गुलाबी मटर की खेती कैसे करें? - gulaabee matar kee khetee kaise karen?

GardenSeedsMarket - एक दशक से अधिक समय से कारोबार में है और शुरुआत से ही हमने अपने उत्पादों की गुणवत्ता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। वर्षों के दौरान हम दुनिया भर से ग्राहकों के हजारों के लिए सबसे अच्छी गुणवत्ता के सामान दिया है। उनकी संतुष्टि साबित करती है कि हमने सही रास्ता चुना था।

हमारे द्वारा बेचे जाने वाले सभी बीज एक बहु-स्तरीय गुणवत्ता नियंत्रण जांच के अधीन हैं और केवल तब सावधानीपूर्वक पैक किए जाते हैं और भेजे जाते हैं। हमारे उत्पादों को कई प्रमाणपत्रों से सम्मानित किया गया है और यूरोपीय संघ के उच्चतम मानकों का अनुपालन करते हैं। हमारे कर्मचारी अनुभवी माली हैं जो आपके हर सवाल का जवाब देने के लिए खुश हैं।

हमारे बीज कहाँ से आते हैं?

हमारी दुकान में बिकने वाले सभी बीज यूरोपीय संघ के सर्वश्रेष्ठ उत्पादकों से आते हैं। उनके साथ लंबे समय तक सहयोग करने के लिए धन्यवाद, हम सबसे पर्याप्त भंडारण और प्रेषण स्थितियों को विकसित करने में सक्षम थे, यह गारंटी देते हुए कि आप हमेशा बीज के ताजा और सावधानीपूर्वक परीक्षण किए गए बैच प्राप्त करते हैं। पूरी प्रक्रिया से बिचौलियों का बहिष्कार न केवल हमारे लिए संभव है कि हम बाहर के बीज भेजने से बचें जो कि गोदाम के शेल्फ पर बहुत लंबे समय से पड़े हुए हैं, बल्कि उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के लिए सबसे आकर्षक कीमत सुनिश्चित करता है।

गुणवत्ता नियंत्रण प्रक्रिया

हमारे सभी बीजों को एक चार-चरण गुणवत्ता नियंत्रण प्रक्रिया पास करनी चाहिए।

स्टेज एक आपूर्तिकर्ताओं के सावधान चयन के साथ शुरू होता है। हम अपनी फसलों को नियंत्रित करने के लिए आगे बढ़ते हैं, विदेशी उत्पादकों को गुणवत्ता नियंत्रण प्रक्रिया से बाहर नहीं रखा जाता है। पौधों को उनके विकास के हर चरण में जांचा जाता है: जब वे बढ़ने लगते हैं, खिलने के दौरान और जब वे फल (बीज) लेना शुरू करते हैं। इस स्तर पर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पौधों की उचित दूरी सुनिश्चित करना। इसके लिए धन्यवाद कि प्रत्येक विशेष प्रजाति या विविधता की वांछित रूपात्मक विशेषताओं, जैसे कि रंग, ऊंचाई और आकार को प्राप्त करना सुनिश्चित किया जा सकता है।

स्टेज दो में प्रयोगशाला स्थितियों में एक विस्तृत सत्यापन परीक्षण शामिल हैं। उच्च योग्य कर्मचारियों द्वारा उच्चतम गुणवत्ता वाले उपकरणों के उपयोग के साथ, हमारे आपूर्तिकर्ता सालाना 30 000 से अधिक गुणवत्ता जांच करते हैं। बीज जो हमारी आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते हैं, वे तकनीकी शोधन प्रक्रियाओं के अधीन हैं, जिसमें सुखाने, सफाई, उन्नयन और फिर से परीक्षण शामिल हैं।

चरण तीन चयनित नियंत्रण भूखंडों में बीज बोने से शुरू होता है। इस तरह हम उनके अंकुरण से संबंधित मूल्यवान, सटीक जानकारी प्राप्त करते हैं जिसे उचित स्तर पर बनाए रखा जाना चाहिए। इसके साथ ही, इस चरण में प्रत्येक प्रजाति की भिन्न पहचान की जाँच की जाती है।

