चावल की रोटियाँ नाटक में कौन कौन मुख्य पात्र हैं? - chaaval kee rotiyaan naatak mein kaun kaun mukhy paatr hain?

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Q1. नाटक में हिस्सा लेने वालों को पात्र कहते हैं। जिन पात्रों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है उन्हें मुख्य पात्र और जिनकी भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं होती है उन्हें ‘गौण पात्र’ कहते हैं। बताओ इस नाटक में कौन-कौन मुख्य और गौण पात्र कौन हैं? 2. पात्रों को जो बात बोलनी होती है उसे संवाद कहते हैं। क्या तुम किसी एक परिस्थिति के लिए संवाद लिख सकती हो? (इसके लिए तुम टोलियों में भी काम कर सकती हो।) उदाहरण के लिए खो-खो या कबड्डी जैसा कोई खेल-खेलते समय दूसरे दल के खिलाड़ियों से बहस। 3. कभी-कभी आपने कोई चीज़ या बात दूसरों से छिपाई है या छिपाने की कोशिश की है, उस समय क्या-क्या हुआ था? 4. कहते हैं, एक झूठ छिपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं। क्या तुम्हें कहानी पढ़कर ऐसा लगता है? कहानी की मदद से इस बात को समझाओ


Answer. 1. इस नाटक में कोको महत्वपूर्ण भूमिका में है। अतः उसे नाटक का मुख्य पात्र कहेंगे। बाकी सभी-नीनी, मिमि, तिन सू और उ बा तुन गौण पात्र हैं। 2. स्वयं करो। 3. एक बार मेरा एक दोस्त मुझसे फुटबॉल माँगने आया। मैं देना नहीं चाहता था क्योंकि मुझे पता था कि वह उसकी हवा निकालकर मेरे पास लौटाने आएगा। वह कई दोस्तों के फुटबॉलों के साथ ऐसा कर चुका था। अतः मैंने बहाना बनाया कि फुटबॉल मेरा छोटा भाई लेकर खेलने चला गया है। 4. हाँ, यह बात बिल्कुल सही है कि एक झूठ छिपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ जाते हैं। ऐसा ही कुछ इस नाटक , में हुआ है। कोको को चावल की रोटियाँ बहुत पसंद हैं। अतः वह सभी चारों रोटियाँ स्वयं खाना चाहता है। लेकिन संयोग ऐसा होता है कि जब-जब वह रोटियाँ खाने बैठता है, उसका कोई-न-कोई दोस्त आ जाता है। वह रोटियाँ उनके साथ बाँटकर नहीं खाना चाहता है और उन्हें छिपाने की कोशिश में कई झूठ बोलता है, जैसे-उसका पेट भरा है, रेडियो खराब है, घर में चूहा है, माँ को फूलों से एलर्जी है, आदि।

चावल की रोटियाँ नाटक में कौन कौन मुख्य पात्र हैं? - chaaval kee rotiyaan naatak mein kaun kaun mukhy paatr hain?

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चावल की रोटियाँ पाठ का सारांशchawal ki rotiyan summary

‘चावल की रोटियाँ एक एकांकी है, जिसमें कोको मुख्य भूमिका में है। वह आठ साल का एक बर्मी लड़का है। उसके तीन दोस्त हैं—नीनी, तिन सू और मिमि । नीनी और तिन सू बर्मी लड़के हैं और मिमि बर्मी लड़की। उ बा तुन जनता की दुकान का प्रबंधक है।

एक दिन कोको अपने माता-पिता के खेत पर जाने के बाद उठता है। माँ की अनुपस्थिति में उसे घर की देखभाल करनी है। उसकी माँ उसके लिए चार चावल की रोटियाँ बनाकर अलमारी में रख गई है। कोको को चावल की रोटियाँ बेहद पसंद हैं। वह झट बैठ जाता है उन्हें खाने के लिए। तभी उसे दरवाजे पर किसी की दस्तक सुनाई देती है। वह दरवाजा खोलने से पहले उन रोटियों को छिपा देता है। फिर दरवाजा खोलता है। दरवाजे पर नीनी होता है। वह तुरंत कोको से पूछ बैठता है कि उसने दरवाजा खोलने में इतनी देर क्यों लगाई। कोको झूठ बोल जाता है कि वह नाश्ता करके मुँह धोने लगा था। नीनी उसके पास रेडियो पर परीक्षा संबंधी सूचना के बारे में जानकारी लेने आया है। कोको बहाना बनाता है। कि उसका रेडियो खराब हो गया है। नीनी को खबर जरूर सुनना है। अतः वह फौरन तिन सू के घर चला जाता है।

