बड़ा करती है और कई प्राकृतिक विपत्तियों से हमारी रक्षा करती है। माँ का स्थान सबसे सर्वोच्च है जिसे हम बयांन नहीं कर सकते है। मातृभूमि की जगह हमारे मन में बसी हुई है। चाहे परस्थिति हमे कितना भी दूर करे लेकिन हम फिर अपने माँ के आँचल में समां जाते है। कवि अपनी मातृभूमि को अपना सब कुछ समर्पित क्यों करना चाहता है? इसे सुनेंरोकेंकवि मातृभूमि के लिए तन-मन-प्राण सब कुछ समर्पित करना चाहता है। वह अपने मस्तक, गीत तथा रक्त का एक-एक कण भी अपने देश की धरती के लिए अर्पित कर देना चाहता है। कवि अपने गाँव, द्वार-घर-आँगन आदि सभी के प्रति अपने लगाव को छोड़कर मातृभूमि के लिए सर्वस्व प्रदान करना चाहता है। इसलिए वह इन सभी से क्षमा याचना करता है। १ हमारे ऊपर अपनी मातृभूमि का क्या क्या ऋण हो सकता है?इसे सुनेंरोकेंहमारी मातृभूमि का सबसे बड़ा ऋण तो ये है कि हमने उसकी गोद में जन्म लिया। वो देश जिसमें हमने जन्म लिया वो हमारी मातृभूमि कहलाती है। उस मातृभूमि ने हमें इतना कुछ दिया। हम इसकी मिट्टी में पले-बढ़े, शिक्षा-दीक्षा ली, यहीं पर हम सभ्य और संस्कारी बने। विषयसूची हम अपने मातृभूमि के विकास के लिए क्या क्या कर सकते हैं?इसे सुनेंरोकेंहमने नौकरी, व्यवसाय आदि के माध्यम से जो धन अर्जित किया है, उसमें कुछ अंश गरीब, जरूरतमंदों व देशहित में खर्च करना चाहिए। इससे मन को शांति मिलती है। हमें आगे आकर भूगर्भ जलस्तर बचाने और समाज के इसके प्रति जागृति फैलाने का काम भी बढ़-चढ़कर करना चाहिए। यहीं सच्चा राष्ट्र के प्रति उत्तरदायित्व का निर्वहन है। जन्मभूमि और मातृभूमि में क्या अंतर है? इसे सुनेंरोकेंAnswer: मातृभूमि का मतलब है, हमारी जन्मभूमि और मदरलैंड से है | जहां हम जन्म लेते है और रहते है| जिस देश के हम निवासी होते है| हमारा अपना देश जहां हम रहते है काम करते है | मुझे अपनी मातृभूमि, भारत पर गर्व है। मातृ और मातृ भूमि दुनिया की दो महान चीजें हैं। मातृभूमि वीरों से क्या अपेक्षा?इसे सुनेंरोकेंउत्तर – मातृभूमि वीरों से अपेक्षा करती है कि वे उसकी रक्षा करें। प्रश्न-3 ‘शीश’ शब्द का अर्थ लिखिए। उत्तर – शीश’ शब्द का अर्थ ‘सिर’ है। मातृभूमि की विशेषताएं क्या है? इसे सुनेंरोकेंमातृभूमि किसी भी व्यक्ति के देश के लिए प्रयुक्त होने वाला शब्द है,जैसे कि किसी व्यक्ति का जन्म-स्थान ,उसके पूर्वजों का स्थान अर्थात् जिस स्थान पर उसकी कई पीढ़ियाँ रहती आ रही हों वो मातृभूमि कहलाती है। 1 हमारे ऊपर अपनी मातृभूमि का क्या क्या ऋण हो सकता है?`?इसे सुनेंरोकेंमातृभूमि व उसकी जलवायु का हमारे जन्म, जीवन, शरीर के निर्माण व सुखों में बहुत बड़ा भाग होता है। जहां-जहां हमारा पालन पोषण होता है उनका ऋण हमारे ऊपर होता है। . हमें सदैव और मातृभूमि की सेवा करनी चाहिए। जननी और जन्मभूमि में क्या अंतर है? इसे सुनेंरोकेंजननी मतलब जो हमें जन्म देती यानी हमारी(माता) होती है। और जन्मभूमि वो है जहा हम जनम लेते है। मात्र रहता से आप क्या समझते हैं?इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: जन्म लेने के बाद मानव जो प्रथम भाषा सीखता है उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं। मातृभाषा, किसी भी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषाई पहचान होती है। मातृभूमि के वीरों का क्या तात्पर्य है? इसे सुनेंरोकेंअपना घर अपना देश तो सब रोशन करते हैं लेकिन संसार को रोशन करने वाले विरले ही मिल पाते हैं। तात्पर्य यह कि उपरोक्त पंक्तियों में जिस विभूति का उल्लेख किया गया है। उस जैसे विभूति के देश में रहना ही अपने आप में गर्व की अनुभूति का बोध कराता है। मातृभूमि के चरण धोने वाला कौन है?इसे सुनेंरोकेंअर्थ: कवि कहता है कि हे माँ! समुद्र जिसके पैरों की धूल को अपने जल से लगातार धोकर प्रणाम करता है, मैं भी उन्हीं चरणों को दबाना चाहता हूँ अर्थात कवि मातृभूमि की सेवा करना चाहता है। |