लेखक ने नदियों और हिमालय का क्या रिश्ता कहा है answer? - lekhak ne nadiyon aur himaalay ka kya rishta kaha hai answair?


Getting Image
Please Wait...

लेखक ने नदियों और हिमालय का क्या रिश्ता कहा है answer? - lekhak ne nadiyon aur himaalay ka kya rishta kaha hai answair?

Course

NCERT

Class 12Class 11Class 10Class 9Class 8Class 7Class 6

IIT JEE

Exam

JEE MAINSJEE ADVANCEDX BOARDSXII BOARDS

NEET

Neet Previous Year (Year Wise)Physics Previous YearChemistry Previous YearBiology Previous YearNeet All Sample PapersSample Papers BiologySample Papers PhysicsSample Papers Chemistry

Download PDF's

Class 12Class 11Class 10Class 9Class 8Class 7Class 6

Exam CornerOnline ClassQuizAsk Doubt on WhatsappSearch DoubtnutEnglish DictionaryToppers TalkBlogJEE Crash CourseAbout UsCareerDownloadGet AppTechnothlon-2019

Logout

Login

Register now for special offers

+91

Home

>

Hindi

>

कक्षा 7

>

Hindi

>

Chapter

>

हिमालय की बेटियाँ

>

लेखक ने हिमालय को ससुर और समुद...

लेखक ने हिमालय को ससुर और समुद्र को दामाद क्यों कहा है?

लिखित उत्तर

Solution : नदियाँ हिमालय से निकलती हैं। इसी कारण लेखक ने हिमालय को नदियों का पिता कहा है। दूसरी ओर नदियाँ हिमालय से निकलकर समतल मैदान में दौड़ती हुई समुद्र से जा मिलती हैं। इसलिए लेखक ने हिमालय को ससुर और समुद्र को दामाद कहा है।

Comments

Add a public comment...

लेखक ने नदियों और हिमालय का क्या रिश्ता कहा है answer? - lekhak ne nadiyon aur himaalay ka kya rishta kaha hai answair?

Follow Us:

Popular Chapters by Class:

Class 6

AlgebraBasic Geometrical IdeasData HandlingDecimalsFractions


Class 7

Algebraic ExpressionsComparing QuantitiesCongruence of TrianglesData HandlingExponents and Powers


Class 8

Algebraic Expressions and IdentitiesComparing QuantitiesCubes and Cube RootsData HandlingDirect and Inverse Proportions


Class 9

Areas of Parallelograms and TrianglesCirclesCoordinate GeometryHerons FormulaIntroduction to Euclids Geometry


Class 10

Areas Related to CirclesArithmetic ProgressionsCirclesCoordinate GeometryIntroduction to Trigonometry


Class 11

Binomial TheoremComplex Numbers and Quadratic EquationsConic SectionsIntroduction to Three Dimensional GeometryLimits and Derivatives


Class 12

Application of DerivativesApplication of IntegralsContinuity and DifferentiabilityDeterminantsDifferential Equations


Privacy PolicyTerms And Conditions

Disclosure PolicyContact Us

Advertisement Remove all ads

Advertisement Remove all ads

MCQ

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

लेखक ने नदियों और हिमालय का क्या रिश्ता कहा है?

Options

  • पिता-पुत्र का

  • पिता-पुत्रियों का

  • माँ-बेटे का

  • भाई-बहन का

Advertisement Remove all ads

Solution

पिता-पुत्रियों का

Concept: गद्य (Prose) (Class 7)

  Is there an error in this question or solution?

Advertisement Remove all ads

Chapter 3: हिमालय की बेटियाँ - अन्य पाठेतर है हल प्रश्न

Q 7Q 6Q 8

APPEARS IN

NCERT Class 7 Hindi - Vasant Part 2

Chapter 3 हिमालय की बेटियाँ
अन्य पाठेतर है हल प्रश्न | Q 7

Advertisement Remove all ads

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 3 हिमालय की बेटियां is part of NCERT Solutions for Class 7 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 3 हिमालय की बेटियां.