चरण चार हमारे गोदामों में जगह लेता है और उन बीजों को खत्म करने में शामिल होता है जो हमारी अलमारियों पर बहुत लंबे समय तक संग्रहीत किए गए हैं और उन्हें अलग-अलग बैचों के साथ बदल रहे हैं। प्रत्येक पैकेज को एक अद्वितीय बैच संख्या के साथ मुहरबंद किया जाता है और बोया गया तारीख के साथ भी।

सभी चार चरण संयुक्त रूप से हमें इस विश्वास के साथ बताने की अनुमति देते हैं कि बीज हम उच्चतम मानकों का अनुपालन करते हैं और उड़ान रंगों के साथ सभी आवश्यक नियंत्रण चरणों को पूरा कर चुके हैं।

पुरस्कार और पुरस्कार

हम जो बीज बेचते हैं, उनकी गुणवत्ता के लिए व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है और कई पुरस्कार जीते हैं। हमारे बीजों ने अपनी उच्च गुणवत्ता के लिए कई स्वर्ण पदक और अंतर जीते। फूलों के विश्व को उनके अभिनव दृष्टिकोण के लिए सम्मानित भी किया गया था।

उन पुरस्कारों में शामिल थे: शीर्ष नवाचार (जून 2015), POZNAN अंतर्राष्ट्रीय FAIR (2015) में स्वर्ण पदक, CONSUMER गुणवत्ता लीडर (2014), वर्ष का विजेता (2014)।

इसके अलावा, हमें लगातार दो वर्षों के लिए "IDEAL BUSINESS" प्रमाणपत्र भी दिया गया है।

अंकुरण

हम केवल उच्चतम गुणवत्ता वाले बीज बेचने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारे द्वारा किए गए प्रयासों को ध्यान में रखते हुए, कृपया यह भी ध्यान दें कि पौधे जीवित जीव हैं और उनका अंकुरण और विकास कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि तापमान, मिट्टी का प्रकार, आर्द्रता और उनके साथ आवृत्ति, जो उन्हें पानी पिलाया जाता है, समय और परिस्थितियों को बोना, उपयोग उर्वरकों और पौधों की सुरक्षा एजेंटों (कीटनाशकों) के साथ-साथ मौसम और जलवायु की स्थिति। हम सटीक और अद्यतित बुवाई और बढ़ती जानकारी साझा करके मदद प्रदान करते हैं, हालांकि, हम उन पौधों के लिए कोई ज़िम्मेदारी नहीं उठा सकते हैं जो दी गई प्रजातियों के लिए उपयुक्त परिस्थितियों में खेती नहीं की गई थीं।

मटर की खेती से एक सीजन में कमाएं 3.50 लाख तक मुनाफा

दलहनी सब्जियों में मटर का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है। मटर की खेती से जहां एक ओर कम समय में पैदावार प्राप्त की जा सकती है वहीं ये भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में भी सहायक है। फसल चक्र के अनुसार यदि इसकी खेती की जाए तो इससे भूमि उपजाऊ बनती है। मटर में मौजूद राइजोबियम जीवाणु भूमि को उपजाऊ बनाने में सहायत है। यदि अक्टूर व नबंवर माह के मध्य इसकी अगेती किस्मों की खेती की जाए तो अधिक पैदावार के साथ ही भूरपूर मुनाफा कमाया जा सकता है। आजकल तो बाजार में साल भर मटर को संरक्षित कर बेचा जाता है। वहीं इसको सूखाकर मटर दाल के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है। तो आइए जानते हैं कि इस उपयोगी मटर की अगेती फसल की खेती कर किस प्रकार अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।

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मटर की वैरायटी / मटर की अगेती किस्म / मटर की अगेती किस्में व उनकी विशेषताएं

1. आर्किल

यह व्यापक रूप से उगाई जाने वाली यह प्रजाति फ्रांस से आई विदेशी प्रजाति है। इसका दाना निकलने का प्रतिशत अधिक (40 प्रतिशत) है। यह ताजा बाजार में बेचने और निर्जलीकरण दोनों के लिए उपयुक्त है। पहली चुनाई बोआई के बाद 60-65 दिन लेती है। हरी फली के उपज 8-10 टन प्रति हेक्टेयर है।

2. बी.एल.