कोको राहत की साँस लेता है और फिर चावल की रोटियाँ लेकर खाने बैठने ही वाला है कि दरवाजे पर दस्तक सुनाई देती है। इस बार मिमि है। कोको फिर रोटियाँ छिपाने के बाद दरवाजा खोलता है। नीनी की तरह मिमि भी पूछ बैठती है कि उसने दरवाजा खोलने में देर क्यों लगाई। कोको फिर वही बहाना लगाता है जो नीनी के पूछने पर लगाया था। आगे मिमि उसे बताती है कि अभी-अभी उसकी माँ मुझे मिली थीं। उन्होंने बताया कि तुम्हारे लिए चावल की कुछ रोटियाँ रखी हैं। कोको तपाक से बोल पड़ता है कि रोटियाँ तो थीं परन्तु मैंने सब खा लीं । मिमि कहती है कि अकेले-अकेले खाना बुरी बात होती है। मेरी माँ ने मुझे चार केले के पापड़ दिए-दो तुम्हारे लिए और दो मेरे लिए। चावल की रोटियों के साथ केले के पापड़ का नाश्ता बड़ा अच्छा होता। खैर तुम्हारा पेट तो भरा हुआ है और तुम कुछ भी नहीं खा सकते। कोको मन ही मन पछताने लगता है। उसका पेट भूख से गुड़गुड़ करने लगा था। मिमि एक पापड़ उठाकर कोको से चाय माँगती है। कोको उसे बताता है कि चाय अलमारी पर रखी है। मिमि स्वयं चाय पीने लगती है और कोको से कहती है। कि तुम्हारा पेट बहुत भरा हुआ है। अतः चाय भी मत पिओ। उसी समय कोको का पेट फिर गुड़गुड़ करने लगता है। मिमि के पूछने पर बताता है कि हमारे घर में चूहा घुस आया है। वही यह आवाज कर रहा है। दरवाजे पर फिर दस्तक होती है। इस बार तिन सू होता है। वह गेंदे के फूलों का गुच्छा लाता है। मिमि उसे केले का पापड़ देती है और एक कप चाय। तिन सू फूलदान में फूल लगाने के लिए बढ़ता है। कोको उसे रोक देता है क्योंकि वहीं पर उसने रोटियाँ छिपाई हैं। दरवाजे पर फिर दस्तक होती है। कोको दरवाजा खोलता है और उ बा तुन (दूकान का प्रबंधक) को पाता है। वह कोको से कहता है कि तुम्हारी माँ हमारी दुकान से एक फूलदान लाई थी। वे नीला फूलदान चाहती थीं। लेकिन उस समय वह मेरे पास नहीं था। अतः वे गुलाबी फूलदान ले आईं। मेरे पास अब नीला फूलदान आ गया है। मैं उसे बदलने के लिए आया हूँ। इतना कहकर उ बा तुन गुलाबी फूलदान उठाकर उसकी जगह नीला फूलदान रख देता है। फूलदान के साथ कोको की चावल की रोटियाँ भी चली गईं। कोको को इस बात से बहुत दुख होता है क्योंकि वह सभी (चारों) रोटियाँ खाने के चक्कर में एक भी नहीं खा पाता है।

