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आपका प्रश्न है भगवान का ध्यान कैसे करें तो भगवान का ध्यान करने के लिए आप संत चित हो अंतरात्मा में ईश्वर को प्रतिष्ठित करते हुए शांत चित्र बैठ जाए नहीं तो भक्ति भाव में ईश्वर की प्रतिमा के सामने जो पूजन विधि होती है मन लगाकर ध्यान लगाकर करें एक तरीका हुआ दूसरा तरीका हुआ कि कुछ ना करें एकदम शांत भाव से मन में ईश्वर को याद करते हुए आंख बंद करके बैठे रहे धन्यवाद Romanized Version ध्यान अष्टांग योग का एक हिस्सा है जिसका वर्णन महर्षि पतंजलि द्वारा रचित योगसूत्रों में हिंदू धर्म, प्राचीन शैली और भारत की शिक्षा के संदर्भ में किया गया है। ये आठ अंग हैं यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। इस लेख में हम, भगवान का ध्यान करने का क्या अर्थ है, भगवान का ध्यान करने के लिए क्या जरूरी है? और
ध्यान कैसे करें यह सब जानेंगे। भगवान का ध्यान करने का क्या अर्थ हैभगवान का ध्यान का अर्थ है मन को किसी एक विषय को पकड़ कर एकाग्र करना। मानसिक शांति, एकाग्रता, मजबूत मनोबल, ईश्वर की खोज, विचारहीन मन, मन पर नियंत्रण जैसे कई उद्देश्यों के साथ ध्यान किया जाता है। भारत में प्राचीन काल से ध्यान का उपयोग किया जाता रहा है। ध्यान का अभ्यास आगे बढ़ने पर मन शांत हो जाता है, जिसे योग की भाषा में चित्तशुद्धि कहते हैं। ध्यान में साधक अपने शरीर, वातावरण को भूल जाता है और उसे समय का भी भान नहीं रहता। भगवान का ध्यान करने के लिए क्या जरूरी हैभगवान का ध्यान करने के लिए, शरीर को शिथिल करना, वाणी को शांत करना और मन को भीतर याद रखना आवश्यक है। इस अभ्यास के बिना न तो ध्यान जीवन का अंग बन सकता है और न ही साधना का उपक्रम। इसके लिए जरूरी है कि साधक को इस गहराई का ज्ञान हो। ध्यान करने के लिए पद्मासन, सिद्धासन, स्वास्तिकासन या सुखासन में बैठ सकते हैं। मन को शांत और प्रसन्न करने वाला स्थान ध्यान के लिए अनुकूल होता है। रात का समय, सुबह जल्दी या शाम का समय भी ध्यान के लिए अनुकूल होता है। भगवान का ध्यान कैसे करेंध्यान करने के लिए साधक किसी स्वच्छ स्थान पर स्वच्छ आसन पर बैठकर अन्य सभी संकल्पों और विकल्पों को हटाकर अपनी आंखें बंद कर लेता है और अपने मन को शांत करता है। और ईश्वर, गुरु, मूर्ति, आत्मा, निराकार परब्रह्म या किसी को भी आत्मसात करके उसमें मन को स्थिर करके उसमें लीन हो जाता है। जिसमें ईश्वर या किसी की धारणा की जाती है, उसे साकार ध्यान कहते हैं और बिना किसी की धारणा का आधार लिए कुशल साधक अपने मन को स्थिर करके लीन हो जाता है, इसे योग की भाषा में निराकार ध्यान कहा जाता है। गीता के अध्याय-6 में श्रीकृष्ण ने ध्यान की विधि का वर्णन किया है। यह भी पढ़े:
एक गहरे ध्यान के अनुभव के लिए यह आसान सुझाव अत्यंत ही प्रभावशाली है: क्या आपको पता है, बस थोड़ा समय अपने ध्यान के तैयारी में खर्च करके ध्यान का गहरा अनुभव प्राप्त सकते हैं? शुरुआती दौर में ध्यान करने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिससे आपको घर पर ध्यान करने के लिए मदद मिल सकती है। क्या आँखे बंद करके शांत बैठना कठिन लगता है ? - इसके लिये चिंता न करें आप ऐसे अकेले नहीं है। जो व्यक्ति ध्यान करना सीखना चाहते हैं, उनके लिए नीचे कुछ सरल उपाय
