राधा कृष्ण की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कैसे करें? - raadha krshn kee moorti kee praan pratishtha kaise karen?

राधा कृष्ण की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कैसे करें? - raadha krshn kee moorti kee praan pratishtha kaise karen?

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Pran Pratishtha Vidhiकई बार आप लोगों ने सुना होगा कि नवनिर्मित मंदिरों में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है, लेकिन प्राण प्रतिष्ठा क्यों की जाती है और ये कैसे की जाती हैये बात बहुत कम लोग जानते हैं। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि किसी भी मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा क्यों की जाती है और इसका क्या विधि- विधान होता है।

राधा कृष्ण की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कैसे करें? - raadha krshn kee moorti kee praan pratishtha kaise karen?

भगवान की मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा क्यों की जाती है? – Pran pratishtha vidhi – murti sthapana mantra

  • किसी भी मंदिर के निर्माण के बाद सबसे पहले उनमें स्थापित होने वाले देवी देवताओं की मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है। पूरे नियम अनुसार इसे किया जाता है। प्राण प्रतिष्ठा करने में 3 से 5 दिन लगते हैं। 
  • ऐसा माना जाता है कि प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान प्रतिमाओं को जागृत करने के लिए किया जाता है। कहा जाता है कि प्राण-प्रतिष्ठा से पत्थर की मूर्तियों में प्राण तो नहीं आते, लेकिन उसके जागृत होने, सिद्ध होने का अनुभव किया जा सकता है। इस प्रक्रिया को कई विद्वानों, पंडितों द्वारा किया जाता है।
  • जिस स्थान पर मूर्ती को स्थापित किया जाता है वहां पर ज़मीन में सोना, चांदी, मुद्रा, अन्न आदि को रख कर मूर्ती के लिए एक पाट बनाया जाता है। 
  • प्राण प्रतिष्ठा किए जाने वाले स्थान पर वैदिक मंत्रों का उच्चारण किया जाता है और ध्वनियों का नाद किया जाता है। इस दौरान भगवान की मूर्तियों का कई प्रकार से अभिषेक किया जाता है।  कहा जाता है कि जब मूर्तियों में मंत्रों की शक्ति से प्राण प्रतिष्ठा होती है तो उनमें देवता वास करते हैं जो भक्तों के लिए बहुत फलदायी होता है
  • यह वास्तु आधारित भी होता है। मूर्ती की स्थापना जिस स्थान पर की जाती है, मंत्रों से उस स्थान से  नकारात्मक प्रभाव खत्म हो जाता है और सकारात्मक प्रभाव जागृत होता है। सकारात्मक ऊर्जा से वह जगह पवित्र हो जाती है। मंदिर में जिस शांति का अनुभव होता है, कहा जाता है वह वैदिक मंत्रों द्वारा ही होता है। 
  • ऐसा नहीं है कि प्राण-प्रतिष्ठा सिर्फ मंदिरों में की जाती है, बल्कि लोग अपने घर के मंदिरों में भी प्राण-प्रतिष्ठा कराते हैं। घर के पूजाघर में कोई भी मूर्ती स्थापित करने से पहले मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा कराई जाती है। माना जाता है जिस घर में प्राण प्रतिष्ठा होती है उस घर में भगवान साक्षात निवास करते हैं।

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प्राण प्रतिष्ठा पूजा विधि और मंत्र – pran pratishtha kaise kare  – pran pratishtha vidhi 

  • प्राण प्रतिष्ठा हमेशा शुक्ल पक्ष के मंगलवार को ही करें अथवा स्थिर लग्न और शुभ नक्षत्र में करें।
  • इस बात का ध्यान रहे कि राहुकाल में प्राण प्रतिष्ठा वर्जित है। 
  • सबसे पहले भगवान की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं। अगर पंचामृत नहीं है तो साफ जल, गंगा जल या दूध, दही से स्नान करा सकते हैं।
  • स्नान कराने के बाद उन्हें वस्त्र पहनाएं।  
  • अब प्रतिमा पर फूल, फल, धूप, नैवेद्य, चंदन, दीप, मिठाई,अक्षत आदि अर्पित करें।
  •  आरती करें।
  • अपने दायें हाथ में साफ जल लेकर इन मंत्रों का उच्चारण करें- 

अस्य श्री प्राण प्रतिष्ठा मंत्रस्य ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वराः ऋषय: ऋग्यजु सामानि छन्दांसि

क्रियामय वपु: प्राणाख्या देवता. आं बीजं ह्रीं शक्तिः क्रौं कीलकम् अस्मिन ( जिन भगवान की मूर्ती स्थापित करनी है उनका नाम) यंत्रे प्राण प्रतिष्ठापने विनियोग।

  • उच्चारण के बाद जल को भूमि पर गिरा दें।  

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प्राण प्रतिष्ठा मंत्र – pran pratishtha mantra pdf

ॐ आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं शं षं सं हों।।
ॐ क्षं सं हंसः ह्रीं ॐ हंसः –  महाप्राणा इहप्राणाः
आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं शं षं सं हों – मम जीव इह स्थितः    
आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं शं षं सं हों  – मम सर्वेन्द्रियाणीह स्थितानि
आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं शं षं सं हों  – मम वाड.मनश्चक्षु: श्रोत्र घ्राण प्राणा इहागत्य सुस्वचिरंतिष्ठन्तु ॐ क्षं सं हंसः ह्रीं ॐ स्वाहा।।

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राधा कृष्ण की प्राण प्रतिष्ठा कैसे करें?

सबसे पहले मुख्य हवन कुंड की बोली लगाई गई। उसके बाद महाआरती और अन्य हवन कुंड की बोलियों के साथ पंडित ने जोड़ों को हवन कुंड के पास बैठा कर यज्ञ हवन पूजा का कार्य शुरू किया। हवन यज्ञ के बाद पंडित विधि विधान से मंदिर में बाबा रामदेवजी महाराज श्री राधा-कृष्ण की मूर्तियों की स्थापना कर प्राणप्रतिष्ठा की गई।

मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा कैसे की जाती है?

प्राण प्रतिष्ठा.
ध्यान रखें.

घर में राधा कृष्ण की मूर्ति रखने से क्या होता है?

राधा कृष्ण के निःस्वार्थ प्रेम को सच्चे प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसलिए वैवाहिक जीवन में राधा कृष्ण के प्रेम जैसा सुख पाने के लिए उनकी तस्वीर लगाना शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि तस्वीर लगाने से पति-पत्नी के बीच प्रेम बना रहता है और वैवाहिक जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है।

राधा कृष्ण की पूजा कैसे की जाती है?

Radha Ashtami 2022 Date: भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है और ठीक 15 दिन बाद इसी माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी होती है. कहते हैं कि राधा अष्टमी के दिन व्रत रखने और राधा संग कृष्ण की पूजा करने से जीवन खुशियों से भर जाता है.