अगेती मटर - 7 (वी एल - 7)- विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा में विकसित प्रजाति है। इसका छिलका उतारने पर 42 प्रतिशत दाना के साथ 10 टन / हेक्टेयर की औसत उपज प्राप्त होती है।

4. जवाहर मटर 3 (जे एम 3, अर्ली दिसम्बर)

यह प्रजाति जबलपुर में टी 19 व अर्ली बैजर के संकरण के बाद वरणों द्वारा विकसित की गई है। इस प्रजाति में दाना प्राप्ति प्रतिशत अधिक (45 प्रतिशत) होता है। बुवाई के 50-50 दिनों के बाद पहली तुड़ाई प्रारंभ होती है। औसत उपज 4 टन/हैक्टेयर है।

5. जवाहर मटर - 4 ( जे एम 4)

यह प्रजाति जबलपुर में संकर टी 19 और लिटिल मार्वल से उन्नत पीड़ी वरणों द्वारा विकसित की गई थी। इसकी 70 दिनों के बाद पहली तुड़ाई शुरू की जा सकती है। इसके 40 प्रतिशत निकाले गए दानों से युक्त औसत फल उपज 7 टन/ हैक्टेयर होती है।

6. हरभजन (ईसी 33866)

यह प्रजाति विदेशी आनुवंशिक सामग्री से वरण द्वारा जबलपुर में विकसित की गई है। यह अधिक अगेती प्रजाति है और इसकी पहली चुनाई बोआई के 45 दिनों के बाद की जा सकती है। इससे औसत फली उपज 3 टन/हैक्टेयर प्राप्त की जा सकती है।

7. पंत मटर - 2 (पी एम - 2)

यह पंतनगर में संकर अर्ली बैजर व आई पी, 3 (पंत उपहार) से वंशावली वरण द्वारा विकसित हैं। इसकी बुवाई के 60- 65 दिन बाद पहली चुनाई की जा सकती है। यह भी चूर्णिल फफूंदी के प्रति अधिक ग्रहणशील है। इसकी औसत उपज 7 - 8 टन प्रति हैक्टेयर प्राप्त की जा सकती हैं।

8. मटर अगेता (ई-6)

यह संकर मैसी जेम व हरे बोना से वंशावली वरण द्वारा लुधियाना पर विकसित बौनी, अधिक उपज देने वाली प्रजाति है। इसकी पहली चुनाई बोआई के बाद 50-55 दिनों के भीतर शुरू की जा सकती है। यह उच्च तापमान सहिष्णु है। 44 प्रतिश दाना से युक्त औसत फली उपज 6 टन/हेक्टेयर प्राप्त की जा सकती है।

9. जवाहर पी - 4

यह जबलपुर में प्रजाति छोटी पहाडिय़ों के लिए विकसित चूर्णिल फफूंदी प्रतिरोधी और म्लानि सहिष्णु प्रजाति है। इसकी पहली चुनाई छोटी पहाडिय़ों में 60 दिन के बाद और मैदानों में 70 दिन के बाद शुरू होती है। छोटी पहाडिय़ों में औसत फली उपज 3-4 टन/हेक्टेयर और मैदानों में 9 टन/हेक्टेयर प्राप्त की जा सकती है।

10. पंत सब्जी मटर

यह जल्दी तैयार होने वाली प्रजाति है। इसकी फलियां लंबी और 8-10 बीजों से युक्त होती हैं। इसकी हरी फली उपज 9-10 टन प्रति हेक्टेयर प्राप्त की जा सकती है।

