फागुन महीने में सभी पेड़-पौधों की डालों पर नए पत्ते आ गए हैं। उनमें से कुछ हरे हो चुके हैं तो कहीं अभी किसलय हैं जो हलके लाल रंग के हैं। वनस्पतियां रंग-बिरंगे फूलों से लद गई है, ऐसा लगता है मानो पेड़-पौधों के गले में मंद-सुगंधित पुष्पों की माला पड़ी है। ऐसा लगता है पेड़ पौधों ने नवजीवन पा लिया है। Show प्रश्न 2. कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ क्यों रखा गया है? उत्तर बादल कवि निराला का प्रिय विषय है। बादलों को देखते ही मन प्रफुल्लित हो उठता है क्योंकि बादल एक ओर तो पीड़ित प्यासे जन की आकांक्षा को पूर्ण करने वाला है, तो दूसरी तरफ़ वही बादल नई कल्पना और नए अंकुर के लिए विध्वंस, विप्लव और क्रांति की चेतना को संभव करने वाला है। बादलों से मन में ‘उत्साह’ उत्पन्न होता है इसलिए कवि ने कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ रखा। प्रश्न 3. कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है? उत्तर कविता में बादल निम्नलिखित अर्थों की ओर संकेत करता है – (1) पीड़ित और प्यासे लोगों की इच्छाओं की पूर्ति करने वाले परोपकारी रूप में। (2) सामाजिक क्रांति लाने वाले कवि के रूप में। (3) गर्मी से परेशान लोगों को राहत दिलवाने वाले लोक कल्याणकारी रूप में। (4) नयी कल्पना, नए अंकुर के लिए विध्वंस और क्रांति चेतना को संभव करने वाले के रूप में।
उत्तर ध्वनिवाचक शब्दों के प्रयोग से नाद-सौंदर्य उत्पन्न होता है। कविता में ‘घेर घेर घोर गगन’, ‘धाराधर’, ‘विकल-विकल’, ‘उन्मन थे उन्मन’ जैसे शब्दों का प्रयोग हुआ है, जो नाद-सौंदर्य उत्पन्न करते हैं।
क्या कुछ कह जाते, क्या संदेश देते देखो, इनकी गति कितनी निराली कितनी सुंदर इनकी शोभा प्यारी आगे बढ़ते जाते कभी न थकते हम भी आगे बढ़े कभी न थकें झरने की तरह गतिशील रहें II – अट नहीं रही है प्रश्न 1. छायावाद की एक खास विशेषता है अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए। उत्तर छायावाद की एक खास विशेषता है-अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। ‘अट नहीं रही है’ कविता की निम्नलिखित पंक्तियों से उपर्युक्त धारणा की पुष्टि होती है – (i) ‘आभा फागुन की तन सट नहीं रही है।
(ii) कहीं साँस लेते हो घर-घर भर देते हो, उड़ने को नभ में तुम पर-पर कर देते हो, आँख हटाता हूँ तो (iii) ‘कहीं पड़ी है उर में मंद-गंध-पुष्प-माल।
प्रश्न 2. कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है? उत्तर फागुन मास में प्रकृति में एक नया निखार आ जाता है। इसका सौंदर्य रंग-बिरंगे फूलों, पत्तों व हवाओं में दृष्टिगोचर होता है। फागुन की सुंदरता और उल्लास चारों तरफ़ दिखाई पड़ता है। कवि की आँखें फागुन की सुंदरता से अभिभूत हैं इसलिए वह इस पर से नज़रें हटा नहीं पाता।
प्रश्न 4. फागुन में ऐसा क्या होता है, जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है। उत्तर फागुन में प्रकृति की शोभा भीतर नहीं समाती, बल्कि बाहर दिखाई दिती है। फागुन की मादकता तन-मन को बाँधने की शक्ति रखती है। वृक्ष पल्लवित-पुष्पित होते हैं इसलिए मान रूपी पक्षी प्रकृति में आत्मसात हो जाना चाहता है। ये विशेषताएँ सामान्यतः अन्य महीनों में देखने को नहीं मिलती। प्रश्न 5. इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएं लिखिए। उत्तर कविता में फागुन में छाई मस्ती का चित्रण किया गया है। खड़ी बोली में रचित भाषा में लोकभाषा के शब्द हैं। प्राकृतिक सौंदर्य का सजीव चित्रण है। अंगार रस तथा माधुर्य गुण है। कोमलकांत पदावली का प्रयोग किया गया है। अलंकार योजना अनूठी है। प्रतीकों का सुंदर प्रयोग किया है। मानवीकरण अलंकार का प्रयोग। जैसे- कहीं सांस लेते हो। गीति शैली का प्रभावशाली प्रयोग। कवि ने गीति शैली के अनुसार सरलता तथा संक्षिप्तता का पूरा ध्यान रखा है। संपूर्ण कविता ह्रदय को प्रभावित करती है। कवि काव्य-रचना द्वारा फागुन का सौंदर्य दर्शन में सफल रहा है।
(1) सब ओर मस्ती का वातावरण दिखाई देता है। (2) होली के आस-पास वसंत की बहार छा जाती है। (3) उद्यान में रंग-बिरंगे पुष्प दिखाई देते हैं। (4) प्रकृति में चारों ओर हरियाली छा जाती है। (5) खेतों में गेंहूँ, सरसों की फसलें कटने को तैयार हो जाती हैं। पीली-पीली सरसों की शोभा देखते ही बनती है। फागुन के गले में क्या पड़ी है :पेड़ों पर नए पत्ते निकल आए हैं, जो कई रंगों के हैं। कहीं-कहीं पर कुछ पेड़ों के गले में लगता है कि भीनी-भीनी खुशबू देने वाले फूलों की माला लटकी हुई है। हर तरफ सुंदरता बिखरी पड़ी है और वह इतनी अधिक है कि धरा पर समा नहीं रही है।
फागुन ऋतु में वृक्षों के गले में पड़ी फूल माला किसका संकेत दे रही है 1 Point?Answer: Explanation: चारों ओर प्रकृति का सौन्दर्य चरम पर होता है। वृक्ष हरे-भरे पत्तों से युक्त रंग-बिरंगे फूलों की सुगंध से ऐसा लगता है मानो स्वयं वृक्षों ने मंद-सुगंध वाले फूलों की माला गले में धारण की हो।
फागुन मास के आते ही वृक्ष कैसे हो जाते हैं?फागुन का महीना मस्ती से भरा होता है जो सारी प्रकृति को नया रंग प्रदान कर देता है। पेड़-पौधों की शाखाएँ हरे--हरे पत्तों से लद जाती हैं। लाल-लाल कोंपलें अपार सुंदर लगती हैं। रंग-बिरंगे फूलों की बहार-सी छा जाती है।
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