गेहूं के लिए सबसे अच्छा टॉनिक कौन सा है? - gehoon ke lie sabase achchha tonik kaun sa hai?

विषयसूची

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  • 1 गेहूं में सबसे अच्छा टॉनिक कौन सा है?
  • 2 सबसे ज्यादा पैदावार गेहूं कौन सा होता है?
  • 3 गेहूं की फसल में कौन सा टॉनिक डालें?
  • 4 गेहूं के रस्ट रोग के संचरण का तरीका क्या है?
  • 5 सबसे ज्यादा पैदावार वाली गेहूं कौन सा है?

गेहूं में सबसे अच्छा टॉनिक कौन सा है?

इसे सुनेंरोकेंकिसान समय पर फसल की हल्की सिचाई करें। पहली सिचाई बिजाई के 21 दिन बाद, दूसरी 45 दिन बाद व तीसरी सिचाई 65 दिन बात करें। पोषक तत्वों की कमी के कारण यदि फसल पर पीलापन है तो जिक या यूरिया का छिड़काव कर दें।

सबसे ज्यादा पैदावार गेहूं कौन सा होता है?

इसे सुनेंरोकेंबीज आधारित कई तकनीकी मूल्यांकन के बाद पाया गया कि HI-8663 (पोषण्) गेहूं की सबसे अच्छी और ज्यादा उपज देने वाली किस्म थी।

गेहूं में कौन सा टॉनिक डालना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंप्रथम सिंचाई के बाद 25-30 किग्रा. यूरिया एवं 4 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट को मिलाकर कतारों में देना चाहिए। तीसरी सिंचाई के पश्चात एवं गुड़ाई से पहले 15 किग्रा. यूरिया एवं 10 किग्रा पोटाश उर्वरक प्रति एकड़ की दर से कतारों में देना चाहिए।

गेहूं की फसल में कौन सा टॉनिक डालें?

इसे सुनेंरोकेंरासायनिक उर्वरको में नाइट्रोजन, फास्फोरस , एवं पोटाश मुख्य है . सिंचित गेहूँ में (बौनी किस्में) बोने के समय आधार मात्रा के रूप में 125 किलो नाइट्रोजन, 50 किलो स्फुर व 40 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिये. देशी किस्मों में 60:30:30 किग्रा. प्रति हेक्टेयर के अनुपात में उर्वरक देना चाहिए.

गेहूं के रस्ट रोग के संचरण का तरीका क्या है?

इसे सुनेंरोकेंजब बारिश के साथ सामान्य या सामान्य तापमान की तुलना में सिर्फ 3-4 डिग्री सेल्सियस अधिक तापमान होता है, तो गेहूं में पीले रतुआ के लिए बहुत अनुकूल पाया जाता है। तापमान भिन्नता का प्रभाव एक महीने के बाद दिखाई देगा। बीमारी हवा से भी फैलती है भारी ओस या रुक-रुक कर हो रही बारिश से रोग की गंभीरता बढ़ जाएगी

गेहूं कितने प्रकार के होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंUP-115, VL गेहूं -421, KSML -3, LOK-1 KSHIPRA (HD -2236) ,HS -86 HW -517, MLKS -11, HB -208 ,HUW -37,SKML -1, (सोनलिका मल्टीलाइन -1) मालवीया -55 ,(HUW -55), रोहिणी (CPAN -1676) ,स्वाती (HI-784), HD -2278 ,HD -2281, WL -2265, सुजाता (HI-617), KDW -16 (केरथी), KDW-177, (किरण) WH-283, HUW-206, PBW-34 ,राज -2104, HD-2329.

सबसे ज्यादा पैदावार वाली गेहूं कौन सा है?

इसे सुनेंरोकेंमध्यप्रदेश के किसानों के लिए गेहूं की पूसा तेजस (Pusa Tejas Wheat) किस्म किसी वरदान से कम नहीं है. गेहूं की यह किस्म दो साल पहले ही किसानों के बीच आई है. हालांकि इसे इंदौर कृषि अनुसंधान केन्द्र ने 2016 में विकसित किया था.