11. पंत सब्जी मटर 5

यह जल्दी तैयार होने वाली प्रजाति है। यह प्रजाति चूर्णिल फफूंदी रोग प्रतिरोधी होती है। इसकी पहली हरी फली चुनाई 60 से 65 दिनों के भीतर की जा सकती है और बीज परिपक्वता बोआई के 100 से लेकर 110 दिनों में होती है। इसकी हरी फली उपज 90-100 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। यह प्रजाति कुमाऊं की पहाडिय़ों और उत्तराखंड के मैदानों में खेती के लिए उपयुक्त है।

12. इसके अलावा जल्दी तैयार होने वाली अन्य अगेती किस्में

काशी नंदिनी, काशी मुक्ति, काशी उदय और काशी अगेती किस्में है जो 50 से 60 दिन में तैयार हो जाती हैं।

गुलाबी मटर की खेती कैसे करें? - gulaabee matar kee khetee kaise karen?

मटर की बुवाई का सही समय / भूमि व जलवायु व बुवाई का समय

इसकी खेती के लिए मटियार दोमट और दोमट भूमि सबसे उपयुक्त होती है। जिसका पीएच मान 6-7.5 होना चाहिए। इसकी खेती के लिए अम्लीय भूमि सब्जी वाली मटर की खेती के लिए बिल्कुल उपयुक्त नहीं मानी जाती है। इसकी खेती के लिए अक्टूबर-नवंबर माह का समय उपयुक्त होता है। इस खेती में बीज अंकुरण के लिए औसत 22 डिग्री सेल्सियस की जरूरत होती है, वहीं अच्छे विकास के लिए 10 से 18 डिग्री सेल्सियस तापमान बेहतर होता है।

मटर की उन्नत खेती कैसे करें 

खरीफ की फसल की कटाई के बाद भूमि की जुताई मिट्टी पलटने वाले हल करके 2-3 बार हैरो चलाकर अथवा जुताई करके पाटा लगाकर भूमि तैयार करनी चाहिए। धान के खेतों में मिट्टी के ढेलों को तोडऩे का प्रयास करना चाहिए। अच्छे अंकुरण के लिए मिट्टी में नमी होना जरुरी है।

आवश्यक बीज दर व बुवाई का तरीका / मटर का पौधा

अगेती बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है। इसकी बुवाई से पहले रोगों से बचाने के लिए इसे उपचारित कर लेना चाहिए। इसके लिए थीरम 2 ग्राम या मैकोंजेब 3 ग्राम को प्रति किलो बीज शोधन करना चाहिए। इसकी अगेती किस्म की बुवाई करने से 24 घंटे पहले बीज को पानी में भिगोकर रख रखना चाहिए तथा इसके बाद छाया में सुखाकर बुवाई करनी चाहिए। इसकी बुवाई के लिए देशी हल जिसमें पोरा लगा हो या सीड ड्रिल से 30 सेंमी. की दूरी पर बुआई करनी चाहिए। बीज की गहराई 5-7 सेंमी. रखनी चाहिए जो मिट्टी की नमी पर निर्भर करती है।

खाद व उर्वरक 

मटर में सामान्यत: 20 किग्रा, नाइट्रोजन एवं 60 किग्रा. फास्फोरस बुआई के समय देना पर्याप्त होता है। इसके लिए 100-125 किग्रा. डाईअमोनियम फास्फेट (डी, ए,पी) प्रति हेक्टेयर दिया जा सकता है। पोटेशियम की कमी वाले क्षेत्रों में 20 कि.ग्रा. पोटाश (म्यूरेट ऑफ पोटाश के माध्यम से) दिया जा सकता है। जिन क्षेत्रों में गंधक की कमी हो वहां बुआई के समय गंधक भी देना चाहिए। यदि हो सके तो मिट्टी की जांच अवश्य करा ले ताकि पोषक तत्वों की पूर्ति करने में आसानी हो सके।

मटर की सिंचाई कब- कब करें 

ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में हम आपको यहां बता रहे हैं कि मटर के पौधे में कितने दिन में पानी दें। मटर की उन्नत खेती में प्रारंभ में मिट्टी में नमी और शीत ऋतु की वर्षा के आधार पर 1-2 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई फूल आने के समय और दूसरी सिंचाई फलियां बनने के समय करनी चाहिए। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हल्की सिंचाई करें और फसल में पानी ठहरा न रहे।