चावल की रोटियाँ पाठ के शब्दार्थ

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  • प्रबंधक-व्यवस्था करने वाला।
  • दस्तक देना-दरवाजा खटखटाना।
  • भुक्खड़-बहुत भूखा।
  • पेट में चूहे ।
  • दौड़ना- बहुत भूख लगना।
  • तलाशी-खोजबीन। 
  • इर्द-गिर्द-आसपास बदकिस्मती-दुर्भाग्य। 
  • जीभ फेरकर-जीभ चटपटाकर। 
  • नेकी-भलाई। 
  • खुशकिस्मती-सौभाग्य । 
  • जिस्म-शरीर। 
  • यकीन-विश्वास।।

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प्रश्न 1: नाटक में हिस्सा लेने वालों को पात्र कहते हैं। जिन पात्रों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है उन्हें ‘मुख्य पात्र’ और जिनकी भूमिका ज़्यादा महत्वपूर्ण नहीं होती है उन्हें ‘गौण पात्र’ कहते हैं। बताओ इस नाटक में कौन-कौन मुख्य और गौण पात्र कौन हैं?

उत्तर : इस नाटक में ‘कोको’, ‘मिमि’ और ‘तिन सू’ मुख्य पात्र हैं, वहीं ‘नीनी’ और ‘उ बा तुन’ गौण पात्र हैं।

प्रश्न 2: पात्रों को जो बात बोलनी होती है उसे संवाद कहते हैं। क्या तुम किसी एक परिस्थिति के लिए संवाद लिख सकती हो? (इसके लिए तुम टोलियों में भी काम कर सकती हो।) उदाहरण के लिए खो-खो या कबड्डी जैसा कोई खेल-खेलते समय दूसरे दल के खिलाड़ियों से बहस।

उत्तर : खेल-खेलते समय दूसरे दल के खिलाड़ियों से बहस का संवाद 

पहले दल का सदस्य – तुम्हारा खिलाड़ी आउट है।

दूसरे दल का सदस्य – किस तरह आउट है?

पहले दल का सदस्य – क्योंकि वह लाइन के बाहर है।

दूसरे दल का सदस्य – नहीं वह पाले में था।

पहले दल का सदस्य – तुमने ठीक से नहीं देखा।

दूसरे दल का सदस्य – बेईमानी से मत खेलो। ………..आदि

प्रश्न 3: क्या कभी आपने कोई चीज़ या बात दूसरों से छिपाई है या छिपाने की कोशिश की है, उस समय क्या-क्या हुआ था?

उत्तर : इसे अपने अनुभव से छात्र स्वयं कर सकते हैं; जैसे-

एक बार मेरे मित्र ने मुझसे गणित कि किताब माँगी। मैं अपनी किताब उसे देना नहीं चाहता था। अत: मैंने अपनी किताब छिपा दी और उससे कहा- “मेरे पास किताब नहीं है।” मैंने अपनी किताब गद्दे के नीचे छिपाई थी। वह वहीं पर बैठ गया, उसके बैठते ही किताब खड़खड़ करने लगी। उसकी नज़र बचाकर, मैंने चुपके से किताब दराज़ में छिपा दी। अचानक किसी काम से मैंने वही दराज़ उसके सामने खोल दी। उस समय मेरी हालात देखने वाली थी। बहाना बनाकर स्वयं को बचाना पड़ा।

प्रश्न 4: कहते हैं, एक झूठ बोलने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं। क्या तुम्हें कहानी पढ़कर ऐसा लगता है? कहानी की मदद से इस बात को समझाओ।

उत्तर : यह कहावत सच है कि एक झूठ छिपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं। कहानी में भी ‘कोको’, ‘नीनी’ और ‘मिमि’ से चावल की रोटियाँ बचाने के लिए छिपाता है। इसके लिए वह अनेकों झूठ बोलता है; जैसे:– पेट भरा होना, रोटियों का खराब होना, घर में चूहा होना, रोटियाँ खा लेना, माँ को एलर्जी होना आदि।

प्रश्न 5 : कोको की माँ ने उसके लिए चावल की रोटियाँ बनाकर रखी थीं। भारत के विभिन्न प्रांतों में चावल अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल किया जाता है– भोजन के हिस्से के रूप में भी और नमकीन और मीठे पकवान के रूप में भी। तुम्हारे प्रांत में चावल का इस्तेमाल कैसे होता है? घर में बातचीत करके पता करो और एक तालिका बनाओ। कक्षा में अपने दोस्तों की तालिका के साथ मिलान करो तो पाओगी कि भाषा, कपड़ों और रहन-सहन के साथ-साथ खान-पान की दृष्टि से भी भारत अनूठा है।