हमारे देश में वैसे तो सभी धर्म व सम्प्रदाय के लोग रहते हैं और सभी धर्मों में विभिन्न प्रकार के व्यंजन खाये व बनाये जाते हैं। इन सभी धर्मों में जिस फसल का सबसे ज्यादा उपयोग और उपभोग किया जाता है, वह हैः- गेहूँ। जी हाँ हमारे देश में गेहूँ सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाला खाद्य है और भारत वि‍श्‍वभर में दूसरे सर्वाधिक गेहूँ का उत्पादक है । 

रबी की फसलों में गेहूँ की फसल काफी महत्वपूर्ण है। यह वि‍श्‍व की जनसंख्या के लिए लगभग 20 प्रतिशत आहार कैलोरी की पूर्ति करता है। गेहूँ खाद्यान्न फसलों के बीच विशिष्ट स्थान रखता है। कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन गेहूँ के दो मुख्य घटक हैं। गेहूँ में औसतन 14 प्रोटीन व 72 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट होता है।

गेहूँ की एक ऐसी फसल है जिसकी हर चीज काम में आती है। गेहूँ के दाने, दानों को पीस कर प्राप्त हुआ आटे से रोटी, डबलरोटी, कुकीज, केक, दलिया, पास्ता, सिवईं, नूडल्स आदि बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। गेहूँ का किण्वन कर शराब और जैवईंधन बनाया जाता है। गेहूँ के भूसे को पशुओं के चारे या घरों के छप्पर निर्माण की सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

भारत में गेहूँ बहुतायत में उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार सहित मध्यप्रदेश व अन्य राज्यों में उगाया जाता है। 
 

अधिक उपज के लिए गेहूँ इस तरह उगाएं -

तापमानः-

बीजाई के समय 18 डिग्री सेन्टीग्रेड, उगने के समय 12 डिग्री सेन्टीग्रेड व कटाई के समय तापमान उच्च 25 डिग्री सेन्टीग्रेड होना चाहिए। 

वर्षाः-

50-100 से.मी. बारिश । 

मिट्टीः-

गेहूँ के लिए दोमट या बलुई दोमट, बलुई, भारी चिकनी मिट्टी में उगाया जा सकता है। आमतौर पर दोमट मिट्टी गेहूँ की सभी प्रकार की किस्मों के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है।

खेत तैयार कैसे करें ? 

पहले वाली फसल की पराली को मिट्टी में मिला देना चाहिए। जिसके सभी लाभ जानने के लिए यहाँ क्लिक करें ( parali abhishap nahin vardan )  खेत को तैयार करने की शुरूआत के समय 60 क्विंटल गोबर की खाद को प्रथम जुताई के समय ही मिट्टी मे मिला देना चाहिए। जिससे जैविक खाद बनेगी। रसायनो का उपयोग कम होगा। मिटटी में पोषक तत्वों का संतुलन होगा। जुताई हमेशा मिट्टी पलटने वाले हल (डिस्कहेरो) से करना चाहिए। जुताई भी कम से कम तीन व ज्याद से ज्याद 6 बार (3 से 6) करनी चाहिए। जमीन में नमी बनाये रखने के लिए प्रत्येक बार जुताई के बाद पाटा चलाना चाहिए। गेहूँ के लिए खेत तब तैयार माना जाता है जब खेत में गीली मिट्टी का लड्डू बनाकर ऊपर से छोड़ा जाए तो वह टूटे नहीं। खेत की जमीन हमेशा भूरभूरी रहनी चाहिए।

सही मिट्टी की जाँच कैसे करें ? 

बोआई के 15 दिन पूर्व मिट्टी की जाँच अवश्य करवानी चाहिए, जिससे किसान को मालूम चल सके की मिट्टी में किन तत्वों की अधिकता व कमी है। कौनसी बीज की किस्म का उपयोग किया जाना चाहिए साथ ही कौनसे उर्वरक कितनी मात्रा में आवश्यकता है। और अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें। ( soil health card scheme )

बीजरोपणः-

उत्पादन बढ़ाने के लिए गुणवत्तापूर्ण बीज एक महत्वपूर्ण चीज है। बीज के रोपण से पूर्व बीजोपचार अतिआवश्यक होता है। बोआई के समय जमीन में नमी होना बहुत ज्यादा जरूरी है। तापमान 20-25 डिग्री के बीच होना चाहिए इससे अधिक या कम तापमान बीजों के अंकुरण के लिए सही नहीं होता है। खेत की जुताई हल या आधुनिक उपकरण से करनी चाहिए ताकी मिट्टी पलट जाये और बीजों को ठीक तरीके से रोपा जा सके। गेहूँ की बोआई का सही समय 15 से 30 नवंबर के मध्य माना जाता है। इसके बाद बोआई की जाए तो उपज में भारी कमी आने लगती है। गेहूँ के बीज की बोआई के लिए 5-6 से0मी0 गहराई सही मानी जाती है। इससे ज्यादा या कम गहराई में बीजों का अंकुरण नहीं हो पाता है। गेहूँ की बोआई आमतौर पर हल के पीछे कूंड में, सीड ड्रिल द्वारा या हल के पीछे नाई बांध कर डिब्बर विधियों द्वारा की जाती है। इन सभी विधियों में सीड ड्रिल द्वारा बोआई सब से अच्छी विधि मानी जाती है, जो एक निश्चित अंतराल पर बीज का रोपण करती है।