Board CBSE
Textbook NCERT
Class Class 7
Subject Hindi
Chapter Chapter 3
Chapter Name हिमालय की बेटियां
Number of Questions Solved 31
Category NCERT Solutions

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

लेख से
प्रश्न 1.
नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है। लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते हैं?
उत्तर
नदियों को माँ स्वरूप तो माना हो गया है लेकिन लेखक नागार्जुन ने उन्हें बेटियों, प्रेयसी व बहन के रूप में भी देखा है।

प्रश्न 2.
सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएँ बताई गई हैं?
उत्तर-
सिंधु और ब्रह्मपुत्र हिमालय से निकलने वाली प्रमुख और बड़ी नदियाँ हैं। इन दो नदियों के बीच से अन्य दो छोटी-बड़ी नदियाँ बहती हैं। ये नदियाँ दयालु हिमालय के पिघले दिल की एक-एक बूंद इकट्ठा होकर ये नदी बनी हैं। ये नदियाँ सुंदर एवं लुभावनी लगती हैं।

प्रश्न 3.
काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है?
उत्तर-
जल ही जीवन है। ये नदियाँ हमें जल प्रदान कर जीवनदान देती हैं। ये नदियाँ लोगों के लिए कल्याणी एवं माता के समान पवित्र हैं। इन नदियों के किनारे ही लोगों ने अपनी पहली बस्ती बसाई और खेती बाड़ी करना शुरू किया। इसके अलावे ये नदियाँ गाँवों और शहरों की गंदगी भी अपने साथ बहाकर ले जाती रही हैं। इनका जल भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में विशेष भूमिका निभाता है। मानव के आधुनिकीकरण में जैसे-बिजली बनाना, सिंचाई के नवीन साधनों आदि में इन्होंने पूरा सहयोग दिया है। मनुष्य के लिए ही नहीं, बल्कि पशु-पक्षी, पेड़-पौधों आदि के लिए बहुत जरूरी है। इस प्रकार नदियाँ हमारे लिए कल्याणकारी हैं। यही कारण है कि काका कालेलकर ने उन्हें लोकमाता कहा है।

प्रश्न 4.
हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की है?
उत्तर-
हिमालय की यात्रा में लेखक ने नदियों, पर्वतों, बर्फीली पहाड़ियों, हरी-भरी घाटियों तथा महासागरों की भूरि-भूरि प्रशंसा की है।

लेख से आगे

प्रश्न 1.
नदियों और हिमालय पर अनेक कवियों ने कविताएँ लिखी हैं। उन कविताओं का चयन कर उनकी तुलना पाठ में निहित नदियों के वर्णन से कीजिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं पुस्तकालय की सहायता से करें।

प्रश्न 2.
गोपालसिंह नेपाली की कविता ‘हिमालय और हम’, रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘हिमालय’ तथा जयशंकर प्रसाद की कविता ‘हिमालय के आँगन में’ पढ़िए और तुलना कीजिए।
उत्तर-
हिमालय

मेरे नगपति! मेरे विशाल!
साकार, दिव्य गौरव विराट,
पौरुष के पूंजीभूत ज्वाल!
मेरे जननी के हिम-किरीट!
मेरे भारत के दिव्य भाल?
मेरे नगपति! मेरे विशाल!
युग-युग अजेय, निबंध, मुक्त,
युग-युग गर्वोन्नत, नित महान,
निस्सीम व्योम में तान रहा।
युग से किस महिमा का वितान?
कैसी अखंड यह चिर समाधि?
यतिवर! कैसा यह अमर ध्यान ?
तू महाशून्य में खोज रहा
किस जटिल समस्या का निदान ?
उलझन का कैसा विषम जाल?
मेरे नगपति! मेरे विशाल!
ओ, मौन, तपस्या-लीन यती।
पलभर को तो कर दृगुन्मेष।
रे ज्वालाओं से दग्ध, विकल
है तड़प रहा पद पर स्वदेश।
सुखसिंधु, पंचनद, ब्रह्मपुत्र,
गंगा, यमुना की अमिय-धारे
जिस पुष्प भूमि की ओर बही
तेरी विगलित करुणा उदार
मेरे नगपति! मेरे विशाल!
-रामधारी सिंह दिनकर