उत्तर : छात्र स्वयं कर सकते हैं; जैसे:–

मैं उत्तर भारत का रहने वाला हूँ। मेरे घर मैं चावल का प्रयोग निम्नलिखित रुप में होता है; जैसे:– सादे चावल, मीठे चावल, बिरयानी, पुलाव, रोटियाँ, नमकीन इत्यादि।

प्रश्न 6 : अपनी तालिका में से चावल से बनी कोई एक खाने की चीज़ बनाने की विधि पता करो और उसे नीचे दिए गए बिंदुओं के हिसाब से लिखो।

  • सामग्री
  • तैयारी
  • विधि

उत्तर :

सामग्री-

छोटी कटोरी – चावल

एक किलो – दूध

एक कटोरी – चीनी

आधा कटोरी – बादाम

दो बड़े चम्मच – देशी घी

इलायची पीसी हुई – आधा चम्मच

तैयारी-

चावल को अच्छी तरह से धो कर भिगोने के लिए रख दो।

दूध को गरम करने के लिए पतीले में रख दो।

बादाम को तीन-चार घंटे पहले ही पानी में भीगो दो। उसके बाद इसके छिलके उतारकर इसे पतले और लंबे टूकड़ों में काट लो।

विधि-

उबलते हुए दूध में भीगे चावलों को डालें। आँच धीरे रखिए और उसे चलाते रहें। ऐसा एक घंटे के लिए करें। इसके पश्चात पिसी हुई इलायची डालें। जब दूध गाढ़ा हो जाए तो उसमें चीनी डाले और इसी तरह आधे घंटे तक और पकाएँ। ध्यान रहे की खीर गाढ़ी होने पर चिपकने लगती है। अतः खीर को बराबर चलाते रहें। जब दूध गाढ़ा हो जाए तब घी डाल दें। इसे और पाँच मिनट तक पकाएँ उसके बाद गैस बंद कर दें। खीर में बादाम डाल दें। आपकी खीर तैयार है।

(नोट: इस प्रश्न का उत्तर छात्र अपनी माताजी या दीदी से पूछ कर स्वयं भी कर सकते हैं।)

प्रश्न 7 :

“कोको के माता-पिता धान लगाने के लिए खेतों में गए।”

“कोको की माँ ने उसके लिए चावल की रोटियाँ बनाईं।”

एक ही चीज़ के विभिन्न रूपों के अलग-अलग नाम हो सकते हैं। नीचे ऐसे कुछ शब्द दिए गए हैं। उनमें अंतर बताओ।

  • चावल – धान – भात – मुरमुरा – चिउड़ा
  • साबुत दाल – धुली दाल – छिलका दाल
  • गेहूँ – दलिया – आटा – मैदा – सूजी

उत्तर :

चावल – धान से निकला दाना चावल कहलाता है।

धान – छिलका चढ़ा हुआ चावल धान कहलाता है।

भात – पका हुआ चावल भात कहलाता है।

मुरमुरा – धान को भाड़ में भूनने से वह मुरमुरा बन जाता है।

चिउड़ा – धान को भिगाकर पीसने से चिउड़ा बनता है।

साबुत दाल – दाल का पुरा दाना (जिसे तोड़ा न जाए) साबुत दाल कहलाता है।

धुली दाल – बिना छिलके की दाल धुली दाल कहलाती है।

छिलका दाल – छिलके वाली दाल छिलका दाल कहलाती है ।

गेहूँ – एक अनाज जिससे आटा बनता है।

दलिया – गेहूँ को मोटा-मोटा पीसा जाता है, वह दलिया कहलाता है।

आटा – गेहूँ को बारीक पीस कर आटा बनता है।

मैदा – आटे को और बारीक पीसकर मैदा बनायी जाती है।

सूजी – गेहूँ जौ आदि से बना मोटा आटा सूजी कहलाता है।

प्रश्न 8 : “कोको की माँ ने कल दुकान से एक फूलदान खरीदा था।”

