मंगल पांडे को फांसी देने का मुख्य कारण क्या था? - mangal paande ko phaansee dene ka mukhy kaaran kya tha?

मंगल पांडे के खुद को गोली मारने के बाद क्या हुआ?

इसे सुनेंरोकेंमंगल पांडेय ने अपनी गिरफ्तारी से पहले ही खुद को गोली मार ली लेकिन घाव गहरा नहीं था। इसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई और उन पर कोर्ट मार्शल कर 18 अप्रैल को फांसी पर चढ़ाने की सजा दी गई। इसके बाद भी ब्रिटिश शासन को भय था और इसलिए मंगल पांडेय को 10 दिन पहले यानी 8 अप्रैल 1857 को गुपचुप तरीके से फांसी पर चढ़ा दिया।

मंगल पांडे को फांसी क्यों दी गई थी क्योंकि उसने?

इसे सुनेंरोकेंअंग्रेजों को डर था कि मंगल पांडे ने विद्रोह की जो चिंगारी जलाई है वह देशभर में कहीं ज्वाला न बन जाए। इसलिए तय तारीख से 10 दिन पहले ही 8 अप्रैल 1857 को मंगल पांडे को फांसी दे दी गई। उनकी फांसी के बाद मेरठ समेत देश के तमाम जगहों पर सिपाहियों ने विद्रोह कर दिया।

1857 के विद्रोह के समय बैरकपुर में ब्रिटिश कमांडिंग ऑफिसर कौन था?

इसे सुनेंरोकेंमंगल पांडे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अंतर्गत 34वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री में एक सिपाही थे. सन 1857 की क्रांति के दौरान मंगल पाण्डेय ने एक ऐसे विद्रोह को जन्म दिया जो जंगल में आग की तरह सम्पूर्ण उत्तर भारत और देश के दूसरे भागों में भी फ़ैल गया.

मंगल पांडे का मूल नाम क्या था?

इसे सुनेंरोकेंक्रांतिकारी मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई, 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम दिवाकर पांडे तथा माता का नाम श्रीमती अभय रानी था. वे कलकत्ता (कोलकाता) के पास बैरकपुर की सैनिक छावनी में “34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री” की पैदल सेना के 1446 नंबर के सिपाही थे.

मंगल पांडे को फांसी देने का मुख्य कारण क्या था?

इसे सुनेंरोकेंलेकिन, गोली पसली से लगकर फिसलने से वो घायल हो गए और अंग्रेज़ों की गिरफ्त में आ गए. फिर भी न तो उन्होंने क्रांति की योजना के बारे में अंग्रेज़ों को कुछ बताया और न ही अपने साथियों के. उन्हें बगावत का दोषी कहकर अंग्रेज़ों ने फांसी की सज़ा दे दी.

मंगल पांडे ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह क्यों किया?

इसे सुनेंरोकेंदेश के प्रथम क्रांतिकारी मंगल पांडे ने अपना बलिदान देकर देशवासियों को आजादी की लड़ाई में आगे आने के लिए प्रेरित किया। मंगल पांडे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले क्रांतिकारी थे। उन्हें 8 अप्रैल 1857 को फांसी दी गई। ब्रिटिश सेना में रहते हुए उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोला था।

बैरकपुर में सैन्य विद्रोह कब हुआ?

इसे सुनेंरोकेंईस्ट इंडिया कंपनी के सिपाही मंगल पांडे ने बैरकपुर में ही 29 मार्च 1857 को एक अँग्रेज़ अफ़सर पर गोली चलाई और अपने साथियों से बग़ावत करने की अपील की. इस घटना को ही 1857 के विद्रोह की शुरुआत माना जाता है.