उपरोक्त कविता की तुलना यदि नागार्जुन द्वारा लिखित निबंध से करें तो हम पाते हैं कि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने अपनी कविता में हिमालय की विशालता का वर्णन किया है। इस कविता में दर्शाया गया है कि हिमालय का भारतवासियों से प्राचीन काल से अत्यंत अनिष्ठ संबंध है। भारत धरती का मुकुट हिमालय पर्वत अपनी जड़ों को पाताल तक ले जाए हुए। है। उसके धवल शिखर आकाश का चुंबन करते हैं। यहाँ कवि दिनकर ने हिमालय को प्राचीन काल से समाधि में लीन होकर किसी समस्या का हल ढूँढ़ने का प्रयास किया है। वहीं लेखक नागार्जुन ने अपने निबंध में हिमालय का वर्णन नदियों के पिता के रूप में किया है जो अपनी बेटियों के लिए परेशान है।

प्रश्न 3.
यह लेख 1947 में लिखा गया था। तब से हिमालय से निकलनेवाली नदियों में क्या-क्या बदलाव आए हैं?
उत्तर-
1947 के बाद से आजतक नदियाँ उसी प्रकार हिमालय से बह रही हैं, लेकिन अब हिमालय से निकलने वाली नदियाँ प्रदूषण का शिकार हो चुकी हैं। अब जनसंख्या वृधि औद्योगिक क्रांति, मानवीय तथा प्रशासकीय उपेक्षा के कारण नदी के जल की गुणवत्ता में भी भारी कमी आई है। निरंतर प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। जगह-जगह बाँध बनाने के कारण जल-प्रवाह में न्यूनता हो गई जो कि मानव अहितकारी है। गंगा जल की पवित्रता समाप्त हो चुकी है।

प्रश्न 4.
अपने संस्कृत शिक्षक से पूछिए कि कालिदास ने हिमालय को देवात्मा क्यों कहा है?
उत्तर-
हिमालय पर्वत पर देवताओं का वास माना जाता है। ऋषि-मुनि यहाँ तपस्या करते हैं इसलिए कालिदास ने हिमालय को देवात्मा कहा।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
लेखक ने हिमालय से निकलनेवाली नदियों को ममता भरी आँखों से देखते हुए उन्हें हिमालय की बेटियाँ कहा है। आप उन्हें क्या कहना चाहेंगे? नदियों की सुरक्षा के लिए कौन-कौन से कार्य हो रहे हैं? जानकारी प्राप्त करें और अपना सुझाव दें।
उत्तर-
लेखक ने नदियों को हिमालय की बेटियाँ कहा है, क्योंकि वह नदियों का उद्गम स्थल है। पर हम उन्हें माँ समान ही कहना चाहेंगे, क्योंकि वे हमें तथा धरती को जल प्रदान करती हैं। हमारी प्यास बुझाने के साथ-साथ खेतों की भी प्यास बुझाती हैं। एक सच्चे माँ एवं मित्र के रूप में नदियाँ हमारी सदैव हितैषी रही हैं और उन्होंने भलाई की है।

नदियों की सुरक्षा के लिए सरकार प्रयास तो कर रही है, पर वे अपर्याप्त हैं। उनमें दिखावा अधिक है वास्तविकता कम है। अभी तक उनमें गिरने वाले कारखाने के कचरे को रोका नहीं जा सका है। फिर भी नदियों की सुरक्षा के लिए हमारे देश में कई योजनाएँ बनाई जाती रही हैं, जो निम्न हैं