गेहूँ के लिए बीज की दर बोने की विधि और समय पर निर्भर है। आमतौर पर अगेती फसल के लि‍ए 100 कि0ग्रा0 बीज प्रति हैक्टेयर व पछेती फसल के लि‍ए 125 कि0ग्रा0 बीज प्रति हैक्टेयर सही रहता है। फसलों की बीज जनित रोगों से बचाव के लिए बीजों को 2.5 ग्राम प्रति कि0ग्रा0 की दर से थीरम, कार्बेन्डाजीन, बीटावैक्स आदि दवाईयों से उपचारित किया जा सकता है। बीजों को दीमक से बचाने के लिए क्लोरोपाइरीफॉस 4 मिली/किग्रा मात्रा, कीटों के प्रकोप से बचाने के लिए एमिडोक्लोप्रिड 1 मिली/किग्रा मात्रा से बीजों को उपचारित किया जा सकता है। खेत खरपतवार रहित हो इसके लिए बीजों में मिलावट न हो एवं बीजों की साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए साथ ही बीजों को मान्यता प्राप्त संस्थानों, विश्वविद्यालयों से ही खरीदना चाहिए एवं बीजों की खरीद का बिल हमेशा लेना चाहिए।

गेहूं की कौनसी किस्म है सर्वोत्तम ?

बीज की किस्म का निर्धारण खेत की मिट्टी के पोषक तत्वों की उपस्थिति, जलवायु, पानी की उपलब्धता एवं बीज के उगाने का समय आदि पर निर्भर करता है। मृदा की जाँच के समय कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दी गई सलाह पर ही किस्म का निर्धारण करना चाहिए। भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल अकेले ने ही अधिक से अधिक उपज वाली गेहूँ की 400 से अधिक किस्में तैयार कर चुका हैं।

गेहूं की सामान्यतः प्रयोग की जाने वाली किस्में-

उत्तरी मैदानी क्षेत्रः-
अगेती फसल हेतुः- HD2967, HD3086, PBW17, WPW21-50, PBW 502, PBW550
पछेती फसल हेतुः- HD3059, RAJ3765, PBW1021, UP2425, PBW373, RAJ 3765
मिट्टी में नमक की मात्रा अधिक होेने की स्थिति मेंः KRL 1-4, KRL 219, KRL 210

पूर्वी मैदानी क्षेत्रः-
अगेती फसल हेतुः- HD2985, HD2824, RAJ4120, RAJ4229, KANPUR 307
पछेती फसल हेतुः- HD2643 (गंगा), HD2888, HD2733, गोमती, इन्दिरा

पोषक तत्वों का प्रबंधनः-

उर्वरक:-

किसी भी प्रकार की खेती में खाद और उर्वरक का निर्धारण मिट्टी जांच के बाद ही किया जाता है। गेहूँ की फसल में आमतौर पर 100-120 कि0ग्रा0 नाइट्रोजन, 20 कि0ग्रा0 फॉस्फोरस और 30 कि0ग्रा0 पोटाश प्रति हैक्टेयर दिया जाता है। पोषक तत्वों का निम्न प्रकार देना चाहियेः- आधा नाइट्रोजन और पूरी फॉस्फोरस (डीएपी के रूप में) व पोटाश बोआई के समय छिड़काव करें। आधा नाइट्रोजन 25-30 दिन बाद निराई -गुड़ाई व पहली सिंचाई के बाद छिड़काव करें। मिट्टी में यदि जिंक की कमी हो तो बुवाई के समय या खड़ी फसल में 25 किग्रा/हैक्टेयर जिंकसल्फेट का छिड़काव किया जा सकता है। जिससे दाना चमकीला व मोटा होता है।

सिंचाईः-

साधारणतः गेहूँ की फसल को 5-6 बार सिंचाई की जरूरत होती है। सामन्यतः माना जाता है कि जब तक मिट्टी का लड्डू बनता रहे तब तक सिंचाई नहीं करनी चाहिए अर्थात जब मिट्टी में नमी है, उसके बाद ही सिंचाई करनी चाहिए। बीज रोपण से पहले एक सिंचाई अवश्‍य करनी चाहि‍ए। गेहूँ की फसल को साढें चार माह की माना जाता है, एवं जब भी फसल में अवस्‍था परि‍वर्तन होता है तब सिंचाई की जानी चाहि‍ए

