खिलौने का बिजनेस कैसे करें, खिलौना बनाने का तरीका, मशीन, सामग्री, लागत, लाभ (Toy Making Business Ideas in Hindi, Industries, Machine, Cost, Plan, Investment) Show
पहले ज्यादातर खिलौने मिट्टी या लकड़ी के बने होते थे पर आज इनकी जगह प्लास्टिक के खिलौनों ने ले ली है। जो भी हो बच्चों के खिलौने उनके सबसे प्यारी चीजों में शुमार होते हैं। जहाँ भी कोई नया खिलौना देखा उसकी डिमांड कर बैठते हैं कि बस ये तो मुझे चाहिए ही चाहिए। तो इसी डिमांड और सप्लाई का हिस्सा बन करके खिलौने बनाने वाली कंपनियां लाखों का बिज़नेस कर रहे हैं। भारत में खिलौने प्राचीन काल से इस्तेमाल हो रहे हैं। सिन्धु सभ्यता की खुदाई में भी मिट्टी के बने खिलौने मिले थे और आज Indian Toy Industry 1.23 बिलियन डॉलर की हो गयी है और इसकी ग्रौथ भी 12% से बढ़ रही है। तो इस करोड़ों की कमाई देने वाले इंडस्ट्री में अगर आप भी अपना बिज़नेस शुरू करना चाहते हैं। तो आज इस article में आपको इसकी सम्पूर्ण जानकरी मिलेगी।
Raw Materialsखिलौने बनाने के लिए लिए Row Material यानि कि कच्चा माल की जरुरत पड़ती हैं। जिसमें फ़ूड ग्रेड वाले एबीएस प्लास्टिक ग्रेन्यूल्स, PVC ग्रेन्यूल्स एडिटिव्स, पेंट और पैकेजिंग मटिरिअल की जरुरत पड़ती है। अगर आपको अपने शहर या राज्य में रॉ मटिरिअल सप्लाई करने वाले मिल गए तो बहुत अच्छी बात है। नहीं तो आप ऑनलाइन भी खोज सकते हैं। Indiamart पर आपको इसकी जानकरी मिल जायगी। इसके अलावा भी आपको बहुत सारे सप्लायर्स मिल जायेंगें। Machineखिलौने बनाने वाली मशीन के उपर ही आपकी इन्वेस्टमेंट डिपेंड करेगी। मशीन की प्रोडक्शन कैपेसिटी क्या है? इसके ऊपर मशीनों के दाम तय होते हैं। एक कम्पलीट Toy Making Business सेट करने के लिए आपको निम्न मशीनों की जरुरत होती है।
मीडियम स्केल पर भी अगर खिलौना बनाने का बिज़नेस शुरू किया जाये, तो 25-30 लाख और बड़े स्केल पर 40-45 लाख का खर्चा आ जायेगा। Spaceअगर आप बड़े स्केल पर Toy Manufacturing Business शुरू करना चाहते हैं तो आपको 4000-5000 वर्ग फीट की जरूरत तो पड़ेगी ही। जिसमें Row Materials रखने, Machine Setup, Printing & Packaging, Ready Toys After Production और Testing जैसे काम होंगें। अगर आपके पास जगह है तो आप किराए के पैसे बचा सकते हैं। नहीं तो आपको किराए पर जगह लेनी पड़ेगी जिससे आपका खर्च थोड़ा और बढ़ जाएगा। Electricityखिलौने बनाने के लिए Row Materials को पिघलाना पड़ता है। उन्हें सांचे में मोल्ड करना पड़ता है। फिर मशीन से प्रिंटिंग और पैकेजिंग के लिए भी काफी इलेक्ट्रिसिटी की जरुरत पड़ती है। इसलिए आपको कम से कम 40-45 किलोवाट बिजली कनेक्शन की जरुरत पड़ेगी। Manpower & Workersमशीने चलाने के लिए, पेंटिंग के लिए, खिलौनों को पैक करने के लिए कम से कम 7-8 कर्मचारी तो चाहिए ही होंगे। जिनमें कुछ स्किल्ड लोग भी होंगें जो मशीन को ऑपरेट करेंगे। अगर आपको स्किल्ड ऑपरेटर मिल जाते हैं तो बहुत बढ़िया होगा नहीं तो जिनसे मशीनें आप खरीद रहे हैं वहां से आप अपने कर्मचारियों को ट्रेनिंग भी दिलवा सकते हैं। साथ ही Toy Manufacturing Company