नदियों के जल को प्रदूषण से बचाना, बहाव को सही दिशा देना, अधिक नहरों के निर्माण पर रोक लगाना, जल का कटाव रोकना। नदियों की सफाई की उचित व्यवस्था करना आदि है, परंतु आज इस बात की आवश्यकता है कि शीघ्रता से इन योजनाओं को लागू कर दिया जाए। नदियों के सफ़ाई की उचित व्यवस्था की जाए। उनमें कचरे फेंकने पर रोक लगाई जाए, कल-कारखानों से निकलने वाले दूषित जल, रसायन तथा शव प्रवाहित करने पर रोक लगाई जाए। अतः नदियों की पवित्रता बनाए रखने के लिए जन-चेतना जगानी होगी। सरकार को भी कड़े उपाय करने होंगे।

प्रश्न 2.
नदियों से होनेवाले लाभों के विषय में चर्चा कीजिए और इस विषय पर बीस पंक्तियों को एक निबंध लिखिए।
उत्तर
सभी विद्यार्थी मिलकर चर्चा कीजिए। चर्चा हेतु संकेत बिंदु

  1. जल प्राप्ति
  2. बाँध बनाना
  3. वर्षा में सहायक
  4. सिंचाई में सहायक
  5. आवागमन हेतु सहायक
  6. बिजली बनाना।

नदियाँ हमारे जीवन का आधार हैं। बर्फीले पहाड़ों से अस्तित्व पाकर धरती के धरातल पर बहती हुई नदियाँ अपना सुधा रस रूपी जल असंख्य प्राणियों को प्रदान करती हैं। प्राणी मात्र की प्यास बुझाने के अतिरिक्त नदियाँ धरती को उपजाऊ बनाती है। आवागमन का साधन हैं। इन पर बाँध बनाकर बिजली उत्पन्न की जाती है। हमारे अधिकतर तीर्थस्थल भी नदियों के किनारे बसे हैं इसी कारण नदियाँ पूजनीय भी हैं। नदियों से हमें धरती हेतु उपजाऊ पदार्थ प्राप्त होते हैं। ये वनों को सींचती हैं। वर्षा लाने में सहायक होती हैं। अनगिनत जीव इनसे जीवन पाते हैं। नदियों के किनारे गाँवों का बसेरा पाया जाता है। गाँव के लोग अपनी छोटी-बड़ी सभी आवश्यकताएँ जैसे सिंचाई करने, पानी पीने, कपड़े धोने, नहाने, जानवरों हेतु नदियों का जल ही प्रयोग करते हैं।
अंत में यही कहा जा सकता है कि नदियाँ हमारी संस्कृति की पहचान हैं। इन्हें दूषित नहीं करना चाहिए क्योंकि हमारा जीवन इन्हीं पर निर्भर है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
अपनी बात कहते हुए लेखक ने अनेक समानताएँ प्रस्तुत की हैं। ऐसी तुलना से अर्थ अधिक स्पष्ट एवं सुंदर बन जाता है। उदाहरण
(क) संभ्रांत महिला की भाँति वे प्रतीत होती थीं।
(ख) माँ और दादी, मौसी और मामी की गोद की तरह उनकी धारा में डुबकियाँ लगाया करता।
• अन्य पाठों से ऐसे पाँच तुलनात्मक प्रयोग निकालकर कक्षा में सुनाइए और उन सुंदर प्रयोगों को कॉपी में भी लिखिए।
उत्तर-
(अन्य पाठों से)

  1. लाल किरण-सी चोंच खोल, चुगते तारक अनार के दाने।
  2. उन्होंने संदूक खोलकर एक चमकती-सी चीज़ निकाली।
  3. सागर की हिलोरों की भाँति उसका यह मादक स्वर गलीभर के मकानों में उस ओर तक लहराता हुआ पहुँचता और खिलौने वाला आगे बढ़ जाता है।
  4. इन्हें देखकर तो ऐसा लग रहा है मानो बहुत-सी छोर्टी-छोटी बालूशाही रख दी गई हो।
  5. यह स्थिति चित्रा जैसी अभिमानिनी माजोरी के लिए ही कही जाएगी।