मटर की फसल के रोग / खरपतवार नियंत्रण

यदि खेत में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार, जैसे-बथुआ, सेंजी, कृष्णनील, सतपती अधिक हों तो 4-5 लीटर स्टाम्प-30 (पैंडीमिथेलिन) 600-800 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर की दर से घोलकर बुआई के तुरंत बाद छिडक़ाव कर देना चाहिए। इससे काफी हद तक खरपतवारों को नियंत्रित किया जा सकता है।

कटाई और मड़ाई

मटर की फसल सामन्यत: 130-150 दिनों में पकती है। इसकी कटाई दरांती से करनी चाहिए 5-7 दिन धूप में सुखाने के बाद बैलों से मड़ाई करनी चाहिए। साफ दानों को 3-4 दिन धूप में सुखाकर उनको भंडारण पात्रों (बिन) में करना चाहिए। भंडारण के दौरान कीटों से सुरक्षा के लिए एल्युमिनियम फोस्फाइड का उपयोग करना चाहिए।

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उपज प्राप्ति

उत्तम कृषि कार्य प्रबन्धन से लगभग 18-30 किवंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त की सकती है।

कितनी हो सकती है कमाई

बाजार में सामान्यत: मटर के भाव 20-40 रुपए प्रति किलो के हिसाब से होते हैं। यदि औसत भाव 30 रुपए प्रति किलो भी लगाए तो एक हेक्टेयर में 70 हजार रुपए तथा इस प्रकार यदि 5 हेक्टेयर में इसकी बुवाई की जाए तो एक बार में 3 लाख 50 हजार रुपए की कमाई की जा सकती है। बता दें कि मटर, गेहूं और जौ के साथ अंत: फसल के रूप में भी बोई जाती है। हरे चारे के रूप में जई और सरसों के साथ इसे बोया जाता है। इस प्रकार आप अन्य फसलों के साथ इसकी बुवाई कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

मटर की खेती से लाभ

अनुमानित कुल लागत- 20,000 रुपए /हेक्टेयर
मटर की उपज- 30.00 क्विंटल/ हेक्टेयर
प्रचलित बाजार मूल्य- 30.00 रुपए/ किलोग्राम
कुल आमदनी- 90,000 रुपए
शुद्ध आय- 70,000 रुपए

यदि आप 5 हेक्टेयर में मटर खेती करते हैं तो आप इससे एक सीजन में 3,50,000 रुपए कमा सकते हैं।

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मटर में कौन सा खाद देना चाहिए?

मटरका पौधा पानी खाद की कमी के कारण ही मुरझाता है। इसलिए मटर की फसल में पर्याप्त पानी खाद का उपयोग करें। साथ ही अधिक उपज लेने के लिए नाइट्रोजन फासफोरस काे उपयोग लें।

मटर का सबसे अच्छा बीज कौन सा है?

टॉप 10 मटर की उन्नत किस्में कौन कौन सी है?.
अपर्णा मटर बीज –.
रचना मटर बीज –.
आर्किल मटर बीज –.
जवाहर मटर बीज किस्म –.
काशी उदय मटर सीड्स –.
पंत सब्जी मटर की किस्में –.
बी.एल. अगेती मटर –.

मटर में कौन सा टॉनिक डालें?

डायनोकेप 48 ईसी या ट्राइडेमार्फ़ 80 ईसी प्रति लीटर पानी की दर से 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें। रोग रोधी किस्में जैसे रचना, पंत मटर 5, शिखा सपना, मालवीय मटर उगाएं।

मटर में फूल आने पर क्या करें?

फूल झड़ने से रोकने के लिए कैल्शियम नाइट्रेट @ 1 ग्राम + बोरॉन 20% @ 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करें। 4. फूलों की संख्या बढ़ाने के लिए फूल आने की अवस्था में घुलनशील उर्वरक 13:0:45 @ 75 ग्राम प्रति पम्प की दर से छिड़काव करें