मंगल पांडे की जाति क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमंगल पाण्डेय का जन्म 30 जनवरी 1831 को संयुक प्रांत के बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे तथा माता का नाम श्रीमती अभय रानी था। सामान्य ब्राह्मण परिवार में जन्म लेने के कारण युवावस्था में उन्हें रोजी-रोटी की मजबूरी में अंग्रेजों की फौज में नौकरी करने पर मजबूर कर दिया।

आजादी की लड़ाई के अगदूत कहे जाने वाले मंगल पांडे का जन्म बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम दिवाकर पांडे एवं माता का नाम श्रीमती अभय रानी था। उनका जन्म एक सामान्य ब्राह्मण परिवार हुआ था।


> 1849 में तभी से वे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए और मंगल बैरकपुर की सैनिक छावनी में “34 वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री” की पैदल सेना में एक सिपाही रहे।

ईस्ट इंडिया कंपनी की स्वार्थी नीतियों के कारण मंगल पांडे के मन में अंग्रेजी हुकुमत के प्रति पहले ही नफरत थी। जब कंपनी की सेना की बंगाल इकाई में ‘एनफील्ड पी.53’ राइफल में नई कारतूसों का इस्तेमाल शुरू हुआ तो इन कारतूसों को बंदूक में डालने से पहले मुंह से खोलना पड़ता था। सैनिकों के बीच ऐसी खबर फैल गई कि इन कारतूसों को बनाने में गाय तथा सूअर की चर्बी का प्रयोग किया जाता है जो कि हिन्दू और मुसलमानों दोनों के लिए गंभीर और धार्मिक विषय था। 

इस अफवाह ने सैनिकों के मन में अंग्रेजी सेना के विरूद्ध आक्रोश पैदा कर दिया। इसके बाद 9 फरवरी 1857 को जब यह कारतूा देशी पैदल सेना को बांटा गया तब मंगल पाण्डेय ने उसे न लेने को लेकर विद्रोह जता दिया। इस बात से गुस्साए अंग्रेजल अफसर द्वारा मंगल पांडे से उनके हथियार छीन लेने और वर्दी उतरवाने क का आदेश दिया जिसे मानने से मंगल पांडे ने इनकार कर दिया। मंगल पांडे ने राइफल छीनने के लिए आगे बढ़ने वाले अंग्रेज अफसर मेजर ह्यूसन पर आक्रमण कर दिया। मंगल पांडेय ने बैरकपुर छावनी में 29 मार्च 1857 को अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल बजा दिया।

इतना ही नहीं मंगल पांडे ने रायफल से उस अंग्रेज अधिकारी मेजर ह्यूसन को मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद पांडे ने उनके रास्ते में आए एक और अंग्रेज अधिकारी लेफ्टिनेंट बॉब को भी मौत के घात उतार दिया। इस घटना के बाद उन्हें अंग्रेज सिपाहियों द्वारा गिरफ्तार किया गया और उन पर कोर्ट मार्शल द्वारा मुकदमा चलाकर 6 अप्रैल 1857 को फांसी की सजा सुना दी गई। 

फैसले के अनुसार उन्हें 18 अप्रैल 1857 को फांसी दी जानी थी, लेकि‍न अंग्रेजों द्वारा मंगल पांडे को दस दिन पूर्व ही 8 अप्रैल सन् 1857 को फांसी दे दी गई।

मंगल द्वारा विद्रोह किए जाने के एक महीने बाद ही 10 मई को मेरठ की सैनिक छावनी में भी बगावत हुई और यह विद्रोह देखते-देखते पूरे उत्तर भारत में फैल गया।

मंगल पांडे की शहादत की खबर फैलते ही अंग्रेजों के खिलाफ जगह-जगह संघर्ष भड़क उठा। हालांकि अंग्रेज इसे काबू करने में कामयाब रहे लेकिन मंगल पांडे द्वारा लगाई गई यह चिंगारी ही आजादी की लड़ाई का मूल बीज साबित हुई। 

यह विद्रोह ही भारत का प्राथम स्वतंत्रता संग्राम था, जिसमें सि‍र्फ सैनिक ही नहीं, राजा-रजवाड़े, किसान, मजदूर एवं अन्य सभी सामान्य लोग शामिल हुए। इस विद्रोह के बाद भारत पर राज्य करने का अंग्रेजों का सपना उन्हें कमजोर होता साबित हुआ।>