प्रश्न 2.
निर्जीव वस्तुओं को मानव-संबंधी नाम देने से निर्जीव वस्तुएँ भी मानो जीवित हो उठती हैं। लेखक ने इस पाठ में कई स्थानों पर ऐसे प्रयोग किए हैं, जैसे
(क) परंतु इस बार जब मैं हिमालय के कंधे पर चढ़ा तो वे कुछ और रूप में सामने थीं।
(ख) काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है।
• पाठ से इसी तरह के और उदाहरण हूँढ़िए।
उत्तर-
पाठ से अन्य उदाहरण

  1. संभ्रांत महिला की भाँति प्रतीत होती थी।
  2. इनका उछलना और कूदना, खिलखिलाकर हँसते जाना, इनकी भाव-भंगी यह उल्लास कहाँ गायब हो जाता है।
  3. माँ-बाप की गोद में नंग-धडंग होकर खेलने वाली इन बालिकाओं को रूप
  4. पिता का विराट प्रेम पाकर भी अगर इनका मन अतृप्त ही है तो कौन होगा जो इनकी प्यास मिटा सकेगा।
  5. बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर ये कैसे खेला करती हैं।
  6. हिमालय को ससुर और समुद्र को उसका दामाद कहने में कुछ भी झिझक नहीं होती है।

प्रश्न 3.
पिछली कक्षा में आप विशेषण और उसके भेदों से परिचय प्राप्त कर चुके हैं। नीचे दिए गए विशेषण और विशेष्य (संज्ञा) का मिलान कीजिए

विशेषण  विशेष्य  विशेषण  विशेष्य
संभ्रांत वर्षा चंचल जंगल
समतल महिला घना नदियाँ
मूसलाधार आँगन

उत्तर-

विशेषण  विशेष्य  विशेषण  विशेष्य
संभ्रांत महिला चंचल नदियाँ
समतल आँगन घना जंगल
मूसलाधार वर्षा

प्रश्न 4.
द्वंद्व समास के दोनों पद प्रधान होते हैं। इस समास में ‘और’ शब्द का लोप हो जाता है, जैसे- राजा-रानी द्वंद्व समास है जिसका अर्थ है राजा और रानी। पाठ में कई स्थानों पर द्वंद्व समासों का प्रयोग किया गया है। इन्हें खोजकर वर्णमाला क्रम (शब्दकोश-शैली) में लिखिए।
उत्तर
छोटी – बड़ी
भाव – भंगी
माँ – बाप

प्रश्न 5.
नदी को उलटा लिखने से दीन होता है जिसका अर्थ होता है गरीब। आप भी पाँच ऐसे शब्द लिखिए जिसे उलटा लिखने पर सार्थक शब्द बन जाए। प्रत्येक शब्द के आगे संज्ञा का नाम भी लिखिए, जैसे-नदी-दीन ( भाववाचक संज्ञा )।
उत्तर-
रात-तार, जाता-ताजा, भला-लाभ, राही-हीरा, नव-वन, नमी-मीन, नशा-शान, लाल-लला

प्रश्न 6.
समय के साथ भाषा बदलती है, शब्द बदलते हैं और उनके रूप बदलते हैं, जैसे-बेतवा नदी के नाम का दूसरा रूप ‘वेत्रवती’ है। नीचे दिए गए शब्दों में से ढूँढ़कर इन नामों के अन्य रूप लिखिए सतलुज, रोपड़, झेलम, चिनाब, अजमेर, बनारस
उत्तर-
सतलुज शतद्रुम
रोपड़ रूपपुर ।
झेलम वितस्ता
चिनाब विपाशा
अजमेर अजयमेरु
बनारस वाराणसी

