भारत में कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए क्या उपाय किए जाते हैं? - bhaarat mein krshi utpaadakata badhaane ke lie kya upaay kie jaate hain?

विषयसूची

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  • 1 उत्पादकता बढ़ाने के लिए कौन कौन से उपाय किए जा सकते हैं?
  • 2 भारत में निम्न कृषि उत्पादकता के क्या कारण है इस को बढ़ाने के लिए अपने सुझाव दीजिए?
  • 3 प्राचीन भारतीय ग्रंथों द्वारा कृषि विकास के ज्ञान की पुष्टि कैसे की जा सकती है समझाइए?
  • 4 कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने कौन कौन से कदम उठाए हैं?
  • 5 भारत में कृषि उत्पादकता निम्न होने के क्या कारण हैं तथा उन्हें किस प्रकार दूर किया जा सकता है?
  • 6 भारतीय कृषि की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं भारत में निम्न कृषि उत्पादकता के क्या कारण हैं?
  • 7 प्राचीन कृषि पद्धतियां क्या है?

उत्पादकता बढ़ाने के लिए कौन कौन से उपाय किए जा सकते हैं?

उत्पादकता बढ़ाने के तरीके

  • तरीका # 2. विनिर्माण पर अधिक जोर देना:
  • तरीका # 3. बनाने के लिए प्रोत्साहन बदलना:
  • तरीका # 4. बढ़ता श्रम-प्रबंधन सहकारिता:
  • तरीका # 5. मौजूदा नियंत्रण को कसने:
  • विधि # 6. सरकारी नीतियों में बदलाव:

भारत में निम्न कृषि उत्पादकता के क्या कारण है इस को बढ़ाने के लिए अपने सुझाव दीजिए?

इसे सुनेंरोकें1. ग्रामीण श्रम शक्ति का पूर्ण उपयोग करने के लिये सामुदायिक विकास योजनाओं को लागू करना। 2. आधुनिक उपकरण उन्नत बीज, रासायनिक उर्वरक सिंचाई आदि का प्रयोग करके कृषि का स्थायी विकास करना।

कृषि उत्पादन को कैसे बढ़ाया जा सकता है?

इसे सुनेंरोकेंयदि फसलों को क्षेत्र की उपयुक्तकता के आधार पर बोया जाय तो इससे उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। (4) आगतों की उपलब्धता:- अगर सभी उत्पादन के आगत पर्याप्त मात्रा में तथा उचित मूल्य पर उपलब्ध है तो इससे इनका उचित प्रयोग करके उत्पादन तथा उत्पादकता की बढाया जा सकता है।

प्राचीन भारतीय ग्रंथों द्वारा कृषि विकास के ज्ञान की पुष्टि कैसे की जा सकती है समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंभारत में ९००० ईसापूर्व तक पौधे उगाने, फसलेंव्यवस्थित जीवन जीना शूरू किया और कृषि के लिए औजार तथा तकनीकें विकसित कर लीं। दोहरा मानसून होने के कारण एक एक ही वर्ष में दो फसलें ली जाने लगीं। इसके फलस्वरूप भारतीय कृषि उत्पाद तत्कालीन वाणिज्य व्यवस्था के द्वारा विश्व बाजार में पहुँचना शुरू हो गया।

कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने कौन कौन से कदम उठाए हैं?

किसानों की भलाई के लिए सरकार द्वारा उठाए गए हैं कई कदम : केन्द्रीय कृषि मंत्री

  • कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ)
  • कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) का उद्देश्य
  • जैविक खेती को बढ़ावा देना
  • भूमि धारक किसानों के लिए वृक्षारोपण को बढ़ावा देना
  • निर्यात योग्य फसलों का उत्पादन
  • एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच)

उत्पादकता की अवधारणा को परिभाषित करें उत्पादकता बढ़ाने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंसामान्य अर्थ में, उत्पादकता उद्यम के इनपुट और आउटपुट के बीच कुछ संबंध है। यह हमारे द्वारा उत्पादित और उपयोग किए गए संसाधनों के बीच मात्रात्मक संबंध है। समाज के जीवन स्तर को बढ़ाने का एकमात्र तरीका उत्पादकता को बढ़ाना है। इनपुट की प्रत्येक इकाई से आउटपुट बढ़ाकर उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है।

भारत में कृषि उत्पादकता निम्न होने के क्या कारण हैं तथा उन्हें किस प्रकार दूर किया जा सकता है?