ऊपर लिखे वाक्य में जिन शब्दों के नीचे रेखा खिंची है वे वाक्य में शब्दों का आपस में संबंध बताते हैं। नीचे एक मज़ेदार किताब “अनारको के आठ दिन” का एक अंश दिया गया है। उसके खाली स्थानों में इस प्रकार के सही शब्द लिखो।

अनारको एक लड़की है। घर …………….. लोग उसे अन्नो कहते हैं। अन्नो नाम छोटा जो है, सो उस ………………. हुक्म चलाना आसान होता है। अन्नों, पानी ले आ, अन्नो धूप में मत जाना, अन्नो बाहर अँधेरा-कहीं मत जा, बारिश…………. भीगना मत, अन्नो! और कोई बाहर ………….. घर में आए तो घरवाले कहेंगे-ये हमारी अनारको है, प्यार से हम इसे अन्नो कहते हैं। प्यार …………….. हुँ-ह-ह!

आज अनारको सुबह सोकर उठी तो हाँफ रही थी। रात सपने …………… बहुत बारिश हुई। अनारको ……………. याद किया और उसे लगा, आज ……………… सपने में जितनी बारिश हुई उतनी तो पहले के सपनों ……………….. कभी नहीं हुई। कभी नहीं। जमके बारिश हुई थी आज …………………. सपने ……………… और जमकर उसमें भीगी थी अनारको। खूब उछली थी, कूदी थी, चारों तरफ़ पानी छिटकाया था और खूब-खूब भीगी थी।

उत्तर : अनारको एक लड़की है। घर के लोग उसे अन्नो कहते हैं। अन्नो नाम छोटा जो है, सो उस से हुक्म चलाना आसान होता है। अन्नो, पानी ले आ, अन्नो धूप में मत जाना, अन्नो बाहर अँधेरा-कहीं मत जा, बारिश में भीगना मत, अन्नो! और कोई बाहर से घर में आए तो घरवाले कहेंगे – ये हमारी अनारको है, प्यार से हम इसे अन्नो कहते हैं। प्यार से हुँ-ह-ह!

आज अनारको सुबह सोकर उठी तो हाँफ रही थी। रात सपने में बहुत बारिश हुई। अनारको ने याद किया और उसे लगा, आज के सपने में जितनी बारिश हुई उतनी तो पहले के सपनों में कभी नहीं हुई। कभी नहीं। जमके बारिश हुई थी आज के सपने में और जमकर उसमें भीगी थी अनारको। खूब उछली थी, कूदी थी, चारों तरफ़ पानी छिटकाया था और खूब-खूब भीगी थी।

जय हिन्द : जय हिंदी 

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चावल की रोटियाँ कितने पात्र हैं?

उत्तर 2 चावल की रोटियाँ एकांकी में कोको तथा मिमि मुख्य पात्र हैं तथा नीनी, तिन सु और उ बा तुन तीनों गौण पात्र हैं

गौण पात्र क्या होता है?

जिन पात्रों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है उन्हें 'मुख्य पात्र' और जिनकी भूमिका ज़्यादा महत्वपूर्ण नहीं होती है उन्हें 'गौण पात्र' कहते हैं।

कोको ने चावल की रोटियाँ कहाँ छिपा दी?

कोको को चावल की रोटियाँ बेहद पसंद हैं। वह झट बैठ जाता है उन्हें खाने के लिए। तभी उसे दरवाजे पर किसी की दस्तक सुनाई देती है। वह दरवाजा खोलने से पहले उन रोटियों को छिपा देता है।

चावल की रोटियाँ कौन ले गया?

"कोको के माता - पिता धान लगाने के लिए खेतों में गए। "कोको की माँ ने उसके लिए चावल की रोटियाँ बनाईं। एक ही चीज़ के विभिन्न रूपों के अलग-अलग नाम हो सकते हैं।