प्रश्न 7.
‘उनके खयाल में शायद ही यह बात आ सके कि बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर ये कैसे खेला करती हैं।’
• उपर्युक्त पंक्ति में ‘ही’ के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। ‘ही’ वाला वाक्य नकारात्मक अर्थ दे रहा है। इसीलिए ‘ही’ वाले वाक्य में कही गई बात को हम ऐसे भी कह सकते हैं-उनके खयाल में शायद यह बात न आ सके।
• इसी प्रकार नकारात्मक प्रश्नवाचक वाक्य कई बार ‘नहीं’ के अर्थ में इस्तेमाल नहीं होते हैं, जैसे-महात्मा गांधी को कौन नहीं जानता? दोनों प्रकार के वाक्यों के समान तीन-तीन उदाहरण सोचिए और इस दृष्टि से उनका विश्लेषण कीजिए।
उत्तर-

वाक्य विश्लेषण
(क) बापू को कौन नहीं जानता। हर कोई बापू को जानता है।
(ख) उन्हें शायद ही इस घटना की जानकारी हो। शायद उन्हें घटना की जानकारी न हो।
(ग) वह शायद ही तुम्हें देख सके। शायद उन्हें घटना की जानकारी न हो।
(घ) वे लोग शायद ही उधर खेलें । वे लोग शायद इधरे न खेलें।

अन्य पाठेतर हल प्रश्न

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर
(क) गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम इनमें से कौन-सा है?
(i) दादी माँ-शिवप्रसाद सिंह
(ii) हिमालय की बेटियाँ-नागार्जुन
(iii) फूले कदंब-नागार्जुन
(iv) कठपुतली-भवानी प्रसाद मिश्र

(ख) लेखक ने किन्हें दूर से देखा था?
(i) हिमालय पर्वत को
(ii) हिमालय की चोटियों को
(iii) हिमालय से निकलने वाली नदियों को
(iv) हिमालय के समतल मैदानों को

(ग) नदियों की बाल लीला कहाँ देखी जा सकती है?
(i) घाटियों में ।
(ii) नंगी पहाड़ियों पर
(iii) उपत्यकाओं में
(iv) उपर्युक्त सभी

(घ) निम्नलिखित में से किस नदी का नाम पाठ में नहीं आया है?
(i) रांची
(ii) सतलुज
(iii) गोदावरी
(iv) कोसी

(ङ) बेतवा नदी को किसकी प्रेयसी के रूप चित्रित किया गया है?
(i) यक्ष की
(ii) कालिदास की
(iii) मेघदूत की
(iv) हिमालय की

(च) लेखक को नदियाँ कहाँ अठखेलियाँ करती हुई दिखाई पड़ती हैं?
(i) हिमालय के मैदानी इलाकों में
(ii) हिमालय की गोद में
(iii) सागर की गोद में
(iv) घाटियों की गोद में

(छ) लेखक ने नदियों और हिमालय का क्या रिश्ता कहा है?
(i) पिता-पुत्र का
(ii) पिता-पुत्रियों का
(ii) माँ-बेटे का
(iv) भाई-बहन का

(ज) लेखक किस नदी के किनारे बैठा था?
(i) गोदावरी
(ii) सतलुज
(iii) गंगा
(iv) यमुना

उत्तर
(क) (ii)
(ख) (iii)
(ग) (iv)
(घ) (iii)
(ङ) (iii)
(च) (ii)
(छ) (ii)
(ज) (ii)

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

(क) लेखक ने हिमालय की बेटियाँ किसे कहा है और क्यों?
उत्तर-
लेखक ने नदियों को हिमालय की बेटियाँ कहा है, क्योंकि उसकी उत्पत्ति हिमालय के बर्फ पिघलने से हुई है।

(ख) लेखक के मन में नदियों के प्रति कैसे भाव थे?
उत्तर-
लेखक के मन में नदियों के प्रति आदर और श्रद्धा के भाव थे।

(ग) दूर से देखने पर नदियाँ लेखक को कैसी लगती थीं?
उत्तर-
दूर से देखने पर लेखक को नदियाँ गंभीर, शांत और अपने आप में खोई हुई, किसी शिष्ट महिला की भाँति प्रतीत होती थी।

