महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. 1883 में मात्र 14 वर्ष की आयु में उनका विवाह कस्तूरबा गाँधी के साथ कर दिया गया था. गाँधी जी बैरिस्ट्री की पढ़ाई करने के लिए विदेश जाना चाहते थे इसलिए 1888 में लन्दन चले गए. वकालत की पढ़ाई खत्म होने के बाद 1893 में वह भारत वापस आये और वकालत करनी शुरू की. लेकिन उन्हें कोई अच्छा काम नहीं मिल रहा था. यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now. Show
दक्षिण भारत जाने का प्रस्ताव1893 में हीं उन्हें दादा अब्दुल्ला नाम के एक व्यापारी से एक प्रस्ताव मिला, दक्षिण अफ्रीका में दादा अब्दुल्ला के चचेरे भाई के वकील बनने का. Free Demo ClassesRegister here for Free Demo Classes Please fill the name Please enter only 10 digit mobile number Please select course Please fill the email Something went wrong! Download App & Start Learning Source: amarujala गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका जाने के लिए तैयार हो गए. वहां जाना हीं उनकी जिंदगी का एक बहुत महत्वपूर्ण निर्णय साबित हुआ. दक्षिण अफ्रीका में अपने प्रवास के दौरान गाँधी जी को कई अवसरों पर अश्वेतों और भारतीयों के साथ होने वाले भेदभाव का सामना करना पड़ा. दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी के साथ हुए भेदभावएक बार गाँधी जी डर्बन से प्रीटोरिया तक की रेलयात्रा कर रहे थे. गाँधी जी ने प्रथम श्रेणी की टिकट खरीदी थी. जब वह प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठे थे तभी डिब्बे में एक अंग्रेज़ अधिकारी दूसरे अंग्रेज़ अधिकारियों को ढूँढता हुआ आया और गाँधी जी को वहां बैठा देख कर उनसे बोला कि वो वैन वाले डिब्बे में चले जाएँ क्यूंकि कुली (भारतीयों के लिए नस्लवादी शब्द) और अश्वेत प्रथम श्रेणी में रेलयात्रा नहीं कर सकते. गाँधी जी ने उनसे कहा कि उन्होंने प्रथम श्रेणी की टिकट खरीदी है इसलिए वे नहीं जायेंगे जिस पर उस अंग्रेज़ ने गाँधी जी को डिब्बे से धक्का दे दिया और उनका सामान भी प्लेटफार्म पर फेक दिया. सभी सरकारी परीक्षाओं के लिए हिस्ट्री ई बुक- Download Now एक दूसरी घटना डर्बन के कोर्टरूम में हुयी थी जहाँ यूरोपीय मजिस्ट्रेट ने गाँधी जी को पगड़ी उतारने के लिए कहा था. इन घटनाओं से गाँधी जी काफी आहत हुए और उन्होंने लोगों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने का निर्णय किया. इसके लिए उन्होंने सत्याग्रह की रणनीति विकसित की जिसमें आन्दोलन करने वाले शांतिपूर्ण जुलूस निकालते हैं और अन्यायपूर्ण कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए खुद को गिरफ़्तारी के लिए भी प्रस्तुत कर देते हैं. दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी द्वारा किये गए कुछ कार्य * 1903 में इंडियन
ओपिनियन नाम का एक समाचारपत्र का प्रकाशन शुरू किया यह भी पढ़ें भारत में आगमनमहात्मा गाँधी 9 जनवरी 1915 को दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस आये थे. 2015 से इस दिन को हमलोग प्रवासी दिवस के रूप में मनाते हैं. 1915 में भारत वापस आने के बाद गांधी जी के राजनैतिक जीवन का प्रारंभ हुआ. यहाँ उन्हें गोपाल कृष्ण गोखले जैसे अनुभवी नेता का साथ प्राप्त हुआ. गोपाल कृष्ण गोखले ने हीं गांधी जी को भारत वापस आने के बाद के एक वर्ष तक के समय को इयर ऑफ़ प्रोबेशन समझने के लिए कहा था अर्थात पहले सारी परिस्थियों से अवगत होना, सब चीज़ों को विस्तार में समझना और उसके बाद राजनीती के क्षेत्र में आना. 1916 में गाँधी जी ने अपने रहने के लिए गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे साबरमती आश्रम का निर्माण किया. 1916 में हीं उन्होंने कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में भाग लिया था जहाँ उनसे मिलने चंपारण से राजकुमार शुक्ल आये थे. राजकुमार शुक्ल ने गाँधी जी को चंपारण के किसानों के साथ हो रहे अन्याय की जानकारी दी थी और उन्हें चंपारण आने का निमंत्रण दिया था. भारत में गाँधी जी द्वारा किये गए महत्वपूर्ण कार्य * 1917 का चंपारण सत्याग्रह यह भी पढ़ें महात्मा गाँधी की हत्या महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका क्या करने गए थे?गांधी जी 24 साल की उम्र में एक केस लड़ने के लिए 1893 में साउथ अफ्रीका गए थे। वह 21 साल तक अफ्रीकी देश में रहे और जब वापस लौटे ते 45 साल के अनुभवी वकील बन चुके थे। साउथ अफ्रीका में मोहनदास करमचंद गांधी ने कई लड़ाइयां लड़ीं और जीती भी।
महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका गए थे या ज्ञान का कौन सा प्रकार है?महात्मा गांधी बम्बई से 1893 में वकालत करने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए थे.
गांधीजी दक्षिण अफ्रीका कब गए थे?गांधी 1893 में दक्षिण अफ्रीका गए थे। उस समय वो 24 साल के थे, लेकिन जब भारत लौटे तो 45 साल के अनुभवी वकील बन चुके थे। कहते हैं कि वो गांधी बनकर गए थे और महात्मा बनकर लौटे।
दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी को कैसे अनुभव हुआ?लेकिन इससे पहले कि वे ऐसा कर पाते, दक्षिण अफ्रीका के भारतीयों का एक अत्यावश्यक तार उन्हें आया। इसके बाद वे अपनी पत्नी और बच्चों के साथ वर्ष 1896 के नवंबर महीने में डरबन के लिए रवाना हो गये। भारत में गांधीजी ने जो कुछ किया और कहा उसकी सही रिपोर्ट जो नाताल नहीं पहुँची। उसे बढ़ा-चढ़ाकर तोड़-मरोड़ कर वहाँ पेश किया गया।
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