शुरू होने पर आप लोकल लेवल पर भी महिलाओं को रोजगार दे सकते हैं। इसके अलावा भी खिलौनों की लोडिंग-अनलोडिंग के लिए लेबर और मार्किट में सप्लाई के लिए अगर आपके पास अपनी गाड़ी है तब भी ड्राईवर को तो रखना ही पड़ेगा। Profitखिलौने बनाने का काम हमेशा ही प्रॉफिटेबल रहा है। क्योंकि मार्केट में इनकी डिमांड कभी भी खत्म नहीं होगी। अगर आप बच्चों की पसंद और मार्केट ट्रेंड के हिसाब से खिलौने बना रहे हैं तो आराम से 20-30% का प्रॉफिट मार्जिन आपको मिल जायेगा। लेकिन इसके लिए आपको ब्रांडिंग और मार्केटिंग भी करनी पड़ेगी। Branding & Marketingआप खिलौने कितने भी अच्छे क्यों न बना लें? लेकिन अगर कोई उनके बारे में जानेगा ही नहीं। तो कोई उसे कैसे खरीदेगा? और आपकी कमाई कैसे होगी? तो आप अपने बनाए हुए खिलौनों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही मार्केट में बेच सकते हैं। ऑनलाइन में आप Amazon, Flipkart, Meesho जैसे प्लेटफार्म पर स्पेस लेकर अपने खिलौने बेच सकते हैं और ऑफलाइन तरीके में आप लोकल मार्केट, होलेसेल डिस्ट्रीब्यूटर, शॉपिंगमॉल्स आदि में सप्लाई कर सकते हैं। Branding के लिए आप सोशल मीडिया, टीवी और अखबार में विज्ञापन दे सकते हैं। वैसे अगर आप चाहें तो एक-दो सेल्स के लोग भी रख सकते हैं वो भी आपकी सेल्स को बढ़ाएंगे। Exportअपने बनाये हुए खिलौनों की डोमेस्टिक सेल्स के बाद आप उन्हें Export भी कर सकते हैं। खिलौनों की डिमांड पूरी दुनिया में रहती है। अगर आप इंटरनेशनल मार्केट के हिसाब से प्रोडक्शन कर रहे हैं तो साउथ एशिया, मिडिल ईस्ट, यूरोप या अफ्रीका में भी अपने खिलौनों को एक्सपोर्ट कर सकते हैं। 2016 में भारत ने 18.92 बिलियन रूपए के Toys, Games और Sports Equipment एक्सपोर्ट किए थे। Company Registrationखिलौने का कारोबार करने के लिए सबसे पहले आपको एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी रजिस्टर करवानी चाहिए और कम्पनी का नाम भी ऐसा होना चाहिए। जो किसी दूसरी कम्पनी से मेल ना खाता हो और कम्पनी के नाम में आपका काम भी पता चलना चाहिए। इसके अलावा भी आपको कई पेपर्स की जरुरत होगी उन्हीं भी तैयार कर लें।
अपनी फैक्ट्री में आग बुझाने का इंतजाम जरुर से रखियेगा। क्योंकि प्लास्टिक मटेरिअल में आग लगने की बहुत ज्यादा सम्भावना होती है। अगर आपके पास ये बिज़नेस शुरू करने के लिए जरुरी कैपिटल नहीं है तो आप बिज़नेस लोन के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं। अपना बिज़नेस बढ़ाते हुए अगर आप खिलौनों का एक्सपोर्ट शुरू करेगें तो इसके लिए आपको Directorate General of Foreign Trade, Ministry of Commerce and Industry, Import Export Code आदि प्रोसेस पूरे करने होंगे। Govt. Support & Schemeवैसे भी इंडिया में ज्यादातर सस्ते खिलौने China से इम्पोर्ट होते हैं। लेकिन अब इंडिया को टॉय मैन्युफैक्चरिंग में आगे बढ़ाने के लिए Govt. of India ने Toy Manufacturing Cluster बनाने का निर्णय लिया है। जिसमें 2300 करोड़ का खर्चा आएगा और ये मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और तमिलनाडु में बनाए