(घ) नदियों की बाल-लीला कहाँ देखने को मिलती है?
उत्तर-
नदियों की बाल-लीला हिमालय की पहाड़ियों, हरी-भरी घाटियों तथा गुफाओं में देखने को मिलती है।

(ङ) समुद्र को सौभाग्यशाली क्यों कहा गया है?
उत्तर-
समुद्र को सौभाग्यशाली इसलिए कहा गया है, क्योंकि हिमालय के हृदय से निकली उसकी दो प्रिय पुत्रियाँ सिंधु और ब्रह्मपुत्र को धारण करने का सौभाग्य समुद्र को ही प्राप्त हुआ।

लघु उत्तरीय प्रश्न

(क) नदियों की धाराओं में डुबकियाँ लगाना लेखक को कैसा लगता था?
उत्तर-
नदियों की धाराओं में डुबकियाँ लगाने पर उसे माँ, दादी, मौसी या मामी की गोद जैसा ममत्व प्रतीत होता था।

(ख) सिंधु और ब्रह्मपुत्र के उद्गम के बारे में लेखक का क्या विचार है?
उत्तर-
लेखक को सिंधु और बह्मपुत्र के उद्गम के बारे में विचार है कि सिंधु और ब्रह्मपुत्र के उद्गम के कोई विशेष स्थान नहीं थे तो हिमालय के हृदय से निकली, करुणा की बूंदों से निर्मित ऐसी दो धाराएँ हैं जो बूंद-बूंद के एकत्रित होने पर महानदी के रूप में परिवर्तित हुई हैं।

(ग) हिमालय अपना सिर क्यों धुनता है?
उत्तर-
हिमालय की स्थिति वृद्ध पिता के समान है जो अपने नटखट बेटियों को घर छोड़कर जाता हुआ देखता है और उसे कुछ भी नहीं बोल पाता है, इसलिए वह अपना सिर धुनता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(क) काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है?
उत्तर-
मानव जाति के विकास में नदियों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। यह जल प्रदान कर सदियों से पूजनीय व मनुष्य हेतु कल्याणकारी रही हैं। नदियाँ लोगों के द्वारा दूषित किया गया जल जैसे-कपड़े धोना, पशु नहलाना व अन्य कूड़ा-करकट भी अपने साथ ही लेकर जाती हैं। फिर भी नदियाँ हमारे लिए कल्याण ही करती हैं। मानव के आधुनिकीकरण में जैसेबिजली बनाना, सिंचाई के नवीन साधनों आदि में इन्होंने पूरा सहयोग दिया है। मानव ही नहीं अपितु पशु-पक्षी, पेड़-पौधों आदि के लिए जल भी उपलब्ध कराया है। इसलिए हम कह सकते हैं कि काका कालेलकर का नदियों को लोकमाता की संज्ञा देना कोई अतिशयोक्ति नहीं।

(ख) लेखक ने सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएँ बताई हैं?
उत्तर-
लेखक ने सिंधु और ब्रहमपुत्र की विशेषताएँ बतायी हैं कि ये दोनों नदियाँ ऐसी हैं कि जो दयालु हिमालय के पिघले हुए दिल की एक-एक बूंद से बनी हैं। इनका स्वरूप विशाल और वृहत है। इनकी सुंदरता इतनी लुभावनी है कि समुद्र भी पर्वतराज की इन दोनों बेटियों का हाथ सँभालने में सौभाग्यशाली समझते हैं।

