भद्रा में राखी क्यों नहीं मानना चाहिए? - bhadra mein raakhee kyon nahin maanana chaahie?

हाइलाइट्स

भद्रा के समय में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.
रावण ने भद्रा काल में बहन से बंधवाई थी राखी.

रक्षाबंधन (Rakshabandhan) का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक होता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई में रक्षा सूत्र यानी राखी बांधती हैं और अपने भाई की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं. वहीं भाई बहन की रक्षा का वचन देता है. रक्षाबंधन का त्योहार हर साल सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल रक्षाबंधन 11 अगस्त दिन गुरुवार को पड़ रहा है. हिंदू धर्म में रक्षाबंधन का विशेष महत्व है. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में ही भाइयों के कलाई में राखी बांधनी चाहिए. भद्रा मुहूर्त ने कभी भी राखी नहीं बांधनी चाहिए. आइए जानते हैं पंडित इंद्रमणि घनस्याल से कि क्यों भद्रा मुहूर्त में राखी नहीं बांधनी चाहिए?

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जानिए शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल 11 अगस्त, गुरुवार के दिन रक्षाबंधन मनाया जाएगा. इस दिन पूर्णिमा तिथि सुबह 10 बजकर 38 मिनट से प्रारंभ होगी और 12 अगस्त शुक्रवार सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक रहेगी.

भद्रा मुहूर्त
पंचांग के अनुसार भद्रा पुंछ- शाम 5 बजकर 17 मिनट से 6 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. भद्रा मुख- शाम 6 बजकर 18 मिनट से 8 बजे तक रहेगा और भद्रा समाप्ति- रात 8 बजकर 51 मिनट पर रहेगा.

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जानिए क्यों भद्रा मुहूर्त में नहीं बांधनी चाहिए राखी
हिंदू मान्यता के अनुसार भद्रा काल में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं, इसलिए भद्रा काल के समय राखी बंधवाना अच्छा नहीं माना जाता है. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि भद्रा काल में किए गए कार्य अशुभ होते हैं और उनका परिणाम भी अशुभ होता है, इसलिए भद्रा काल के समय कभी भी भाइयों को राखी नहीं बांधनी चाहिए.

इसके पीछे पौराणिक कथा है. इस कथा के अनुसार रावण ने अपनी बहन से भद्रा काल में ही राखी बंधवाई थी, जिसका परिणाम रावण को भुगतना पड़ा. रावण की पूरी लंका का विनाश हो गया. तब से लेकर आज तक कभी भी भद्रा मुहूर्त में राखी नहीं बांधवाई जाती है.

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Tags: Dharma Aastha, Rakshabandhan

FIRST PUBLISHED : August 04, 2022, 13:30 IST

हाइलाइट्स

  • शनि की तरह ही कठोर है स्वभाव

  • मांगलिक काम नहीं किया जाता है

इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त को मनाया जाएगा. लेकिन इस बार इस त्योहार पर भद्रा लग रहा है जिस वजह से लोग इसकी सही तारीख को लेकर बहुत कन्फ्यूज हैं. ज्योतिषियों का कहना है कि इस साल भद्रा का साया पाताल लोक में है इसलिए धरती पर होने वाले शुभ और मांगलिक कामों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. मान्यता के अनुसार भद्राकाल के समय बहने भाई की कलाई पर राखी नहीं बांधती हैं. आज हम आपको बताएंगे कि कौन है भद्रा और क्यों इस समय राखी बांधने के लिए मना किया जाता है.

कौन है भद्रा?
शास्त्रों के अनुसार भद्रा सूर्यदेव की बेटी और ग्रहों के सेनापति शनिदेव की बहन है. शनि की तरह ही इनका स्वाभाव भी कठोर माना जाता है. इनके स्वभाव को समझने के लिए ब्रह्मा जी ने काल गणना या पंचांग में एक विशेष स्थान दिया है. भद्रा के साए में शुभ या मांगलिक कार्य, यात्रा और निर्माण कार्य निषेध माने गए हैं. श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर जब भद्रा का साया रहता है, तब भाई की कलाई पर राखी नहीं बांधी जाती है. भद्रा को स्वाभाव से बहुत ही गुस्सैल माना जाता है इसलिए इस दौरान कोई मांगलिक काम नहीं किया जाता है.

क्या है मानयता?
वहीं इसके पीछे एक दूसरी कहानी भी है. कहा जाता है कि रावण की बहन शूर्पणखा ने अपने भाई को भद्रा काल में ही राखी बांधी थी, जिसके कारण रावण का विनाश हो गया. इस वजह से भी भद्राकाल में राखी बांधने से मना किया जाता है. वहीं यह भी कहा जाता है कि भद्रा के वक्त भगवान शिव तांडव करते हैं और वो काफी क्रोध में होते हैं, ऐसे में अगर उस समय कुछ भी शुभ काम करें तो उसे शिव जी के गुस्से का सामना करना पड़ता है और बनते काम बिगड़ जाते हैं.

वह अक्सर शुभ कार्य में बाधा डालती थी और कोई यज्ञ आदि पूजा नहीं होने देती थी. इस वजह से सूर्य भगवान बहुत परेशान थे. उन्होंने अपनी परेशानी ब्रह्मा जी को बताई और उनसे इस पर समाधान मांगा. तब ब्रह्मा जी ने भद्रा से कहा, 'भद्रा अब से तुम केवल अपने काल में हो रहे शुभ कार्य में ही विघ्न डाल सकती हो. काल के खत्म होने के बाद तुम किसी के शुभ कार्य में विघ्न नहीं डालोगी.

भद्रा काल का समय 
रक्षाबंधन के दिन भद्रा पूंछ- 11 अगस्त 2022, शाम 05.17 से  06.18 तक
रक्षाबंधन भद्रा मुख - शाम 06.18 से रात 8.00 बजे तक
रक्षाबंधन भद्रा समाप्ति - 11 अगस्त 2022, रात 08.51 पर
रक्षाबंधन के लिए प्रदोष काल का मुहूर्त- 11 अगस्त 2022 रात 08.52 से 09.14 तक है. राखी बांधने के लिए यही सबसे उत्तम समय है. लेकिन कई जगह कहा जाता है कि सूर्यास्त के बाद कोई मंगल काम नहीं किया जाता इसिलए कुछ लोग 12 अगस्त को राखी मनाएंगे.

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भद्रा में राखी क्यों नहीं बांधना चाहिए?

कहा जाता है कि रावण की बहन शूर्पणखा ने अपने भाई को भद्रा काल में ही राखी बांधी थी, जिसके कारण रावण का विनाश हो गया. इस वजह से भी भद्राकाल में राखी बांधने से मना किया जाता है.

भद्रा में राखी बांधने से क्या होता है?

भद्रा को शनिदेव की बहन माना जाता है जो कि क्रूर स्वभाव की है, जो मांगलिक कार्य में विघ्न डालती है। मान्यता अनुसार भद्रा काल में राखी बांधने से अशुभ और अमंगल होता है। भद्रा कष्ट देती है। जब भद्रा मुख में होती है तो कार्य में विघ्न पैदा होते और कार्य का नाश में हो सकता है।

भद्रा काल में क्या नहीं करना चाहिए?

भद्रा काल में कोई शुभ कार्य भी अनजाने में नहीं करने चाहिए। इस काल में विवाह संस्कार, मुंडन, रक्षाबंधन, गृह प्रवेश, नया कार्य, नया व्यवसाय आदि कोई शुभ व मांगलिक कार्य करना वर्जित बताया गया है।