हैं। इन अभ्यासों में जैसे-जैसे आप नियमित होंगे, आप निश्चित ही ध्यान की गहराई में जायेंगे। शुरुआत इन 8 सरल सुझावों को अपनाकर करें
ध्यान वास्तव में विश्राम का समय है, इसलिये इसे अपनी सुविधा के अनुसार करें। ऐसा समय चुनना चाहिए जब एकांत हो और आपको किसी प्रकार की जल्दी नहीं हो। सूर्योदय और सूर्यास्त का समय जब प्रकृति दिन और रात में परिवर्तित होती है, यह समय ध्यान का अभ्यास करने लिये सबसे आदर्श है। सुविधाजनक समय के साथ सुविधाजनक स्थान को चुनें जहाँ आप को कोई परेशान न कर सके। शांत और शांतिपूर्ण वातावरण ध्यान के अनुभव को और अधिक आनंदमय और विश्रामदायक बनाता है। अब ध्यान करना है बहुत आसान ! आज ही सीखें ! ध्यान के समय सुखद और स्थिर बैठना बहुत आवश्यक है। आप ध्यान करते समय सीधे बैठें और रीढ़ की हड्डी सीधी रखें, अपने कंधे और गर्दन को विश्राम दें और पूरी प्रक्रिया के दौरान आँखे बंद ही रखें। ध्यान करते समय आप आराम से चौकड़ी मार कर (आलथी-पालथी ) बैठ सकते हैं, पद्मासन में बैठने की आवश्यकता नहीं है। भोजन से पहले समय ध्यान के लिए अच्छा होता है। भोजन के बाद में आप को नींद लग सकती है। जब आप को काफी भूख लगी हो तो ध्यान करने का अधिक प्रयास न करें। भूख की ऐंठन के कारण आपको इसे करने में कठिनाई होगी और हो सकता है कि पूरे समय आप सिर्फ खाने के बारे में सोचें। ऐसे में आप भोजन के दो घंटे उपरांत ध्यान कर सकते हैं। ध्यान के पहले थोड़ी देर का वार्मअप या सूक्ष्म योग करने से आपके रक्त परिसंचरण में सुधार होता है, शरीर की जड़ता और बैचेनी दूर होती है और शरीर में हल्कापन महसूस होता है। इससे आप स्थिरता के साथ अधिक समय बैठ सकते हैं। ध्यान के पहले गहरी साँस लेना और छोड़ना और नाड़ी शोधन प्राणायाम करना अच्छा होता है। इससे साँस की लय स्थिर हो जाती है और मन शांतिपूर्ण ध्यान अवस्था में चला जाता है। हमारे ध्यान कार्यक्रम सहज समाधि ध्यान सहज . आनंददायक . प्रभावशाली अब ध्यान करना है बहुत आसान ! आज ही सीखें ! ध्यान के विषय पर अधिक जानें भगवान का ध्यान करने के लिए क्या जरूरी होता है?ईश्वर की उपासना का सर्वोच्च तरीका ध्यान ही माना जाता है. वाह्य पूजा उपासना के प्रयोग के बाद जिस पद्धति से ईश्वर की उपलब्धि हो सकती है, वह ध्यान ही हो सकता है. केवल आंखें बंद करना ध्यान नहीं है, चक्रों पर ऊर्जा को संतुलित करना भी आवश्यक होता है. ध्यान एक प्रक्रिया है, जो कई चरणों के बाद हो पाता है.
भगवान का ध्यान करने के लिए क्या जरूरी है class 8?भगवान का ध्यान करने के लिए क्या जरूरी है ? Answer: (d) मन की एकाग्रता।
ध्यान में क्या सोचना चाहिए?ध्यान करते वक्त सोचना बहुत होता है। लेकिन यह सोचने पर कि 'मैं क्यों सोच रहा हूं' कुछ देर के लिए सोच रुक जाती है। सिर्फ श्वास पर ही ध्यान दें और संकल्प कर लें कि 20 मिनट के लिए मैं अपने दिमाग को शून्य कर देना चाहता हूं। अंतत: ध्यान का अर्थ ध्यान देना, हर उस बात पर जो हमारे जीवन से जुड़ी है।
भगवान का ध्यान कैसे लगाएं?ध्यान के लिए एक ऐसा नीरव एवं शांत स्थान ढूँढे जहाँ आप अलग से बैठकर निर्बाधित रूप से ध्यान कर सकें। अपने लिए एक ऐसा पवित्र स्थान बनायें जो मात्र आपके ध्यान के अभ्यास के लिए ही हो। ... . प्रभावपूर्ण ध्यान करने के लिए आसन के विषय में निर्देश. ध्यान के लिए सर्वप्रथम आवश्यक है — उचित आसन। मेरुदंड सीधा होना चाहिए।. |