(ग) हिमालय से निकलने वाली प्रमुख नदियों के नाम लिखिए तथा बताइए कि लेखक ने उनके अस्तित्व के विषय में क्या विचार किया है?
उत्तर-
हिमालय से निकलने वाली प्रमुख नदियों के नाम हैं-सिंधु, ब्रह्मपुत्र, रावी, सतलुज, व्यास, चेनाब, झेलम, काबुल, कपिशा, गंगा, यमुना, सरयू, गंडक, कोसी आदि। लेखक का विचार है कि इन नदियों का अपना कोई अस्तित्व नहीं है। ये वास्तव में हिमालय के कृपा पात्र हैं जिसके पिघले हुए दिल की बूंदें है, वे बँदे एकत्रित होकर नदी का आकार ले लिया है और समुद्र की ओर बहती हुई समुद्र में जाकर मिलती हैं। निष्कर्ष में लेखक का विचार है कि हिमालय पर जमी बर्फ के पिघलने से ही इन नदियों का उद्गम होता है। इसलिए हिमालय के बिना नदियों का कोई अस्तित्व नहीं है।

(घ) इस पाठ का उद्देश्य क्या है?
उत्तर-
इस पाठ का उद्देश्य लेखक ने हिमालय से निकलने वाली नदियों के नाम, उद्गम स्थल, उनके सदैव परिवर्तन होने वाले पल के रूप से परिचित करवाना है। हिमालय को पिता, नदियों को पुत्रियाँ व सागर को उनका प्रेमी माना गया है। लेखक ने यह बताना चाहा है कि सिंधु और ब्रह्मपुत्र ऐसी वृहत नदियाँ हैं जो हिमालय के हृदय से पिघली बूंदों से अपना अस्तित्व पाती हैं। इसे महानदी भी कहते हैं।

मूल्यपरक प्रश्न

(क) आप नदियों को किस रूप में देखते हैं? उनकी सफ़ाई के लिए क्या प्रयास करते हैं या कर सकते हैं?
उत्तर-
हम नदियों को माँ की तरह कल्याणकारी रूप में देखते हैं, ये सदैव पूजनीय हैं। नदियाँ हमारी सारी आवश्यकताओं की पूर्ति करती हैं। अतः हमें इनके जल को प्रदूषित होने से बचाना चाहिए। इसके लिए हम यह प्रयास करते हैं कि नदियों में किसी भी प्रकार की गंदगी न फेंकें या डालें । हम नदी के किनारे कपड़े धोने, मूर्तियों को प्रवाहित करने तथा नालों के गंदे पानी डालने का सख्त विरोध करते हैं। हम सदैव नदी की स्वच्छता अभियान में सक्रिय रूप से भागीदार होते हैं।

More Resources for CBSE Class 7

  • NCERT Solutions
  • NCERT Solutions for Class 7 Maths
  • NCERT Solutions for Class 7 Science
  • NCERT Solutions for Class 7 Social
  • NCERT Solutions for Class 7 English
  • NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit
  • NCERT Solutions for Class 7 Hindi
  • NCERT Solutions for Class 7 English
  • RD Sharma Class 7 Solutions

We hope the given NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 3 हिमालय की बेटियां will help you. If you have any query regarding NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 3 हिमालय की बेटियां, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

लेखक ने नदियों और हिमालय का क्या रिश्ता माना है?

लेखक ने हिमालय से निकलनेवाली नदियों को ममता भरी आँखों से देखते हुए उन्हें हिमालय की बेटियाँ कहा है।

लेखक ने नदियों को क्या माना है?

Answer: लेखक नदियों को बेटी, बहन और प्रेयसी के रूपों में देखते हैं।

लेखक ने सतलुज नदी को क्या कहा है?

Solution : लेखक ने सतलुज को बहन माना है।

लेखक ने हिमालय को दयालु क्यों कहा है?

प्राकृतिक और भौगोलिक दृष्टि से भी इनकी महत्ता है। कहा जाता है कि ये दो ऐसी नदियाँ हैं जो दयालु हिमालय की पिघले हुए दिल की एक-एक बूँद से निर्मित हुई हैं। इनका रूप विशाल और विराट है। इनका रूप इतना लुभावना है कि सौभाग्यशाली समुद्र भी पर्वतराज हिमालय की इन दो बेटियों का हाथ थामने पर गर्व महसूस करता है।