इसे सुनेंरोकेंखेतों के छोटे-छोटे होने के कारण उन पर वैज्ञानिक ढंग से खेती करना कठिन हो जाता है जिससे पशुओं, यन्त्रों तथा सिंचाई क्षेत्र का अपव्यय होता है। यन्त्रों का प्रयोग बहुत ही कम होता है। खेती में पुराने यन्त्रों का प्रयोग करने से भूमि की उत्पादकता में वृद्धि नहीं हो पाती तथा कृषि उत्पादन कम हो जाता है।

भारतीय कृषि की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं भारत में निम्न कृषि उत्पादकता के क्या कारण हैं?

इसे सुनेंरोकेंभारतीय कृषि निम्न उत्पादकता व पिछड़ेपन का शिकार होती रहती है। क्योंकि भारतीय कृषि की छोटी जोत, निम्न श्रेणी की तकनीक मानसून पर ज़्यादा निर्भरता, सिंचाई साधनों का अभाव आदि भारतीय कृषि के पिछड़ेपन का कारण रहे हैं। उपरोक्त बिंदुओं से हमने जाना कि भारतीय कृषि पूरे देश में एक बड़े भाग पर की जाती है।

संक्षेप में बताएं कि भारत में कृषि का विकास कैसे हुआ?

इसे सुनेंरोकेंभारत एक कृषि प्रधान देश माना जाता है क्योंकि भारत में आज भी 68 प्रतिशत जनसंख्या कृषि क्षेत्र में रोजगार प्राप्त कर रही है। स्वतंत्रता के पश्चात् भारतवासियों ने अंग्रेजों से पिछड़ी हुई कृषि अर्थव्यवस्था ही विरासत में पाई थी। महात्मा गांधी भी कृषि को “भारत की आत्मा” मानते थे।

प्राचीन कृषि पद्धतियां क्या है?

इसे सुनेंरोकेंभारतीय कृषि का इतिहास दस हजार वर्ष पुराना है। ‌‌‌इन दस हजार वर्षों के पहले पाँच हजार वर्षों में कृषि में गोबर का उपयोग नहीं किया जाता था। उस समय फलों की खेती होती थी। ‌‌‌बहुत घने जंगल थे, मानवीय बस्तियाँ छोटी थीं, आदिमानव गुफाओं में रहता था, वह जंगल से फल व कन्दमूल खाकर जीवन व्यतीत करता था, वह शुद्ध शाकाहारी था।

विषयसूची

  • 1 उत्पादकता बढ़ाने के लिए कौन कौन से उपाय किए जा सकते है?
  • 2 गहन निर्वाह कृषि के दो प्रकार कौन से हैं?
  • 3 गहन कृषि की प्रमुख विशेषताएं क्या है?
  • 4 गहन निर्वाह कृषि क्या?
  • 5 लगातार गहन कृषि का क्या परिणाम होता है?
  • 6 वैश्वीकरण में किसका मुक्त प्रभाव होता है?
  • 7 कृषि उत्पादकता के क्या कारण है?
  • 8 उत्पादकता से क्या समझते है?
  • 9 मृदा वायु क्या है यह पौधों की वृद्धि को किस प्रकार प्रभावित करती है?

उत्पादकता बढ़ाने के लिए कौन कौन से उपाय किए जा सकते है?

5 आधुनिक तरीके जिनसे भारत की कृषि उत्पादकता में सुधार हो सकता हैं

  1. मृदा स्वास्थ्य संवर्धन मृदा स्वास्थ्य को मिट्टी के भौतिक, जैविक और रासायनिक कार्यों की अनुकूलतम स्थिति के रूप में निर्धारित किया जा सकता है।
  2. सिंचाई जल आपूर्ति बढ़ाना और प्रबंधन
  3. क्रेडिट और बीमा
  4. उन्नत प्रौद्योगिकी
  5. कृषि शिक्षा

गहन निर्वाह कृषि के दो प्रकार कौन से हैं?