जायेंगें। इन Clusters के बनने से भारत में लकड़ी, लाह, ताड़ के पत्ते, बांस और कपड़ों के खिलौने बनाने के काम को बढ़ावा मिलेगा। मतलब कहीं न कहीं ये इंडियन टॉय इंडस्ट्री के लिए एक पॉजिटिव ख़बर है वैसे भी चाइना से हमारे सम्बन्ध अच्छे नहीं हैं तो इंडियन टॉय इंडस्ट्री को इसका फायदा मिल रहा है। Training & Courseअगर आप Toy Manufacturing या Designing की पढाई करना चाहते हैं तो ये पॉसिबल है। खिलौने की वैराइटी को देखा जाये तो मार्केट में Soft Toys, Action Hero Figures, Arts & Crafts, Building Sets, Dolls, Games & Puzzles, Electronics, Outdoor Games और Sports Toys मौजूद हैं। अगर इस इंडस्ट्री में आप आना चाहते हैं तो आपके पास क्रिएटिविटी और डिजाईन में अच्छी स्किल होनी चाहिए। ये कुछ जरुरी स्किल्स हैं। जो आपके लिए जरुरी हैं-
अगर आपने किसी भी सब्जेक्ट में 12th पास किया हुआ है तो आप Toy Manufacturing की पढाई कर सकते हैं। इसके लिए कई तरह के Entrance Exams होते हैं जैसे-
Entrance Exam के बाद ही आप कहीं भी पढाई के लिए अप्लाई कर सकते हैं। एंट्रेंस एग्जाम पास करने के बाद आप इन बताए गए इंस्टिट्यूट से टॉय डिजाइनिंग की पढाई कर सकते हैं-
पढाई के बाद आप Product Designer, Training Manager, Marketing Manager या Co-ordinator की जॉब भी कर सकते हैं। टॉय मैन्युफैक्चरिंग के बिज़नेस के बारे में आप Institute For Industrial Development (IID) से संपर्क कर सकते हैं। IID, Ministry of MSME और Govt. of India से एसोसिएटेड है। यहाँ पर आपको बिज़नेस शुरू करने की सारी गाइडलाइन्स और एक्सपर्ट से सलाह भी पा सकते हैं। आशा करता हूँ की इस पोस्ट को पढने के बाद आपको खिलौने का बिज़नेस कैसे करें या Toy Making Business Ideas in Hindi के बारे में सम्पूर्ण जानकरी मिली होगी। FAQक्या खिलौने बनाने का बिज़नेस प्रॉफिटेबल है ?हां बिलकुल, बच्चों को खिलौने काफी पसंद होने के कारण इनकी बाजार में मांग ज्यादा होती है। खिलौने बनाने के बिज़नेस में कितना निवेश करना होगा ?लगभग 10 लाख रूपये। किस तरह के खिलौने बनाए जा सकते हैं ?Soft Toys, Action Hero Figures, Arts & Crafts, Building Sets, Dolls, Games & Puzzles, Electronics, Outdoor Games और Sports Toys को आप बना सकते हैं। खिलौने वाला घर कैसे बनाया जाता है?बच्चों को सीखने के लिए महान पूर्वस्कूली बच्चा खिलौना।
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. स्वदेशी खिलौने कैसे बनाते हैं?प्रश्न (25) :स्वदेशी खिलौने बनते हैं-. स्टील से. प्लास्टिक से. स्थानीय कम लागत वाली सामग्री से. एल्यूमिनियम से. गूगल टॉयज कैसे बनते हैं?Description. 160 Likes.. 9,381 Views.. 2021 Aug 14.. मिट्टी से कौन कौन से खिलौने बनते हैं?मिट्टी के पोराजाता, नांदिया बैला, कढ़ाई, चूल्हा, कूकर, चूकी, सिली का निर्माण कुम्हारपारा वार्ड 2 और वार्ड 10 बंधियापारा में किया जा रहा है। खिलौने के अलावा यहां के कलाकार मिट्टी बर्तन, गणेश, विश्वकर्मा, दुर्गा, सरस्वती की प्रतिमा का भी निर्माण करते हैं।
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