  1. पहली सिंचाई बोने के 20 से 25 दिन बाद (यह सबसे महत्‍वपूर्ण)
  2. दूसरी सिंचाई बोआई के लगभग 40-50 दिन बाद
  3. तीसरी सिंचाई बोआई के लगभग 60-70 दिन बाद
  4. चौथी सिंचाई फूल आने की अवस्था अर्थात बोआई के 80-90 दिन बाद 
  5. पांचवी सिंचाई बोने के 100-120 दिन बाद

खरपतवार से मुक्तिः-

गेहूँ की फसल को खरपतवार से बचाने के लिए इसका रोकथाम खुरपी से किया जा सकता है। सल्‍फो स्‍लफयूरान 24 ग्राम प्रति‍ हैक्‍टयर 400 से 500 लीटर पानी में मि‍लाकर बीजरोपण के 30 से 35 दि‍न पर छि‍डकाव कर रोकथाम की जा सकती है। 
रोग:- गेहूँ में गेरूई और मंडुआ रोग लग जाता है, जिसकें लिए अच्छी किस्म के बीज में कीटनाशक क्षमता पाई जाती हैं एवं बीजोपचार से इन रोगों से बचा जा सकता हैा जैवि‍क उपचार से भी रोग की रोकथाम की जा सकती हैा जैस-नीम की पति‍, नीम का व तेल गोमुत्र आदि‍ का छि‍डकाव कि‍या जा सकता हैा

बोआई में देरी होने पर सामान्य अरहर और गेहूँ फसल चक्र अपनाना सही रहता है।

सुरक्षित अन्न भण्डारण कैसे करें ? 

सुरक्षित भंडारण हेतु दानों में 10-12 प्रतिशत से अधिक नमी नहीं होना चाहिए। भंडारण के पूर्ण कमरो को साफ कर लें और दीवारों व फर्श पर मैलाथियान 50 प्रतिशत के घोल  को 3 लीटर प्रति 100 वर्गमीटर की दर से छिड़कें। अनाज को बुखारी, कोठिलों  या कमरे में रखने के बाद एल्युमिनियम फास्फाइड 3 ग्राम की दो गोली प्रति टन की दर से रखकर बंद कर देना चाहिए।

मार्केटिंगः- उपज अच्छी लेकिन उसका उचित मूल्य ना मिले तो सब बेकार हो जाता है। इसकें लिए भारत सरकार ने ई-नाम से एक नई योजना की शुरूआत की है। जिससे किसान भाई अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्‍त कर सकते हैं और अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें ( E-nam scheme )

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गेहूं में कौन सा टॉनिक डालना चाहिए?

किसान भाइयों उर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करना चाहिए, गेहूँ की अच्छी उपज के लिए खरीफ की फसल के बाद भूमि में 150 कि०ग्रा० नत्रजन, 60 कि०ग्रा० फास्फोरस, तथा 40 कि०ग्रा० पोटाश प्रति हैक्टर तथा देर से बुवाई करने पर 80 कि०ग्रा० नत्रजन, 60 कि०ग्रा० फास्फोरस, तथा 40 कि०ग्रा० पोटाश, अच्छी उपज के लिए 60 कुंतल ...

गेहूं से अधिक उपज कैसे प्राप्त करें

उच्च पैदावार सही पत्ती और अंकुर संख्या प्राप्त करने, हरी पत्ती की छतरी को बनाए रखने, अनाज की संख्या / कान और दाने के आकार को बढ़ाने से होती है । इन सभी घटकों के प्रबंधन में मदद करने के लिए सभी मैक्रो और सूक्ष्म पोषक तत्वों सहित एक संतुलित फसल पोषण कार्यक्रम आवश्यक है।

गेहूं में कौन सी दवाई का छिड़काव करें?

उन्होंने कहा कि गेहूं की फसल में जंगली जई, दूब घास, हिरन खुरी, बथुआ आदि का प्रकोप होता है। इन खरपतवारों के कारण गेहूं की फसल में 30-45 प्रतिशत की हानि हो सकती है। इसलिए कृषकगण 2-4 डी सोडियम लवण 80 प्रतिशत डब्ल्यूपी 01 लीटर दवा 500-600 लीटर पानी में मिलाकर पहली सिंचाई के बाद स्प्रे करें

गेहूं के लिए कौन सा एनपीके सबसे अच्छा है?

उर्वरकों का अनुप्रयोग जहां तक ​​संभव हो मिट्टी परीक्षण की सिफारिश के अनुसार एनपीके उर्वरक का प्रयोग करें। यदि मिट्टी परीक्षण की सिफारिश उपलब्ध नहीं है, तो 80:40:40 एनपीके किग्रा / हेक्टेयर की व्यापक सिफारिश अपनाएं। N का आधा और P2O और K2O5 की पूरी खुराक बुवाई से पहले मूल रूप से डालें और बुवाई लाइन में शामिल करें।