इसे सुनेंरोकेंगहन निर्वाह कृषि दो प्रकार की होती है। एक में गीले धान का प्रभुत्व है और दूसरे में धान के अलावा अन्य फसलों का प्रभुत्व है , जैसे, गेहूं, दालें, मक्का, बाजरा, ज्वार, काओलिंग, सोयाबीन, कंद और सब्जियां। गहन निर्वाह कृषि में, किसान साधारण औजारों और अधिक श्रम का उपयोग करके भूमि के एक छोटे से भूखंड पर खेती करता है।

गहन कृषि की प्रमुख विशेषताएं क्या है?

इसे सुनेंरोकेंगहन कृषि, जिसे गहन कृषि के रूप में भी जाना जाता है, एक कृषि उत्पादन प्रणाली है जो उच्च पूंजी, श्रम और रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के साथ कम परती अनुपात का उपयोग करती है। उच्च फसल की उपज । किसान आसानी से भूमि की निगरानी कर सकते हैं और पशुधन की रक्षा कर सकते हैं ।

वैश्वीकरण का भारतीय कृषि पर क्या प्रभाव पड़ा?

इसे सुनेंरोकेंइससे कई गुना निवेश साधनों और बाज़ार आदि की सुविधाओं में बढ़ गया। इससे कृषि उत्पादन तो बढ़ा परन्तु इसके साथ ही बाज़ारों में खाद्यान्न की आपूर्ति बढ़ी। हरित क्रांति के बाद श्‍वेत क्रांति, पीली और नीली क्रांति आई जिससे दूध, तिलहन और मछली उत्पादन में बढ़ोतरी हुई।

भारतीय कृषि की मुख्य समस्या क्या है?

इसे सुनेंरोकेंभारत में कृषि भूमि का वितरण असमान है खेतों के छोटे आकार व विक्रय होने के कारण आधुनिक विधि से कृषि करना एक समस्या मूलक है। स्वतंत्रता के बाद भूमि सुधार तथा चकबंदी कार्यक्रम चलाने जाने के बाद भी 1% धनी किसानों जमीदारों के पास कुल भूमि का 20% है। भारतीय कृषि विशेषकर खरीफ फसलें मानसूनी वर्षा पर निर्भर है।

गहन निर्वाह कृषि क्या?

इसे सुनेंरोकेंसघन कृषि या ‘सघन खेती’ या सघन सस्यन (Intensive farming) कृषि उत्पादन की वह प्रणाली है जिसमें कम जमीन में अधिक परिश्रम, पूँजी, उर्वरक या कीटनाशक आदि डालकर अधिक उत्पादन लिया जाता है। इसमें एक ही भूमि पर वर्ष में कई फसलें बोयी जाती हैं।

लगातार गहन कृषि का क्या परिणाम होता है?

इसे सुनेंरोकेंइस कृषि में किसान कम भूमि पर भी अधिक मुनाफा कमा सकता है । गहन कृषि करने पर इतनी ज्यादा जमीन की जरूरत नहीं पड़ती हम कम जमीन पर भी काफी फसलों को उगा सकते हैं । Gahan Krishi से हमको जो प्रोडक्ट एक समय पर मिलता है उसको हम किसी भी मौसम में प्राप्त कर सकते हैं इसके लिए हम को उचित उर्वरक Fertilizer का उपयोग करना पड़ता है।

वैश्वीकरण में किसका मुक्त प्रभाव होता है?

इसे सुनेंरोकेंसामान्य अर्थो में वस्तु, सेवा तथा वित्त के मुक्त प्रवाह की प्रक्रिया ही वैश्वीकरण है और वैश्वीकृत विश्व ही इस प्रक्रिया का लक्ष्य है, जिसे पाया जाना है। वैश्वीकरण एक आर्थिक संकल्पना है जिसका तात्पर्य घरेलू अर्थव्यवस्था का वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ एकीकरण है।

वैश्वीकरण में किसका मुक्त प्रवाह होता है उत्तर बताइए?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: वैश्वीकरण प्रक्रिया के माध्यम से विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं का समन्वय या एकीकरण किया जाता है। जिससे वस्तुओं एवं सेवाओं प्रौद्योगिकी, पूँजी और श्रम या मानवीय पूंजी का भी प्रवाह हो सके। वैश्वीकरण के कारण ही विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं, पूँजी और प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान हो रहा है।

कृषि उत्पादकता से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंकृषि उत्पादकता से तात्पर्य किसी क्षेत्र विशेष में प्रति हेक्टेयर उत्पादन से है। कृषि उत्पादकता में मिट्टी, जलवायु, कृषि तकनीक, पूंजी एवं उर्वरकों का विशेष महत्व होता है। कुछ क्षेत्रों में अधिक उर्वरकों के प्रयोग से भी अनूकूल उत्पादन नहीं प्राप्त हो पाता है।

कृषि उत्पादकता के क्या कारण है?

इसे सुनेंरोकेंखेती पर जनसंख्या का बढ़ता बोझ भी निम्न उत्पादकता का महत्त्वपूर्ण कारण है। कनीकी कारक: सिंचाई सुविधाओं की पर्याप्तता का अभाव, उच्च उत्पादकता वाले बीजों की अनुपलब्धता, किसानों के पास मृदा परख तकनीक का अभाव और कीटों, रोगाणुओं और चूहों जैसे अन्य कृंतकों से बचाव की वैज्ञानिक पद्धति की जानकारी का न होना।

उत्पादकता से क्या समझते है?

इसे सुनेंरोकेंउत्पादकता (Productivity) उत्पादन के दक्षता की औसत माप है। उत्पादन प्रक्रिया में आउटपुट और इनपुट के अनुपात को उत्पादकता कह सकते हैं। उत्पादकता का विचार सर्वप्रथम 1766 में प्रकृतिवाद के संस्थापक क्वेसने के लेख में सामने आया। बहुत समय तक इसका अर्थ अस्पष्ट रहा।

मृदा वायु क्या है यह पौधों की वृद्धि को किस प्रकार प्रभावित करती है?

इसे सुनेंरोकेंमिट्टी में स्थित वायु यह वायु मिट्टी में स्थित जल में भी विलयन की अवस्था में पाई जाती है। इस वायु में ऑक्सीजन और नाइट्रोजन के साथ-साथ कार्बन डाइऑक्साइड भी रहता है। ऑक्सीजन पौधों की जड़ों के लिये लाभदायक है। कार्बन डाइऑक्साइड से पौधों की वृद्धि होती है।

कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए क्या क्या उपाय किए जा सकते हैं?

1. ग्रामीण श्रम शक्ति का पूर्ण उपयोग करने के लिये सामुदायिक विकास योजनाओं को लागू करना। 2. आधुनिक उपकरण उन्नत बीज, रासायनिक उर्वरक सिंचाई आदि का प्रयोग करके कृषि का स्थायी विकास करना।

कृषि उत्पादन में वृद्धि करने के लिए सरकार द्वारा क्या उपाय किए गए?

(i) कृषि की दशा को बेहतर करने के लिए सरकार ने कृषि विश्‍वविद्यालय, पशु सेवाएँ, पशु जनन केंद्र, मौसम संबंधित जानकारी आदि को महत्व दिया। (ii) भारतीय खाद्य निगम किसानों से सीधे अनाज खरीदता है। (iii) सरकार द्वारा किसानो को आर्थिक सहायता दी जाती है तथा रासायनिक खाद, बीज आदि उपलब्ध कराए जाते है।

कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने कौन कौन से कदम उठाए हैं?

किसानों की भलाई के लिए सरकार द्वारा उठाए गए हैं कई कदम : केन्द्रीय कृषि मंत्री.
कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) ... .
कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) का उद्देश्य ... .
जैविक खेती को बढ़ावा देना ... .
भूमि धारक किसानों के लिए वृक्षारोपण को बढ़ावा देना ... .
निर्यात योग्य फसलों का उत्पादन ... .
एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच).

कृषि में कम उत्पादकता की समस्या को हल करने के लिए आप क्या कदम उठाएंगे?

कृषि उत्पादकता में सुधार के लिये निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं- नई राष्ट्रीय कृषि नीति की शुरुआत की गई है। इसके अंतर्गत किसानों को सूखा एवं वर्षा के साथ-साथ अन्य आपदाओं के लिये राहत प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। हाल ही में शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से फसल बीमा को काफी व्यापक बनाया गया है।